साल 2018 में राष्ट्रपति बनने के बाद नई दिल्ली की अपनी तीसरी यात्रा के दौरान मालदीव के इब्राहिम मोहम्मद ‘इबू‘ सोलिह ने दोहराया कि ‘भारत उनके देश और सरकार के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता है‘. दोनों नेताओं ने एक-दूसरे की सुरक्षा चिंताओं के प्रति सचेत रहने और अपने-अपने इलाक़ों का इस्तेमाल किसी अन्य के लिए प्रतिकूल गतिविधि के लिए नहीं होने देने की अपनी प्रतिबद्धता पर चर्चा की.
इस यात्रा ने सोलिह के सौम्य और दृढ़ संकल्प वाले रवैये की ओर इशारा किया जैसा कि यह यात्रा विपक्ष के ‘इंडिया आउट’ अभियान की पृष्ठभूमि में रक्षा सहयोग को मज़बूत करने से भी जुड़ा है
संयुक्त प्रतिबद्धताओं के अलावा, इस यात्रा ने सोलिह के सौम्य और दृढ़ संकल्प वाले रवैये की ओर इशारा किया जैसा कि यह यात्रा विपक्ष के ‘इंडिया आउट‘ अभियान की पृष्ठभूमि में रक्षा सहयोग को मज़बूत करने से भी जुड़ा है और जिसे ख़ास तौर पर संयुक्त राष्ट्र द्वारा मान्यता प्राप्त 21 जून को मनाए जाने वाले अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के दौरान इस्लामिक ग्रुप के हमले के बाद बढ़ावा दिया गया – जिसे सह-प्रायोजित और पारंपरिक रूप से भारत के साथ देखा जाता है. यह घटनाक्रम सत्तारूढ़ मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी (एमडीपी) में जारी आंतरिक कलह के बीच हुआ है, जहां सोलिह समर्थक पार्टी प्रमुख और पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद ‘अनी‘ नशीद को संसद अध्यक्ष के तौर पर बाहर का रास्ता दिखाना चाहते हैं क्योंकि उन्होंने मौज़ूदा राष्ट्रपति के ख़िलाफ़ व्यभिचार का आरोप तब लगाया जब उनके अपने ही भाई को समलैंगिकता के आरोप में हिरासत में भेज दिया गया था.
संबंधों में प्रगाढ़ता
अपनी यात्रा के दौरान सोलिह ने मीडिया से कहा कि, “मालदीव भारत का सच्चा दोस्त बना रहेगा जो हमारे देश, हमारे क्षेत्र में शांति और विकास के हमारे साझा दृष्टिकोण के लिए दृढ़ता से खड़ा है.” “मालदीव-भारत संबंध, कूटनीति से परे है. हमारे मूल्य, हमारी संस्कृतियां और हमारे इतिहास आपस में जुड़े हुए हैं, जिससे यह एक पारंपरिक संबंध बन गया है. सदियों पुराने हमारे संबंध दोनों देशों के बीच राजनीतिक विश्वास, आर्थिक सहयोग और रणनीतिक नीतियों के साथ विकसित हुए हैं, ”उन्होंने आगे द्विपक्षीय सहयोग विकसित करने के लिए अपनी ‘व्यक्तिगत प्रतिबद्धता’ के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद दिया.
जब विदेश मंत्री (ईएएम) एस जयशंकर ने उनसे पहले मुलाक़ात की थी तब सोलिह ने देश की ‘इंडिया फर्स्ट‘ नीति को दोहराया और भारत की ‘पड़ोस नीति‘ की भी सराहना की थी. विदेश मंत्री जयशंकर ने अपनी ओर से द्विपक्षीय बुनियादी ढ़ांचागत परियोजनाओं को बढ़ावा देने के लिए भारत की सिफारिश की. सोलिह की यात्रा से पहले भारत ने मालदीव को दी गई निर्यात-प्रतिबंध छूट को भी बढ़ा दिया है और उस देश को लगभग 7,500 टन चीनी और 12,750 टन गेहूं का आटा दिया है.
सदियों पुराने हमारे संबंध दोनों देशों के बीच राजनीतिक विश्वास, आर्थिक सहयोग और रणनीतिक नीतियों के साथ विकसित हुए हैं, ”उन्होंने आगे द्विपक्षीय सहयोग विकसित करने के लिए अपनी ‘व्यक्तिगत प्रतिबद्धता’ के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद दिया.
