Author : Honson Tran

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Published on Mar 06, 2025 Updated 0 Hours ago

आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस के मामले में जो मौजूदा खाई है, उसको पाटने के लिए बेहतर मूलभूत ढांचे, स्मार्ट औज़ारों और सहज प्रक्रिया की ज़रूरत है, जिससे AI तकनीकी कुलीन वर्ग तक सीमित न रहे और सबको इसका फ़ायदा मिले.

मेधा को सर्वसुलभ बनाना: आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस (AI) को 99 प्रतिशत आबादी तक पहुंचाने की चुनौती!

Image Source: Getty

आज की दुनिया में आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस (AI) का लाभ उठाने और इसे लागू करने की कमियां दूर करने के समाधानों की मांग पूरी करने की क्षमता के लिए ऐसे संसाधनों पर ज़ोर देने की आवश्यकता है, जो रिसर्च से आगे बढ़कर AI को वास्तविक दुनिया में लागू करने की कमियां दूर करके इसमें मदद कर सकें. इन संसाधनों में कंप्यूटिंग तक पहुंच तो ज़रूरी है ही. पर इसके साथ साथ तकनीकी हुनर और सार्वजनिक रूप से उपलब्ध औज़ारों की भी आवश्यकता है, जो उन्नत रिसर्च का व्यवहारिक इस्तेमाल करने में मददगार साबित हों. वैसे तो NVIDIA की ग्राफिक्स प्रॉसेसिंग यूनिट (GPU) और कंप्यूट यूनिफाइड डिवाइस आर्किटेक्चर (CUDA) ने कंप्यूटिंग के क्षेत्र में दाख़िल होना आसान बना दिया है. लेकिन, मूलभूत ढांचे की भारी क़ीमत और हार्डवेयर तक सीमित पहुंच अभी भी उन संगठनों और AI का इस्तेमाल करने वालों के लिए एक बड़ा मसला हो सकता है, जिन्हें ज़्यादा कंप्यूट करने की ज़रूरत है.

 आज की दुनिया में आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस (AI) का लाभ उठाने और इसे लागू करने की कमियां दूर करने के समाधानों की मांग पूरी करने की क्षमता के लिए ऐसे संसाधनों पर ज़ोर देने की आवश्यकता है, जो रिसर्च से आगे बढ़कर AI को वास्तविक दुनिया में लागू करने की कमियां दूर करके इसमें मदद कर सकें.

अगर हम संसाधनों के दृष्टिकोण से इन तमाम चुनौतियों को दूर कर भी लें, तो एक और मसला जिस पर विचार करना होगा, वो इन संसाधनों को इस्तेमाल करने का तौर-तरीक़ा है. लागू करने के फ़ासले को दूर करने के लिए क़दम उठाने के अलावा, इंजीनियरों को ‘डेटा से इनसाइट’ वाली समय सीमा की कमियों पर भी ध्यान देने की ज़रूरत है. ये पाइपलाइन एक बहुआयामी चुनौती है, जो डेटा साइंस की टीमों, इन्हें लागू करने वाले इंजीनियरों और इन प्रयासों को सभी टीमों और प्रोजेक्ट के तमाम स्वरूपों से जोड़ने समेत अन्य कमियों तक फैली हुई है. इसको एज और क्लाउड कंप्यूटिंग के बीच बेहतर संतुलन, औज़ारों और प्रक्रियाओं को आसान बनाने और मॉडल के रख-रखाव पर अधिक ध्यान देने जैसे उपायों के ज़रिए निपटना AI को पूरी दुनिया में फैलाने के लिए बुनियादी तौर पर ज़रूरी होगा.

 

पहिये का पुनराविष्कार करना बंद करें; इसमें एक इंजन को जोड़ें

Scaling Intelligence Expanding Ai To The 99 Percent

Image source: Well-Architected machine learning lifecycle | AWS

जानकार अक्सर आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस की परिचर्चा उसके सटीक होने, रफ़्तार और ढांचे की नज़र से करते हैं. हालांकि, समुदायों को इन मानकों से आगे बढ़कर देखना होगा और AI का मूल्यांकन डेटा से उनको संबंधित क्षेत्र में लागू करने की दृष्टि से करना होगा. AI को लागू करने के मामले में रफ़्तार, दोहराने की क्षमता और रख-रखाव इनको बड़े पैमाने पर लागू करने के लिहाज़ से बहुत बड़े मसले हैं. ये चुनौती सिर्फ़ इस बात तक सीमित नहीं है कि एक मॉडल दूसरे मॉडल से कितना बेहतर प्रदर्शन करता है.

