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2025 का आम बजट मैन्युफैक्चरिंग को मज़बूती देने और व्यापार व�
पुढील वर्षासाठी भारताचा जीडीपी विकास दर कमी राहण्याचा अ�
अगले साल के लिए भारत की GDP विकास दर के कम रहने के अनुमान लगा�
बुज़र्ग नागरिकों को बजाय किसी बोझ के योगदान देने वाली आब�
लेबर पार्टी की नवनिर्वाचित सरकार का यूरोप समर्थक रुख़ ही
मानव पूंजी की अवधारणा और इसके आकलन की अहमियत तेज़ी से बढ़�
एग्री-फूड सेक्टर के भीतर डेटा से संचालित तकनीकों में कृष�
आज, जेव्हा आपण हवामान बदलाच्या धोक्याच्या सावलीत जगत आहो
आज जब हम जलवायु परिवर्तन के मंडराते ख़तरे के साये तले जी र
जैसे-जैसे जल संकट बढ़ रहा है, उसका असर खाद्य प्रणाली के मा�
लैंगिक सशक्तिकरण और खाद्य सुरक्षा एक-दूसरे से गहराई से ज�
विदेशी वैक्सीन की तलाश के चक्कर में अपनी संप्रभुता को बा�
इस बात के पर्याप्त संकेत हैं कि भारत में ठोस शहरी उत्पादक�
बढ़ती मांग और खाद्य असुरक्षा की चुनौतियों का सामना करने �
बढ़ती मांग और खाद्य असुरक्षा की चुनौतियों का सामना करने �
ऑस्ट्रेलिया के साथ मिलकर किए जाने वाले रणनीतिक अनुसंधान�
विदेशी वैक्सीन की तलाश के चक्कर में अपनी संप्रभुता को बा�
राष्ट्र जिस इंफ्रास्ट्रक्चर में शामिल होने का इरादा रखत�
भारतीय शहरों को महिलाओं की ज़रुरतों पर विशेष ध्यान देने क�
ट्रेड यूनियनों और त्रिपक्षीय समझौतों की संभावनाओं को मज�
आज भारतीय रेल की परिसंपत्तियों की उत्पादकता की समीक्षा क
भारत की राजनीतिक अर्थव्यवस्था की पहेली या समस्या यह है �
यह एक ऐसा बजट है जिसमें राजनीति इसके अर्थशास्त्र पर हावी �
निम्न और मध्यम आय वाले देशों (LMIC) में रोज़गार सृजन और गरीबी में कमी लाने के लिए औद्योगिक विकास बेहद अहम होता है. औद्योगिक विकास से पर्यावरणीय स्थिरता में भी सुधार हो सकता है. ले
2000 और 2013 के बीच अफ़्रीका में भूख के स्तर में सुधार हुआ था लेकिन उसके बाद के सालों में ये फिर से काफ़ी ख़राब स्थिति में पहुंच गया है. यद्यपि वैश्विक खाद्य असुरक्षा वर्तमान में ए
आंध्र प्रदेशच्या तीन राजधान्यांमुळे तीन अर्थव्यवस्थांची उभारणी होईल आणि त्यातून स्थानिकांना रोजगाराच्या संधी उपलब्ध होऊन उत्पादकता वाढेल.
दुनिया भर के देश जलवायु कार्रवाई के मोर्चे पर राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदानों (NDCs) के पहले से ज़्यादा महत्वाकांक्षी स्वरूपों पर प्रतिबद्धता जताने लगे हैं. ऐसे में आर्�
भारताची मजबूत शहरी आर्थिक उत्पादकता असूनही भारतीय लोकांचे जीवनमान समान राहण्याचे पुरेसे संकेत आहेत.
वाढती मागणी आणि अन्न असुरक्षिततेची आव्हाने पेलण्यासाठी आपल्याला शाश्वत शेतीद्वारे उत्पादकता वाढवणे आवश्यक आहे.