दोनों पक्षों ने द्विपक्षीय आर्थिक और सुरक्षा संबंधों को मज़बूत करने के मक़सद से छह समझौतों पर हस्ताक्षर किए, हालांकि ज़रूरी नहीं कि उसी क्रम में, लेकिन बुनियादी ढांचे के विकास, आपदा प्रबंधन और महिला और बाल विकास जैसे क्षेत्रों को इसमें शामिल करने की पहल भी की. सोलिह ने रुपे कार्ड के संचालन के लिए नई दिल्ली को धन्यवाद दिया और कहा कि वे शिक्षा और स्वास्थ्य देखभाल, मत्स्य पालन और आपदा प्रबंधन जैसे अन्य क्षेत्रों के बीच संबंधों को बढ़ावा देंगे.
एमएनडीएफ को उपहार
भारत मालदीव को दूसरा लैंडिंग असॉल्ट वैसल दे रहा है, दूसरा नेवल वैसल और मालदीव नेशनल डिफेंस फोर्स (एमएनडीएफ) के लिए 24 व्हीकल उपहार स्वरूप दे रहा है. दोनों पक्षों ने साइबर सुरक्षा को लेकर भी एक एमओयू पर हस्ताक्षर किए जिसे लेकर सोलिह ने कहा, “यह साइबर सुरक्षा को लेकर सहयोग और सूचना के आदान प्रदान को बढ़ावा देगा जो हमारे घरेलू कानूनों, नियमों और विनियमों के अनुसार है और जो समानता, पारस्परिकता और पारस्परिक लाभ पर आधारित है.” उन्होंने “सभी रूपों और तरीक़ों” में आतंकवाद की चुनौती से मुक़ाबला करने के लिए दृढ़ संकल्प जताया.
सोलिह के संकल्प को आगे बढ़ाते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “हिंद महासागर में अंतरराष्ट्रीय अपराध, आतंकवाद और मादक पदार्थों की तस्करी का ख़तरा गंभीर है. इसलिए रक्षा और सुरक्षा के क्षेत्र में भारत और मालदीव के बीच घनिष्ठ संपर्क और समन्वय पूरे क्षेत्र की शांति और स्थिरता के लिए अहम है. हमने इन सभी साझा चुनौतियों के ख़िलाफ़ अपना सहयोग बढ़ाया है. इसमें मालदीव के सुरक्षा अधिकारियों के लिए क्षमता निर्माण और प्रशिक्षण सहायता भी शामिल है.”
सोलिह के संकल्प को आगे बढ़ाते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “हिंद महासागर में अंतरराष्ट्रीय अपराध, आतंकवाद और मादक पदार्थों की तस्करी का ख़तरा गंभीर है.
छोटे या बड़े बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए पर्याप्त निवेश मुहैया कराने के अलावा, भारत उन देशों की सूची में दूसरे स्थान पर है जिनके पर्यटकों ने महामारी के दौरान और उसके बाद मालदीव के आर्थिक पुनरुद्धार में काफी योगदान दिया है. अगर यूक्रेन में जारी संघर्ष से वैश्विक तेल की क़ीमतों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है तो यह गो-टू नेशन की शक्ल भी अख़्तियार कर सकता है. अभी के लिए, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने कहा है कि देश की आर्थिक नीतियां ‘अच्छी‘ हैं, हालांकि कई ख़ामियों की ओर भी आईएमएफ ने इशारा किया है और मंदी और विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट के प्रति आगाह किया है – इसका मतलब यह है कि मालदीव एक राष्ट्र और सोलिह के नेतृत्व के तौर पर ख़ास तौर पर चुनावी वर्ष के दौरान इसके समाधान के लिए विशेष उपाय अपनाए.
रिमोट लॉन्च
सोलिह भारत की नई राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाक़ात करने वाले पहले राष्ट्राध्यक्ष बने. मालदीव के एक व्यापारिक प्रतिनिधिमंडल के साथ उन्होंने नई दिल्ली और मुंबई में अलग-अलग बैठकों में भारतीय उद्योग जगत के दिग्गजों से मुलाक़ात की, जिससे देश की आर्थिक राजधानी से वो अपने देश में भारतीय निवेश को आगे बढ़ा सकें.
हालांकि जब सोलिह दिल्ली में मोदी के साथ भारत के सहयोग से चार-द्वीप थिलामाले ‘ग्रेटर माले कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट‘ को रिमोट लॉन्च करने के लिए शामिल हुए, तो कथित तौर पर कई लोगों की भौहें तन गईं. हालांकि इसका सम्मान करने के लिए वो किसी भारतीय नेता का मालदीव दौरे की आशा कर रहे होंगे या फिर ऑनलाइन तरीक़े से प्रोजेक्ट की लॉन्चिंग के लिए सोलिह और मोदी को अपनी-अपनी राजधानियों में होने की उम्मीद कर रहे थे. इस प्रोजेक्ट की लंबाई 6.74 किमी है जो हवाई अड्डे तक चीन द्वारा वित्त पोषित माले-हुलहुले समुद्री पुल की लंबाई से लगभग पांच गुना है और यह देश की सबसे बड़ी बुनियादी ढ़ांचा परियोजना भी है.
