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अफ़ग़ानिस्तान के विदेश मंत्री अमीर ख़ान मुत्तक़ी की दार
भारताने सिंधू पाणी करार तात्पुरता स्थगित करण्याची घोषण
भारत और अमेरिका के बीच बढ़ती नज़दीकी से चीन की चिंताओं के
व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौता और भारत-मिडिल ईस्ट-यूरोप आ
इस वार्ता का प्रमुख उद्देश्य दोनों देशों के आपसी परस्पर
आख़िर क्या कारण है कि पड़ोसी देशों की तमाम आशंकाएं दूर कर
यह वह दौर है जब तमाम जिम्मेदार वैश्विक संगठन अपनी जिम्मे
भारतीय विदेश मंत्री के हालिए मिस्र (Egypt visit) दौरे के उपरांत स
S Jaishankar visit to Moscow ऐसे में सवाल उठता है कि क्या वाकई भारतीय विदे
भारत-ऑस्ट्रेलिया के बीच प्रगाढ़ द्विपक्षीय संबंध है. हाल
विदेश मंत्री ने बताया कि चाहे वैक्सीन सप्लाई हो, जो हमने स
संसद के अंदर यामीन खेमे ने भारत को निशाना बनाना जारी रखा ह
एक बार फिर आतंकवाद के मुद्दे पर भारत ने पाकिस्तान को आई
इस अंतरराष्ट्रीय मंच पर चीन के विदेश मंत्री एलएसी की सम
प्रधानमंत्री का यूरोप दौरा अपने आप में संकेत है कि भारत अ
नए वैश्विक ढांचे में भारत की बढ़ती भूमिका को देखते हुए अं
आज अमेरिका और भारत वास्तविक अर्थों में रणनीतिक साझेदार ह
आख़िर क्या कारण है कि पड़ोसी देशों की तमाम आशंकाएं दूर कर
अफ़ग़ानिस्तान संमिलन का एक अहम मुद्दा होने के साथ भारत क
भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने ज़ोर देकर कहा है कि भार
ओआरएफ़ द्वारा आयोजित ब्रिक्स अकादेमिक फ़ोरम 2021 के उद्घाट
इस वार्ता का प्रमुख उद्देश्य दोनों देशों के आपसी परस्पर
नेपाल ने नज़दीकी संबंधों में नई जान फूंकने के लिहाज़ से व
गृहमंत्री अमित शाह, विदेश मंत्री एस. जयशंकर, रक्षा मंत्री
मोदी ने कैबिनेट से उन लोगों को बाहर कर दिया है, जिनका काम उ
समस्त देशों एवं समुदायों ने जिन राजनीतिक और सांस्कृतिक
श्रीलंका में भारतीय और चीनी राजनयिक मिशन के बीच एक चीनी मिलिट्री रिसर्च पोत के वहां पहुंचने को लेकर सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई.
भारत-ऑस्ट्रेलिया के बीच प्रगाढ़ द्विपक्षीय संबंध है. हाल के वर्षों में खासकर क्वॉड के गठन के बाद दोनों देशों के संबंधों में बड़ा बदलाव आया है. क्वॉड के गठन के बाद भारत और ऑस्
भारत आणि ऑस्ट्रेलियादरम्यानच्या संबंधांमध्ये अद्याप खूप काही करण्यासारखे आहे. कारण चीनशी समतोल संबंध ठेवण्याची आणि भारत-प्रशांत क्षेत्राच्या धोरणात्मक व्यवस्थेला स्
अब समय बदल गया है और अमेरिका पाकिस्तान से अपने रणनीतिक संबंधों का चौथा चरण शुरू कर रहा है. इसके परिणाम तो पता नहीं, लेकिन इतिहास यदि कुछ सबक देता है तो यह अमेरिका और भारत, दोनो
दिल्ली में अमीर ख़ान मुत्तक़ी और एस. जयशंकर की मुलाक़ात सिर्फ़ एक कूटनीतिक घटना नहीं थी, बल्कि बदलती क्षेत्रीय राजनीति का संकेत भी थी.बिना झंडों और औपचारिक मान्यता के यह बा
जागतिक बहुपक्षीय संस्थांच्या संरचनात्मक फेरबदलासाठी नवी दिल्लीच्या आवाहनामध्ये संस्थात्मक जबाबदारी आणि विकसनशील देशांचे व्यापक प्रतिनिधित्व समाविष्ट आहे.
भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अपने अमेरिकी समकक्ष भारतीय हितों को इस तरह से रखा कि अमेरिका की बोलती बंद हो गई. उन्होंने अपने तर्कों और भारतीय विदेश नीति के बुनियादी सिद