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भारत में स्वास्थ्य संघवाद: स्वास्थ्य सेवाओं में राज्यों की कम होती भूमिका और केंद्र का बढ़ता दबदबा
भारत में परिचर्चात्मक लोकतंत्र में फिर से नई जान डालने की कोशिश!
अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट द्वारा ऐतिहासिक फैसले में सकारात्मक कार्रवाई पर रोक: एक विश्लेषण
बंगाल की राजनीति का अभिन्न हिस्सा बन चुके वहाँ की ‘राजनीतिक हिंसा’ की अनूठी प्रकृति को समझने का प्रयास!
#2022 उत्तर प्रदेश चुनाव: क्या जातीय राजनीति पर लोक कल्याणवाद की जीत होगी?
न्यायिक आधारभूत ढांचे के लिए केंद्रीय योजना में तुरंत बदलाव की ज़रूरत क्यों है?
Nepal elections: जानिए, नेपाल में संपन्न हुए चुनावों में क्यों और कितना महत्त्वपूर्ण रहा भारत?
Brazil Election: समझिए, ग्लोबल डेमोक्रेसी के लिए क्यों महत्त्वपूर्ण हैं ब्राज़ील के चुनावी नतीज़े!
चीन का भविष्य: लाल से भी ज़्यादा लाल
दिल्ली का MCD ‘चुनाव’ कैसे बन गई दो पार्टियों के बीच की ‘प्रतिष्ठा’ की लड़ाई!
भ्रष्टाचार के खिलाफ़ भारत की जंग: एक लंबी लड़ाई...
लोकतांत्रिक देशों के गठबंधन का ये बिल्कुल मुफ़ीद वक़्त है
Digitization of Indian Judiciary: भारत की न्यायिक व्यवस्था का डिजिटलीकरण और बुनियादी सुविधाओं की उपेक्षा का इतिहास
#Justice Delivery System in India: कैसी है भारत के न्यायिक बुनियादी ढांचे की स्थिति?
विकेंद्रीकरण @75 : कैसे त्रिस्तरीय संस्थाओं ने भारत के प्रजातंत्र को मज़बूत किया है
India@75 वर्षों के दौरान भारतीय न्यायपालिका की यात्रा: लोकतंत्र का एक महत्वपूर्ण स्तंभ!
आख़िर क्यों ‘अग्निपथ’ योजना का विरोध भारत के लिए एक चेतावनी की घंटी है?
#Sedition Law: देशद्रोह क़ानून को ख़त्म कर भारत के लोकतंत्र पर लगे धब्बे को मिटाने का समय आ चुका है!
#2022 उत्तर प्रदेश चुनाव: क्या जातीय राजनीति पर लोक कल्याणवाद की जीत होगी
न्यायिक आधारभूत ढांचे के लिए केंद्रीय योजना में तुरंत बदलाव की ज़रूरत क्यों है?
Judicial infrastructure: देश में न्यायिक बुनियादी ढांचे की दुर्दशा के मुद्दे
नई शिक्षा नीति NEP 2020: मनचाहे नतीजे पाने के लिये हमें इन पाँच चुनौतियों से सफलतापूर्वक निपटना होगा
Democracy summit: प्रजातंत्र पर हो रहे अंतरराष्ट्रीय शिखर सम्मेलन को भारत किस दृष्टिकोण से ग्रहण करे.!
भारत की दशकों पुरानी संघीय व्यवस्था (फेडरल सिस्टम) को कोविड-19 महामारी की चुनौती
ध्रुवीकरण की प्रासंगिकता: बंगाल और असम में चुनाव के नतीजों का विश्लेषण
क्या लोकलुभावन और कल्याणकारी योजनाएं ममता को बंगाल की सत्ता बचाने में मददगार साबित होंगी?
भारत की सबसे बड़ी चुनौती: वैक्सीन को लेकर कैसे ख़त्म हो भ्रम?
4 जुलाई के सिद्धांतों को 6 जनवरी वाली चुनौती: अमेरिका के लोकतंत्र को एक मार्शल प्लान की ज़रूरत है
देश: यूएपीए और ज्यूडिशियरी पर घटते आम-आदमी के विश्वास को लेकर गहरा होता जा रहा है संकट
भारत में उच्च शिक्षा का अंतरराष्ट्रीयकरण क्यों और कैसे गेम चेंजर साबित हो सकता है?
कोविड-19 और भारत के असंगठित कामगार: सरकार के जवाब की समीक्षा
दिल्ली की शैक्षिक क्रांति की ईमानदार पड़ताल
मनरेगा को महामारी से सुरक्षित बनाने की कोशिश: सरकार क्या कदम उठाए?
शहरी जैनवाद पर लगाम
क्या पूर्ण राज्य का दर्जा ही दिल्ली की समस्याओं का हल है?
विकेन्द्रीकरण के 25 सालः आधा खाली होकर भी भरा हुआ गिलास
राष्ट्रीय चुनाव कोष का विचार कितना उपयुक्त?
माओवादी खतरे का मंडराता सायाः सियासी संवाद के लिए माकूल समय
केंद्रीय बजट: राजनीतिक वित्तपोषण को ‘वैध’ करने की दिशा में अच्छी शुरुआत