Author : B. Rahul Kamath

Published on Nov 15, 2021 Updated 0 Hours ago

हालिया शिखर सम्मेलन के नतीजों के बावजूद पश्चिमी बाल्कन के यूरोपीय संघ में विलय होने की संभावना बनी हुई है. जैसे-जैसे इस क्षेत्र में विदेशी शक्तियां मज़बूत होती जा रही हैं, यूरोपीय संघ को इस क्षेत्र के एकीकरण के लिए कुछ ठोस क़दम उठाने की ज़रूरत है.

यूरोपीय संघ के लिए क्यों ज़रूरी है पश्चिमी बाल्कन

यूरोपीय संघ एक साथ कई मुद्दों पर काम कर रहा है और उनमें से अधिकांश पर पीछे हट रहा है. ईयू के प्रतिनिधियों ने पश्चिमी बाल्कन के साथ एक सम्मेलन का आयोजन किया, जिसका लक्ष्य पश्चिमी बाल्कन क्षेत्र के यूरोपीय संघ में विलय और उसके एकीकरण पर वार्ता को आगे बढ़ाना था.

यूरोपीय संघ द्वारा बर्लिन प्रक्रिया में किए गए वादे अभी तक पूरे नहीं किए जा सके हैं, भले ही 2014 में हुए बर्लिन सम्मेलन के बाद की गई इसकी स्थापना के बाद से लेकर आज तक सात साल गुज़र गए हैं. यूरोपीय आयोग के तत्कालीन अध्यक्ष जीन-क्लाउड जंकर ने बाल्कन क्षेत्र के महत्त्व को रेखांकित करते हुए इस बात की ओर ध्यान दिलाया है कि इस क्षेत्र में मज़बूत होते दक्षिणपंथ और यूरोपीय संघ के प्रति विरोधी भावनाओं के खिलाफ़ मज़बूती बनाए रखना ज़रूरी है. बर्लिन प्रक्रिया का लक्ष्य पश्चिमी बाल्कन क्षेत्र में संस्थागत और नीतिगत परिवर्तन के जरिए सुधारात्मक नीतियों को लागू करना है, ताकि इस क्षेत्र में ज़रूरी आर्थिक विकास की गतिविधियों को बल दिया जा सके. स्लोवेनिया की अध्यक्षता में 6 अक्टूबर को आयोजित यूरोपीय संघ-पश्चिमी बाल्कन शिखर सम्मेलन में बर्डो घोषणा (Brdo Declaration) पर सहमति जताई गई, जिसमें यूरोपीय संघ के विस्तार और बाल्कन क्षेत्रों के एकीकरण की ईयू की इच्छा को दोहराया गया लेकिन उन छह पश्चिमी बाल्कन देशों के लिए एक तय समयसीमा निश्चित करने में विफल रहा.

ईयू के प्रतिनिधियों ने पश्चिमी बाल्कन के साथ एक सम्मेलन का आयोजन किया, जिसका लक्ष्य पश्चिमी बाल्कन क्षेत्र के यूरोपीय संघ में विलय और उसके एकीकरण पर वार्ता को आगे बढ़ाना था.

छह देश एकीकरण के विभिन्न स्तरों पर हैं क्योंकि यूरोपीय संघ ने इस क्षेत्र में प्रवासन नीतियों पर चिंताओं का हवाला देते हुए जुब्लजाना द्वारा प्रस्तावित विस्तार योजना को खारिज कर दिया था. पश्चिमी बाल्कन क्षेत्रों में बढ़ते प्रवास ने यूरोपीय संघ और पश्चिमी बाल्कन के बीच प्रगाढ़ संबंधों की तात्कालिकता को बल दिया है क्योंकि इस क्षेत्र में सर्वाधिक प्रवासी सीरिया, अफगानिस्तान और मध्य-पूर्व से आ रहे हैं. अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद से ही अवैध प्रवास का ख़तरा काफ़ी बढ़ गया है.

 

