वर्ष 2016 में चीन की कम्युनिस्ट पार्टी ने राष्ट्रपति शी जिनपिंग को चीन के नेतृत्व का केंद्र बिंदु या सार घोषित किया था. वहीं, वर्ष 2018 में शी जिनपिंग के विचारों को देश के संविधान में शामिल कर लिया गया. शी के विचारों को ‘नए युग के लिए चीन की विशिष्टताओं वाले समाजवाद’ का नाम देकर संविधान में जगह दी गई थी. उस समय तक, पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ़ चीन के संस्थापक माओ ज़ेडॉन्ग, चीन के इकलौते ऐसे नेता थे जिनके विचारों को थॉट या सिद्धांत’ की संज्ञा दी गई थी. माओ वो नेता थे जिन्होंने चीन की कम्युनिस्ट पार्टी का गठन किया और एक ऐसी सेना तैयार की, जिसने जापानियों से लोहा लिया. चियांग काई शेक की सरकार से मुक़ाबला करके उन्हें शिकस्त दी और 1949 में चीन की सत्ता पर कब्ज़ा कर लिया. इसके बाद माओ ने अमेरिका और सोवियत संघ जैसे ताक़तवर राष्ट्रों से भी टक्कर ली थी. लेकिन, 2018 में शी जिनपिंग माओ की बराबरी पर पहुंच गए. ये वो मुकाम था, जहां तक उनसे पहले का कोई नेता नहीं पहुंच सका था. ऐसा माना जा रहा था कि अब शी जिनपिंग को हासिल करने के लिए कुछ और नहीं बचा है.
लेकिन, ऐसा लगता है कि ये सोचना ग़लत था. अब शी जिनपिंग की तुलना कार्ल मार्क्स से की जा रही है. वो कार्ल मार्क्स जिन्हें कम्युनिस्टों का सबसे बड़ा ख़ुदा कहा जाता है.
हे यीतिंग ने ‘शी जिनपिंग थॉट’ को ‘समकालीन या इक्कीसवीं सदी के मार्क्सवाद’ की संज्ञा दी है. यीतिंग के अनुसार, शी जिनपिंग ने नए युग के लिए साम्यवाद को कई नए सिद्धांत दिए हैं
इस साल 15 जून को स्टडी टाइम्स ने एक लेख प्रकाशित किया. इस लेख का शीर्षक था, ‘नए युग के लिए चीन की विशेषताओं वाले समाजवाद पर शी जिनपिंग के विचार, इक्कीसवीं सदी का मार्क्सवाद है.’ इस लेख को हे यीतिंग ने लिखा है. अगर आपने इससे पहले उनका नाम नहीं सुना, तो इसकी वजह शायद ये है कि हे यीतिंग, न तो चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के पोलित ब्यूरो के सदस्य हैं. और न ही वो इसकी सेंट्रल कमेटी के सदस्य हैं. हे यीतिंग चीन की सरकार में मंत्री भी नहीं हैं. बल्कि वो तो चीन के सेंट्रल पार्टी स्कूल के कार्यकारी उपाध्यक्ष हैं. उन्हें शी जिनपिंग के क़रीबी लोगों में से गिना जाता है. चीन के नेतृत्व पर अध्ययन करने वाली एग्नेस एंड्रेसी ने अपनी किताब, शी जिनपिंग:रेड चाइना, द नेक्स्ट जेनरेशन में हे यीतिंग को ‘शी जिनपिंग की कलम’ कहती हैं.
हे यीतिंग ने ‘शी जिनपिंग थॉट’ को ‘समकालीन या इक्कीसवीं सदी के मार्क्सवाद’ की संज्ञा दी है. यीतिंग के अनुसार, शी जिनपिंग ने नए युग के लिए साम्यवाद को कई नए सिद्धांत दिए हैं. जैसे कि आपूर्ति श्रृंखला में संरचनात्मक सुधार का सिद्धांत, आर्थिक न्यू नॉर्मल थ्योरी, नए युग में एक मज़बूत सेना का सिद्धांत, महाशक्तियो के बीच नए तरह के संबंधों के विचार और मानवता के साझा भविष्य के लिए एक समुदाय का सिद्धांत. हे यीतिंग के अनुसार शी जिनपिंग के ये सभी विचार, ‘चीन में मार्क्सवाद के आधुनिकीकरण की दिशा में लंबी छलांग हैं. और ये इक्कीसवीं सदी में मार्क्सवाद के महत्वपूर्ण चिन्ह भी हैं.’ आगे चल कर शी जिनपिंग को कार्ल मार्क्स का असली उत्तराधिकारी घोषित करते हुए, ही यीतिंग, शी जिनपिंग के सभी पूर्ववर्तियों के विचारों को उनके ‘थॉट (Thought)’ में शामिल कर लेते हैं. यीतिंग के मुताबिक़, मार्क्सवाद-लेनिनवाद, माओ के विचार, देंग शाओपिंग का सिद्धांत, जियांग ज़ेमिन के द थ्री रेप्रेज़ेंट्स और हू जिंताओं के विकास की वैज्ञानिक परिकल्पना, ‘शी जिनपिंग के थॉट’ का ही हिस्सा हैं. और अंत में वो ये घोषित करते हैं कि अपने इन विचारों के चलते शी जिनपिंग आज इन ‘महानायकों और संतों’ के साथ कंधे से कंधा मिला कर खड़े हैं.
