Author : Sauradeep Bag

Expert Speak Digital Frontiers
Published on Aug 05, 2024 Updated 0 Hours ago

मूलभूत ढांचे की महत्वपूर्ण शर्तें पूरी किए बग़ैर, विकास में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की भूमिका सीमित बनी रहेगी.

विकास में AI: महत्वाकांक्षा और यथार्थवाद के बीच संतुलन

भारत ने आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में उल्लेखनीय छलांग लगाई है और स्वास्थ्य सेवा, कृषि, वित्त एवं शिक्षा जैसे सेक्टरों में क्रांतिकारी बदलाव लाए हैं. सरकार की नेशनल स्ट्रैटेजी फॉर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और तेज़ी से फलते फूलते स्टार्टअप इकोसिस्टम के साथ भारत में आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस तेज़ी से आगे बढ़ रहा है. भारत ख़ुद को दुनिया के आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस इकोसिस्टम के अगुवा के तौर पर स्थापित करना चाह रहा है. लेकिन, कृषि जैसे अहम सेक्टर में बड़े पैमाने पर आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस के समाधान लागू करने से पहले मूलभूत ढांचे की अहम शर्तों को पूरा करने की ज़रूरत है. पहली और सबसे अहम ज़रूरत तो पूरे ग्रामीण क्षेत्र में एक मज़बूत डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर स्थापित करने की है, ताकि बिना की बाधा के डेटा जमा किया जा सके और उसका विश्लेषण हो सके. इसका मतलब है कि इंटरनेट की कनेक्टिविटी को बड़े स्तर पर फैलाना होगा, स्मार्ट उपकरणों तक पहुंच मुहैया करानी होगी और लोगों को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के औज़ारों का सटीक इस्तेमाल करने के लिए आवश्यक प्रशिक्षण भी देना होगा.

 

इस बुनियादी मूलभूत ढांचे के बग़ैर कृषि क्षेत्र में आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस न केवल अव्यवहारिक होगा, बल्कि असमानता वाला भी होगा. चुनौती केवल उन्नत तकनीकें विकसित करने की नहीं हैं, बल्कि एक ऐसा माहौल तैयार करने की भी हैं, जहां इन आविष्कारों को सब लोग इस्तेमाल कर सकें और ये सुनिश्चित किया जा सके कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के लाभ कुछ गिने चुने लोगों तक सीमित रहने के बजाय तमाम लोग आपस में साझा कर सकें. मूलभूत ढांचे और शिक्षा की इन कमियों को पूरा करने के बाद ही भारत, आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस की पूरी ताक़त का इस्तेमाल कर सकेगा और वास्तविक प्रगति हासिल करने के लिए अहम सेक्टरों में क्रांतिकारी बदलाव ला सकेगा.

 मूलभूत ढांचे और शिक्षा की इन कमियों को पूरा करने के बाद ही भारत, आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस की पूरी ताक़त का इस्तेमाल कर सकेगा और वास्तविक प्रगति हासिल करने के लिए अहम सेक्टरों में क्रांतिकारी बदलाव ला सकेगा.

आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस की प्रगति

 

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के विकास को लेकर भारत का नज़रिया, एक गंभीर और सारिक प्रतिबद्धता को दिखाता है, ताकि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की संभावनाओं का आर्थिक समृद्धि और सामाजिक प्रगति के लिए इस्तेमाल हो सके. आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस को सरकार ने प्रगति का बुनियादी अगुवा माना है. ये बात इसके उल्लेखनीय प्रभाव के रूप में ज़ाहिर होती है.

 

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर भारत के ध्यान केंद्रित करने के आर्थिक नतीजे बहुत व्यापक होंगे. पूर्वानुमान ये संकेत देते हैं कि आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस भारत की अर्थव्यवस्था में बेहद महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है और इसमें देश की अर्थव्यवस्था में 2035 तक 967 अरब डॉलर का योगदान देने की संभावना और 2025 तक भारत की GDP में 450 से 500 अरब डॉलर जोड़ने की क्षमता है. ये रक़म देश की अर्थव्यवस्था को 5 ख़रब डॉलर GDP वाला बनाने के महत्वाकांक्षी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिहाज़ से बड़ी छलांग होगी, जिसमें से 10 प्रतिशत योगदान अकेले आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस का होगा. भारत के तकनीकी उद्योग में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस या मशीन लर्निंग (AI/ML) की नौकरियों में पिछले साल 15 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई थी. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के इंजीनियरों की मांग सालाना 67 प्रतिशत की दर से बढ़ रही है. इस उछाल में ट्रेडमार्क वाले आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और जेनेरेटिव आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के मंचों, स्वचालित औज़ारों, डेटा का विश्लेषण करने वाले समाधानों और ख़ास उद्योगों जैसे कि स्वास्थ्य सेवाओं, बैंकिंग, वित्त और ख़ुदरा सेक्टरों की ज़रूरत के मुताबिक़ आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस के समाधानों का विकास करना शामिल रहा है.

 आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के तमाम पैमानों मं भारत की उपलब्धियां उसे दुनिया के आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस क्षेत्र का एक अहम खिलाड़ी बनाती हैं. इनमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस स्किल पेनीट्रेशन और गिटहब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस प्रोजेक्ट में पहली रैंकिंग हासिल करना भी शामिल है. 

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में भारत के प्रयासों को दुनिया भर में स्वीकार किया जा रहा है. ग्लोबल पार्टनरशिप ऑन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (GPAI) की परिषद के अध्यक्ष के तौर पर भारत की नियुक्ति इस क्षेत्र में उसके बढ़ते दबदबे और प्रमुख हैसियत को दिखाती है. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के तमाम पैमानों मं भारत की उपलब्धियां उसे दुनिया के आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस क्षेत्र का एक अहम खिलाड़ी बनाती हैं. इनमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस स्किल पेनीट्रेशन और गिटहब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस प्रोजेक्ट में पहली रैंकिंग हासिल करना भी शामिल है. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के विकास में भारत की अतिसक्रिय भूमिका को सामरिक पहलों और स्पष्ट नज़रिए से भी ताक़त मिलती है. इससे पता चलता है कि भारत समावेशी विकास और तकनीकी प्रगति के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल करने को लेकर किस हद तक प्रतिबद्ध है. मिसाल के तौर पर नेशनल स्ट्रेटेजी फॉर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से आगे, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) ने 2020 में नेशनल आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पोर्टल शुरू किया था. ये पोर्टल आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस से संबंधित जानकारी, संसाधनों और समाचारों के मुख्य गढ़ के रूप में काम करता है. ये एक सहयोगात्मक मंच है, जिसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के विकास और देश में किए जा रहे इससे संबंधित आविष्कारों को आपस में साझा करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस के विकास पर भारत का ध्यान केंद्रित करना बिल्कुल साफ़ नज़र आता है, जिसके पीछे ये नीयत एकदम स्पष्ट रूप से दिखती है कि वो इसके लाभ सभी लोगों तक पहुंचाना सुनिश्चित करना चाहता है. इससे एक सवाल भी खड़ा होता है: इसके अधिकतम लाभ देश की जनता तक पहुंचें, इसके लिए किस तरह की योजना बनाई जा सकती है?

 

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के विकास को आगे बढ़ाना

 

सरकार की भूमिका तो अपने विकास के लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित करना और अपने नागरिकों को सशक्त बनाने की होती है. इसीलिए, भारत में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के विकास को उपयोगिता वाले नज़रिए से आगे बढ़ाने की वकालत करना न तो कोई नई बात है, न ही इसमें कोई विवाद है. इसके मुताबिक़ सबसे अच्छा रास्ता तो वो होगा, जिसमें नतीजे सर्वजन के लिए हों और उनके व्यापक लाभ हों. लेकिन, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के विकास के लिहाज़ से इसका क्या अर्थ है? इसके लिए तमाम अलग अलग नज़रियों पर ग़ौर करने की ज़रूरत है. इसमें एक बड़ा दृष्टिकोण तो भारत में रोज़गार देने वाले सबसे बड़े सेक्टर यानी कृषि में सहायता उपलब्ध कराने का है. ऐसा लगता है कि भारत के कृषि क्षेत्र के सामने जो अहम समस्याएं खड़ी हैं उनमें कम उत्पादकता सबसे अहम है, जो खेती करने के पुराने तौर तरीक़े पर चलने और आधुनिक तकनीकों तक अपर्याप्त पहुंच का नतीजा है. इस समस्या से निपटना सबसे बड़ी प्राथमिकता है. हालांकि, सटीक कृषि, बाज़ार के पूर्वानुमान और स्मार्ट सिंचाई जैसे उन्नत समाधानों पर विचार करने से पहले, ज़्यादा अहम ये है कि हम आधुनिक तकनीक तक पहुंच बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करें.

