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दवा बनाने की दुनिया अब एक नए दौर में है. पुराने तरीके बहुत
आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस के विकास के साथ साथ स्वदेश में च
आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस का सैन्य क्षेत्र में उपयोग उनक
डीपफेक से लेकर चैटबॉट तक, युवाओं को कट्टरपंथी बनाने के लि
अब जबकि नई शिक्षा नीति (NEP) 2020 के पांच साल पूरे हो गए हैं, तो त
इस वक़्त जारी वैश्विक अव्यवस्था में परिवारों, कंपनियों औ
अगर सतह से नीचे झांक कर देखें तो एआई के आसपास की जो संस्कृ
भारत को अपनी रक्षा और तकनीकी क्षमताओं में बहुत इज़ाफ़ा क
भारतीय प्रशासनिक व्यवस्था का पुनर्गठन करने वाला मिशन कर
आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस के मामले में जो मौजूदा खाई है, उ
चुनाव अभियान के दौरान किए गए अपने वादों के मुताबिक़, डोना
वर्ष 2025 एक निर्णायक मोड़ लेकर आया है. तकनीक, अर्थव्यवस्था
केंद्रीय बैंक बहुत सावधानी से AI को अपने काम के साथ जोड़ रह
पारदर्शिता, स्वदेशी AI के विकास और कामकाजियों के कौशल विक
मूलभूत ढांचे की महत्वपूर्ण शर्तें पूरी किए बग़ैर, विकास
डिजिटल आविष्कार के इकोसिस्टम वैश्विक विकास के लिए आवश्य
वैश्विक चलन के मुताबिक़, भारत में भी स्वास्थ्य सेवाओं मे
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और इससे जुड़ी तकनीकों को हथियार
चूंकि आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस (AI) बहुत तेज़ी से विकसित हो
वैश्विक स्तर पर हथियारों की दौड़ और भू राजनीतिक दबाव आर्
भारत के लिहाज़ से देखें तो प्रौद्योगिकी से संचालित श्रम
AI की ताक़त के साथ स्थानीय ज्ञान से हासिल जानकारियों का मे
अगर पर्याप्त बचावकारी उपाय नहीं किए गए तो AI पर बढ़ती निर्
अगर iCET ठोस हक़ीक़त में तब्दील हो जाती है तो भारत को काफ़ी फ
अब अगली परिचर्चां- फिर चाहे वो लोगों के व्यक्तिगत अधिकार
आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस द्वारा तैयार मीडिया से विज्ञाप
चूंकि आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस (AI) बहुत तेज़ी से विकसित हो
अगर सिलिकॉन वैली की तरह भारत में भी लंबी अवधि के निवेश के
AI से जुड़े मूल्यों में यूज़र पर आधारित नज़रिया अपनाना, इस
उत्तरदायी और नैतिक आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस भरोसे के मू
एक तरफ़ तो इसे सामान्य जन-जीवन में इस्तेमाल किया जा सकता ह
चीनी सरकार के अपने दावे और जारी किए आंकड़ों के बीच विसंगत
आसमान में दो विमानों के बीच ज़बरदस्त मुक़ाबले में आर्टिफ
राजनयिक और अंतरराष्ट्रीय नीति निर्माता कई दशकों तक तक़नीक को एक ऐसे ‘क्षेत्रीय विषय’ के तौर पर देखते रहे हैं, जिसे ऊर्जा, वित्त या फिर रक्षा मंत्रालयों के ऊपर छोड़ दिया जा
आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस (AI) की क्षमताएं चूंकि लगातार विकसित हो रही हैं, इसलिए इसका विनियमन अब केवल अनुकूलन (ऑप्टमाइज़ेशन) और न्यूनीकरण (मिटिगेशन) की कवायद नहीं रह सकता है –