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अब जबकि यूक्रेन और रूस के बीच युद्ध छिड़ा हुआ है, तो जर्मन�
बाइडेन प्रशासन ने एक विशेष इंडो-पैसिफिक रणनीति को जारी क�
यूक्रेन संकट से हालात बदल गए हैं. अमेरिका अभी तक रूस मसले �
रूस और चीन को अमेरिका के साथ अपने-अपने रिश्ते से जितना फ़ा
यूक्रेन के संकट ने किसी देश की संप्रभुता और ‘प्रभाव के क्�
आज दुनिया यूक्रेन की ज़मीन पर जिस संकट को पनपते हुए देख रही
अपना प्रभाव क्षेत्र बढ़ाने का मक़सद हासिल करने के साथ सा�
यूक्रेन मोर्चे पर जैसे-जैसे तनाव बढ़ता जा रहा है, क्या भार
2023 में भारत की जी20 की अध्यक्षता के तहत उसके पास एक मौक़ा है �
दो रणनीतिक मोर्चों पर मुक़ाबला करने में बाइडेन प्रशासन क
हाल ही में भारत का संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से अनुप�
रूस अपने प्रभाव क्षेत्र का विस्तार करने में जुटा है. वो यू
कोविड-19 के बाद की दुनिया में बातचीत के अच्छे कौशल और मिल कर
पश्चिम जितना अधिक रूस को अलग-थलग करेगा, मॉस्को और बीजिंग क
भारत अपनी ‘आर्थिक संरचना’ को इन नई हक़ीक़तों के हिसाब से �
चूंकि अमेरिका और रूस के बीच बातचीत में कोई ख़ास प्रगति नह�
चीनी मोर्चे पर लगातार जारी सीमा विवाद अमेरिका के साथ साम�
दोनों देशों के बीच यूक्रेन और पूरे क्षेत्र की सुरक्षा को �
सबसे वीभत्स घटनाएं देश के सबसे बड़े शहर और एक समय देश की र�
कज़ाख़स्तान की वैश्विक यूरेनियम आपूर्ति में हिस्सेदारी
इसकी अध्यक्षता संभालते ही फ्रांस ने अगले छह महीनों के दौ�
भारत को सैन्य हार्डवेयर की ख़रीद को लेकर संयुक्त राज्य अ�
भारत और रूस के रिश्तों में तमाम सकारात्मक संकेतों के बाव�
अंतरिक्ष जिस तरह युद्ध का अगला मैदान बन रहा है, उसे देखते �
एक स्थायी और स्पष्ट अंतर्राष्ट्रीय संबंध की प्रणाली के ल
अफ़ग़ानिस्तान संमिलन का एक अहम मुद्दा होने के साथ भारत क�
रूस, पश्चिमी देशों को चिड़ाते हुए यूक्रेन के मसले पर लगाता�
ये अमेरिका के हित में है कि वो रूसी मिसाइल सिस्टम हासिल कर
राजनीतिक संपर्क हमेशा ही एजेंडे में सबसे ऊपर होते हैं, इस�
रूसी राष्ट्रपति का नई दिल्ली का दौरा और प्रधानमंत्री नरे
अमेरिका और भारत के बीच कई नीतिगत मुद्दों पर समान राय होने
आखिर पुतिन की इस यात्रा ने दुनिया ख़ासकर चीन और अमेरिका का
जैसे-जैसे भारत की अमेरिका के साथ रणनीतिक साझेदारी गहरी ह�
भारत-रूस संबंध रूस संबंध अतीत की नहीं, बल्कि वर्तमान भू-रा
भारत अगर अपने संबंध अमेरिका और पश्चिमी देशों के साथ और प्�
कोविड-19 के बढ़ते संक्रमण और वैक्सीन को लेकर आशंकाओं के चल�
Cop26 को लेकर भारत द्वारा ली गई प्रतिज्ञाएं सराहनीय हैं लेकि
जेनेवा शिखर सम्मेलन के बाद अमेरिका और रूस के संबंध और अधि�
हालिया शिखर सम्मेलन के नतीजों के बावजूद पश्चिमी बाल्कन क
रूस में हाल के चुनावों ने संकेत दिया है कि लोकप्रियता की र
तालिबान जिस दिशा में बढ़ता है, चाहे वो ईरान, पाकिस्तान या �
बेलारूस और बाक़ी दुनिया के लिए ये ज़रूरी है कि वो इस बात क�
चूंकि संप्रभु देश तकनीकी क्षेत्र की बड़ी कंपनियों को “वश
अंतरिक्ष के प्रशासन की किसी भी ठोस व्यवस्था को लागू करने �
भारत का स्वभाव अंतर्मुखी व्यक्ति जैसा है.
एससीओ की दुविधा ये है कि अफ़ग़ानिस्तान की तेज़ आर्थिक गि�
अफ़ग़ानिस्तान को ‘ साम्राज्यों का कब्रिस्तान’ कहा जाता �
क्या ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका और ब्रिटेन के बीच बढ़ती रक्षा �
एक घोषणा जिसका तात्पर्य इंडो-पैसिफिक में हलचल पैदा करना �
उन वजहों की पहचान करना जिसके चलते भारत-रूस के रिश्ते की गर