 

टुकड़ों में बंटे समाधान

 

सरकार ये मानती है कि कृषि क्षेत्र को इनोवेशन और सहायता की ज़रूरत है और आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस इसमें एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकता है. हालांकि, चुनौती ताज़ा आधिकारिक आंकड़ों के अभाव की है. वैसे तो कुछ आंकड़े उपलब्ध होते हैं. लेकिन, वो अक्सर पुराने पड़ चुके होते हैं. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के कृषि क्षेत्र में उपयोग के कई उदाहरण तो मौजूद हैं. लेकिन, जब असली आंकड़े सामने आते हैं, तो ये स्पष्ट हो जाती है कि देश में कृषि क्षेत्र में काम करने वालों की तुलना में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के समाधान को कितने सीमित स्तर पर अपनाया गया है. मिसाल के तौर पर कृषि क्षेत्र की पिछली जनगणना 2015-16 में की गई थी. इसमें संकेत मिला था कि भारत में 14.645 करोड़ सक्रिय होल्डिंग यानी कृषि का मालिकाना अधिकार है. इसी दौरान प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (PM-Kisan) योजना में बताया गया कि अप्रैल से जुलाई 2021 के बीच इस योजना के 11.094 करोड़ लाभार्थी हैं. इसके अतिरिक्त, राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय की सिचुएशन असेसमेंट ऑफ एग्रीकल्चरल हाउसहोल्ड (SAAH) 2018-19 की रिपोर्ट में आकलन किया गया था कि देश में खेती बाड़ी करने वाले 9.309 करोड़ परिवार हैं. ये अलग अलग आंकड़े हैं जो देश में किसानों की संख्या नौ करोड़ से लगभग 15 करोड़ तक बताते हैं. इनसे भारत के कृषि क्षेत्र के आंकड़ों की स्पष्ट तस्वीर नहीं मिल पाती. अब आंकड़े ही सही नहीं होंगे, तो ज़ाहिर है कि इस सेक्टर की वास्तविक चुनौतियों का भी सही सही अंदाज़ा नहीं लगाया जा सकेगा. ये अस्पष्ट स्थिति हमारे कृषि क्षेत्र की वास्तविक स्थिति के मुताबिक़ आंकड़ों पर आधारित प्रभावी नीतियां बनाने की राह में मुश्किलें खड़ी करती है.

 ऐसा लगता है कि भारत के कृषि क्षेत्र के सामने जो अहम समस्याएं खड़ी हैं उनमें कम उत्पादकता सबसे अहम है, जो खेती करने के पुराने तौर तरीक़े पर चलने और आधुनिक तकनीकों तक अपर्याप्त पहुंच का नतीजा है.

मिसाल के तौर पर, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के ऐसे समाधान उपलब्ध हैं जो केले की खेती करने वाले छोटे किसानों को तुरंत बीमारियों या परजीवियों का पता लगाने में मदद कर सकते हैं और इनके व्यापक रूप से फैलाव को रोक सकते हैं. इस औज़ार ने दिखाया है कि केले के पौधों में होने वाली महत्वपूर्ण बीमारी या उसमें लगने वाले कीड़ों का पता 90 प्रतिशत सफलता के साथ लगाया जा सकता है. इन औज़ार को कोलंबिया, कॉन्गो लोकतांत्रिक गणराज्य, भारत, बेनिन, चीन और युगांडा में कामयाबी से आज़माया जा चुका है. लेकिन, अभी ये स्पष्ट नहीं है कि क्या इस औज़ार को भारत में बड़े पैमाने जांचा परखा गया है और क्या इसे किसानों की बड़ी आबादी को उपलब्ध कराया जा सका है.

 

इसी तरह खेतों के प्रबंधन के लिए स्मार्ट फार्म जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के समाधान हैं, जो मौसम और खेतों की जानकारी जुटाते हैं. संभावित जोखिमों की निगरानी करते हैं और खेत के आकार, किसान की जानकारी और ठिकाने के साथ साथ फ़सल कटने से पहले ही फसल की किस्म की सटीक जानकारी पता कर लेते हैं. ये तकनीकी औज़ार AI/ML पर आधारित पूर्वानुमान वाले समाधानों का इस्तेमाल करके फ़सलों के पूरे जीवन चक्र के बारे में ऐतिहासिक आंकड़ों के आधार पर जानकारी इकट्ठा करते हैं. हालांकि, अभी ये बात स्पष्ट नहीं है कि क्या आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के इन औज़ारों का बड़े पैमाने पर परीक्षण करके इन्हें आम किसानों तक पहुंचाया गया है. इन औज़ारों की तमाम संभावनाओं के बावजूद, ये ज़ाहिर है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के ये टूल्स देश के ज़्यादातर किसानों के लिए निश्चित रूप से उपलब्ध नहीं हैं.

