Author : Harsh V. Pant

Published on Oct 01, 2022 Commentaries 0 Hours ago

भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अपने अमेरिकी समकक्ष भारतीय हितों को इस तरह से रखा कि अमेरिका की बोलती बंद हो गई. उन्‍होंने अपने तर्कों और भारतीय विदेश नीति के बुनियादी सिद्धांतों को अमेरिका के समक्ष जिस दृढ़ता से रखा उसका पूरी दुनिया ने लोहा माना.

संयुक्त राष्ट्र में  विदेश मंत्री  एस जयशंकर का अमेरिका को दो टूक; हर सवाल का दिया माकूल जवाब

भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अपने अमेरिकी समकक्ष भारतीय हितों को इस तरह से रखा कि अमेरिका की बोलती बंद हो गई. उन्‍होंने अपने तर्कों और भारतीय विदेश नीति के बुनियादी सिद्धांतों को अमेरिका के समक्ष जिस दृढ़ता से रखा उसका पूरी दुनिया ने लोहा माना. इतना ही नहीं संयुक्‍त राष्‍ट्र में भारतीय हितों को बेहद बेबाकी और जोरदार ढंग से रखा. इसको लेकर वह सुर्खियों में हैं. इसके अलावा उन्‍होंने चीन और पाकिस्‍तान को नाम लिए बगैर पड़ोसी मुल्‍कों द्वारा पेश की जा रही चुनौती को बेहद बेबाकी से रखा. आइए जानते हैं कि उन्‍होंने अमेरिका की धरती पर कैसे भारतीय हितों का पक्ष रखा. इस पर क्‍या है विशेषज्ञ प्रो हर्ष वी पंत की राय.

अमेरिका ने भारतीय विदेश नीति का लोहा माना

1- विदेश मामलों के जानकार प्रो हर्ष वी पंत का कहना है कि संयुक्त राष्ट्र महासभा के 77वें वार्षिक अधिवेशन में भारतीय विदेश मंत्री ने भारत के एक-एक मुद्दे को अपने जोरदार तर्कों के साथ रखा. उन्‍होंने कहा कि अमेरिका के ही धरती पर अमेरिकी विदेश मंत्री के सामने उन्‍होंने भारत का जमकर बचाव किया.

2- उन्‍होंने कहा कि एस जयशंकर विदेश नीति के जानकार होने के साथ-साथ वह अपने बेबाक अंदाज के लिए जाने जाते हैं. उन्‍होंने कहा कि वर्ष 2019 में विदेश मंत्री बनने के बाद अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तर पर भारतीय हितों को मजबूती से रखने के साथ भारतीय विदेश नीति के बुनियादी सिद्धांतों को बहुत जोरदार ढंग से रखा.

प्रो पंत ने कहा कि रूस यूक्रेन जंग के बाद अमेरिका और पश्चिमी देश भारत पर यह दबाव बना रहे हैं कि वह रूस से तेल नहीं खरीदें. इसके पीछे यह तर्क दिया जा रहा है कि इससे रूस पर लगे प्रतिबंधों का असर कम होगा.

3- प्रो पंत ने कहा कि पिछले हफ्ते भारतीय विदेश मंत्री की मुलाकात अमेरिकी विदेश मंत्री ब्लिंकन, रक्षा मंत्री लायड आस्टिन और वाणिज्‍य मंत्री गीना रायमान्‍डो से हुई. उन्‍होंने कहा कि इस दौरान रूस यूक्रेन युद्ध का मामला भी गरम रहा. उन्‍होंने कहा कि रूस और भारत के संबंधों से उठे सवालों का भी उन्‍होंने बेबाकी से उत्‍तर दिया. विदेश मंत्री ने यह स्‍थापित किया कि भारत का राष्‍ट्रहित सर्वोपरि है.

