पिछले दशक में एग्री-फूड (कृषि-खाद्य) सेक्टर को जलवायु परिवर्तन, आबादी में बढ़ोतरी और संसाधनों की कमी से लेकर बदलते उपभोक्ता व्यवहार के कारण भयानक चुनौतियों का सामना करना पड़ा है. इस तरह एग्री-फूड सिस्टम में बदलाव ज़रूरी है ताकि इसे टिकाऊ और सामर्थ्यवान बनाया जा सके. खाद्य प्रणाली में परिवर्तन के लिए आवश्यक है कि ‘सुनिश्चित किया जाए कि खाद्य प्रणाली स्वास्थ्य, समावेशन, स्थिरता, सामर्थ्य, जलवायु और पर्यावरण को बेहतर करे और उन्हें प्राथमिकता दे.’ इस बदलाव के लिए एक डेटा से संचालित दृष्टिकोण को अपनाने की आवश्यकता है ताकि सोच-समझकर फैसला लेना आसान बनाया जा सके और उत्पादकता में सुधार के लिए संसाधनों का इस्तेमाल अधिकतम किया जा सके. दुनिया भर की खाद्य प्रणालियों की स्थिति के विश्लेषण से संकेत मिलता है कि ‘खाद्य सुरक्षा, कृषि एवं खाद्य प्रणालियों से जुड़ी गैर-कृषि आजीविका, खाद्य के नुकसान एवं बर्बादी, कृषि एवं खाद्य प्रणालियों के आर्थिक योगदान, गवर्नेंस और कृषि एवं खाद्य प्रणाली के सामर्थ्य की प्रगति की निगरानी के लिए बेहतर डेटा तत्काल ज़रूरी है.’
एग्री-फूड सेक्टर में डेटा से संचालित तकनीकों में कृषि उत्पादकता, स्थिरता और कुशलता बढ़ाने की क्षमता है. उदाहरण के लिए, प्रिसिज़न एग्रीकल्चर टेक्नोलॉजी (सटीक कृषि तकनीक) न सिर्फ फसल की उपज में सुधार करती है बल्कि किसानों को संसाधनों का इस्तेमाल बेहतर करने और पर्यावरण के असर को घटाने में भी सक्षम बनाती है. प्रमाणों से पता चलता है कि मिट्टी की नमी और पोषक तत्वों के स्तर को लेकर डेटा किसानों को सही मात्रा और समय पर पानी और उर्वरक के इस्तेमाल के बारे में जानकारी दे सकता है. इस तरह बर्बादी कम होती है और फसल की उपज में बढ़ोतरी होती है. डेटा एनालिटिक्स खामियों के बारे में पता लगाने और स्थिरता को सुनिश्चित करने के लिए संसाधनों के प्रबंधन और सप्लाई चेन में सुधार कर सकता है. इसके अलावा ये अनाज की बर्बादी में कमी ला सकता है, टिकाऊ ख़रीद (सोर्सिंग) को सक्षम कर सकता है और कार्बन फुटप्रिंट कम करने के लिए सप्लाई चेन की कुशलता में सुधार कर सकता है.
मौजूदा मांग को पूरा करने और कृषि में पर्यावरण, सामाजिक और आर्थिक चिंताओं को संतुलित करने के उद्देश्य से खाद्य उत्पादन के लिए एक स्थिर कृषि-खाद्य प्रणाली महत्वपूर्ण है. टिकाऊ कृषि में डेटा विज्ञान खेती से जुड़ी कुशलता को बढ़ावा देने और पर्यावरण से जुड़े असर को कम करने में एक निर्णायक भूमिका निभाता है. डेटा विज्ञान फसल की उपज का पूर्वानुमान लगाने और उत्पादन सामग्री एवं स्वस्थ फसलों को बढ़ावा देने में किसानों की मदद करने के लिए सभी स्रोतों से आंकड़ों को एकीकृत करने में सहायता कर सकता है.
