टास्क फोर्स 4: रिफ्यूलिंग ग्रोथ: क्लीन एनर्जी एंड ग्रीन ट्रांजिशंस
सार
जलवायु परिवर्तन के मसले पर क़दम उठाने और सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) की प्राप्ति के लिए भारी-भरकम निवेश, नवाचार और वित्त के सही पैमाने की ज़रूरत होती है. दुनिया को जलवायु वित्त पर एक नए रोडमैप की दरकार है जो बाहरी वित्त में सालाना 1 खरब अमेरिकी डॉलर की रकम जुटा सके, जिसकी 2030 तक विकासशील देशों में ज़रूरत होगी (सोंगवे, स्टर्न और भट्टाचार्य 2022). जलवायु के लिए निजी क्षेत्र के निवेश और वित्त को बढ़ाने की अपार संभावनाएं और आवश्यकता है. मुख्यधारा के निवेशकों के बीच गति-शक्ति बढ़ रही है, जो आंशिक रूप से 'नेट ज़ीरो' के प्रति वचनबद्धता से प्रेरित है. हालांकि, विभिन्न खंडों से जुड़े जोख़िम बड़े पैमाने पर निजी जलवायु वित्त जुटाने में अड़चनें डालते हैं. इस पॉलिसी ब्रीफ में सतत विकास लक्ष्यों के लिए मिश्रित वित्त (blended finance) कार्य करने और तीन क्षेत्रों में कार्रवाई करने को लेकर G20 के लिए समाधानों की एक रूपरेखा का प्रस्ताव किया गया है. ये क्षेत्र हैं: (i) सक्षमकारी वातावरण; (ii) उपकरण; और (iii) संस्थान. ऐसी क़वायद में G20 प्रणालीगत और लेनदेन-स्तर की बाधाओं के समाधान मुहैया करने के लिए विकसित और विकासशील, दोनों प्रकार के देशों के सार्वजनिक क्षेत्र, निजी निवेशकों, बहुपक्षीय विकास बैंकों (MDBs), और अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों (IFI) के बीच उन्नत और संगठित कार्रवाई का समर्थन करने में अगुवा भूमिका निभा सकता है.
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चुनौती
दुनिया में स्थिरता या टिकाऊपन की ओर परिवर्तन हासिल करने के लिए निवेश को बढ़ावा देने की दरकार है. इस तरह मज़बूत और समावेशी विकास के साथ-साथ सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) पर प्रगति की प्राप्ति होगी. विकासशील देशों के खाते में वैश्विक निवेश का अधिकांश हिस्सा आता है, लिहाज़ा उनपर ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है. खासतौर से बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में इस तरह का ज़ोर दिए जाने की ज़रूरत है. अनुमान के मुताबिक यही विकासशील देश, भविष्य के ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जनों के तीन-चौथाई से अधिक हिस्से के लिए ज़िम्मेदार होंगे. विकासशील देशों में 2030 तक बाहरी वित्त में सालाना 1 खरब अमेरिकी डॉलर जुटाने के लिए जलवायु वित्त को लेकर एक नए रोडमैप की दरकार है (सोंगवे, स्टर्न और भट्टाचार्य 2022).
जलवायु और सतत विकास लक्ष्य के सह-साझा एजेंडे को पूरा करने के लिए वित्त के भारी-भरकम जमावड़े और तालमेल की आवश्यकता है. संपूर्ण समाधान की क़वायद में विकास वित्त स्रोतों के समूचे दायरे की एकजुटता शामिल होगी. इनमें रियायती वित्त में भारी-भरकम बढ़ोतरी शामिल है. इसके साथ ही विकासशील देशों में निवेश के लिए निजी वित्त का रास्ता साफ़ करने की ज़रूरत को भी व्यापक रूप से मान्यता मिली हुई है. निवेश का स्तर तेज़ी से बढ़ाने के लिए फाइनेंसिंग में सबसे बड़ी वृद्धि निजी क्षेत्र से आनी होगी (सोंगवे, स्टर्न और भट्टाचार्य 2022). इस पृष्ठभूमि में वित्त के मोर्चे पर दिए जाने वाले दख़लों और उपकरणों के विकास के माध्यम से निजी जलवायु वित्त की उन्नत गतिशीलता पर उम्मीदें टिकी हुई हैं. इसे मोटे तौर पर 'मिश्रित वित्त' की परिकल्पना के तहत शामिल किया गया है.
