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प्रांतीय व क्षेत्रीय सहयोग के ढांचे में देश के उत्तर-पूर्व के राज्यों की भूमिका का विश्लेषण
जीवन और आजीविका के बीच तालमेल: असम मॉडल
जम्मू कश्मीर: सर्व-दलीय बैठकों और समझौतों का दौर!
भारत की दशकों पुरानी संघीय व्यवस्था (फेडरल सिस्टम) को कोविड-19 महामारी की चुनौती
बिल्ली के गले में घंटी बांधना- अफ़सरशाही का प्रशिक्षण
पांच मशहूर आर्थिक विशेषज्ञों का तमिलनाडु में प्रवेश, अन्य राज्यों के लिए उदाहरण – सावधानी से कर सकते हैं अमल
कश्मीर के लोगों को अच्छा प्रशासन चाहिए, पूर्ण राज्य का दर्जा या चुनाव नहीं
ध्रुवीकरण की प्रासंगिकता: बंगाल और असम में चुनाव के नतीजों का विश्लेषण
कश्मीर पर बनती नई यथास्थिति
ट्विटर के 'सरकार' को भारत सरकार का आदेश फेल होगा, बात बेकार
बंगाल विधानसभा चुनाव 2021: एक पड़ताल
क्या लोकलुभावन और कल्याणकारी योजनाएं ममता को बंगाल की सत्ता बचाने में मददगार साबित होंगी?
बृहत बेंगलुरु महानगर पालिका अधिनियम 2020 का आलोचनात्मक मूल्यांकन
बंगाल के चुनावी युद्ध में चार घोषणापत्रों की कहानी: विकास का आयाम
क्या दिल्ली में लोकतांत्रिक व्यवस्था का पतन हुआ है?
इंफ्रास्ट्रक्चर बैंक एक ज़रूरी क़दम
2030 का भारत- राजनीतिक स्थिरता से होने वाली मामूली उपयोगिता की पड़ताल
कोविड-19 के बाद: फ्री-इकॉनमी या वेलफेयर स्टेट, क्या हो आगे की राह?
महंगे डीजल-पेट्रोल से बिगड़ेगा आमजन का बजट
प्रमुख सियासी खिलाड़ियों के लिए बंगाल चुनाव की अहमियत!
बिखराव भीतर बिखराव बाहर — ट्विटर पर चलता घमासान
21वीं सदी में हो रहे प्रदर्शनों के ‘प्लेबुक’ में दरकार है नई सदी के अनुसार सुधारों की!
तक़नीक, प्रतिबंध और आंदोलनों के साये में कितना प्रभावी है हमारा गणतंत्र?
भारत की आर्थिक रिकवरी का शेप
आज़ादी के बाद भारतीय शहरों के साथ किये गए हमारे बर्ताव पर महात्मा गांधी का कितना प्रभाव?
देश: यूएपीए और ज्यूडिशियरी पर घटते आम-आदमी के विश्वास को लेकर गहरा होता जा रहा है संकट
कृषि क़ानून: सरकार और किसान के सामने कौन से विकल्प
चुनाव में औसत मतदान से जम्मू-कश्मीर में उम्मीद की नई लौ जगी है