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ऑनलाइन दायरों में बढ़ती लिंग आधारित हिंसा के बीच इनके यू�
ऑनलाइन दायरों में बढ़ती लिंग आधारित हिंसा के बीच इनके यू�
सामूहिक तौर पर इस दशक में सामने आए संकटों से डिजिटल प्रौद�
भारत-पाकिस्तान संबंधों को लेकर अटकलबाज़ी उस वक़्त तेज़ ह
दुनिया के तमाम देशों और भारत में प्रजातांत्रिक व्यवस्था
आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस द्वारा तैयार मीडिया से विज्ञाप
एजेंसी और लोगों के ख़ुद के प्रभाव पर ध्यान केंद्रित करना,
चीन के पास ‘दुनिया भर से डाटा जमा करने’ की क्षमता है और यह �
जैसे-जैसे प्रौद्योगिकी विस्तार पा रही है और अपने लिए नए आ�
दुनिया के विकासशील या कम विकसित देश वैसी तकनीक के साथ जीत�
सोशल मीडिया के ऊपर सीसीपी का नियंत्रण बढ़ता ही जा रहा है. �
टीआरएफ़ अपनी धर्मनिरपेक्ष छवि गढ़ने की कोशिश कर रहा है, ज�
वेब के भविष्य पर खोजबीन और परंपरागत सोशल मीडिया प्लेटफॉर
अगर तकनीकी तानाशाही की जगह सरकारी अतिवाद लेता है, तो इससे
डोनाल्ड ट्रंप के शासन काल के दौरान बड़ी संख्या में सोशल म�
दिग्गज टेक्नोलॉजी कंपनियों का बिजनेस मॉडल ग़लत है. यहां न�
आज सोशल मीडिया के प्लेटफ़ॉर्म जो फ़ैसले ले रहे हैं, उनके प
पीयर प्रेशर यानी साथियों का दबाव, सफल माध्यमों के निर्मा�
फेसबुक और ट्विटर जैसी सोशल मीडिया कंपनियों ने यह घोषणा क�
सोशल मीडिया एक छोर पर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को बचाने �
सोशल मीडिया सरकारों के लिए न सिर्फ़ घरेलू तौर पर अपनी बात
भारत भी शुरुआत में इस तरह के ढांचे का निश्चित रूप से फ़ायद
भारत में मुसलमानों के बीच हाशिये से बहिष्कार के साथ अपमा�
इंटरनेट सेवाओं की मांग बढ़ने के साथ-साथ और सोशल मीडिया पर
प्लेटफ़ॉर्म को उनके फ़ैसलों के लिए ज़वाबदेह बनाना चाहिए औ
जब हम फेसबुक और ट्विटर के जाल में फंसे हुए हैं, उस वक़्त प्�
इस विषय पर अब भी परिचर्चा नहीं हो रही है कि, तमाम सोशल मीडि�
केवल सूचनाओं की सेंसरशिप के दायरे से आगे जाकर, मौजूदा संक�
कोरोना वायरस के प्रकोप से बचने के लिए लोगों को सामाजिक रू�
अंतरराष्ट्रीय समुदाय को आज ऐसी व्यवस्था बनाने की भी ज़रू
जनसंपर्क और सोशल मीडिया के इस ज़माने में प्रधानमंत्री मो
इंटरनेट पर सोशल मीडिया अभियान जिस गति और दूरी को कवर करने
सोशल मीडिया रूसी सूचना संघर्ष के प्रचार का ज़रिया बन गया �
घाटी में सुरक्षाबलों की जारी सफलता सराहनीय है, लेकिन उनक�
“नफ़रत” को वर्गीकृत करना और परिभाषित करना शायद हमारे समय
डिजिटल मीडिया के प्लेटफार्म कट्टरपंथ को बढ़ावा देने के न
सोशल मीडिया पर आतंकवादी दुष्प्रचार के प्रति सामान्य दृष�
सवाल है कि भीड़ इतनी हिंसक क्यूँ होती जा रही है। अफवाह अगर �
इंटरनेट हा या जगाचा आरासा आहे. जे सुरू आहे त्याचेच ते प्रतिबिंब दाखवते. म्हणूनच हा द्वेष पसरवणाऱ्यांना रोखायला हवे. माध्यमांना नाही.
धोकादायक ऑनलाइन कंटेंट रोखण्यासाठी समाज माध्यमांमध्ये जबाबदारीची जाणीव व्हावी, म्हणून जगभरातील सरकारे प्रयत्न करताहेत.
इंटरनेटवर जर तुम्ही एक महिला असाल आणि तुम्ही राजकीय मुद्द्यांवर भाष्य केले, तर मिळणारा प्रतिसाद अपमानास्पद असण्याची शक्यता अधिक असते.
श्रीलंका में भारतीय और चीनी राजनयिक मिशन के बीच एक चीनी मिलिट्री रिसर्च पोत के वहां पहुंचने को लेकर सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई.
श्रीलंका में भारतीय और चीनी राजनयिक मिशन के बीच एक चीनी मिलिट्री रिसर्च पोत के वहां पहुंचने को लेकर सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई.
भारतात सोशल मीडिया वापरणारे तब्बल ३७.६ कोटी लोक असून, या माध्यमासाठीची मार्गदर्शक तत्त्वे अत्यंत ढोबळ आहेत. त्यामुळे भारतासाठी फेक न्यूज अधिक घातक आहेत.
श्रीलंकेत पोहचलेल्या चीनी संशोधन जहाजाच्या मुद्द्यावरून, श्रीलंकेतील भारत आणि चीन यांच्या दूतावासामध्ये सोशल मीडियावर चांगलाच संघर्ष पेटला.
डार्क वेब और आतंकवाद परस्पर रूप से एक-दूसरे से बेहद नज़दीकी से जुड़े हैं. ऐसे में ये वर्तमान वैश्विक सुरक्षा ढांचे के समक्ष एक नई चुनौती पेश कर रहे हैं. इस ब्रीफ में आतंकी गति�
इस्लामाबाद का दौरा कर जयशंकर ने SCO सदस्यों को संदेश दिया है कि नई दिल्ली इस मंच को लेकर गंभीर है. पाकिस्तान तो निमित्त मात्र था.
पिछले 30 सालों में, डिजिटल नवाचार को लेकर इस बात पर अलग-अलग राय सामने आई है कि क्या तकनीक मुक्तिदायक है या राजनीतिक और/या आर्थिक शक्ति वाले लोगों को लाभ पहुंचाने वाली है. 2020 के द