बढ़ती गति-शक्ति के बावजूद जलवायु और SDG फाइनेंसिंग में खाई को कम करने के लिए निजी जलवायु वित्त की आवश्यक मात्रा, आपूर्ति से कहीं ज़्यादा है. 2016 से 2021 तक आधिकारिक विकास वित्त हस्तक्षेपों द्वारा निजी क्षेत्र से 120.8 अरब अमेरिकी डॉलर जुटाए गए. संग्रहित किए गए निजी जलवायु वित्त का बड़ा हिस्सा- 97.7 अरब अमेरिकी डॉलर (जो कुल रकम का 81 प्रतिशत है)- केवल जलवायु परिवर्तन की रोकथाम के लिए लक्षित किया गया. अनुकूलन के लिए 13.7 अरब अमेरिकी डॉलर (11 प्रतिशत) जुटाए गए, और रोकथाम और अनुकूलन, दोनों उद्देश्यों के लिए 9.5 अरब अमेरिकी डॉलर (8 प्रतिशत) संग्रहित किए गए (OECD, 2023). इसके अलावा जुटाए गए निजी जलवायु वित्त का ज़ोर कम जोख़िम प्रोफाइलों वाले विकासशील देशों, यानी, मध्यम आय वाले देशों (85 प्रतिशत), और आर्थिक बुनियादी ढांचे और सेवाओं (60 प्रतिशत) पर किया गया. इसके साथ ही एकत्रित किए गए निजी जलवायु वित्त के तहत देशों के हिसाब से आवंटनीय रकम के महज़ 15 प्रतिशत हिस्से से निम्न आय वाले देशों को फ़ायदा हासिल हुआ, जबकि 4 प्रतिशत सामाजिक बुनियादी ढांचे और सेवाओं को सहारा देने के लिए था (OECD, 2023). ख़ासतौर से निम्न आय वाले देशों में रकम की आवश्यक मात्रा और वास्तविक आपूर्ति की तादाद के बीच विसंगति का काफ़ी हद तक जोख़िमों और बाधाओं के एक समूह द्वारा ब्योरा दिया गया है. इनका अगर ठीक से प्रबंधन नहीं किया गया, तो पूंजी की लागत में उल्लेखनीय वृद्धि होगी, जिससे निजी वित्त जुटाने में और बाधा आएगी.
लिहाज़ा, बाज़ार निर्माण और सार्वजनिक विकास वित्त से बाहर निकलने की क़वायदों का अंतिम लक्ष्य, जलवायु और सतत विकास उद्देश्यों के लिए निवेश को बढ़ावा देने के दृष्टिकोण को प्रेरित करना होना चाहिए. इस संदर्भ में लेन-देन पर आधारित दृष्टिकोण के रूप में लामबंदी की प्रक्रिया में आंतरिक सीमाएं हैं. जिस उद्देश्य की पूर्ति का इसका लक्ष्य है, उसमें प्रभावी ढंग से योगदान करने के लिए, लामबंदी को विकासशील देशों को समर्थन के व्यापक संदर्भ में स्थापित किए जाने की आवश्यकता है. ख़ास तौर से नियामक और नीतिगत उपायों, दोनों के ज़रिए और इनके साथ-साथ बढ़ी हुई क्षमताओं, कौशलों, और संस्थागत विकास के माध्यम से एक व्यापक सक्षमकारी वातावरण का निर्माण इसमें शामिल है. सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि बड़े निवेश को बढ़ावा देने के लिए शुरुआती बिंदु, देश का मज़बूत स्वामित्व और कार्रवाई होनी चाहिए. ये पॉलिसी ब्रीफ G20 के अनुमोदन के लिए समाधानों का एक ढांचा प्रस्तावित करता है ताकि विकासशील देशों में निजी जलवायु वित्त की अपर्याप्त लामबंदी के आंतरिक कारणों से पार पाया जा सके.
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G20 की भूमिका
एक ओर जहां जलवायु संकट की रफ़्तार बढ़ रही है, वहीं निजी जलवायु वित्त की लामबंदी उम्मीदों से पीछे चल रही है. सतत विकास लक्ष्यों के लिए मिश्रित वित्त कार्य करने और तीन क्षेत्रों में कार्रवाई करने के लिए समाधानों की रूपरेखा पर विचार करने को लेकर G20 को आमंत्रित किया जाता है. ये क्षेत्र हैं: (i) सक्षमकारी वातावरण, (ii) उपकरण, और (iii) संस्थान.
- निवेश वातावरण में मज़बूती लाने, प्रणालीगत जोख़िमों से निपटने और बैंक योग्य परियोजनाओं की श्रृंखला के विकास को बढ़ाने के लिए विकासशील देशों को क्षमता निर्माण मुहैया करना;
- पैमाना हासिल करने के लिए जोख़िम की रोकथाम करने वाले उपकरणों को संरचना बनाने में सहायता करना, इसमें जोखिम से मुक्त करने को लेकर पोर्टफोलियो दृष्टिकोण भी शामिल है;
- बहुपक्षीय विकास बैंक सुधार को प्रोत्साहन देना, निजी क्षेत्र को शामिल करना, और उभरते स्थायी वित्त केंद्रों को ग्लोबल साउथ के प्रवेश द्वार के तौर पर विकसित करना.