ये अपरंपरागत प्रवासी तुर्की या क्रोएशिया से पश्चिमी यूरोप पहुंचने के लिए पश्चिमी बाल्कन से होकर जाने वाले रास्तों को  प्राथमिकता देते हैं. इस क्षेत्र से गुज़रने वाले प्रवासी खुफिया प्रवेश मार्गों का प्रयोग करते हैं, जो न केवल उनके जीवन के लिए ख़तरा हैं, बल्कि नशीली दवाओं की तस्करी, छोटी-मोटी चोरी और मानव तस्करी जैसी बड़ी आपराधिक गतिविधियों के लिए भी ज़िम्मेदार हैं. यूरोपीय संघ आयोग की अध्यक्ष, उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने यूरोपीय संघ के लिए इस क्षेत्र को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि यूरोपीय संघ पश्चिमी बाल्कन के बिना अधूरा है. हालांकि ये वादे इसलिए अधर में हैं क्योंकि कई सदस्य देश अतीत की गलतियों को फिर से दोहराना नहीं चाहते, जब रोमानिया और बुल्गारिया का यूरोपीय संघ में विलय जल्दबाजी में हुआ, जिसके कारण पूर्वी यूरोप से पश्चिमी यूरोप में मजदूरों का अनियंत्रित प्रवास हुआ.  बुलगारिया भाषाई विवाद के चलते उत्तरी मेसेडोनिया के संघ में विलय का विरोधी है. सर्बिया और कोसोवो के बीच विवाद की स्थिति बनी हुई है क्योंकि सर्बिया ने कोसोवो की सीमारेखा के पास सैन्य गतिविधियों और युद्धाभ्यासों में इज़ाफा किया है. अल्बानिया के हित उत्तरी मेसेडोनिया से जुड़े हुए हैं, इसलिए विलय की दिशा में उसकी प्रगति रुक गई है. संघ के विस्तार के समर्थक देश जैसे इटली, ऑस्ट्रिया, स्लोवेनिया और अन्य तीन बाल्टिक देशोंएस्टोनिया, लिथुआनिया एवं लातविया­जर्मनी और फ्रांस पर इस बात के लिए दबाव डाल रहे हैं कि वे उत्तरी मेसेडोनिया के विलय के विरुद्ध बुल्गारिया के वीटो की निंदा करें. बुल्गारिया मेसीडोनियन को एक स्वतंत्र भाषा के रूप में पहचान मिलने के विरुद्ध उसे बुल्गारियाई भाषा की एक बोली के रूप में मान्यता देने के लिए दबाव डाल रहा है. इसके अलावा, बुल्गारिया में एक कार्यकारी सरकार की अनुपस्थिति ने इस स्थिति में इज़ाफा किया है क्योंकि बुल्गारिया में अप्रैल और जुलाई में हुए दोनों संसदीय चुनाव असफल रहे, क्योंकि दोनों अवसरों पर किसी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं प्राप्त हुआ और  सरकार गठन के सभी प्रयास विफल रहे. बुल्गारिया में तीसरे चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है, जो 13 नवंबर तक जारी रहेगी. फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने अपनी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि उन्हें ऐसा लगता है कि यूरोपीय संघ अफ़गान पर तालिबान के कब्ज़े और हालिया प्राकृतिक गैस संकट के चलते इस स्थिति में नहीं है कि वो और सदस्यों को संघ में शामिल करे.

संघ के विस्तार के समर्थक देश जैसे इटली, ऑस्ट्रिया, स्लोवेनिया और अन्य तीन बाल्टिक देशों—एस्टोनिया, लिथुआनिया एवं लातविया­—जर्मनी और फ्रांस पर इस बात के लिए दबाव डाल रहे हैं कि वे उत्तरी मेसेडोनिया के विलय के विरुद्ध बुल्गारिया के वीटो की निंदा करें. 

पश्चिमी बाल्कन के अपने आखिरी दौरे में जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल क्षेत्र के संघ में विलय को भू-रणनीतिक दृष्टिकोण से महत्त्वपूर्ण बताया. यूरोपीय संघ पश्चिमी बाल्कन का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार और निवेशक है, 2019 में इसके कुल व्यापार का 70 फीसदी (55 बिलियन यूरो) हिस्सा यूरोपीय संघ के साथ था. इसके अलावा, यूरोपीय संघ ने इस क्षेत्र में आगे सहयोग बढ़ाने के लिए आर्थिक और निवेश योजना (इकोनॉमिक एंड इन्वेस्टमेंट प्लान, ईआईपी) के तहत 2021-2027 के बीच पश्चिमी बाल्कन में 30 अरब यूरो के निवेश का वादा किया है. पश्चिमी बाल्कन के देशों के बीच आपसी एकजुटता की कमी यूरोपीय संघ के लिए चिंता का एक विषय है क्योंकि यूगोस्लाव युद्धों से लेकर अबतक दो दशक गुजर चुके हैं, लेकिन इसके बावजूद इस क्षेत्र में जातीय संघर्ष अभी भी प्रबल हैं, जिससेइस क्षेत्र का आर्थिक विकास बाधित है. 1990 के दशक में जारी युद्धों और रेलवे और सड़क मार्ग के देर से हुए विकास के चलते इस क्षेत्र को बुनियादी ढांचों की कमी से जूझना पड़ा है और इसके कारण पूरे पश्चिमी बाल्कन क्षेत्र में बुनियादी ढांचे से जुड़ी परियोजनाएं बुरी तरह प्रभावित हुई हैं. सार्वजनिक बुनियादी ढांचे की कमज़ोर स्थिति और कनेक्टिविटी की समस्या ने पश्चिमी बाल्कन क्षेत्र की पहले से ही कमज़ोर अर्थव्यवस्था को और भी ज्यादा प्रभावित किया है, जहां बढ़ती बेरोज़गारी और आर्थिक विकास की सुस्त दर इस क्षेत्र की आर्थिक बाधाओं के केंद्र में हैं. प्रतिकूल भौगोलिक परिस्थितियों के कारण पश्चिमी बाल्कन में बुनियादी ढांचागत परियोजनाओं की कमी चिंता का विषय रही हैं, जिसके चलते आवागमन की स्वतंत्र एवं सुलभ सुविधाएं काफ़ी सीमित हैं.