काई शिया ने कहा कि इस एक इंसान ने, जो एक केंद्रीय नेता है और जिसके हाथ में चाकू भी है और बंदूक भी, वो इनके दम पर पूरे सिस्टम पर कब्जा कर बैठा है और अब कम्युनिस्ट पार्टी के 9 करोड़ सदस्यों को अपना गुलाम बना रहा है
विश्व में पूंजीवाद और समाजवाद के बीच सत्ता संतुलन में आए नए और व्यापक परिवर्तनों का श्रेय शी जिनपिंग के थॉट को दिया जाता है. जिसके अनुसार जिनपिंग के विचारों ने दुनिया का राजनीतिक और आर्थिक नक़्शा बदल दिया. और अब शी जिनपिंग के विचार, चीन को विश्व व्यवस्था के केंद्र में ले जा रहे हैं. लेख में शी जिनपिंग की तारीफ़ों के पुल बांध दिए गए हैं. उन्हें एक ज़बरदस्त रणनीतिकार बताया गया है, जो विश्व की अराजकता का मुक़ाबला करेंगे. जिनपिंग को एक ऐसा दूरदर्शी नेता बताया गया है, जो दुनिया की तमाम समस्याओं के लिए चीन द्वारा सुझाए गए समाधान देंगे. उन्हें एक ऐसा संत बताया गया है, जिन्होंने दुनिया में शांति के अभाव और विकास के अभाव को देखा और मानवता के साझा भविष्य के लिए एक समुदाय की स्थापना का सुझाव दिया. ऐसा लगता है कि अगर आपको इक्कीसवीं सदी में मार्क्सवाद को समझना है, तो इसके लिए आप को ‘शी जिनपिंग के थॉट’ को गंभीरता के साथ पढ़ना होगा.
शी जिनपिंग के लिए ये वर्ष 2020 के पहली छमाही की शानदार उपलब्धि सरीखा है. इस दौरान उन्होंने चीन की सत्ता के हर कोने पर अपना शिकंजा पूरी तरह से कस दिया है. उन्होंने कम्युनिस्ट पार्टी को अपने अधीन कर लिया है. इसका इशारा तब मिला जब उन्होंने मई महीने में प्रमुख कार्यकर्ताओं की डेमोक्रेटिक लाइफ मीटिंग में इन प्रमुख कार्यकर्ताओं से कहा कि, ‘उन्हें अपने दिल दिमाग से ही नहीं बल्कि आत्मा से भी पुराने विचारों के मलबे और कचरे को साफ़ करके निकाल देना चाहिए.’ शी जिनपिंग ने इस बात पर ज़ोर दिया है कि सार्वजनिक सुरक्षा के हर अंग को पूरी तरह से केंद्र के प्रति समर्पित होना चाहिए. सत्ता के इस अंग को पूरी तरह से पवित्र और भरोसेमंद होना चाहिए.’ और अभी पिछले ही हफ़्ते उन्होंने चीन की मिलिट्री रिज़र्व फ़ोर्स का नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया है. इसके अलावा, शी जिनपिंग के शासन काल में फिल्म, टीवी और प्रकाशनों (ऑनलाइन साहित्य का प्रकाशन भी शामिल है) पर नियंत्रण और सख़्त कर दिया गया है. और चीन के यूनिवर्सिटी छात्रों और अध्यापकों के ट्विटर, यू ट्यूब, इंस्टाग्राम और फ़ेसबुक खातों की अब और सघनता से निगरानी की जा रही है. शी जिनपिंग ने हॉन्क कॉन्ग के लिए नया राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून बनाकर, इस विशेष प्रशासनिक क्षेत्र पर अपनी पकड़ और मज़बूत कर ली है. शी जिनपिंग के सत्ता पर पकड़ बनाने के इन सभी क़दमों के चलते सेंट्रल पार्टी स्कूल की रिटायर्ड प्रोफ़ेसर काई शिया को ये कहने के लिए मजबूर कर दिया कि ये सभी क़दम, ‘कम्युनिस्ट पार्टी को राजनीतिक प्रेत बना देंगे.’ काई शिया ने कहा कि इस एक इंसान ने, जो एक केंद्रीय नेता है और जिसके हाथ में चाकू भी है और बंदूक भी, वो इनके दम पर पूरे सिस्टम पर कब्जा कर बैठा है और अब कम्युनिस्ट पार्टी के 9 करोड़ सदस्यों को अपना गुलाम बना रहा है. काई शी ने भविष्यवाणी की है कि अगले पांच वर्षों में चीन भयंकर उठा पटक के एक और दौर से गुज़रने वाला है.
शी जिनपिंग का ख़ुद की तुलना कार्ल मार्क्स से कराना एक दुस्साहस ही है. और ऐसा लगता है कि शी जिनपिंग को दांव खेलने बहुत पसंद हैं
अपने आप को विश्व के लिए खोलने के बावजूद, ब्रिटेन के मशहूर नेता विंस्टन चर्चिल के शब्दों में कहें, तो चीन आज भी, ‘एक ऐसी पहेली है, जो एक ऐसे रहस्य के पर्दे में छुपी है, जो अपने आप में एक बड़ा राज़ है.’ अब शी जिनपिंग सत्ता पर पकड़ मज़बूत करने की ये हड़बड़ी इसलिए दिखा रहे हैं क्योंकि, चीन ही नहीं पूरी दुनिया में उथल पुथल मची है. वो इसे अपने लिए एक अवसर के तौर पर देखते हैं या अपनी सत्ता के लिए ख़तरा मानते हैं, ये पक्के तौर पर बता पाना बेहद मुश्किल है. लेकिन, शी जिनपिंग का ख़ुद की तुलना कार्ल मार्क्स से कराना एक दुस्साहस ही है. और ऐसा लगता है कि शी जिनपिंग को दांव खेलने बहुत पसंद हैं. बाक़ी दुनिया को इस बात को गंभीरता से लेना चाहिए.
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