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G20 के लिए सिफ़ारिशें
विकासशील देश: सक्षमकारी वातावरण को मज़बूत करें और प्रणालीगत जोख़िमों से मुक़ाबला करें
विकासशील देशों में निजी जलवायु वित्त के एक महत्वपूर्ण हिस्से की आवश्यकता है, जहां सक्षमकारी वातावरण अब भी पूंजी को आकर्षित करने की क़वायद में मुख्य अड़चन के रुप में बरक़रार हैं. इनमें वास्तविक और धारणागत नीतिगत जोख़िम के साथ-साथ अच्छी तरह से चिन्हित किए गए निवेश अवसरों की कमी भी शामिल है.
समग्र विकास प्रक्रिया के मूलभूत आयाम के रूप में वित्तीय विकास एक प्रमुख निर्धारक है, जो ये तय करता है कि दुनिया के देश निवेश की ज़रूरतों और प्राथमिकताओं के लिए कितने प्रभावी ढंग से वित्त जुटाते और आवंटित करते हैं. वित्तीय गहराई और वित्त तक पहुंच की अहमियत पर ज़ोर देने वाले पर्याप्त शोध मौजूद हैं (कुल और डेमिरगुक-कुंट 2013; केंडल 2010). इस बात की पुष्टि करते हुए, वित्तीय क्षेत्र के विकास के प्रमुख संकेतकों के सापेक्ष जुटाए गए निजी जलवायु वित्त की मात्राएं निरंतर एक मज़बूत सकारात्मक सह-संबंध (correlation) पेश करते हैं (चित्र 1).
चित्र 1: जुटाया गया निजी जलवायु वित्त और वित्तीय क्षेत्र का विकास

बाईं धुरी: औसत. 2016-2020 में जुटाया गया निजी जलवायु (अरब अमेरिकी डॉलर). निचली धुरी: वित्तीय संस्थानों की गहराई, 2016-2020 के कालखंड में GDP में जमा धन बैंकों द्वारा निजी ऋण की हिस्सेदारी से अनुमानित है. वित्तीय बाज़ारों की गहराई, 2016-2020 की अवधि में सकल घरेलू उत्पाद के हिस्से के रूप में शेयर बाज़ार पूंजीकरण द्वारा अनुमानित है. 2016-2020 की मियाद में वित्तीय संस्थानों और सेवाओं तक पहुंच, किसी देश के औपचारिक वित्तीय संस्थान (15 वर्ष और उससे अधिक आयु के लोगों की हिस्सेदारी के रूप में) के खातों द्वारा अनुमानित है. मूल्यांकन 2016-2020 के औसत हैं.
स्रोत: एकत्र किए गए निजी वित्त पर OECD डेटा, oe.cd/mobilisation; विश्व बैंक वैश्विक वित्तीय विकास डेटाबेस.
वित्तीय क्षेत्र के विकास का अभाव वित्त की किल्लत का लक्षण और कारण, दोनों है. इसके मायने पूंजी की ऊंची लागत से है, जो किसी देश के विकास के दर्जे और संबंधित वित्तीय बाधाओं की एक प्रमुख विशेषता है. समग्र विकास प्रक्रिया से इसके आंतरिक संपर्क के बावजूद, निजी फाइनेंसिंग के दायरे को सीमित करने वाली पूंजी की लागत को ऊंचा रखने में योगदान देने वाली बाधाओं को तीन आयामों में श्रेणीबद्ध किया जा सकता है: सक्षमकारी वातावरण, मध्यस्थता और ठोस निवेश अवसरों का निर्माण. आगे चलकर इन्हें सोंगवे, स्टर्न और भट्टाचार्य (2022) द्वारा चिन्हित कई प्रमुख बाधाओं में बांटा जा सकता है:
- निवेश वातावरण की कमज़ोरी, ऊर्जा क्षेत्र में प्रमुख किरदारों के ऑफ-टेक जोख़िम और साख योग्यता जोख़िम को रेखांकित करती है.
- विनिमय दर जोख़िम, जो स्थिर रूप से तब उत्पन्न होते है जब अंतरराष्ट्रीय वित्त जुटाने की आवश्यकता होती है, क्योंकि स्थानीय वित्तीय बाज़ारों में घरेलू ज़रूरतों को पूरा करने के लिए आवश्यक गहराई नहीं होती है.
- श्रृंखलाओं और पैमाने से संबंधित सीमाएं, जहां उच्च-गुणवत्ता की पर्याप्त निवेश योग्य परियोजनाओं की कमी और उच्च अग्रिम लागत, शुरुआती निवेशों को ग़ैर-आर्थिक बनाती है, जबकि फ़ाइनेंसिंग की मात्राएं और तरलता प्रोफाइल के नतीजतन सीमाओं के आर-पार वित्त की आपूर्ति के तरीक़े और स्थानीय मांग के बीच बेमेल स्वरूप उभरता है.
- विकासशील देशों पर विषम जानकारी, जिसके चलते नए और सीमांत बाज़ारों में उच्च जोख़िम प्रीमियम वाले वैश्विक निजी क्षेत्र के फाइनेंसरों और निवेशकों की आवश्यकता होती है.