डेटा की भूमिका
खेत से लेकर खपत तक खाद्य उत्पादों की यात्रा की निगरानी के लिए डेटा का इस्तेमाल पता लगाने की क्षमता (ट्रेसेब्लिटी), पारदर्शिता और जवाबदेही में बढ़ोतरी करता है. खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने और खाद्य से पैदा प्रकोप की रोकथाम या दूषित उत्पादों को वापस लेने में भी पता लगाने की क्षमता आवश्यक है. इसका उदाहरण है वॉलमार्ट की ब्लॉकचेन तकनीक जो खेत से स्टोर तक उत्पादों की वास्तविक समय में निगरानी करती है. साथ ही खाद्य की गुणवत्ता, पोषक मूल्य और पैकेजिंग को लेकर डेटा उपभोक्ता के भरोसे के साथ क्वालिटी और सुरक्षा का मानक बरकरार रखने के लिए ज़रूरी है. बिग डेटा और मशीन लर्निंग रियल-टाइम में खाद्य सुरक्षा की निगरानी में मदद कर सकती है. विश्व खाद्य कार्यक्रम खाद्य के मामले में असुरक्षित लोगों का पता लगाने और खाद्य सुरक्षा के रुझानों की निगरानी के लिए असुरक्षा विश्लेषण मानचित्रण (वल्नेरेबिलिटी एनेलिसिस मैपिंग) का इस्तेमाल करता है.
डेटा से संचालित खेती में निवेश जलवायु परिवर्तन में कमी और कुशल संसाधन उपयोग के माध्यम से कृषि उत्पादन और उत्पादकता में बढ़ोतरी करने वाला साबित हुआ है. डेटा से संचालित कृषि सूचना और इनोवेशन के ज़रिए छोटी जोत वाले किसानों की आजीविका और सामर्थ्य बढ़ाकर उनको सशक्त बनाती है.
डेटा से संचालित खेती में निवेश जलवायु परिवर्तन में कमी और कुशल संसाधन उपयोग के माध्यम से कृषि उत्पादन और उत्पादकता में बढ़ोतरी करने वाला साबित हुआ है. डेटा से संचालित कृषि सूचना और इनोवेशन के ज़रिए छोटी जोत वाले किसानों की आजीविका और सामर्थ्य बढ़ाकर उनको सशक्त बनाती है. मोबाइल एप्लिकेशन छोटी जोत वाले किसानों को मौसम, फसल से जुड़ी नई जानकारी, खेती के तौर-तरीकों और कीट से निपटने पर रियल-टाइम सूचना प्रदान कर सकते हैं. इसके अलावा डेटा से संचालित प्लैटफॉर्म कुशलता, बाज़ार तक पहुंच और छोटी जोत वाले किसानों के लिए वित्तीय समावेशन को बेहतर बना सकते हैं. एग्री मार्केटप्लेस एवं फार्मक्राउडी जैसी डिजिटल मार्केटिंग और ई-कॉमर्स प्लैटफॉर्म, तकनीक के ज़रिए स्थिर खाद्य समाधान के निर्माण के मक़सद से इनोवेशन हैं. एग्री ई-कॉमर्स प्लैटफॉर्म विकासशील देशों में उभर रहे हैं और खेती से जुड़े ग्रामीण लोगों को सशक्त बना रहे हैं.