4- विदेश मंत्री ने बेबाकी से कहा कि भारत तेल या हथियार किससे खरीदता है. भारत अपने निर्णय राष्‍ट्रहितों के अनुरूप लेता है. इस मामले में वह किसी देश के दबाव के तहत निर्णय नहीं लेता. प्रो पंत ने कहा कि रूस यूक्रेन जंग के बाद अमेरिका और पश्चिमी देश भारत पर यह दबाव बना रहे हैं कि वह रूस से तेल नहीं खरीदें. इसके पीछे यह तर्क दिया जा रहा है कि इससे रूस पर लगे प्रतिबंधों का असर कम होगा. भारत का तर्क रहा है कि वह रूस से तेल खरीद रहा है क्‍योंकि मास्‍को ने रेट में छूट दे रखा है.

5- प्रो पंत ने कहा कि अमेरिका ने हाल में भारत-रूस रक्षा सौदों का भी विरोध किया था. रूसी डिफेंस सिस्‍टम एस-400 को लेकर अमेरिकी सियासत गरम रही. इस सवाल पर भारतीय विदेश मंत्री ने कहा कि हम अपनी रक्षा जरूरतों और चुनौतियों के लिहाज से रक्षा सौदा करते हैं. भारत के रक्षा सौदे में भू-राजनीतिक हालात में बदलाव का कोई प्रभाव नहीं है. भारत वही विकल्प चुनता हैं, जो राष्ट्रहित में होता है.

6- भारतीय विदेश मंत्री ने जोर देकर कहा कि रक्षा उपकरणों के मामले में हमारी परंपरा है कि हम कई देशों से सैन्‍य उपकरण खरीदते हैं. उन्‍होंने कहा कि रक्षा सौदा करते समय भारत का लक्ष्‍य रहता है कि प्रतियोगी बाजार में हम बेहतर-से-बेहतर डील कैसे हासिल कर सकें.

7- रूस यूक्रेन जंग के बारे में भारत के स्‍टैंड को रखते हुए उन्‍होंने कहा कि इसका समाधान केवल वार्ता और कूटनीति के जरिए ही होना चाह‍िए. उन्‍होंने संदेश दिया कि भारत इस युद्ध के प्रथम दिन से इसी स्‍टैंड पर कायम है और रहेगा. पाक का नाम लिए बगैर विदेश मंत्री ने कहा कि दुनिया में उग्रवाद, अतिवाद और कट्टरवाद के खिलाफ मिलकर लड़ाई लड़नी होगी.

विदेश मंत्री का मानना है कि भारत अपने राष्ट्रीय हितों के अनुरूप कोई भी निर्णय करता है. इसलिए चाहे रूस से तेल या रक्षा सौदा हो या मानवाधिकार के मुद्दे पर अमेरिका को आईना दिखाना हो विदेश मंत्री बिना किसी दबाव में आकर पूरी बेबाकी से अपनी बात रखी.

भारत की विदेश नीति पूरी तरह स्वतंत्र

प्रो पंत ने कहा कि विदेश मंत्री इस बात पर जोर देते रहे भारत की विदेश नीति पूरी तरह स्वतंत्र है. भारत किसी एक गुट का हिस्सा नहीं है. विदेश मंत्री का मानना है कि भारत अपने राष्ट्रीय हितों के अनुरूप कोई भी निर्णय करता है. इसलिए चाहे रूस से तेल या रक्षा सौदा हो या मानवाधिकार के मुद्दे पर अमेरिका को आईना दिखाना हो विदेश मंत्री बिना किसी दबाव में आकर पूरी बेबाकी से अपनी बात रखी. यह शायद पहला मौका है जब भारत ने अमेरिका के धरती पर अपने ह‍ितों को धारदार ढंग से रखा है.

यह लेख जागरण में प्रकाशित हो चुका है

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Professor Harsh V. Pant is Vice President – Studies and Foreign Policy at Observer Research Foundation, New Delhi. He is a Professor of International Relations ...

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