Author : Harsh V. Pant

Published on Aug 01, 2022 Updated 26 Days ago

एक बार फ‍िर आतंकवाद के मुद्दे पर भारत ने पाकिस्‍तान को आईना दिखाया है. ख़ास बात यह है कि इस बैठक में पाकिस्‍तान के मित्र चीन के विदेश मंत्री भी मौजूद हैं. भारतीय व‍िदेश मंत्री ने पाक का नाम लिए बगैर उसे जमकर धोया है.

शंघाई सहयोग संगठन में भारत-पाकिस्तान: क्या है इसके कूटनीतिक मायने?

शंघाई सहयोग संगठन की यह बैठक भारत के लिहज़ से काफ़ी अहम है. इसमें भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर और पाकिस्‍तान के नए विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ने साथ मंच साझा किया है. दोनों देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक ऐसे समय हो रही है जब भारत-पाकिस्‍तान के बीच तनावपूर्ण माहौल है. शुक्रवार को ताशकंद में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक में दोनों विदेश मंत्रियों ने हिस्सा लिया. हालांकि, जयशंकर और बिलावल भुट्टो के बीच औपचारिक व अनौपचारिक तौर पर कोई वार्ता हुई है या नहीं यह स्पष्ट नहीं है. ऐसे में सवाल उठता है कि क्‍या शंघाई बैठक भारत और पाकिस्तान के संबंधों के लिहाज से क्‍यों उपयोगी है. इसके क्‍या कूटनीतिक मायने हैं.

भारत ने पाकिस्‍तान के नई सरकार के समक्ष प्रत्‍यक्ष या अप्रत्‍यक्ष अपना एजेंडा साफ कर दिया है कि आतंकवाद पर कोई समझौता नहीं होगा.

1- विदेश मामलों के जानकार प्रो हर्ष वी पंत ने कहा कि भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने ताशकंद में आयोजित एसीओ सम्मेलन में आतंकवाद का मुद्दा उठाया. प्रो पंत ने कहा कि भारतीय व‍िदेश मंत्री ने पाकिस्‍तान का नाम लिए बगैर कहा कि सभी मोर्चों पर आतंकवाद के ख़िलाफ जीरो टॉलरेंस अपनाने की ज़रूरत है. प्रो पंत ने कहा कि भारतीय विदेश मंत्री का आतंकवाद का मुद्दा पाकिस्‍तान को कतई रास नहीं आया होगा. पाकिस्‍तानी विदेश मंत्री जानते हैं कि भारत का इशारा किस ओर है, भले ही विदेश मंत्री ने पाकिस्‍तान का नाम नहीं लिया हो लेकिन उन्‍होंने बिना नाम लिए ही पाकिस्‍तान को बेनकाब किया है.

2- प्रो पंत ने कहा कि ख़ास बात यह है कि भारतीय विदेश मंत्री ने इस मुद्दे को तब उठाया जब पाकिस्‍तान के साथ इस बैठक में अफगानिस्‍तान और तालिबान सरकार के विदेश मंत्री भी बैठे थे. रूस और चीन के विदेश मंत्रियों के समक्ष भारत ने आतंकवाद के मुद्दे को जोरशोर से उठाया. उन्‍होंने कहा कि इस बैठक में चीन के विदेश मंत्री वांग यी, रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव और अफगानिस्तान में तालिबान सरकार के विदेश मंत्री आमिर खान मुतक्की भी शामिल हुए हैं. उन्‍होंने कहा कि भारत ने पाकिस्‍तान के नई सरकार के समक्ष प्रत्‍यक्ष या अप्रत्‍यक्ष अपना एजेंडा साफ कर दिया है कि आतंकवाद पर कोई समझौता नहीं होगा.

यूक्रेन जंग के कारण वैश्विक ऊर्जा संकट और खाद्य संकट का असर पूरी दुनिया पर पड़ रहा है. ऐसे में एससीओ की यह बैठक काफी अहम हो सकती है. इस मौके पर एक बार फ‍िर भारत रूस के समक्ष अपना पक्ष रख सकता है.

