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ट्रंप प्रशासन के तहत म्यांमार के साथ अमेरिका की भागीदारी
बांगलादेशी आणि रोहिंग्या यांसारख्या बेकायदेशीर स्थलां
अरकान सैन्याने राखीन राज्यातील बहुतेक भागावर नियंत्रण
बांगलादेशच्या नव्या राजवटीने रोहिंग्या निर्वासितांच्
बांग्लादेश में रह रहे रोहिंग्या शरणार्थियों को कुछ राहत
बंगाल की खाड़ी बांग्लादेश और थाईलैंड को साझा समुद्री क्ष
म्यानमारच्या लष्करी जंटा आणि जातीय सशस्त्र गट रोहिंग्य
डॉक्टर्स विदाउट बॉर्डर्स संस्था के मुताबिक, पांच साल से
वैसे तो रोहिंग्याओं के अधिकारों की रक्षा करने की ज़ेम्मे
एक अनुशासित लोकतांत्रिक सरकार की तरफ़ म्यांमार की राह 2008
एक अनुशासित लोकतांत्रिक सरकार की तरफ़ म्यांमार की राह 2008
रोहिंग्याओं का म्यांमार वापस लौटना कई चुनौतियों से भरा ह
रोहिंग्याओं का म्यांमार वापस लौटना कई चुनौतियों से भरा ह
मानव तस्करी की समस्या से निपटने के लिए भारत और बांग्लादे
अंतरराष्ट्रीय नियम-आधारित आदेश ने उन रोहिंग्याओं को असफ
अंतरराष्ट्रीय नियम-आधारित आदेश ने उन रोहिंग्याओं को असफ
विश्व की बदलती व्यवस्था बिम्सटेक को दक्षिण एशियाई क्षेत
डॉक्टर्स विदाउट बॉर्डर्स संस्था के मुताबिक, पांच साल से
नीतिगत दायरे में दक्षिण एशिया के भीतर जिसे साझेदारी का आ
अफ़ग़ानिस्तान में बढ़ती हुई राजनीतिक अस्थिरता की वजह से,
ये खुलासा ऐसे समय हुआ जब थाईलैंड में कोविड-19 के मामलों में
सत्ता में बदलाव के बावज़ूद रोहिंग्या विस्थापितों के भवि
वैसे तो पूरी दुनिया में महिलाएं और बच्चे ज़ुल्म के शिकार
राजनीतिक इच्छाशक्ति अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि कोई ए
अब ये ज़रूरी है कि क्षेत्रीय सहयोग से इन हालात की क़रीबी न
चीन और बांग्लादेश के रिश्तों की जब भी बात होती है, तो उसमे
अंतरराष्ट्रीय मुस्लिम समुदाय और मानवाधिकारों के रक्षको
वैसे तो हम सभी इस बात पर सहमत हो सकते हैं कि फासीवादी अतीत
म्यांमार से रोहिंग्या लोगों के पलायन का सबसे अधिक असर बा
भारत को शरणार्थियों से संबंधित पुख्ता कानून बनाने की क्य
भीषण मानवीय संकट से जूझ रहे रोहिंग्या शरणार्थियों ने अंत
रोहिंग्या शरणार्थियों को लेकर भारत की जबरन वापसी न करने (
भारत को म्यांमार के लोकतांत्रिकीकरण का लाभ मिला है। बहरह
ठोस कृतींसह बाली प्रक्रियेचे बळकटीकरण इंडोनेशियाला रोहिंग्यांच्या वाढत्या समस्येला सामोरे जाण्यास सक्षम करेल.
स्वतःच्या देशापासूनचे दूरावलेपण, निर्बंध असलेली निर्वासित शिबिरे आणि मूलभूत सुविधांचा अभाव यामुळेच अनेक रोहिंग्यांनी ड्रग्स तस्करीचा मार्ग स्वीकारला आहे.
रोहिंग्यांच्या हक्कांचे रक्षण करण्याची जबाबदारी म्यानमारवर असताना, रोहिंग्यांच्या संकटावर न्याय्य तोडगा काढण्यासाठी सामूहिक प्रयत्न आवश्यक आहेत.
म्यानमारच्या बंदी शिबिरांमध्ये 10 वर्षे घालवलेल्या रोहिंग्यांना आंतरराष्ट्रीय नियमांवर आधारित आदेश अयशस्वी ठरला आहे.
भारत आणि बांगलादेश या दोन्ही देशांनी मानवी तस्करी रोखण्यासाठी सीमापार यंत्रणा मजबूत करणे आवश्यक आहे.
म्यानमारचा शिस्तबद्ध लोकशाही सरकारच्या दिशेने असलेला मार्ग २००८ मध्ये घटनेने निश्चित केलेल्या अडथळ्यांमधून वाट काढत आहे.