- निवेशकों के लिए जोख़िम का आकलन करने को लेकर डेटा की कमी, जिसमें मानकीकृत वर्गीकरण विज्ञान (taxonomy) और पहुंच शामिल हैं.
- निवेशकों के लिए प्रबंधन से बाहर रहने वाले जोख़िमों के लिएजोख़िम की रोकथाम करने वाले उपकरणों का अभाव.
- निजी निवेश और फाइनेंसिंग जुटाने और उनका रास्ता साफ़ करने के ख़िलाफ़ विकास वित्त संस्थानों की प्रोत्साहन संरचनाओं के रूप मेंगतिशीलता बाधाएं.
दीर्घ काल में, निवेश को बढ़ाने का समाधान, टिकाऊ आर्थिक वृद्धि और विकास के माध्यम से आता है, जो देश के स्वामित्व और कार्रवाई से संचालित होता है. साथ ही अंतरराष्ट्रीय भागीदारों से बढ़ा हुआ समर्थन भी मिलता है. अल्प काल में विकासशील देशों को सतत विकास और विकास के रास्ते को बनाए रखने में सक्षम बनाने के लिए एक बड़े निवेश प्रोत्साहन की दरकार है. इसके साथ ही नेट-ज़ीरो परिवर्तनों के लिए ज़रूरी निवेश करना, पहले से कहीं ज़्यादा तात्कालिकता भरा है (सोंगवे, स्टर्न और भट्टाचार्य 2022). इस तरह के निवेश प्रोत्साहन की सफलता और व्यवहार्यता प्रणालीगत समाधानों की पहचान करने की क्षमता पर निर्भर करेगी, जो सक्षमकारी वातावरण को मज़बूत कर सकती है. साथ ही विकासशील देशों में निजी निवेश और फाइनेंसिंग के लिए ऊपर बताई गई बाधाओं पर क़ाबू भी पा सकती है.
देश का स्वामित्व इन प्रणालीगत समाधानों के केंद्र में होना चाहिए. देश या सेक्टर प्लेटफॉर्मों की स्थापना के इर्द-गिर्द गतिशीलता बढ़ रही है जो देश के नेतृत्व वाले निवेश और परिवर्तनकारी रणनीतियों के समर्थन में प्रमुख स्टेकहोल्डर्स को एक साथ लाते हैं. जलवायु कार्रवाई और निवेश के मोर्चे पर इस तरह से ऊंची महत्वाकांक्षाएं आगे बढ़ती हैं. इस कड़ी में आधिकारिक क्षेत्र (G7 और G20) और निजी क्षेत्रa, के भीतर ऊर्जा के न्यायसंगत बदलावों से जुड़ी भागीदारियों मॉडल शामिल हैं.b ऐसे मंच किसी देश को स्पष्ट रणनीति और निवेश कार्यक्रम निर्धारित करने, नीतिगत बाधाओं से निपटने, परियोजना की तैयारी को बढ़ाने के लिए संरचनाएं स्थापित करने और फाइनेंसिंग के अनुकरणीय (replicable) और स्केलेबल (scalable) मॉडल बनाने को लेकर प्रोत्साहित कर सकते हैं.
प्रणालीगत बाधाओं से निपटने के लिए सामान्य दिशा और गतिशीलता पैदा करने और बड़े पैमाने पर प्रणालीगत समाधान उत्पन्न करने को लेकर पहले से ज़्यादा संगठित कार्रवाई की दरकार होती है. अंतरराष्ट्रीय सार्वजनिक विकास वित्त प्रदाताओं की परिसंपत्तियां, क्षमताएं और संसाधन इस कड़ी में निजी क्षेत्र और परोपकारी संगठनों के साथ मिलकर, प्रणालीगत बाधाओं को दूर करने के लिए समाधान जुटा सकते हैं. एक साझा प्रयास और दृष्टिकोण के पीछे तालमेल बिठाने से प्रमुख प्राथमिकताओं के समाधान के माध्यम से प्रणालीगत ख़ामियों पर काबू पाने और बाजार निर्माण का रास्ता साफ़ करने की गुंजाइश बढ़ जाती है. इनमें उन्नत श्रृंखला विकास, लागत की बेहतर प्रभावशीलता और स्केलेबिलिटी के लिए डेटा और परियोजना की विशेषताओं का मानकीकरण, विदेशी मुद्रा जोख़िम और नीतिगत जोख़िम से निपटने के लिए बड़े पैमाने पर प्रणालीगत जोखिम रोकथाम समाधान, और मिश्रित वित्त (blended finance) को लेन-देन दृष्टिकोण से पोर्टफोलियो दृष्टिकोण की ओर ले जाना शामिल है (सोंगवे, स्टर्न और भट्टाचार्य, 2022).
उपकरण: मिश्रित वित्त की ज़्यादा रणनीतिक रूप से तैनाती और बड़े पैमाने पर जोख़िम-रोकथाम समाधानों का विकास.