 

मशीन लर्निंग (ML) के जीवन चक्र में अक्सर हर स्तर पर विशेषज्ञ टीम शामिल होती हैं. डेटा वैज्ञानिकों का ज़ोर सबसे सटीक मॉडल तैयार करने पर होता है. ML के इंजीनियर उस मॉडल को तेज़ करने और सुरक्षित बनाने पर अपना ध्यान केंद्रित करते हैं. हार्डवेयर के इंजीनियर मॉडल को तमाम हार्डवेयर में फिट करने पर अपना ध्यान लगाते हैं और सॉफ्टवेयर इंजीनियरों की फिक्र ये होती है कि तमाम लोगों के काम को इस तरह पैकेज करें कि आख़िर में इस्तेमाल करने वाले के लिए इसका उपयोग आसान हो जाए. इनमें से प्रत्येक समूह अपने प्राथमिक लक्ष्यों को अन्य क्षेत्रों की बलि देने के अनुपात में तरज़ीह देता है. जिससे, समाधानों का विकास किए जाने के दौरान ये समस्याएं बढ़ती जाती हैं.

 आज जब कंप्यूट करने और ऊर्जा की मांग नई नई ऊंचाइयां छू रही है, तो सिर्फ़ क्लाउड पर केंद्रित नज़रिए के बजाय वैकल्पिक अवसरों पर विचार करना आवश्यक हो गया है.

संसाधनों की मात्रा कोई भी हो, AI के विशेषज्ञ और इंजीनियरों को मशीन लर्निंग की पाइपलाइन के ‘साझा मानकों’ की पहचान करके उन्हें स्वचालित करने और तेज़ करने पर ज़ोर देना चाहिए और ज़रूरत के मुताबिक़ उसमें पेंच दर पेंच जोड़ते जाना चाहिए. ये ज़मीनी तैयारी करने के लिए मूलभूत ढांचे की समस्याओं से निपटना पहली चुनौती होगी.

 

मूलभूत ढांचे जुड़ी मांग और edge (सिरे) की निरंतरता

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Image Source: Computation Used to Train Notable AI Systems | Our World In Data

आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस का मूलभूत ढांचा, इस क्षेत्र से जुड़े किसी भी शख़्स के लिए ‘दांव पर कुछ बुनियादी रक़म’ लगाने जैसा होता है. तय मूलभूत ढांचे और स्पष्ट रूप से परिभाषित पाइपलाइनों के अभाव में किसी भी AI मॉडल का प्रशिक्षण और उसको लागू करना चुनौतीपूर्ण बन जाता है. गूगल के एक सर्च से पता चला है कि AI के मूलभूत ढांचे की परिचर्चाएं अक्सर क्लाउड पर आधारित समाधानों पर केंद्रित होती हैं. हालांकि, सवाल ये है कि उन लोगों का क्या होगा, जिनके पास इतनी ऊंची क्षमता वाली कंप्यूटिंग तक पहुंच की सुविधा नहीं है?

 

