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भारतीय प्रशासनिक व्यवस्था का पुनर्गठन करने वाला मिशन कर्मयोगी, भारत के सरकारी कर्मचारियों का आधुनिकीकरण करता है और उन्हें आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस से लैस सीखने के औज़ार, नेतृत्व क्षमता के हुनर और बहुआयामी विशेषज्ञता से समर्थ कराता है.
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1.4 अरब आबादी वाले भारत जैसे देश के लिए प्रशासन की गुणवत्ता सिविल सेवाओं के अहम कंधों पर निर्भर करती है. एक ऐसी सिविल सेवा जो आज के दौर की और आधुनिक समय की चुनौतियों का सामना करने में सक्षम हो, वो लोकतांत्रिक और प्रभावी प्रशासन के लिए समय की मांग है.
सिविल सेवाओं को नियमों पर आधारित होने के बजाय भूमिकाओं पर आधारित बनाने और नियमित रूप से डेटा पर आधारित प्रशिक्षण के लिए व प्रदर्शन का समय समय पर विश्लेषण करने के लिए भारत सरकार ने मिशन कर्मयोगी कार्यक्रम शुरू किया है. इस मिशन में क़ाबिलियत पर आधारित क्षमता निर्माण का तरीक़ा अपनाया जा रहा है. इस योजना के तहत क्षमता के स्तर और कमियों का मूल्यांकन करने के लिए आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस (AI) का इस्तेमाल किया जा रहा है. इसके अलावा निर्णय प्रक्रिया के लिए डेटा पर आधारित मानव संसाधन (HR) के रणनीतिक प्रबंधन का भी उपयोग किया जा रहा है. मिशन कर्मयोगी का मक़सद भविष्य के लिए तैयार एक ऐसी सिविल सेवा का निर्माण करना है, जिसमें 2047 तक विकसित भारत बनाने के लिए समुचित दृष्टिकोण, कौशल, ज्ञान और विज़न मौजूद हो.
मिशन कर्मयोगी पहले से रणनीतिक रूप से बिल्कुल अलग है. क्योंकि ये मिशन सार्वजनिक सेवा में कर्मयोगी का भाव जगाने का लक्ष्य रखता है. जहां निजी और सामाजिक विकास के लिए कर्तव्य और राष्ट्र सेवा के भाव को माध्यम बनाया जाएगा.
ये मिशन उस सिविल सेवा कंपीटेंसी डिक्शनरी से हुई शुरुआत को आगे बढ़ाता है, जिसको 2014 में कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (DoPT) और संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) ने मिलकर जारी किया था. इसकी चार प्रमुख थीम (मूल्य, नैतिकता, समता और कुशलता) और 25 अलग अलग क्षेत्रों के लिए विशिष्ट दृष्टिकोण थे. मिशन कर्मयोगी पहले से रणनीतिक रूप से बिल्कुल अलग है. क्योंकि ये मिशन सार्वजनिक सेवा में कर्मयोगी का भाव जगाने का लक्ष्य रखता है. जहां निजी और सामाजिक विकास के लिए कर्तव्य और राष्ट्र सेवा के भाव को माध्यम बनाया जाएगा. ये भारत के संविधान में दर्ज बुनियादी कर्तव्यों में से एक है.
मिशन कर्मयोगी के केंद्र में एकीकृत सरकारी ऑनलाइन प्रशिक्षण (iGOT) प्लेटफॉर्म है. सिविल सेवाओं के प्रशिक्षण और सीखने की प्रक्रिया को सबके लिए लोकतांत्रिक बनाने और नियमित रूप से सीखने की संस्कृति को बढ़ावा देने के लिहाज़ से ये एक महत्वाकांक्षी पहल है. 21वीं सदी में प्रतिस्पर्धी बने रहने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. iGOT पर लगभग 75 लाख सरकारी कर्मचारी लगभग 2000 कोर्स सीख रहे हैं. ख़ास तौर से तेज़ी से उभर रहे और लगातार परिवर्तित हो रही VUCA (परिवर्तनशील, अनिश्चित, जटिल और अस्पष्ट) दुनिया में ये बहुत बड़ा बदलाव लाने वाला है. ये प्लेटफ़ॉर्म इंटरएक्टिव है, जिसमें लोग एक दूसरे से विचारों का आदान प्रदान कर सकते हैं. इसका इंटरफेस इस्तेमाल करने वालों के लिए बहुत आसान है जो प्रभावी तरीक़े से सीखने का बिना किसी खलल वाला अनुभव प्रदान करता है.
