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Despite the multitude of international forums, a nagging question remains: Are these resolutions genuine steps towards change, or merely political rhe
The climate crisis has become a leading concern in the Middle East and the upcoming COP28 climate conference in the UAE serves as a pivotal platform t
बिना समुचित मूल्यांकन किये संरचनात्मक हस्तक्षेपों (स्ट�
दुनिया भर के समुदाय और अपने सामाजिक आर्थिक सफ़र में वो चा�
दुनिया में तक़रीबन 2 अरब लोगों को पीने का साफ़ पानी मयस्सर
ये अतीत के मुक़ाबले विकास की नई और अलग कहानी है. अतीत में व�
हाल ही में जारी आईपीसीसी की रिपोर्ट में उन क़दमों पर ज़ोर
दुनिया के जोख़िमग्रस्त क्षेत्रों में जलवायु परिवर्तन स�
जलवायु परिवर्तन मुहिम तभी सफल होगा जब 'जलवायु-संबंधी' रणन�
इस साल की आईपीसीसी (जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी पैनल) र
ऊर्जा में परिवर्तन से सामाजिक बदलाव सुनिश्चित होने की सो
प्लास्टिक प्रदूषण का ख़ात्मा करने के इरादे से अंतरराष्ट�
भारत अगर भविष्य में नेट ज़ीरो का लक्ष्य हासिल करना चाहता �
सौर ऊर्जा में आत्मनिर्भरता हासिल करने की भारत की इच्छा क�
जलविद्युत से मिलने वाले लाभों को नज़रअंदाज़ कर पाना कठिन
शून्य उत्सर्जन (नेट ज़ीरो एमिशन) हासिल करने की अपनी प्रति�
वैसे तो बजट में नवीकरणीय ऊर्जा उद्योग के लिए वित्तीय प्र�
आर्थिक सर्वेक्षण ने अपना दृष्टिकोण ज़रूर बदला है, लेकिन �
दुनिया भर में जैव ईंधन के उत्पादन को सबसे ज़्यादा राजनीत�
बेहतर जीवन शैली के लिए, शहर योजनाकार के लिए अतिरिक्त आबाद�
एक ‘वैश्विक महामारी’ उसे कहा जाता है जो जलवायु परिवर्तन, �
दिल्ली के चौथे मास्टर प्लान का उद्देश्य शहर में बढ़ते वा�
महासागरों में सैन्य अभ्यासों से समुद्री पारिस्थितिकी त�
जलवायु से जुड़े जोख़िमों को लेकर दुनिया भर में एक जैसी सो�
अगर निचली 90 फ़ीसदी आबादी जलवायु परिवर्तन के बोझ तले तबाह �
ग़रीब देशों के लिए ऊर्जा भंडारण प्रक्रिया की लागत एक बड़�
आने वाली तीसरी लहर के साथ, भारत सरकार को उपभोग की मांग को फ�
जलवायु परिवर्तन अब एक बहुत बड़ी चुनौती बन चुकी है और ये लो
ये सवाल ज़रूर पूछा जाना चाहिए कि अगर हम साल में नेट-ज़ीरो (N
दुनिया के पिछड़े इलाक़े जलवायु परिवर्तन का घातक प्रभाव झ
G20 की इस घोषणा ने जलवायु परिवर्तन से निपटने को लेकर विकासश�
यह उचित समय है कि हम COP एजेंडे में लॉस एंड डैमेज फाइनेंस को �
विकासशील देशों की आवाज़ और जलवायु परिवर्तन से जुड़े अपने
क्लाइमेट एक्शन को उत्प्रेरित करने में क्लीनटेक (Cleantech) की क�
केवल ऊर्जा परिवर्तन से हरित बदलाव नहीं लाया जा सकता है; इस
सूचना में देरी, ध्यान भटकाने और ग़लत जानकारियां फैलाने क�
सरकार, निवेशकों, संस्थाओं एवं उद्यमियों की तरफ से एकसाथ म�
हालांकि पवन ऊर्जा क्षेत्र में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, ल�
उभरती हुई टेक्नोलॉजी और चौथी औद्योगिक क्रांति, क्या भारत
बढ़ते जलवायु परिवर्तन की वजह से होने वाले लोगों के विस्थ�
न्यायसंगत परिवर्तनों के लिए ढांचे तैयार करने की दिशा में
भारत का कारोबार जगत जलवायु परिवर्तन के मोर्चे पर उठाए जा�
बढ़ती मांग और खाद्य असुरक्षा की चुनौतियों का सामना करने �
बांग्लादेश को अपनी ऊर्जा सुरक्षा मज़बूत करने पर निवेश कर
अपनी राष्ट्रीय नीतियों में जलवायु परिवर्तन से निपटने के
कॉप27 को एक ऐसा मंच बनना चाहिए जहां अंतर-सरकारी जलवायु वार�
चार-भाग की इस श्रृंखला के पहले भाग में ग्लोबल वार्मिंग के
शर्म अल-शेख़ जलवायु सम्मेलन में एक बड़ी आम सहमति ज़रूर बन