विकासशील देशों के बाज़ारों में जुड़ाव बनाते समय निजी क्षेत्र को अक्सर लेन-देन और प्रणालीगत मोर्चे पर जोख़िमों का सामना करना पड़ता है. इनमें विनिमय दर जोख़िम, नीति जोख़िम और मध्यस्थता लागत शामिल हैं. अगर इनका ठीक से प्रबंधन नहीं किया गया, तो पूंजी लागत में काफी इज़ाफ़ा हो जाएगा (OECD, 2023). इन जोखिमों को बेहतर ढंग से प्रबंधित करने के लिए, निवेशकों को इन उद्देश्यों के लिए उपयुक्त और जोख़िम की रोकथाम करने वाले सरल उपकरणों तक पहुंच हासिल करने की ज़रूरत पड़ती है. इन जोखिमों को कम करने और किसी परियोजना की क्रेडिट रेटिंग में सुधार करने के लिए मिश्रित वित्त समाधानों के उपयोग किए जा सकते हैं. इनमें दाता एजेंसियों और विकास बैंकों द्वारा प्रदान की गई विकास गारंटियां, बीमा और हेजिंग जैसे उपाय शामिल हैं.
मिश्रित वित्त को मोटे तौर पर विकासशील देशों में सतत विकास के लिए अतिरिक्त वित्त जुटाने को लेकर विकास वित्त के रणनीतिक उपयोग के रूप में परिभाषित किया गया है (OECD 2018). जोख़िमों और रिटर्न के दीर्घकालिक स्वभाव को देखते हुए यह जलवायु निवेश का रास्ता साफ़ करने और उनकी फाइनेंसिंग करने में अहम भूमिका निभा सकता है. हालांकि, इस दिशा में अब तक के प्रयासों से उम्मीद के मुताबिक और आवश्यक मार्ग या बढ़ोतरियां हासिल नहीं हुई हैं. 2021 में आधिकारिक विकास सहायता (ODA) का महज़ 1.2 प्रतिशत (यानी सिर्फ़ 1.9 अरब अमेरिकी डॉलर) विकास की दिशा में निजी क्षेत्र के उपकरण उपक्रमों या मिश्रित वित्त उपक्रमों की ओर निर्देशित किए गए थे (OECD 2022).
विकास वित्त को निवेश बाधाओं का निपटारा करने और निवेशों के जोख़िम-वापसी प्रोफ़ाइल में सुधार लाने के तरीके से तैनात करके, मिश्रित वित्त, बाज़ार का निर्माण करने वाले उपकरण के तौर पर कार्य करता है. ये उपकरण जलवायु और विकास के लिए वाणिज्यिक वित्त को आकर्षित करने में मदद करता है (OECD, 2020). विकासशील देशों में जलवायु और सतत विकास लक्ष्यों से जुड़े अन्य उपयोगों के लिए लेनदेन-स्तर की गतिशीलता को स्थापित करना मिश्रित वित्त के लिए बेहतर तौर-तरीक़ों का एक केंद्रीय सिद्धांत है. अधिक प्रणालीगत समाधानों के माध्यम से निजी वित्त प्रवाह को उत्प्रेरित करने के व्यापक संदर्भ में इन क़वायदों को अंजाम दिया जाता है (OECD DAC 2017; OECD 2018). मिश्रित वित्त के रणनीतिक उपयोग में सुधार के संभावित समाधानों में कामयाब मॉडलों और पहलों पर आगे निर्माण करना; पोर्टफोलियो दृष्टिकोणों का स्तर बढ़ाना; प्रभाव और मात्रा, दोनों का लक्ष्य रखना; धन के लिए मूल्य सुनिश्चित करने को लेकर शासन-प्रशासन को मज़बूत करने के साथ-साथ सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की संस्कृतियों में अंतर से निपटने की क़वायद शामिल हैं (सोंगवे, स्टर्न और भट्टाचार्य 2022).
पोर्टफोलियो दृष्टिकोणों का स्तर बढ़ाकर मिश्रित वित्त में जोख़िम आवंटन को संतुलित किया जा सकता है. IFC द्वारा प्रबंधित को-लेंडिंग पोर्टफोलियो प्रोग्राम (MCPP) और प्रस्तावित वैश्विक स्वच्छ निवेश जोख़िम रोकथाम तंत्र (GCI-RMM), दोहराए जाने योग्य संरचनाओं के उदाहरण हैं. ये टिकाऊ बुनियादी ढांचे के लिए पूंजी के नए-नए स्रोत जुटाने को लेकर पोर्टफोलियो दृष्टिकोण अपनाते हैं. सफलतापूर्वक क्रियान्वित की गई संरचनाएं (मसलन, MCPP) एक स्पष्ट और सटीक समस्या की पहचान करके लाभ हासिल करते हैं. इस तरह वो परिसंपत्ति मालिक़/प्रबंधक की वचनबद्धता सुरक्षित कर लेते हैं. आंतरिक संसाधनों को आवंटित करके, शुरुआती रकम (seed money) जुटाकर और एक समाधान विकसित करके, इन क़वायदों को अंजाम दिया जा सकता है. इन समाधानों को अन्य निवेशकों द्वारा दोहराया भी जा सकता है (सोंगवे, स्टर्न, और भट्टाचार्य 2022). नए प्रस्ताव (मसलन, GCI-RMM) जोख़िम की रोकथाम से जुड़ी क़वायदों की लागत को कम करने में मदद कर सकते हैं. विशाल और भौगोलिक रूप से विविधतापूर्ण प्रोजेक्ट पोर्टफोलियो को सामूहिक रूप से जोख़िम-मुक्त बनाकर इस कार्य को अंजाम दिया जा सकता है (घोष और हरिहर 2021).