 

आगे बढ़ने की प्राथमिकताएं

 

हमने जिन समस्याओं का ऊपर ज़िक्र किया, वो भारत में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर आधारित समाधानों की राह में आने वाली चुनौतियों की मिसाल हैं. आविष्कार के कई औज़ार हैं, लेकिन वो अभी परीक्षण के दौर से ही गुज़र रहे हैं, या फिर कुछ गिने चुने लोगों को ही उपलब्ध हैं. भारत में कृषि क्षेत्र जितने बड़े पैमाने पर रोज़गार देता है, और किसान जिन समस्याओं का लगातार सामना करते हैं, उसे देखते हुए इन समाधानों को व्यापक स्तर पर लागू करना सबसे बड़ी प्राथमिकता बनी हुई है. हालांकि, भारत के विशाल कृषि क्षेत्र और इसकी तमाम जटिलताओं को देखते हुए ये बहुत बड़ी चुनौती है.

 

तो फिर हम यहां से आगे कैसे बढ़ें? आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस को हर मर्ज़ की दवा के तौर पर पेश किया जा रहा है. लेकिन, हमें इसको लेकर अधिक व्यवहारिक और सच्चाई पर आधारित नज़रिया अपनाने की ज़रूरत है. इसका मतलब ये नहीं है कि इन सभी समस्याओं का समाधान आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के पास नहीं है. निश्चित रूप से इनका हल निकाला जा सकता है. लेकिन, अभी भारत विकास के जिस स्तर पर है, उसके मूलभूत ढांचे की कमी और आबादी की चुनौतियों को देखते हुए, फिलहाल शायद ये संभव नहीं है. कृषि क्षेत्र में आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस के समाधान व्यापक स्तर पर लागू करने के लिए सबसे अहम तो बातें हैं. सैद्धांतिक रूप से ये पहुंच और कम लागत का मामला है; व्यवहारिक रूप से इसके लिए इंटरनेट की सेवा गांव गांव तक पहुंचाना और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के समाधा लागू करने वाले उपकरणों को बहुत कम क़ीमत पर आम किसानों तक पहुंचाना बहुत ज़रूरी है.

 निश्चित रूप से इनका हल निकाला जा सकता है. लेकिन, अभी भारत विकास के जिस स्तर पर है, उसके मूलभूत ढांचे की कमी और आबादी की चुनौतियों को देखते हुए, फिलहाल शायद ये संभव नहीं है.

इसमें कोई शक नहीं है कि आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस के समाधान उल्लेखनीय हैं. लेकिन, भारत की विशाल आबादी और लोगों की आमदनी में काफ़ी ज़्यादा अंतर होने की वजह से बहुत से लोगों के लिए इन समाधानों का लाभ उठा पाना मुमकिन नहीं रह जाता है. इसीलिए, आगे के लिए बनाई जाने वाली किसी भी रणनीति को इन अहम शर्तों को पूरी ईमानदारी से पूरा करना होगा. हालांकि, ख़ुद इस समस्या का क्या होगा? सबसे अहम बात तो इस मसले की व्यापकता को समझने की है, जिसके लिए देश में कृषि क्षेत्र के हालात के तार्किक रूप से सटीक आंकड़े हासिल करना ज़रूरी हो जाता है. यही नहीं, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की क्षमताओं की सीमाओं को समझना भी आवश्यक है. आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस समाधान के तमाम विकल्पों में से महज़ एक विकल्प है. ज़रूर एक व्यावहारिक और ठोस तरीक़े से लागू करने वाली योजना की है, न कि सैद्धांतिक प्रस्तावों से काम चलाने की.

 

निश्चित रूप से भारत ने ऐसी कई सराहनीय पहलें की हैं, जिनसे बड़ी तादाद में लोगों को लाभ हुआ है. इस तरह भारत ने ख़ुद को दुनिया भर में आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस के मामले में अग्रणी के तौर पर स्थापित किया है. हालांकि, आज जब भारत अपने विकास के लक्ष्यों को हासिल करने का प्रयास कर रहा है, तो इस बात का पता लगाना ज़रूरी हो जाता है कि उभरती हुई तकनीकें इसमें किस हद तक मददगार साबित होंगी. उभरती तकनीकों द्वारा मुहैया कराए जाने वाले नए समाधानों के आकर्षण पर विश्वसनीय और ताज़ा से ताज़ा आंकड़ों के साथ साथ सस्ती और अच्छी इंटरनेट सेवा और मूलभूत ढांचे को प्राथमिकता दी जानी चाहिए. क्योंकि ये दोनों ही आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के समाधानों के लिए आधार का काम करेंगे. समस्या की जड़ से निपटने और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के समाधानों को व्यापक स्तर पर लागू करना सुनिश्चित करने के लिए इस बात को समझना काफ़ी अहम है.

 

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