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ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (एचएमपीवी) नया नहीं है. श्वसन तंत�
वर्तमान समय में ज़ूनोटिक बीमारियों यानी जानवरों से मनुष�
भारत, आधार को इस्तेमाल करते हुए जन स्वास्थ्य और बीमारियो�
हाल के रिसर्च ने वायु प्रदूषण और डायबिटीज़ के बीच संभावि�
दुनिया की कुपोषण से होने वाली बीमारी का आधे से ज़्यादा बो�
निपाह वायरस कोविड-19 वायरस की तुलना में कम संक्रामक है, लेक�
हेपेटाइटिस के उन्मूलन के लिए वैश्विक स्तर पर एक व्यापक र�
IPHL और PRISM का बुनियादी ढांचा भारत के पब्लिक हेल्थ सिस्टम को म
अब समय आ गया है कि वैश्विक स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए एक ऐसी
रोकथाम, जल्दी पता लगाना और इलाज ग़ैर-संक्रामक बीमारियों �
जलवायु परिवर्तन अब एक बहुत बड़ी चुनौती बन चुकी है और ये लो
जब विश्व हेपेटाइटिस दिवस मनाया जा रहा है, उस वक़्त लोगों क
जब विश्व हेपेटाइटिस दिवस मनाया जा रहा है, उस वक़्त लोगों क
अफ्रीका में संकट की उपेक्षा करने के बजाय उससे निपटने की र�
कोरोना वायरस के ख़िलाफ़ जंग में ग़लत जानकारी से निपटने क�
टेलीमेडिसिन क्षेत्र लगातार बढ़ता जा रहा है, हालांकि इस क�
नाइजीरिया पर नाकाम देश होने का ख़तरा है क्योंकि वो आतंकव�
लैटिन अमेरिका और कैरेबियाई देशों ने शिक्षा के क्षेत्र मे
कम्युनिटी ट्रांसमिशन पर काबू पाने के लिए लोगों के आवागमन
अब चूंकि कोविड-19 ज़्यादातर मरीज़ों में अपने आप से ठीक हो ज�
कोरोना वायरस जिस तेज़ी से बढ़ रहा है, उससे विकासशील देशों
भारतीय सेना पहले भी महामारी से निपट चुकी है और कोलरा, चेचक
जब अमेरिकी सामाजिक दूरी के नियमों के पहले चरण को लेकर उधे�
आंशिक रूप से लॉकडाउन ख़त्म करने से आर्थिक दर्द कुछ कम होग�
दिमागी बुख़ार पर राज्य के ढुलमुल रवैये की शिकायत एक संवे�
इबोला के साथ आयी समस्याओं की लहर सिर्फ उन देशों तक सीमित न
भारत सरकार द्वारा संसद में लाए गए सरोगेसी (नियमन) विधेयक म
भारत के लिए जीका एक स्पष्ट खतरे के तौर पर उभर रहा है, ऐसे मे
वैसे तो हम सभी इस बात पर सहमत हो सकते हैं कि फासीवादी अतीत �
सदियों से सबसे ज़्यादा अफ़वाह इस बात को लेकर रही है कि बीमारी लेकर कौन कहां से आया. बीमारी हमेशा विदेशी रही है जो या तो ग़लत इरादे के साथ लाई गई है या विदेशी ज़मीन पर उसको रोकन
हाल के दशकों में देखा जाए तो, जिस प्रकार से चिकित्सा के क्षेत्र में तेज़ी के साथ विकास हुआ है और प्रजनन दर में कमी आई है, उसने भारत में वृद्ध वयस्कों की जनसंख्या बढ़ाने में अह�
‘सामाजिक सुरक्षा को मजबूत करना’ (2018) विषय पर G20 की एक रिपोर्ट श्रम बाज़ारों को पूरी तरह से बदलने के साथ ही सामाजिक सुरक्षा लाभों की पोर्टेबिलिटी अर्थात आसानी से एक स्थान से दूस