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न्यायाच्या तत्त्वांपलीकडे, आपले आर्थिक हित सुरक्षित ठे�
जलवायु न्याय के नज़रिए से ही नहीं बल्कि अपने आर्थिक हितो�
भविष्य में भारत को ग्रीन इकोनॉमी यानी हरित अर्थव्यवस्था
इस वर्ष के जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (COP) में पेरिस समझौते के
बाकू में हाल ही में संपन्न हुए कॉप 29 यानी जलवायु शिखर सम्म�
प्रशांत द्वीप के देशों को हरित अर्थव्यवस्था की तरफ बदलाव
विकसित और विकासशील देशों के बीच भरोसे का संकट अंतर्राष्ट
विकसित देशों (ग्लोबल नॉर्थ) ने व्यापार की राह में जो बाधाए
विकसित देशों की तुलना में मिडिल इनकम वाले देशों के नागरि�
अगर ऊर्जा से संबंधित तमाम असमानताएं दूर करने को गंभीरता �
वैश्विक स्थिरता के लिए केवल सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) को हास�
केंद्रीय बैंकों ने महंगाई दर को लक्षित करने से जुड़ी अपन�
बौद्धिक संपदा के अधिकारों (TRIPS) में रियायत के जिस कमज़ोर कि�
दुनिया के विकासशील या कम विकसित देश वैसी तकनीक के साथ जीत�
आने वाले दशकों में अपने अनुकूल डेमोग्राफिक बदलाव का फायद
विकसित देशों की ओर से जलवायु वित्त प्रदान करने को लेकर की
ऑर्गेनाइजेशन फॉर इकोनॉमिक कोऑपरेशन एंड डेवलपमेंट (OECD) एव�
अल्प विकसित देशों और विकासशील राष्ट्रों का मछली कारोबार
अल्प विकसित देशों और विकासशील राष्ट्रों का मछली कारोबार
इस वक़्त जलवायु परिवर्तन के मौजूदा इको-सिस्टम से जुड़े अ�
बौद्धिक संपदा के अधिकारों (TRIPS) में रियायत के जिस कमज़ोर कि�
साल 2022 के आर्थिक विकास के अनुमानों को पूरा करने के लिए, भूट�
दुनिया के विकासशील या कम विकसित देश वैसी तकनीक के साथ जीत�
शहरों में जो लोग अपार्टमेंट में रहते हैं उन्हें लेकर इला�
वैश्विक कार्बन तटस्थता हासिल करने के लिए विकसित देशों को
अफ्रीका के 11 सबसे कम विकसित देशों में 30 फ़ीसदी से भी कम लोग�
भारत का मीडिया वैश्विक स्तर पर कोविड-19 के टीकाकरण की तुलन�
इबोला वायरस ने प्राथमिक तौर पर विकासशील अफ्रीकी देशों पर
विकसित देश इस महामारी से निपटने में पहले से ही बोझिल हैं, �
भारत को चाहिए कि वह अपने उद्योगों को इस तरह से तैयार करें �
2015 में यूएनएफसीसीसी के पैरिस समझौते के तहत जलवायु परिवर्�
जागतिक ऊर्जा संकटाने विकसित जगताला जीवाश्म इंधनावरच्या त्यांच्या अवलंबित्वाचे पुनर्मूल्यांकन करण्याची उत्तम संधी मिळवून दिली आहे.
आने वाले वर्षों में जलवायु परिवर्तन के चलते होने वाली विनाशकारी घटनाओं से व्यापक रूप से बड़े पैमाने पर जनसंख्या का विस्थापन होगा. इस समस्या का विस्तार देशों की सरहदों के आ�
यह संक्षिप्त विवरण विकास के लिए प्रभावी और ज़रूरी ग्लोबल गवर्नेंस के समक्ष आने वाली सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक पर चर्चा करता है, यानी संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्यो�
आगामी दशकांमध्ये त्यांच्या अनुकूल लोकसंख्याशास्त्रीय संक्रमणाचा लाभ घेण्यासाठी, विकसनशील आणि अल्प विकसित देशांनी (LDCs) बालमजुरीच्या समस्येकडे लक्ष देणे आवश्यक आहे.
वैश्विक अर्थव्यवस्था वर्तमान में लगातार बढ़ने वाले तीन संकटों का सामना कर रही है: पहला, ऋण का भारी बोझ (सरकारी और निजी); दूसरा, बार-बार होने वाली चरम मौसमी घटनाओं और जलवायु पर�
जलवायु परिवर्तन के बेतहाशा असर से हमारी धरती के अस्तित्व पर संकट मंडरा रहा है. हमारे संसार के सामने मौजूद इस ख़तरे के निपटारे के लिए जलवायु के मोर्चे पर तत्काल और प्रभावपूर
विकसित देश जेव्हा आत्मकेंद्री आणि अंतर्मुख होत आहेत आणि चीनचा इतर देशांबद्दलचा आक्रमक दृष्टिकोन स्पष्ट होत आहे, तेव्हा जागतिक नेतृत्वाच्या आघाडीवर एक पोकळी निर्माण हो�
यह उम्मीद की जा सकती है कि भारतीय नीति-निर्माता और सैन्य योजनाकार अंतहीन से दिखते इन युद्धों से सही सबक ले रहे होंगे.
जी-२० परिषदेचा हवामान बदलासंदर्भातील कृतीचा जाहीरनामा जगातील आर्थिकदृष्ट्या कमी विकसित देशांच्या दृष्टिकोनाशी सुसंगत असल्याने ही एक उत्तम सुरुवात आहे.
विकसनशील आणि विकसित देशांची सरमिसळ असलेले जी२०- भारताला भागीदार राष्ट्रांशी पायाभूत कल्पना जोडण्याकरता योग्य व्यासपीठ प्रदान करते.
जब विकसित देश आत्मकेंद्रित होकर अंतर्मुखी होते जा रहे हैं और चीन का अन्य देशों के प्रति आक्रामक रवैया जगजाहिर है, तब वैश्विक नेतृत्व के मोर्चे पर एक निर्वात की स्थिति उत्प�
विभिन्न व्यापक एवं महत्त्वपूर्ण वैश्विक मुद्दों, जैसे कि खाद्य सुरक्षा, कोविड-19 महामारी के बाद उपजे हालातों पर काबू पाना, जलवायु परिवर्तन, पर्यावरण और सर्विसेज ट्रेड यानी
जैसे-जैसे विकासशील और अल्प-विकसित देशों (ग्लोबल साउथ) में GDP और जनसंख्या में बढ़ोतरी हो रही है, ग्रीनहाउस गैसों (GHG) का उत्सर्जन भी बढ़ता जा रहा है. सार्वजनिक स्तर पर ठोस कचरों स
पर्यावरणास अनुकूल असे हरित तंत्रज्ञान आणि भांडवल श्रीमंत देशांमध्ये केंद्रित आहे. विकसित देश आणि विकसनशील देश यांच्यातील या दरीला कसे संबोधित करायचे ते पाहुयात.