मिशन कर्मयोगी कार्यक्रम के तहत क्षमता निर्माण आयोग सिविल सेवा के राष्ट्रीय और राज्य स्तर के प्रशिक्षण संस्थानों के साथ साथ सरकारी और निजी क्षेत्र के शिक्षण संस्थानों और क्षमता निर्माण संगठनों के साथ सहयोग करता है.
iGOT में अहम योगदान डिजिटल प्रशासन के क्षमता निर्माण की वो पहलें भी दे रही हैं, जिन्हें इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत नेशनल ई-गवर्नेंस डिवीज़न (NeGD) द्वारा चलाया जा रहा है. NeGD तमाम प्रतिष्ठित राष्ट्रीय संस्थानों के साथ सहयोग करके सरकारी कर्मचारियों को ऑनलाइन के साथ साथ निजी अनुभव वाले प्रशिक्षण के अनुभव उपलब्ध कराता है, जो जोड़ने और आपसी संवाद का अवसर देने वाले हैं. इस प्रशिक्षण में वास्तविक जीवन के उदाहरणों को भी भारतीय संदर्भों में सिखाया जाता है, जिससे सीखने की प्रक्रिया और अनुकूल हो जाती है, ताकि ठोस क़दम उठाए जा सकें.
मिशन कर्मयोगी कार्यक्रम के तहत क्षमता निर्माण आयोग सिविल सेवा के राष्ट्रीय और राज्य स्तर के प्रशिक्षण संस्थानों के साथ साथ सरकारी और निजी क्षेत्र के शिक्षण संस्थानों और क्षमता निर्माण संगठनों के साथ सहयोग करता है. सरकारी कर्मचारियों के क्षमता निर्माण के लिए देश के सारे अहम मूलभूत ढांचों को शामिल करके, इस कार्यक्रम ने सीखने की प्रक्रिया को लोकतांत्रिक, सहज, भूमिका पर आधारित और क़ाबिलियत पर केंद्रित बनाया है, जो प्रेरक और ऊर्जावान बनाने का काम करता है.
सरकारी कर्मचारियों को भूमिका पर आधारित क़ाबिलियत की रूप-रेखा के तहत ऑनलाइन और व्यक्तिगत प्रशिक्षण देने का ये समर्पित प्रयास बिल्कुल सही दिशा में उठाया गया क़दम है. आगे का रास्ता ये सुनिश्चित करना है कि इस रूप-रेखा के तहत विकास का जो व्यापक दृष्टिकोण अपनाया गया है, उससे कोई भी अधिकारी पीछे न छूट जाए.
पहला, क्षमता निर्माण का जो तरीक़ा है, वो बहुत ज़्यादा टेक्नोक्रेटिक नहीं होना चाहिए, जिसमें पूरी निर्भरता तकनीकी कौशल और ऑनलाइन मॉड्यूलों पर हो जाए. वैसे तो iGOT एक परिवर्तनकारी प्लेटफॉर्म है. लेकिन, ये सीखने के व्यक्तिगत संवाद और विचारों के आदान प्रदान पर आधारित उन अवसरों की जगह नहीं ले सकता है, जो अलग अलग तरह के तजुर्बे और माहौल उपलब्ध कराते हैं.