आज जब कंप्यूट करने और ऊर्जा की मांग नई नई ऊंचाइयां छू रही है, तो सिर्फ़ क्लाउड पर केंद्रित नज़रिए के बजाय वैकल्पिक अवसरों पर विचार करना आवश्यक हो गया है. उच्च स्तरीय कंप्यूटिंग से निश्चित रूप से काम का कुछ बोझ जैसे कि प्रशिक्षण का दबाव तो कम होता है. लेकिन, सभी एप्लिकेशन के लिए कंप्यूटिंग के असीमित पूल की ज़रूरत नहीं होती और उन्हें हार्डवेयर के क्षेत्र में बढ़त का लाभ मिल सकता है. इसको इस उदाहरण से समझ सकते हैं कि एज कंप्यूटिंग को शामिल करने से बहुत से एप्लिकेशन को लाभ हो सकता है क्योंकि उनको सीमित स्थानीय स्तर पर कंप्यूट करना होगा. जैसे कि कार्बन उत्सर्जन कम करना, नेटवर्क के बैंडविड्थ की मांग कम करना, डेटा की सुरक्षा में सुधार लाना और तुरंत फ़ैसले लेने की प्रक्रिया बेहतर करने के लिए एंड टू एंड एप्लिकेशन में सुधार लाना. क्लाउड और एज सिस्टम, दोनों का उपयोग करने से AI पर काम का जो बोझ है उसको तमाम सिस्टमों में बांटा जा सकता है और क्लाउड तक पहुंच की निर्भरता को कम किया जा सकता है. हाइब्रिड कंप्यूटिंग के इस स्टैक के विचार को एज कंटीन्यूअम कहा जाता है. ये कंप्यूटर उद्योग के लिए कोई नया विचार नहीं है. हालांकि, जब बात मूलभूत ढांचे की आती है तो एज कंप्यूटिंग जो चुनौतियां पेश करती है, वो विचार विमर्श के गंभीर क्षेत्र बन जाते हैं. अगर हम एज AI के फ़ायदों को स्वीकार कर लेते हैं, तो सवाल ये है कि इसका अधिक से अधिक इस्तेमाल करने की राह में क्या बाधाएं हैं? विकास की जो सुविधाएं क्लाउड में उपलब्ध हैं, वो एज में कम से कम अभी तो उपलब्ध नहीं हैं.

 

मिले जुले तरीक़े को अपनाकर सिस्टम बहुत अक़्लमंदी से अपने कंप्यूटिंग की मांग का बोझ बांट सकते हैं. मिसाल के तौर पर छोटे और कम ताक़तवर उपकरणों को इस्तेमाल करके दूसरे सिस्टमों में भेजे जाने वाले डेटा को फिल्टर करके उसका बोझ कम किया जा सकता है. हाइब्रिड कंप्यूटिंग का तरीक़ा, मूलभूत ढांचे की मांग पूरी करने और संसाधनों पर बोझ कम करने में काफ़ी कारगर साबित हो सकता है.

 

तरह-तरह के हार्डवेयर

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Image Source: Platform Overview | Latent AI

जैसा कि ऊपर ज़िक्र किया गया कि एज कंटीन्यूअम का वैसा ही एकरूपता भरा स्वरूप नहीं है, जैसा क्लाउड का होता है. क्लाउड कंप्यूटिंग का एक फ़ायदा ये है कि इसे सुविधानुसार बांटा जा सकता है, लागू किया जा सकता है और इसके प्रबंधन के औज़ार क्लाउड की सुविधा देने वालों की तरफ़ से मुहैया कराए जाते हैं. हालांकि, क्लाउड से हटकर दूसरे सिस्टम अपनाने से अधिक जटिलताएं आती हैं. मसलन, इसके लिए बहुत से हार्डवेयर विक्रेताओं के अलग अलग उपकरणों में से चुनाव करना होगा. ये विक्रेता दूर-दराज़ के इलाक़ों में बड़े बड़े कंप्यूटरों के साथ ही क्षेत्र में उपलब्ध छोटे उपकरणों की शक्ल में संसाधन मुहैया कराने वाले हो सकते हैं. हर विक्रेता के पास तकनीक का अपना गुलदस्ता होगा और हर प्लेटफॉर्म पर इसको लागू कैसे करना है, इसे समझने के लिए समय देना पड़ेगा.

 

यही नहीं, हर हार्डवेयर प्लेटफॉर्म कई तरह की एक्सेलरेशन लाइब्रेरी भी मुहैया करा सकता है, जिसकी वजह से किसी मॉडल के बेहतरीन मानक और उनको लागू करने की सेटिंग की पहचान करने में ज़्यादा वक़्त और मेहनत लगेगी. क्वांटमकरण से हर मॉडल को फ़ायदा नहीं होता, और सभी मॉडल एक्सेलरेशन लाइब्रेरी का फ़ायदा उठाने में अपनी भलाई को नहीं देखते (उदाहरण के तौर पर NVIDIA उपकरणों के लिए TensorRT). इसको ऐसे समझिए कि किसी भी समाधान की ताक़त, उसका आकार और प्रदर्शन, सब के सब एक ही तरह के उठा-पटक में रहते हैं और सही संतुलन तलाशने का प्रयास करते रहते हैं. मिसाल के तौर पर इनफेरेंस की तेज़ रफ़्तार के एवज में शायद बिजली और मेमोरी से समझौता करना पड़े. कम मेमोरी का इस्तेमाल करने से शायद रफ़्तार कम हो जाए, लेकिन इससे भारी मात्रा में बिजली की बचत भी हो सकती है. कुछ समाधानों में ज़्यादा सटीक होने को तरज़ीह दी जाती है. इनमें इन्फेरेंस की रफ़्तार पर कोई तवज्जो नहीं दी जाती. जबकि ज़्यादा तेज़ इन्फेरेंस को प्राथमिकता देने वाले समाधानों में कार्बन उत्सर्जन कम हो सकता है.