सार्वजनिक और निजी संस्कृति के बीच के अंतर को सुचारू बनाने और ज्ञान साझा करके जोख़िम की रोकथाम से जुड़े समाधानों के अमल में तेज़ी लाए जाने की अपार संभावनाएं हैं. मिश्रित वित्त कार्यबल ने पिछले कुछ वर्षों में यही करने की जुगत लगाई है (सोंगवे, स्टर्न और भट्टाचार्य 2022). इसी प्रकार मिस्र की अध्यक्षता में आयोजित COP27 में निर्धारित न्यायसंगत फाइनेंसिंग के लिए शर्म अल-शेख गाइडबुक अनेक किरदारों वाले कामयाब पहल का बढ़िया उदाहरण है. ये जलवायु एजेंडे को सहारा देने के लिए वित्त और निवेश का भरपूर लाभ उठाने और उन्हें उत्प्रेरित करने के अवसरों को थामने का इरादा रखता है (मिस्र का अंतरराष्ट्रीय सहयोग मंत्रालय 2022).
संस्थाएं: विकास बैंकिंग के सुधार को समर्थन दें, निजी क्षेत्र को शामिल करें, और उभरते स्थायी वित्त केंद्रों को ग्लोबल साउथ के प्रवेश द्वार में बदलने की सुविधा मुहैया कराएं.
निजी वित्त जुटाने की क़वायद आम तौर पर बहुपक्षीय विकास बैंकों (MDBs) और विकास वित्त संस्थानों (DFIs) की उन शाखाओं के हाथों में आ गई है जो निजी क्षेत्र से ताल्लुक़ रखते हैं. ये ODA प्रदाताओं के साथ, परियोजनाओं और पोर्टफोलियो का विकास करते हैं. इस कड़ी में आख़िरकार SDG बाज़ारों का विकास किया जाता है ताकि वाणिज्यिक पूंजी को बड़ी मात्रा में इस ओर आकर्षित किया जा सके. चूंकि ये संस्थाएं जोख़िम और विकास, दोनों को समझती है, लिहाज़ा ये संस्थान संरचनाओं, उपकरणों और कौशलों से लाभान्वित होते हैं, जो उन्हें जोख़िम और रिटर्न के अलग-अलग स्तरों के साथ वित्तीय लेन-देन में जुड़ने की छूट देते हैं. इसके अलावा कई बहुपक्षीय विकास बैंकों और विकास वित्त संस्थानों के पास ऐसी क्रेडिट रेटिंग होती है जो उन्हें रकम जुटाने के ऊंचे स्तर और क्रेडिट सहायता बढ़ाने का अवसर देते हैं. फिर भी, लामबंदी पर बहुपक्षीय विकास बैंकों का ज़ोर पर्याप्त स्तरों पर नहीं पहुंच सका है. उनका प्रोत्साहन ढांचा सह-निवेश का वाहक बनने और अतिरिक्त निजी पूंजी के संग्रहण का कारक बनने की बजाए निजी पूंजी को ‘बाहर की ओर प्रवाहित’ करने के जोख़िम तैयार करता है (सोंगवे, स्टर्न और भट्टाचार्य 2022). बहुपक्षीय विकास बैंकों और विकास वित्त संस्थानों की ओर से निजी जलवायु वित्त के संग्रहण के लिए इस्तेमाल किए गए तमाम तौर-तरीक़ों पर ग़ौर करने पर ये रुझान और स्पष्टता के साथ दिखाई देता है (चित्र 2 देखिए).
चित्र 2: निजी जलवायु वित्त जुटाने के लिए बहुपक्षीय विकास बैंकों और विकास वित्त संस्थानों द्वारा उपयोग किए गए तंत्र का भरपूर लाभ उठाना (2016-2021)

2016–2021 औसत. उपयोग किए गए तंत्र जुटाए गए सकल निजी जलवायु वित्त के शेयर (प्रतिशत में) हैं. एकत्रित निजी जलवायु वित्त पर OECD डेटा आगे दिए गए उपकरणों के लिए इकट्ठा किए जाते हैं: सिंडिकेटेड ऋण, गारंटियां, सामूहिक निवेश व्हीकल्स में शेयर, कंपनियों में सीधा निवेश, क्रेडिट लाइनें, परियोजना वित्त और को-फाइनेंसिंग की सरल व्यवस्थाएं. जुटाई गई रकम पर रिपोर्टिंग के तौर-तरीक़े कार्य-कारण और आनुपातिक एट्रिब्यूशन के सिद्धांतों (principles of causality and pro-rated attribution) पर आधारित उपकरण (OECD, 2020) द्वारा परिभाषित किए जाते हैं.