सोलिह की यात्रा के दौरान एक एमओयू पर हस्ताक्षर तो हुआ लेकिन इसके अलावा भारत का एक्ज़िम बैंक शहरी आवास के लिए 100 मिलियन अमेरिकी डॉलर का अनुदान भी मालदीव को दे रहा है. किसी भी दक्षिण एशियाई देश की राजधानी के मुक़ाबले मालदीव की राजधानी माले में सबसे अधिक जनसंख्या घनत्व है. देश की लगभग पांच लाख आबादी का 40 प्रतिशत माले के शहरी इलाक़े में रहता है जो एक जीवंत सामाजिक-आर्थिक और राजनीतिक समझ भी रखते हैं.
टीम सोलिह को उम्मीद है कि माले में चल रही आवास परियोजनाओं के पूरा होने और हुलहुमले इलाक़े में फिर से उपनगरीय द्वीप को प्राप्त करने, जो कि कोरोना महामारी, लॉकडाउन और वित्तीय कमी के कारण पूरा नहीं हो सका था, और समय पर लोगों को घरों का आवंटन करने से राष्ट्रपति बनने का उनका रास्ता फिर से साफ हो सकेगा. हालांकि उनकी पार्टी एमडीपी के भीतर और बाहर के नेता अक्सर सरकार के अन्य क्षेत्रों की तरह ही घोटालों और भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हैं.
तीसरा विकल्प
अपने देश में, सोलिह ‘इंडिया आउट‘ अभियान की शुरूआत के बाद रक्षा सहयोग समझौते के लिए राजनीतिक तौर पर विपक्ष की आलोचना का शिकार हो सकते हैं, हालांकि इसे अब ‘इंडिया मिलिट्री आउट‘ के नारे में बदल दिया गया है. इतना ही नहीं विपक्ष ने अब सर्वोच्च अदालत का दरवाजा भी खटखटाया है जब निचली अदालत ने उनके राष्ट्रपति के प्रतिबंध को चुनौती देने वाली याचिका को ख़ारिज कर दिया है. साथ ही, संसद ने मित्र राष्ट्रों के ख़िलाफ़ ऐसे अभियानों पर प्रतिबंध लगाने के लिए एक विधेयक भी पारित किया. हालांकि दोनों का अंतिम फैसला अभी तक नहीं हुआ है.
हालांकि तत्काल, सोलिह को घरेलू राजनीतिक मुद्दों का सामना करना पड़ेगा जो उन्होंने अपने पीछे छोड़ा था, जिसका मुख्य रूप से नशीद के भाई अहमद नाज़िम सत्तार, जो कि पेशे से वकील हैं, के समलैंगिक मामले में गिरफ्तारी से जुड़ा है, जिसके बाद उन्होंने राष्ट्रपति पर व्यभिचार का आरोप लगाया था. नशीद ने यह भी कहा कि वह एमडीपी के वरिष्ठ नेताओं के ग़लत कामों को बेनक़ाब करने के लिए तैयार हैं. दोनों स्थानीय क़ानून के तहत और इस्लामी शरीयत के तहत अपराध हैं. नशीद ने इसे ‘राजनीतिक प्रतिशोध‘ करार दिया तो बदले में राष्ट्रपति कार्यालय की ओर से इसे झूठ का पुलिंदा बताया गया .
जब सोलिह दिल्ली में मोदी के साथ भारत के सहयोग से चार-द्वीप थिलामाले ‘ग्रेटर माले कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट’ को रिमोट लॉन्च करने के लिए शामिल हुए, तो कथित तौर पर कई लोगों की भौहें तन गईं.
सोलिह की टीम के सदस्यों ने नशीद को तस्वीरों के उस सबूत के साथ अपने आरोप को साबित करने की चुनौती दी, जिसके बारे में उन्होंने दावा किया था कि सत्तार की गिरफ्तारी, एक ‘लीक‘ वीडियो फुटेज पर आधारित थी. अब 19 अगस्त को होने वाली पार्टी कांग्रेस की बैठक के बीच सोलिह को अपने सांसदों द्वारा स्पीकर नशीद और उनके चचेरे भाई और उपाध्यक्ष, ईवा अब्दुल्ला के ख़िलाफ़ अविश्वास प्रस्ताव लाने की मांग पर फैसला करने के लिए बुलाया जाना है. इस बीच पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन की पीएनसी और विपक्षी दल पीपीएम गठबंधन ने नशीद के दावों की ‘पूरी तरह से जांच‘ करने का आह्वान किया है, साथ ही सोशल मीडिया में भी यह सुझाव दिया जा रहा है कि सोलिह इस तरह की जांच पूरी होने तक अपने पद से हट जाएं.