आज ज़रूरत अलग अलग क्षेत्रों के ज्ञान के बीच संपर्क बनाने की, उनका मेल करने और उनका विश्लेषण करके जनता की सेवा करने और लोक प्रशासन में सरकारी सेवा को बेहतर बनाने की है, ताकि सबका फ़ायदा हो सके.
दूसरा, ये सुनिश्चित करने की ज़रूरत है कि शुरुआती स्तर के अधिकारियों और निचले स्तर की पूरी अफ़सरशाही, जिसमें केंद्र और राज्य सरकारों के ज़्यादातर अधिकारी आ जाते हैं, उन्हें प्रभावी तरीक़े से प्रशिक्षण दिया जा सके. जनता के साथ संपर्क का वो पहला क़दम हैं और इन्हीं अधिकारियों के माध्यम से नीतियों को लागू किया जाता है. सार्वजनिक प्रशासन का पूरा ढांचा अधिकारियों के नैतिक बर्ताव, कुशल प्रदर्शन और फ़ुर्तीली मानसिकता पर निर्भर करता है. इसीलिए, मिशन कर्मयोगी और भारत के विकास के सफर की सफलता के लिए ये सब बेहद अहम भागीदार हैं.
आख़िर में जैसा कि एंड्र्यू सोबेल ने कहा है कि इस कार्यक्रम का ज़ोर, सरकारी कर्मचारियों को ‘गहरी जानकारी वाली आम समझ’ वाला बनाने का प्रशिक्षण देने पर है. सभी बातों की समझ रखने वालों के पास कई तरह के अनुभव और जानकारी होती है. लेकिन, विशेषज्ञों के ज्ञान और उनकी विशेषज्ञता में एक गहराई होती है. लेकिन, आज की उथल पुथल भरी जटिल और अनिश्चित (VUCA) दुनिया में न तो गहराई और न ही सामान्य समझ पर्याप्त है. आज ज़रूरत अलग अलग क्षेत्रों के ज्ञान के बीच संपर्क बनाने की, उनका मेल करने और उनका विश्लेषण करके जनता की सेवा करने और लोक प्रशासन में सरकारी सेवा को बेहतर बनाने की है, ताकि सबका फ़ायदा हो सके. यहीं पर गहराई से समझ रखने वाले ऑलराउंडर्स की ज़रूरत होती है. ये लोग दूरदर्शिता, लचीलेपन और एकीकृत सोच का प्रतीक होते हैं, जो नई तकनीक के इस दौर में ख़ूब कमाल करते हैं, और ये सुनिश्चित करते हैं कि तकनीकी विकास मानवीय मूल्यों, सामाजिक लाभों और नैतिक मानकों के अनुरूप बने रहें. इन लोगों के पास वो कौशल होता है, जो विशेषज्ञों की टीम की अगुवाई और उनका प्रबंधन कर सकें. उनके पास हर विषय की इतनी समझ होती है कि वो विशेषज्ञों की विशिष्ट जानकारी को उचित दिशा निर्देश दे सकते हैं, उन्हें सरकारी सेवा से एकीकृत करके उनका समुचित लाभ उठा सकते हैं. इसलिए, लोक प्रशासन को बेहतर बनाने के लिए गहराई से समझ रखने वाले सामान्य प्रशासनिक अधिकारियों को प्रशिक्षित करने की ज़रूरत है.
खेल मामलों के जनरलिस्ट डेविड इपिस्टीन, अपनी किताब रेंज: व्हाई जनरलिस्ट ट्रायंफ इन ए स्पेशलाइज़्ड वर्ल्ड में कहते हैं कि, ‘आज की दुनिया में जब विशेषज्ञता के अतिरेक को प्रोत्साहन दिया जाता है और इसकी मांग की जाती है’, तो हमें ऐसे ज़्यादा से ज़्यादा लोग चाहिए जो ‘व्यापक नज़रिए के साथ शुरुआत करते हैं और अपनी प्रगति के दौरान विविधता भरे अनुभवों और नज़रियों को अपनाते हैं.’
