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बहुराष्ट्रीय कंपनियों से जनता की भलाई के लिए काम करने की बढ़ती मांग
ताइवान के साथ सहयोग कर, ग्लोबल सप्लाई चेन में हो रहे बदलाव के दौरान भारत और महाराष्ट्र किस तरह से फ़ायदा उठा सकते हैं?
21वीं सदी में बहुराष्ट्रीय कंपनियों से टैक्स वसूली करने की जद्दोजहद..!
अंतरराष्ट्रीय निकायों (कॉरपोरेशंस) और व्यापार क्षेत्र में आने वाले भय से सफ़लतापूर्वक निपटने की चुनौती!
Brazil: भुखमरी की कगार पर!
विश्व बैंक में आंकड़ों की हेराफ़ेरी से जुड़ा विवाद: चिंता और चिंतन दोनों है ज़रूरी
हरित पूंजी जुटाने की कभी न ख़त्म होने वाली चुनौतियां
क्या भारत में (आर्थिक) संपत्ति की बढ़ती असमानता आर्थिक विकास के रास्ते में रुकावट पैदा कर रही है?
G-20 की एशिया में वापसी…
चीनी और रूसी नेताओं की ग़ैर-मौजूदगी से G-20 और G-7 का मिटता फ़र्क़
“सभी के लिये बेहतर शिक्षा” – एसडीजी4 के लक्ष्यों को हासिल करने में जी20 की भूमिका!
G20: दशा, दिशा और देश
मिशन बसुंधरा यानी असम को टिकाऊ विकास लक्ष्य (एसडीजी) 16 के क़रीब ले जाना
भारतीय शहरी स्थानीय निकाय मे लैंगिक आधार पर आरक्षण का असर
टेक यूनिकॉर्न की तलाशः कैसे डिजिटल इकोनॉमी को स्वतंत्र फंड से मिल रहा रफ्त़ार
फिनटेक उद्योगों में महिलाओं को मिल रहा है पुरुषों के बराबर अवसर!
एक ‘न्यायपूर्ण बदलाव’: क्या भारत का हरित परिवर्तन समावेशी है?
अगर हम डेटा की परिभाषा नये ‘तेल’ की करते हैं तो क्या हाइड्रोजन को भी हमें नई ‘गैस’ माननी चाहिये?
अंतरिक्ष क्षेत्र में आर्थिक संभावनाएं
भारत में प्रस्तावित विकास वित्त संस्थान के संदर्भ विचार के कुछ बिंदू
जीडीपी के पूरी तरह से पटरी पर आने का रास्ता लंबा और कठिनाइयों से भरा होने के आसार
छह लाख करोड़ रुपये की नेशनल मॉनेटाइज़ेशन पाइपलाइन – वास्तव में ऐसा होगा क्या?
भारतीय अर्थव्यवस्था: पटरी पर लौटने की कोशिश में लगातार कर रही है संघर्ष
देश के उत्तर-पूर्व के राज्यों को एक्ट-ईस्ट पॉलिसी के तहत नये सिरे से देखने की पहल
राजनीतिक और आर्थिक तौर पर घिसी-पिटी सोच के शिकार हैं ‘भारत के शहर’
2020-21 के लिए अस्थायी जीडीपी अनुमान उपभोक्ता मांग में लगातार कमी की पुष्टि करता है
आर्थिक विकास के लिहाज़ से भारत के टॉप 5 राज्यों में शुमार होने की जद्दोजहद में पूर्वोत्तर का राज्य असम
कुशलता और समानता बढ़ाने के लिए विकेंद्रीकरण ज़रूरी है