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भारत-आफ्रिका संरक्षण आणि सुरक्षा भागीदारी
अमेरिकेकरता इराक युद्धाचा वारसा
अफगाणिस्तानवर प्रादेशिक बहुपक्षीय सल्लामसलत
पाकिस्तान : भयाकारी वर्षाकडून दुसऱ्या दुर्दैवी वर्षाकडे
भारतामुळे दहशतवाद आला पुन्हा चर्चेत
ISKP हा भारताच्या प्रादेशिक सुरक्षेसाठी वाढता धोका
रशिया आणि युरेशियात दहशतवाद ओसरला का?
अमेरिका अल-कायदावर पुन्हा लक्ष का केंद्रित करत आहे?
तालिबानचे काश्मीर धोरण
अल-जवाहिरीची हत्या, अमेरिकेची ‘ओव्हर-द-हॉरिझन’ दहशतवादविरोधी क्षमता
अयमन अल जवाहिरीचा मृत्यू, अल कायदाचा वारस कोण
भारताचे अफगाणिस्तानात सावध पुनरागमन
देशांतर्गत राजकीय वक्तव्याचा इस्लामिक देशांच्या संबंधावर परिणाम
तालिबान भारतासोबत संबंध पूर्ववत होणार ?
समुदाय पोलिसिंग : अंतर्गत सुरक्षा व्यवस्थापनाचे साधन – भाग १
दक्षिण आशियाई राष्ट्रांमधील अशांततेने बीजिंगमध्ये धोक्याची घंटा
अल-कायदाचा अयमान अल-जवाहिरीसोबत मृत्यू झाला का?
‘दक्षिण एशिया के देशों में राजनीतिक सलाफ़िया आंदोलन और उसका प्रभाव’
रूस और यूरेशिया: क्या ये क्षेत्र आतंकवाद के अपने घटते रुझान को बरक़रार रखने में कामयाब रह पायेगा?
अफ्रीका में बढ़ता आतंकवाद: एक आलोचनात्मक समीक्षा
अमेरिका में हुई 9/11 की घटना के 20 साल बाद: अंतरराष्ट्रीय जिहाद का खतरा लगातार बना हुआ है
अफ़ग़ानिस्तान: तालिबान और इस्लामिक स्टेट खुरासान प्रोविंस के बीच सामरिक और सुनियोजित युद्ध
रात की चिट्टियों यानी ‘शबनामा’ से इंटरनेट तकः प्रोपेगेंडा, तालिबान और अफ़ग़ान संकट
सऊदी अरब और यूएई: क्या पश्चिम एशिया के दोनों देश अफ़ग़ानिस्तान से रणनीतिक दूरी बना रहे हैं?
दुनिया में आतंकवाद: आतंकवादियों के ख़िलाफ़ चीन का रुख़ अमेरिका से कितना अलग?
तालिबान-सामुद्रिक समझौता: दक्षिण एशिया की जिहादी हिंसा पर प्रभाव का विश्लेषण
हक़्क़ानी नेटवर्क और अमेरिका-तालिबान समझौते की नाकामी
बालाकोट: आतंक के खिलाफ हवाई ताकत का उपयोग