इपिस्टीन आगे ये भी कहते हैं कि जटिल निर्णय प्रक्रिया और इनोवेटिव बर्ताव के लिए बहुआयामी लोग बहुत अहम होते हैं. इपिस्टीन एक ‘सरल माहौल’ की तुलना एक ‘बुरे माहौल’ से करते हैं. उनका तर्क है कि, ‘आसान माहौल में जब लक्ष्य पहले के प्रदर्शन को दोहराने और उससे कम से कम परिवर्तन करने का हो, तो विशेषज्ञों की टीम शानदार काम करती हैं.’ इसकी तुलना में ‘शरारती माहौल’ में जहां काम दोहराव का नहीं बल्कि, सूचना और काम के अलग अलग धारों को मिलाकर आगे बढ़ने का होता है, वहां ‘संस्थागत सोच’ वाले ऑलराउंडर बहुत उपयोगी साबित होते हैं.
कर्मयोगी भारत के प्रशासनिक भविष्य में एक रणनीतिक निवेश है, जिससे सरकारी सेवाओं में इनोवेशन, कुशलता और जनता की मांग पूरी करने की पहल को बढ़ावा दिया जा सकेगा.
आज की VUCA दुनिया में सीधी सोच ख़ास तौर से सिविल सेवा के उच्च स्तरों पर रखना नुक़सानदेह हो सकता है. इसीलिए, तमाम तरह के प्रशिक्षण और तरह तरह ज़िम्मेदारियों वाले काम के अनुभवों के ज़रिए तमाम विषयों की गहरी समझ रखने वालों को विकसित करना काफ़ी अहम हो जाता है. इससे सरकारी कर्मचारियों का नज़रिया व्यापक होगा और वो नैतिक बल और राष्ट्र (जन) सेवा के भाव पर आधारित सहयोगात्मक साझेदारियों को आगे बढ़ा सकेंगे.
मिशन कर्मयोगी में भारत के प्रशासनिक परिणामों को तब्दील करने, जनता का भरोसा उठाने की काफ़ी संभावनाएं हैं. इससे ये भी सुनिश्चित किया जा सकेगा कि सरकारी मशीनरी राष्ट्रीय आकांक्षाओं के साथ क़दम ताल मिलाकर चल सके. कर्मयोगी भारत के प्रशासनिक भविष्य में एक रणनीतिक निवेश है, जिससे सरकारी सेवाओं में इनोवेशन, कुशलता और जनता की मांग पूरी करने की पहल को बढ़ावा दिया जा सकेगा. इस रफ़्तार को बनाए रखने के लिए नियमित रूप से मूल्यांकन, अनुकूलन और सीखने और योगदान देने के प्रति प्रतिबद्धता की ज़रूरत होगी. भारत एक सशक्त, सक्षम और फ़ुर्तीली सिविल सेवा को विकसित करने की दिशा में प्रगति कर रहा है. इस लेख के ज़रिए जो अपील की गई है, उसका मक़सद नैतिक बल और निजी व सामाजिक तौर पर बेहतरी प्रदर्शन वाली संस्कृति की मानसिकता को मज़बूती प्रदान करना है. कई मामलों की गहराई से समझ रखने वाले सरकारी कर्मचारी बनकर जिनका मूल्य जनता की सेवा को प्राथमिकता देना हो, ऐसे सरकारी कर्मचारी आगे चलकर नैतिक, प्रतिक्रियाशील और निर्बाध सेवा देने वाली सरकारी सेवा में तब्दील हो सकेंगे.
(यहां व्यक्त किए गए विचार निजी हैं और ये सरकार के नज़रिए की नुमाइंदगी नहीं करते हैं).
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Avinash Pandey is an Indian Revenue Service (IRS) officer with the Government of India. His diverse experience spans taxation, international trade and commerce, public leadership, ...
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