3- प्रो पंत ने कहा कि यह बैठक इस लिहाज से अहम है कि यूक्रेन जंग के बीच रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने शिरकत किया. उम्‍मीद की जा रही है कि भारतीय विदेश मंत्री की रूस के अपने समकक्ष के साथ द्विपक्षीय मुलाकात में कोविड-19 और यूक्रेन-रूस युद्ध के चलते वैश्विक ऊर्जा संकट और खाद्य संकट पर चर्चा हो. यूक्रेन जंग के कारण वैश्विक ऊर्जा संकट और खाद्य संकट का असर पूरी दुनिया पर पड़ रहा है. ऐसे में एससीओ की यह बैठक काफी अहम हो सकती है. इस मौके पर एक बार फ‍िर भारत रूस के समक्ष अपना पक्ष रख सकता है.

4- प्रो पंत ने कहा कि ख़ास बात यह है कि यह बैठक ऐसे समय हो रही है जब सितंबर, 2022 में एससीओ के शीर्ष नेताओं की बैठक भी होगी. इसमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भी आमंत्रित किया गया है. इसके पहले विदेश मंत्री जयशंकर, पीएम मोदी के तय एजेंडे को ही पेश कर रहे हैं. ईंधन संकट को देखते हुए भारत ने ईरान में दिलचस्‍पी दिखाई है. इस बैठक में यह साफ रूप से दिखा था. एससीओ की बैठक को संबोधित करते हुए जयशंकर ने इस संगठन के सभी देशों को ईरान स्थित चाबहार पोर्ट का इस्तेमाल करने के लिए आमंत्रित किया है. उन्‍होंने कहा कि इसे इसी कड़ी के रूप में देखा जाना चाहिए. ईरान इस साल से एससीओ का सदस्य हो जाएगा. जयशंकर ने कहा कि ईरान के शामिल होने से एससीओ और मजबूत होगा. उन्होंने भुखमरी और आतंकवाद के खिलाफ भी सभी सदस्यों को एकजुट होने की अपील की है.

संगठन के विस्तार का एजेंडा तैयार

एससीओ के विदेश मंत्रियों की बैठक में बहुत ही तेजी से इस संगठन के विस्तार का एजेंडा तैयार किया गया है. भारत ने इसका स्वागत किया है. इसमें अजरबैजान, आर्मेनिया, कंबोडिया और नेपाल को ऑब्जर्वर देश का दर्जा दिया गया है जबकि मिस्त्र, कतर और सऊदी अरब को वार्ता साझेदार का दर्जा दिया गया है. बेलारूस को पूर्णकालिक सदस्य के तौर पर शामिल करने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है. भारत और पाकिस्तान को एससीओ के पूर्णकालिक सदस्य के तौर पर वर्ष 2017 में शामिल किया गया था. सितंबर, 2022 में एससीओ के शीर्ष नेताओं की बैठक भी होगी. इसमें पीएम नरेन्द्र मोदी को भी आमंत्रित किया गया है.

पाकिस्तान की ओर से बिलावल भुट्टो जरदारी शिरकत कर रहे हैं. इस मीटिंग में दो अहम मुलाकातों की संभावना है. जयशंकर चीन के विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात कर सकते हैं. इसमें लाइन आफ एक्चुअल कंट्रोल पर जारी तनाव पर चर्चा हो सकती है. माना जा रहा है कि पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो भी जयशंकर से मिल सकते हैं.

क्‍यों ख़ास है एससीओ की ये बैठक

उज्बेकिस्तान की राजधानी ताशकंद में शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन (SCO) के विदेश मंत्रियों की बैठक शुरू हो गई है. SCO में भारत, चीन और पाकिस्तान समेत आठ स्‍थाई सदस्‍य हैं. भारत की तरफ से विदेश मंत्री एस जयशंकर मीटिंग में शामिल हुए हैं. पाकिस्तान की ओर से बिलावल भुट्टो जरदारी शिरकत कर रहे हैं. इस मीटिंग में दो अहम मुलाकातों की संभावना है. जयशंकर चीन के विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात कर सकते हैं. इसमें लाइन आफ एक्चुअल कंट्रोल पर जारी तनाव पर चर्चा हो सकती है. माना जा रहा है कि पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो भी जयशंकर से मिल सकते हैं. भारत के नजरिए से देखें तो चीन और रूस के काउंटर पार्ट्स से जयशंकर की मुलाकात ख़ास हो सकती है. सितंबर में SCO के राष्ट्राध्यक्षों का सम्मेलन होना है.

***

यह आर्टिकल जागरण में प्रकाशित हो चुका है.

The views expressed above belong to the author(s). ORF research and analyses now available on Telegram! Click here to access our curated content — blogs, longforms and interviews.