सोलिह-नशीद के बीच तल्खी के मौजूदा चरण ने , हालांकि यह अकेला नहीं है, पिछले कुछ वर्षों में एमडीपी को अब तक सबसे ज़्यादा शर्मिंदा किया है, वह भी पार्टी की बैठक से पहले जिसमें प्राथमिकताओं पर फैसला लिया जाना है, जो दोनों पक्ष चाहते भी हैं और जिसमें राष्ट्रपति चुनाव के लिए उम्मीदवारों के नाम पर मुहर लगनी है. हालांकि सोलिह-बहुमत वाली कांग्रेस के लिए विकल्प यह भी हो सकता है वो उन्हें दूसरे कार्यकाल के लिए आगे बढ़ाएं, जो कि नशीद के अध्यक्ष (2008-12) रहने के दौरान पारित उप-कानून संशोधन के तहत मान्य भी होगा. इससे पहले, नशीद ने राष्ट्रपति पद के लिए विदेश मंत्री अब्दुल्ला शाहिद का नाम आगे कर इस मुद्दे को गर्म रखना चाहा था…हालांकि शाहिद का संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष के रूप में एक साल का कार्यकाल इस महीने समाप्त होने जा रहा है.
यामीन: संभावित विपक्षी उम्मीदवार
इन सबके बिना भी, सोलिह नेतृत्व और एमडीपी एक पार्टी के रूप में ना सिर्फ एमनेस्टी इंटरनेशनल जैसे अंतरराष्ट्रीय अधिकार समूहों की निगरानी में हैं, बल्कि इससे भी अधिक स्थानीय पत्रकार, जिन्हें राष्ट्रपति द्वारा पारित कानून और साक्ष्य अधिनियम में संसद द्वारा अनुमोदित संशोधन के बाद, अपने स्रोत साझा करने के लिए मज़बूर किया जाता है, उनकी नज़रों में भी हैं. हालांकि सोलिह ने इसके बाद से पत्रकारों के साथ इस मुद्दे पर चर्चा करने का वादा किया है, क्योंकि इस मुद्दे का मतलब है कि मीडिया में उनकी नकारात्मक छवि और बाद में उनकी उम्मीदवारी को लेकर सवाल उठ सकते हैं. अगर ऐसा होता है तो एमडीपी को भी एक राजनीतिक पार्टी के तौर पर काफी शर्मिंदा होना पड़ सकता है क्योंकि पश्चिमी देशों ने इसी पार्टी को मालदीव में लोकतंत्र और मानवाधिकारों के पक्षधर के रूप में स्वीकार किया है और पार्टी अध्यक्ष नशीद को इस बदलाव का पोस्टर ब्वॉय माना है.
प्रतिस्पर्द्धा के चलते शक्ति प्रदर्शन के प्रयास में विपक्षी गठबंधन ने अगले साल के चुनाव के लिए पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन को नामित किया है,जो एक जल्दबाजी में लिया गया निर्णय लगता है, और इसकी औपचारिक घोषणा के लिए 19 अगस्त की तारीख को भी तय किया है. अगर विपक्ष इस दौरान एक रैली का फैसला करता है, जैसा कि देखा जाता रहा है, जो महीनों पहले तय की गई एमडीपी कांग्रेस की बैठक के आयोजन के समय के साथ मेल खाता है, तो यह और अधिक तनाव पैदा करके आग में ईंधन डालने का काम करेगा.
विपक्ष का फैसला अगर यही रहता है, कम से कम अभी के लिए, तो भी यामीन के रूप में उनके राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी को लेकर रास्ते में कई रोड़े हैं, जैसे उनके ख़िलाफ़ मनी लॉन्ड्रिंग के दो मामले चल रहे हैं, जहां एक लंबी सजा उन्हें राष्ट्रपति चुनाव लड़ने से अयोग्य घोषित कर सकती है. उच्च न्यायालय द्वारा ट्रायल कोर्ट के उन्हें अयोग्य सिद्ध करने के फैसले को बरक़रार रखने के बाद सुप्रीम कोर्ट द्वारा उन्हें इस मामले में बरी तो कर दिया गया लेकिन क्रिमिनल कोर्ट ने सितंबर के लिए दो अन्य मामलों में उनके ख़िलाफ़ फैसला तय किया है, जिसमें से एक मामले में नियमित सुनवाई अभी जारी है.
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