 एज कंटीन्युअम फलता फूलता रहे, उसके लिए हार्डवेयर प्लेटफॉर्म को ऐसे औज़ारों के साथ जुड़ना होगा, जो मॉडल से हॉर्डवेयर का अधिकतम दोहन बिना किसी ख़लल के करें और जिसमें हार्डवेयर प्लेटफ़ॉर्म की अपनी कोई गहरी जानकारी होने की शर्त न पूरी करनी पड़े.

एज कंटीन्युअम फलता फूलता रहे, उसके लिए हार्डवेयर प्लेटफॉर्म को ऐसे औज़ारों के साथ जुड़ना होगा, जो मॉडल से हॉर्डवेयर का अधिकतम दोहन बिना किसी ख़लल के करें और जिसमें हार्डवेयर प्लेटफ़ॉर्म की अपनी कोई गहरी जानकारी होने की शर्त न पूरी करनी पड़े. डेवेलपर्स को इनफेरेंस पाइपलाइन को ट्यून करने और ऑप्टिमाइज़ेशन की जटिलताओं से जूझने की फ़िक्र नहीं करनी पड़ेगी. इससे उनको किसी एप्लिकेशन को डिज़ाइन करने और उस समाधान पर अधिक ध्यान देने का मौक़ा मिल जाएगा. ऐसे औज़ार जो अलग अलग तरह के हार्डवेयर प्लेटफॉर्म को एक मानक पैकेजिंग इंटरफेस के साथ जोड़ सकें, इसकी भी अपनी अहमियत है.

 

कंप्यूटिंग और कार्बन उत्सर्जन

हार्डवेयर की भारी तादाद और डिज़ाइन से जुड़े अनगिनत फ़ैसलों को देखते हुए, डेवेलपर्स, अन्वेषण के दौरान अपना बहुत अधिक समय मॉडल को फिर से प्रशिक्षित करने और उनका मूल्यांकन करने में गंवाते हैं. भारी भरकम टीम के साथ भी चुनाव के लिए मॉडलों और समाधान की पहचान करने का अवसर टीम के कुछ ख़ास सदस्यों के साथ ही जुड़ा होता है. इसके अलावा, डेवेलपर्स इन मॉडलों को हार्डवेयर के अलग अलग प्लेटफॉर्म पर संचालित करने की चुनौती का सामना करते हैं, जिससे उनको अपने समाधान को अंतिम रूप देने से पहले जटिलता की एक और परत से जूझना पड़ता है.

 

आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस को बड़े पैमाने पर लागू करने के मामले में किसी समाधान का निर्माण किसी लड़ाई को अधूरा जीतने जैसा है. लक्ष्य ये होता है कि इस समाधान को बरक़रार किया जाए और दूसरे समाधानों के साथ भी उपयोग किया जाए, ख़ास तौर से अलग अलग डेटा सेट के साथ. मूलभूत ढांचे और औज़ारों का विकास करने के दौरान इस बात का भी ख़याल रखना चाहिए कि उसमें आसानी से फिर से उत्पादित किए जाने और प्रयोग को आसानी से समझ लेने की व्यवस्था हो. प्रयोग की ये प्रक्रिया उसी तरह होनी चाहिए जिसमें डायल और नॉब को घुमाकर सेटिंग बदल दी जाए, फिर चाहे मॉडल कोई भी हो, न कि कोड में सेटिंग बदलने की ज़रूरत हो, जिसके लिए अलग अलग मॉडल में तब्दीली करने की ज़रूरत होगी.