एग्री-फूड सिस्टम में डेटा को एकीकृत करने से नई तकनीकों और तौर-तरीकों के विकास के लिए कीमती जानकारी और प्रमाण प्रदान करके इनोवेशन और रिसर्च में तेज़ी आती है. कृषि अनुसंधान संस्थान और प्राइवेट कंपनियां प्रयोग करने, मॉडल परिदृश्य और हस्तक्षेपों के असर का आकलन करने के लिए आंकड़ों का फायदा उठा सकती हैं. फसल प्रजनन (ब्रीडिंग) और सामर्थ्य पर डेटा अधिक उपज और पोषक मूल्य के साथ फसल विविधता और नई किस्मों के बारे में किसानों को जानकारी दे सकता है. इसके अलावा बहुहितधारक (मल्टी स्टेकहोल्डर) मंच और डेटा साझा करने की पहल अनुसंधानकर्ताओं, नीति निर्माताओं और उद्योग के हितधारकों को एक साथ काम करने और मुश्किल चुनौतियों का समाधान करने में सक्षम बनाती हैं. कृषि और अनुसंधान संगठन (FAO) के द्वारा 2023 में ‘कटाई में बदलाव: कृषि-खाद्य प्रणाली के कायापलट के लिए उभरती तकनीकों और इनोवेशन का इस्तेमाल- वैश्विक दूरदर्शिता संश्लेषण रिपोर्ट’ ‘तकनीक की शुरुआत और उसके व्यावहारिक उपयोग के बीच दूरी ख़त्म करने और पूरे एग्री-फूड सिस्टम में अधिकतम लाभ के लिए एक अनुकूल माहौल की आवश्यकता’ की अपील करती है.
एग्री-फूड सिस्टम से जुड़ी समस्याओं के समाधान के लिए डेटा गवर्नेंस का समर्थन करने के उद्देश्य से हितधारकों यानी सरकारों, दानकर्ताओं और गैर-सरकारी तत्वों के बीच बेहतर सहयोग और समन्वय महत्वपूर्ण है.
कृषि-खाद्य प्रणालियों के कायापलट में आंकड़ों के बहुत से लाभ होने के बावजूद इसकी क्षमता का उपयोग करने के लिए कई मौजूदा चुनौतियों से पार पाने की आवश्यकता है. सबसे बड़ी चुनौती डेटा की गुणवत्ता और उसका मानकीकरण (स्टैंडर्डाइजेशन) है जो असरदार डेटा विश्लेषण में रुकावट पैदा करता है. किसानों और हितधारकों के बीच जागरूकता की कमी और प्रभावी ढंग से आंकड़ों का संग्रह, विश्लेषण और व्याख्या करने में विशेषज्ञता की कमी है. साथ ही डेटा को जमा करने और विश्लेषण की लागत अधिक है. इस तरह निवेश पर लाभ को सुनिश्चित करना चुनौतीपूर्ण है. डेटा की गुणवत्ता, शुद्धता और पूर्णता को सुनिश्चित करना एक मूलभूत चुनौती है. बाज़ार तक ख़राब संपर्क और बुनियादी ढांचे की कमी के कारण विकासशील क्षेत्रों में छोटी जोत वाले किसानों तक डेटा की उपलब्धता एक चुनौती है. डिजिटल बंटवारे को दूर करना और तकनीक को अपनाने के मामले में असमानता का समाधान करना समावेशी बदलाव के लिए आवश्यक है.
निष्कर्ष
ये साफ है कि डेटा बाज़ार तक बेहतर पहुंच और खाद्य सुरक्षा, उत्पादन एवं स्थिरता में बढ़ोतरी के माध्यम से कृषि-खाद्य प्रणाली के कायापलट को आसान बना सकता है. हितधारक डेटा एनालिटिक्स का इस्तेमाल करके पूरी जानकारी के आधार पर विकल्प चुन सकते हैं और संसाधन उपयोग को अधिकतम कर सकते हैं. एग्री-फूड सिस्टम में सुधार के लिए सरकारों को राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर आंकड़ों के संग्रह और सांख्यिकी की प्रणाली में निवेश करने की आवश्यकता है. इसके अलावा समावेशी डेटा गवर्नेंस और न्यायसंगत डेटा साझा करना ज़रूरी है. एग्री-फूड सिस्टम से जुड़ी समस्याओं के समाधान के लिए डेटा गवर्नेंस का समर्थन करने के उद्देश्य से हितधारकों यानी सरकारों, दानकर्ताओं और गैर-सरकारी तत्वों के बीच बेहतर सहयोग और समन्वय महत्वपूर्ण है.
शोभा सूरी ऑब्ज़र्वर रिसर्च फाउंडेशन में सीनियर फेलो हैं.
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