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इतिहास के हर दौर में व्यापक नैरेटिव, वैचारिक नियंत्रण स्�
डॉनल्ड ट्रंप की जीत एक विघटनकारी युग का संकेत देती है जिस�
नये साल की शुरुआत में दुनिया के तमाम देशों को लगातार बढ़त�
डिजिटल दुनिया के गतिशील मिज़ाज को देखते हुए मौजूदा अध्यय
सामाजिक-आर्थिक विषाक्तता के आधार पर, ध्रुवीकरण के इस्तेम
सामाजिक-आर्थिक विषाक्तता के आधार पर, ध्रुवीकरण के इस्तेम
निवडणुका जिंकण्याकरता सामाजिक-आर्थिक विषाच्या मात्रेव�
आज दुनिया का शक्ति संतुलन बिगड़ चुका है. ऐसे वक्त में जब ची�
रूस-यूक्रेन के बीच किसी तरह के शांति समझौते की गुंजाइश फि�
इमरान ख़ान के Islamabad long march के नतीजों को लेकर कोई भी आश्वस्त नह�
अमेरिकी लोकतंत्र को राजनीतिक ध्रुवीकरण अंदर ही अंदर खोख�
अमेरिकी लोकतंत्र को राजनीतिक ध्रुवीकरण अंदर ही अंदर खोख�
इससे बड़ी राजनीतिक विडंबना क्या हो सकती है कि, पूर्व अमेर�
दुनिया के तमाम देशों और भारत में प्रजातांत्रिक व्यवस्था
उत्तर प्रदेश के हालिया चुनाव में हमने ‘नए लोक कल्याणवाद’
आज दुनिया का शक्ति संतुलन बिगड़ चुका है. ऐसे वक्त में जब ची�
यूपी के चुनाव, पहचान की राजनीति की केंद्रीयता को मज़बूत क�
लोकतंत्र के एक मॉडल के रूप में "चीनी लोकतंत्र" को हाल ही मे�
वैसे तो असम और बंगाल, दोनों ही राज्यों में ध्रुवीकरण की फ़
दिग्गज टेक्नोलॉजी कंपनियों का बिजनेस मॉडल ग़लत है. यहां न�
अमेरिकी राष्ट्र की नींव रखने वालों ने ऐसी स्थिति की कल्प�
महात्मा गांधी ने भी संपूर्ण राष्ट्र को एक आईडेंटिटी के ज�
विदेश नीति को सामान्य तौर पर ऐसा क्षेत्र माना जाता है, जहां नीतिगत निरंतरता का दृष्टिकोण अपनाया जाता है, लेकिन अपने पिछले कार्यकाल में ट्रंप विदेश नीति में आमूलचूल बदलाव क�
वीस वर्षांपूर्वी मिखाईल सर्गेयेविच गोर्बाचेव्ह यांचे निधन झाले. शोक करणारे बरेच लोक असावेत आणि आनंदी असणारे बरेच लोक असतील.
अशा वेळी जेव्हा जागतिक व्यवस्था तीव्रतेने ध्रुवीकरण होत आहे, तेव्हा भारत अशा काही राष्ट्रांपैकी एक आहे जे G-7 आणि BRICS या दोन्ही देशांसोबत काही दिवसांत इलानमध्ये सहभागी होऊ �
इस्लामाबादकडे निघालेल्या मोर्चाचे परिणाम काय होतील याची कोणालाही खात्री नसली तरी, हे स्पष्ट आहे की पाकिस्तान सतत अस्थिरतेच्या काळात आहे.
स्विंग वोटर कितने प्रभावित होंगे, यह गौर करने वाली बात होगी.
भारत को भी अमेरिका की घरेलू राजनीति में आ रहे परिवर्तनों के अनुरूप खुद को ढालना होगा.
फ्रान्सचे नवे राष्ट्रपती म्हणून तिथल्या मतदारांनी इमॅन्युएल मॅक्रॉन यांना सलग दुसऱ्यांदा संधी दिली आहे. मॅक्रॉन यांच्या या विजयाने युरोपालाही दिलासा मिळाला आहे. मात्र
अमेरिकेतील ध्रुवीकरणामुळेच ट्रम्प अमेरिकेचे राष्ट्राध्यक्ष होऊ शकले. म्हणूनच ध्रुवीकरणसदृश्य परिस्थितीत कसलाही बदल व्हावा यात ट्रम्प यांना रस नाही.
युक्रेनमधील रशियन लष्करी मोहिमेला विरोध करणारे देश अथवा समर्थन करणारे देश असे जगाचे ध्रुवीकरण झालेले दिसते. असे असले तरीही भारताने या मुद्द्यावर तटस्थ भूमिका राखून, कुण