 

आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस (AI) का रख-रखाव 

किसी मॉडल के रख-रखाव की अनदेखी करने का मतलब होगा उसका पुराना पड़ जाना. स्टैटिक लिगेसी कोड का ज़माना अब ख़त्म हो चुका है. AI के मॉडलों को देखने और उनके सॉफ्टवेयर का रख-रखाव करने के लिए एक नए नज़रिए की ज़रूरत होती है. ऐसे औज़ारों का विकास किया जाना चाहिए, ताकि मॉडल जब लागू किए जाएं, तो उनकी ‘सेहत’ पर नज़र रखी जा सके. जैसा कि ऊपर बताया गया है कि एज कंटीन्युअम की सबसे बड़ी बाधाएं वहीं हैं, जो क्लाउड की सुविधाएं देने वालों ने झेली हैं. ऐसे में इस तरह के औज़ार विकसित किए जाने की आवश्यकता है कि वो लागू किए गए मॉडल की सेहत यानी कि उसके सटीक काम करने और प्रदर्शन के मानक दुरुस्त बने रहें. ये औज़ार किसी एप्लिकेशन में बाहरी दख़ल और उसकी स्थिरता पर नज़र रखें, ताकि कोई मॉडल अपना बेहतरीन प्रदर्शन जारी रखे और लंबे वक़्त तक काम करता रहे. ये बात ख़ास तौर से उन उपकरणों पर लागू होती है, जिनकी कंप्यूटिंग की क्षमता सीमित हो, संसाधन कम हों या नेटवर्क की कनेक्टिविटी कम हो. इन चुनौतियों का समाधान निकालने से मॉडलों को कुशलतापूर्वक नए सिरे से प्रशिक्षित किया जा सकेगा और नीतियों को अपडेट किया जा सकेगा, जिससे कंप्यूटिंग के संसाधन और उनके विकास के समय को घटाने के साथ साथ किसी एप्लिकेशन के सटीक तरीक़े से काम करने को बरक़रार रखा जा सकेगा.

 आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में दाख़िल होने के मानक कम करने से अभूतपूर्व आविष्कार और प्रगति के दौर की संभावनाएं दिखती हैं. मूलभूत ढांचे में सुधार करके अमेरिका भारत और बाक़ी देश इसको लागू करने की कमियां दूर कर सकते हैं और ऐसी अर्थव्यवस्था को बढ़ावा दे सकते हैं जिसमें हर कोई AI में योगदान दे सके.

लागू किए गए एप्लिकेशन का रख-रखाव कब करना है, इसकी पहचान करने के साथ साथ ऐसी तकनीकों का विकास करना भी काफ़ी अहम है, जो रख-रखाव के दौरान संसाधनों की बचत कर सकेंगे. मिसाल के तौर पर सीमित कनेक्टिविटी वाले माहौल में ऐसे औज़ारों की मदद से डेल्टा अपडेट को संक्षिप्त करके भेजा जा सकता है. डेल्टा अपडेट से नेटवर्क की लागत कम होगी और अपडेट का आकार भी छोटा हो जाएगा, क्योंकि किसी डिवाइस में नए बदलाव ही भेजे जाएंगे.

 

निष्कर्ष

आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में दाख़िल होने के मानक कम करने से अभूतपूर्व आविष्कार और प्रगति के दौर की संभावनाएं दिखती हैं. मूलभूत ढांचे में सुधार करके अमेरिका भारत और बाक़ी देश इसको लागू करने की कमियां दूर कर सकते हैं और ऐसी अर्थव्यवस्था को बढ़ावा दे सकते हैं जिसमें हर कोई AI में योगदान दे सके.

 

आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस की पूरी संभावना का दोहन करने के लिए सामरिक संसाधनों के आवंटन और प्रभावी औज़ार विकसित करने की आवश्यकता है. अकादेमिक क्षेत्र, औद्योगिक सेक्टर, नीति निर्माताओं और समाजों के बीच सहयोग को बढ़ावा देने से AI की उस क्षमता का इस्तेमाल किया जा सकता है, जिससे समाधानों के बेहतर नतीजे निकाले जा सकें और मानवता की सबसे बड़ी चुनौतियों का हल भी ढूंढा जा सके. ऐसा करने से AI तकनीकी तरक़्क़ी को बढ़ावा दे सकता है और अधिक समानता वाले और अक़्लमंद भविष्य का आधार बन सकता है.

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