स्रोत: इकट्ठा किए गए निजी वित्त पर OECD डेटा, oe.cd/mobilization
2016 से 2021 तक MDBs और DFIs ने आधिकारिक विकास हस्तक्षेपों के ज़रिए निजी क्षेत्र से जुटाए गए कुल जलवायु वित्त का 85 प्रतिशत हिस्सा एकत्रित किया. वैसे तो ये पूरे इकोसिस्टम में अहम किरदार हैं, लेकिन उनकी लामबंदी का तक़रीबन आधा हिस्सा (47 प्रतिशत) कंपनियों और SPVs में प्रत्यक्ष निवेश से आया, इसके बाद गारंटियों (23 फ़ीसदी) और सिंडिकेटेड ऋणों (17 प्रतिशत) का स्थान आता है. इसके उलट, इन क़वायदों में शायद ही सरल को-फाइनेंसिंग (1 प्रतिशत) या CIVs में शेयरों (5 प्रतिशत) का उपयोग किया गया (OECD, 2023). इस कड़ी में को-फाइनेंसिंग की नीची हिस्सेदारी उल्लेखनीय है. ख़ासतौर से इसलिए क्योंकि ये संस्थान, निजी वित्तीय संस्थानों के साथ को-फाइनेंसिंग के लिए स्वाभाविक रूप से सबसे उपयुक्त दिखाई पड़ते हैं. इनमें तालमेल और पूरकता के लिए अपेक्षाकृत रूप से स्पष्ट गुंजाइश होती है. सीधे फाइनेंसिंग में उनके ऊंचे हिस्से के साथ ये संचालनों के रास्ते में क़ायम बाधाओं की ओर इशारा कर सकते हैं, या लामबंदी पर तवज्जो बढ़ाने के लिए संस्थागत प्रोत्साहनों के पारंपरिक दृष्टिकोणों से परे जाने की ओर संकेत कर सकते हैं (OECD, 2023).
अंतरराष्ट्रीय विकास वित्त प्रणाली के सुधार को लेकर वर्तमान में जारी परिचर्चा ने बहुपक्षीय विकास बैंकों के लिए आवश्यक जनादेश और संचालन मॉडलों के साथ-साथ वित्तीय सहायता के पैमाने और मिश्रण में बदलाव की आवश्यकता की बढ़ती मान्यता का ख़ुलासा किया है. ऐसी क़वायदों से इन संस्थानों को विश्व स्तर के मौजूदा दबावों और विकास से जुड़ी चुनौतियों (जलवायु परिवर्तन समेत) का जवाब देने में सक्षम बनाया जा सकेगा. जलवायु कार्रवाई समेत अन्य मक़सदों के लिए निजी पूंजी जुटाने को लेकर MDBs और DFIs की क्षमता का पूरी तरह से दोहन करने के सिलसिले में किए गए अनुसंधानों में संस्थानों और उनके शेयरधारकों के लिए कार्रवाई के तीन मुख्य क्षेत्रों की ओर संकेत किए गए हैं. (OECD, विश्व बैंक, और संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण 2018; OECD 2021).
सबसे पहले, विकास बैंकिंग के उपयोग को व्यापक बनाने की दरकार है. आज की तारीख़ में सीधी फाइनेंसिंग, विकास बैंकों के कारोबारी मॉडल की जड़ में है. इसके विपरीत, विकास के लिए निजी संसाधनों के संग्रहण को लेकर मिश्रित वित्त दृष्टिकोण, विकास बैंकों के फाइनेंसिंग टूलकिट्स का एक छोटा सा हिस्सा हैं. दूसरा, अतिरिक्त निजी वित्त जुटाने पर अधिक ध्यान केंद्रित करने की क़वायद को प्रोत्साहित करने की ज़रूरत है. शेयरधारकों को विकास बैंकों और विकास वित्त संस्थानों के हक़ में डटकर खड़े होने की दरकार है. इससे नए निवेशकों को आकर्षित करने और जलवायु निवेश के लिए वित्त के स्रोतों पर अपने संस्थागत उद्देश्यों पर ध्यान केंद्रित करने में मदद मिलेगी. बदले में ये पूरी प्रक्रिया, भविष्य के हिसाब से सुरक्षित बाज़ारों के विकास और देश के स्वामित्व वाली उत्प्रेरक गतिविधियों को सुगम बनाएगी. इनमें घरेलू संसाधनों की लामबंदी भी शामिल है. अतिरिक्त लामबंदी की ओर कारोबारी मॉडलों का ऐसा झुकाव, शेयरधारकों से इक्विटी पर हासिल होने वाले रिटर्न (ROE) के लिए उनकी उम्मीदों में कटौती करने और रियायती संसाधनों से जुड़े उनके आवंटन पर पुनर्विचार करने का आह्वान करता है (OECD 2023). तीसरा, लामबंदी और प्रभाव की दिशा में प्रदर्शन संकेतकों को लक्षित करना. कॉरपोरेट स्कोरकार्ड में लामबंदी से जुड़े संकेतकों को एकीकृत करना और व्यक्तिगत अधिकारियों के करियर की उन्नति के रास्तों पर विचार करना बेहद अहम होगा. लामबंदी के उद्देश्यों के साथ प्रोत्साहन प्रणालियों का तालमेल बिठाना भविष्य के लिहाज़ से महत्वपूर्ण होगा.
