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हमें कहा जा रहा है कि भारत के रणनीतिक हितों के लिए ईरान कि�
महामारी से जो सबसे बड़ा सबक़ मिला है, वो ये है कि मानवाधिक�
इस टिप्पणी के प्रकाशन के साथ ही भारत के ऑब्ज़र्वर रिसर्च �
लंबे समय से विश्व का जहाज़रानी उद्योग चीन की घरेलू मांग औ�
अब आगे जो भी होता है, लेकिन एक बात तय है कि दुनिया में आगे च�
पीएम मोदी की ‘हिंद-प्रशांत क्षेत्र पहल’ भी समुद्री क्षेत
अगर कोविड-19 के उपचार के लिए कोई टीका या दवा बनायी जानी है, त�
भारत संरचनात्मक रूप से दुनिया की सबसे तेज़ी से विकसित हो �
कुछ देर के लिए भले ही अर्थव्यवस्था की कहानी थम गई हो लेकिन
ज़ाम्बिया के लोगों को लगता है कि चीन उनके देश पर कब्ज़ा कर
किसी भी मुद्दे को लेकर चीन की रणनीति आमतौर पर दबी ढंकी होत
2018 में शी जिनपिंग माओ की बराबरी पर पहुंच गए. ये वो मुकाम था, �
चीन इस हालात से निपटकर साफ़-सुथरे बैलेंस शीट के साथ बाहर आ
पूरी दुनिया के बाज़ारों में सकारात्मक माहौल भले ही दिख र�
हमें एक ऐसे भविष्य के लिए तैयार रहना चाहिए जहां अराजकता औ�
हम एक बार फिर उसी मोड़ पर खड़े हैं. और आने वाले कुछ वर्षों म
चीन जहां मुख्य रूप से अफ़्रीकी देशों में स्वयं का राजनीति�
बहुत सी वैश्विक तकनीकी कंपनियां अपने-अपने देशों की सरकार
दोबारा राष्ट्रपति चुने जाने के लिए डोनाल्ड ट्रंप नए सिरे
ख़ुफ़िया जानकारियां जुटाने की नज़र से अमेरिका के लिए ओपन
यह दुनिया सेठ साहूकारों की दुनिया है. यहां लोग पैसा मोक्ष
अमेरिका और उसके सहयोगी देशों को और ज़्यादा नेतृत्व दिखान
मौजूदा इतिहास में पहली बार लगता है कि अमेरिका का आधिपत्य �
इतिहास उठा लीजिये हर महामारी की मार सर्वाधिक आम और गरीब त�
शी जिनपिंग के नेतृत्व वाले चीन को समझने में भूल मत कीजिए. �
क्या अंतरराष्ट्रीय क़ानून में कोई ऐसी व्यवस्था है जिसके
आज भारत को एक ऐसे देश से चुनौती मिल रही है, जिसके नेतृत्व क�
ये बात आपको हैरान कर सकती है कि जिस वक़्त भारत कोबाल्ट-60 से
ये बात आपको हैरान कर सकती है कि जिस वक़्त भारत कोबाल्ट-60 से
गुट निरपेक्षता का एक दौर था. भारत उसका हिस्सा था. वो गुट नि�
पूंजीवाद और नव-उदारवाद का दोष निकाला जा सकता है लेकिन उसक�
भारत बड़ी ख़ामोशी से कोविड-19 के बाद के विश्व परिदृश्य से न�
ऑस्ट्रेलिया की अप्रवासन नीति यहां के राजनेताओं के लिए या
लग्ज़ेमबर्ग की रियासत अपनी मर्ज़ी से भी और हालात के कारण �
वास्तव में तेल का खेल भू-राजनीति से शुरू हुआ था जो बाद में �
जिसतरह से महामारी को लेकर अनिश्चितता का माहौल है और जनता �
नए कोरोना वायरस की महामारी के लिए कौन ज़िम्मेदार है, इस मु
दुनिया भर के राष्ट्र स्वाभाविक तौर पर अपनी वैश्विक आपूर्
सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य देशों को चाहिए कि वो इस चुन�
हम फ्रांसीसी लोग, नए कोरोना वायरस के विरुद्ध ‘युद्ध’ लड़ �
इस महामारी का एक दुर्भाग्यपूर्ण पहलू ये भी है कि पोलैंड औ�
भारत की एकमात्र विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रमादित्य पर आग
अब मेरी बारी है अपने भारतीय दोस्तों के बारे में चिंतित हो�
आज ज़रूरी है कि भारत समेत दुनिया के तमाम देश, अमेरिका से म�
कोरोना की दस्तक के साथ नई विश्व व्यवस्था का समय तो अवश्य आ
मानवता के इस महासंकट के समय सबसे बड़ी कमी जो हम देख रहे है�
दुनिया को पता है कि अमेरिका पहले से ही बाक़ी दुनिया से अलग
हम अभी भी नहीं जानते कि कब, कहां और कैसे ये डर ख़त्म होगा. ल�
कोरोना वायरस से पैदा हुई महामारी ने वैश्विक समाज और प्रश�
विकसित देश इस महामारी से निपटने में पहले से ही बोझिल हैं, �