 

बाल्कन क्षेत्र में विदेशी ताकतों की मौजूदगी

 

इस ढांचागत पृष्ठभूमि के बावजूद, विदेशी शक्तियों जैसे चीन, रूस और तुर्की ने इस क्षेत्र में अपनी पैठ बना ली है, और यूरोपीय संघ की ओर से एकीकरण की नीतियों के अभाव ने  विदेशी शक्तियों के लिए अपने एजेंडे को इस “भू-रणनीतिक क्षेत्र” में लागू करने को और भी ज्यादा आसान बना दिया है.

मध्य और पूर्वी यूरोप में चीन अपने 16+1 पहल (सीईईसी, चीन और मध्य और पूर्वी यूरोपीय देशों के बीच सहयोग) के जरिए यूरोप में अपने कदम बढ़ा चुका है. इस क्षेत्र में चीन की उपस्थिति इसी तथ्य से और स्पष्ट होती है कि इस क्षेत्र में बुनियादी ढांचागत परियोजनाओं के लिए चीन में करीब 9.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर का ऋण दिया है. इसके अलावा, चीन का लक्ष्य इस क्षेत्र में कोयला आधारित संयंत्र बनाने का है. जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता के चलते चीन की ये योजना यूरोपीय संघ के नेट ज़ीरो कार्बन के लक्ष्य में बाधा खड़ा करेगी. इसके साथ ही, सर्बिया और चीन ने एक व्यापक रणनीतिक साझेदारी समझौते पर हस्ताक्षर किया है ताकि द्विपक्षीय संबंधों को मजबूती प्रदान की जा सके और ऊर्जा और बुनियादी ढांचे के विकास जैसे मुद्दों पर आपसी सहयोग को बढ़ावा दिया जा सके. लातवियाई प्रधान मंत्री (आर्तुस क्रिसजनिस कार्निस) ने शिखर सम्मेलन के दौरान संघ को चेताते हुए कहा कि पश्चिमी बाल्कन क्षेत्र में उसे तात्कालिक रूप से नीतिगत फैसले लेने की ज़रूरत है, अन्यथा ये क्षेत्र पूरी तरह से विदेशी और गैर-क्षेत्रीय इकाईयों में परिवर्तित हो जाएगा.  

मध्य और पूर्वी यूरोप में चीन अपने 16+1 पहल (सीईईसी, चीन और मध्य और पूर्वी यूरोपीय देशों के बीच सहयोग) के जरिए यूरोप में अपने कदम बढ़ा चुका है.

एकीकरण के प्रयासों की कमी इस क्षेत्र के लोकतांत्रिक चरित्र को नष्ट कर रही है, वहीं मास्को और बीजिंग यूरोपीय संघ की विस्तार योजना को रोकने के किसी भी अवसर को हाथ से न जाने देने के लिए तैयार बैठे हैं. चीन और रूस दोनों ही देश इस क्षेत्र को बिना किसी राजनीतिक शर्त के ऋण की

 

पेशकश कर रहे हैं, जिसे यहां के नेता मुफ्त धन के रूप में देख रहे हैं. हालांकि, बाहरी ऋणों ने पहले ही सरकार के कर्ज़ को बढ़ा दिया है जो पश्चिमी बाल्कन की आर्थिक स्थिति को और खराब कर सकता है. बीजिंग ने पश्चिमी बाल्कन में अपने “सामरिक हितों” को देखते हुए इस क्षेत्र में भारी निवेश किया है.