जलवायु और SDG फाइनेंसिंग की खाई को पाटने के लिए, विकास से जुड़े वित्तीय ढांचे के सुधार से जुड़ी प्रक्रिया, बहुपक्षीय विकास बैंकों और विकास वित्त संस्थानों से आगे निकलनी चाहिए. इसमें निजी स्टेकहोल्डर्स को भी शामिल किया जाना चाहिए. विकासशील देशों में टिकाऊ निवेश को लेकर वित्त के स्तर को ऊंचा उठाने के लिए निजी क्षेत्र के नेतृत्व में कई कार्यक्रम शुरू किए गए हैं. मिसाल के तौर पर ग्लासगो फाइनेंशियल अलायंस फॉर नेट-ज़ीरो (GFANZ), सस्टेनेबल मार्केट्स इनिशिएटिव (SMI), और ग्लोबल इन्वेस्टर्स फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट अलायंस (GISD) निजी क्षेत्र की वचनबद्धता और कार्रवाई के लिए रूपरेखा और मंच उपलब्ध कराते हैं. इसी तरह, जब संस्थागत पूंजी जुटाने के लिए सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की फाइनेंसिंग और गारंटियों के मिश्रण का प्रश्न आता है, तब संपत्ति के मालिक़ और तमाम अन्य स्टेकहोल्डर्स सबसे ज़्यादा संभावनाओं भरे किरदार नज़र आते हैं. इनमें अफ्रीका50 प्लेटफॉर्म और अमुंडी ग्रीन बॉन्ड फंड, सीखने और सबक़ लेने के लिहाज़ से सबसे दमदार हैं. इन तमाम कार्यक्रमों को आपस में कंधे से कंधा मिलाकर और पूर्व सक्रियता के साथ काम करना चाहिए. साथ ही परियोजनाओं की पहचान और विकास के लिए बहुपक्षीय विकास बैंकों और देशों के साथ भागीदारी भी करनी चाहिए. इस तरह जोख़िमों में कटौती, उनको साझा करना और उनका प्रबंधन करते हुए पूंजी की लागत को नीचे लाना संभव हो सकेगा (सोंगवे, स्टर्न और भट्टाचार्य 2022).
आख़िर में, बड़ी विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में उभरते टिकाऊ वित्त केंद्र (मसलन भारत में GIFT IFSC), ग्लोबल साउथ में निवेश के अवसरों के साथ अंतरराष्ट्रीय पूंजी को जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं. अपने तात्कालिक अधिकार क्षेत्रों से परे, देशों के लिए पूंजी के माध्यम के रूप में ऐसे वाहकों को विकसित करने से विकासशील देशों की वित्तीय प्रणालियों में खाइयों को पाटने में मदद मिल सकती है. लिहाज़ा इन पहलों को वनिला ऋण और इक्विटी से इतर मिश्रित वित्त तक अपना ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए.
एट्रिब्यूशन: मेनॉन फॉरटेम्प्स आदि, “द मिथ ऑफ मोबिलाइज़िंग प्राइवेट फाइनेंस फॉर क्लाइमेट एक्शन एंड पाइवोटिंग टू स्केल,” T20पॉलिसी ब्रीफ, मई 2023
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a मिसाल के तौर पर, जलवायु कार्रवाई और फाइनेंसिंग पर संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत मार्क कार्ने द्वारा विकासशील देशों के लिए बड़े पैमाने पर निजी वित्त जुटाने को लेकर देश के उन्नत प्लेटफार्मों का उपयोग करने का आह्वान देखें.
b दाता देशों और लाभार्थियों के बीच न्यायसंगत ऊर्जा परिवर्तन भागीदारी स्थापित की गई है. इनमें फ्रांस, जर्मनी, यूनाइटेड किंगडम, अमेरिका, यूरोपीय संघ जैसे दाता देश या समूह और दक्षिण अफ्रीका, इंडोनेशिया, सेनेगल और वियतनाम समेत तमाम लाभार्थी देश शामिल हैं.
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