 

भविष्य की संभावनाएं

 

यूरोपीय संघ को एकीकरण से पहले किए वादों से आगे बढ़कर संघ में शामिल होने के बाद इस क्षेत्र के आर्थिक विकास, राष्ट्रीय विकास और क्षेत्र में बहुप्रतीक्षित शांति की स्थापना के वादे की जरूरत है. चेक प्रधानमंत्री आंद्रे बाबिस के अनुसार, यूरोपीय संघ को आगे परिग्रहण वार्ता का प्रयास करने से पहले पश्चिमी बाल्कन में शेंगेन क्षेत्र की सदस्यता का विस्तार करना चाहिए, विशेष रूप से सर्बिया के साथ क्योंकि यह सबसे ज्यादा अवैध प्रवास मार्गों से जूझता है. मोंटेनेग्रो के विलय में सबसे बड़ी बाधा इस देश की भ्रष्ट व्यवस्था और संगठित अपराध इकाईयां हैं, जबकि सर्बिया के मामले में चीन और रूस के साथ इसकी बढ़ती निकटता के साथ-साथ कोसोवो के साथ तनाव ने यूरोपीय संघ के साथ इसकी परिग्रहण वार्ता ठंडे बस्ते में चली गई है. कुल मिलाकर विलय में हुई इस देरी के चलते इस क्षेत्र की

 

जनता का ध्यान संघ की तरफ़ से हटने लगा है क्योंकि स्थानीय लोग इस क्षेत्र के प्रति यूरोपीय संघ की प्रतिबद्धता को लेकर आश्वस्त नहीं हैं. संघ की इस क्षेत्र में विफलता को बीजिंग और मॉस्को भुनाएंगे और बुनियादी ढांचे में विकास और ऊर्जा सुरक्षा में निहित संभावनाओं में निवेश के जरिए इस पूरे क्षेत्र को अपने प्रभाव में ले लेंगे.

 

इस क्षेत्र में चीनी और रूसी घुसपैठ को रोकने और अपने विस्तार के लिए उसे दोनों देशों के प्रति कड़ा रूख अपनाते हुए इस क्षेत्र में आर्थिक और राजनीतिक सुधारों को लागू करना होगा. पश्चिमी बाल्कन की जनसंख्या में लगभग 7.3% की कुल दर से लगातार गिरावट आ रही है. जिसका पहले से ही क्षेत्र के सामाजिक-आर्थिक विकास पर दूरगामी असर पड़ा है, जिसके कारण ये क्षेत्र बाहरी हस्तक्षेप के लिहाज़ काफ़ी संवेदनशील हो गया है. यहां केवल संघ की ग़लती को ही आड़े हाथों नहीं लिया जा सकता क्योंकि पश्चिमी बाल्कन के कमज़ोर सार्वजनिक ढांचे ने भ्रष्टाचार, आर्थिक असमानता और सरकारी निष्क्रियता को जन्म दिया है, जिसके केंद्र में नस्ल-आधारित राजनीतिक विचारधारा है. क्षेत्रीय सुरक्षा का सवाल काफ़ी संवेदनशील है और अधर में लटका हुआ है, क्योंकि समय-समय पर नस्लीय राष्ट्रवाद के उभार के चलते सशस्त्र झड़पों का ख़तरा बना रहता है, जिसके कारण क्षेत्र में लोकतंत्र और क़ानून के शासन की व्यवस्था और भी कमज़ोर पड़ जाती है. यह क्षेत्र आर्थिक विकास की गतिहीनता के साथ-साथ निवेश की कमी और उच्च बेरोजगारी दर से बुरी तरह प्रभावित है, और इसके साथ ही जनसंख्या में हुई भारी गिरावट में इस क्षेत्र में आर्थिक और राजनीतिक परिवर्तन की संभावना को कठिन बना दिया है. पश्चिमी बाल्कन और संघ ऐतिहासिक समस्याओं से जूझ रहे हैं क्योंकि इस क्षेत्र में लगातार बनी हुई राजनीतिक और नागरिक अशांति यूगोस्लाव युद्ध की याद दिलाती है. इस क्षेत्र की राजनीतिक महत्वाकांक्षा ब्रसेल्स के लिए पहेली बनी हुई है क्योंकि क्षेत्रीय राजनीतिक ताकतें कुछ मौकों पर रूस के साथ गठबंधन करते हैं और अन्य मुद्दों पर यूरोपीय संघ के साथ खड़े होते हैं. हालांकि यह क्षेत्र स्पष्ट रूप से कई टुकड़ों में बिखरा हुआ है क्योंकि वे सभी तत्कालीन यूगोस्लाविया का हिस्सा थे. फिर भी, इस क्षेत्र के लिए दो दशकों से विलंबित एकीकरण की प्रक्रिया अभी भी जारी है, जबकि संघ के विस्तार में हो रही देरी का असर पश्चिमी बाल्कन पर साफ़ दिखाई देने लगा है.

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