टास्क फोर्स 4: रिफ्यूलिंग ग्रोथ: स्वच्छ ऊर्जा और हरित परिवर्तन
सार
2015 के पेरिस समझौते के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए अधिक निवेश की आवश्यकता है. यह पॉलिसी ब्रीफ सुझाव देती है कि समाधान क्लाइमेट फ्रेंडली इनवेस्टमेंट माहौल से ही मिलेगा जैसे क्लाइमेट फॉरेन डोमेस्टिक इनवेस्टमेंट (एफडीआई) को बढाकर – क्रॉस बॉर्डर इनवेस्टमेंट जिसे क्लाइमेट लक्ष्यों के साथ अलाइन किया जाए – तो समाधान संभव है. इस लेख के लेखक ने चार टारगेटेड मेजर्स की सिफ़ारिशें की हैं जो नई\गाइडबुक ऑन फैसिलिटेटिंग क्लाइमेट एफडीआई जिसे वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम और वेवटेक/एफडीआई इंटेलिजेंस के सहयोग से प्रकाशित किया जाना है: (1) निवेश प्रोत्साहन एजेंसी (आईपीए) की रणनीतियां, मुख्य परफॉर्मेंस इंडीकेटर्स (केपीआई), प्रोत्साहनों और जोख़िम-रहित उपकरणों को जलवायु लक्ष्यों के अनुरूप करना; (2) घरेलू कंपनियों को टिकाऊ बनने में मदद करने के लिए टिकाऊ सप्लायर्स का एक डेटाबेस और एक सप्लायर्स डेवलपमेंट प्रोग्राम बनाएं; (3) बहुराष्ट्रीय उद्यम जलवायु प्रतिबद्धताओं को मैप करें और समर्थित और सत्यापित कार्बन-तटस्थ (कार्बन न्यूट्रल) निवेश परियोजनाओं की एक पाइपलाइन बनाएं जो एमएनई को उनकी प्रतिबद्धताओं को पूरा करने में मदद करें; और (4) अंतर्राष्ट्रीय निवेश समझौतों और राष्ट्रीय कानूनी ढांचे में जलवायु एफडीआई प्रावधानों को शामिल करें. आख़िर में नॉलेज बढ़ाने, सहयोग को सुविधाजनक बनाने और जलवायु एफडीआई बढ़ाने के लिए कार्रवाई करने के लिए जलवायु के लिए आईपीए का एक गठबंधन प्रस्तावित है. गठबंधन G20 अर्थव्यवस्थाओं के बीच दो-तरफ़ा जलवायु एफडीआई को सुविधाजनक बनाने में मदद करने के लिए उपायों का इस्तेमाल कर सकता है, जिसके परिणामस्वरूप पारस्परिक रूप से लाभप्रद नतीजे हासिल हो सकते हैं.
1.चुनौती
आईपीसीसी के अनुमान के अनुसार ग्लोबल वार्मिंग को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने और पेरिस समझौते के लक्ष्य तक पहुंचने के लिए 2012 और 2050 के बीच हर साल एनर्जी सिस्टम में लगभग 800 बिलियन अमेरिकी डॉलर के नए निवेश की ज़रूरत है (आईपीसीसी 2022 में डी कॉनिनक एट अल 2018, पी. 361). यह मौज़ूदा निवेश के ट्रेंड के अतिरिक्त है. अनुमान के अनुसार एनर्जी सिस्टम में बेसलाइन निवेश 2.38 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर का वार्षिक निवेश है, जबकि ज़रूरत 3.2 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की है (आईपीसीसी 2022 में डी कॉनिनक एट अल 2018, पृष्ठ 321).
चित्र 1. विभिन्न परिदृश्यों में ऐतिहासिक और अनुमानित वैश्विक ऊर्जा निवेश (2016-2050)
नोट: बाईं ओर का आंकड़ा चार अलग-अलग परिदृश्यों का प्रतिनिधित्व करने के लिए छह वैश्विक मॉडल का उपयोग करता है: एनर्जी सिस्टम में निवेश जो करेंट बेसलाइन के साथ जारी रहता है (यानी, नई जलवायु नीतियों और पहले से मौज़ूद उपायों से इतर उपायों के बिना रास्ते), राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (एनडीसी) प्राप्त करने के लिए निवेश बढ़ाना, ग्लोबल वार्मिंग को 2 डिग्री सेल्सियस तक बनाए रखने के लिए निवेश बढ़ाना और ग्लोबल वार्मिंग को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक बनाए रखने के लिए निवेश बढ़ाना. बार्स मॉडल साधनों का प्रतिनिधित्व करते हैं जबकि व्हिस्कर्स पूर्ण मॉडल रेंज का प्रतिनिधित्व करती हैं. सही आंकड़ा बेसलाइन के सापेक्ष ग्लोबल वार्मिंग को 2 डिग्री सेल्सियस या 1.5 डिग्री सेल्सियस पर रखने के लिए निवेश में आवश्यक बदलाव का प्रतिनिधित्व करता है. व्हिस्कर्स मल्टी-मॉडल साधनों के चारों ओर पूरी श्रृंखला दिखाते हैं.
स्रोत: रोजेलज एट अल. आईपीसीसी 2022 में 2018, पी.155
एनर्जी सिस्टम से आगे के बारे में क्या ? पहले ओईसीडी का अनुमान था कि कुल आवश्यक निवेश लगभग 6 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर था (चित्र 2, लाल बॉक्स देखें). ये आश्चर्यजनक रूप से बहुत बड़े आंकड़े हैं.
चित्र 2. जलवायु लक्ष्यों के लिए ऊर्जा निवेश बनाम अन्य निवेश (2015-2035)
नोट: ग्लोबल वार्मिंग को 2° से. या 1.5° से. तक सीमित करने के लिए आवश्यक अनुमानित वार्षिक वर्ल्ड मिटिगेशन इन्वेस्टमेंट (बाज़ार विनिमय दर पर खरबों अमेरिकी डॉलर में 2015-2035).
स्रोत: डी कॉनिनक एट अल। आईपीसीसी 2022 में 2018, पी. 373
हाल के अनुमानों से पता चलता है कि जलवायु लक्ष्यों तक पहुंचने के लिए हर साल 2 से 2.8 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर के निवेश की आवश्यकता हो सकती है (सोंगवे एट अल., 2022), जैसा कि चित्र 3 में दिखाया गया है. इसके लिए हमेशा नए निवेश की आवश्यकता नहीं हो सकती है बल्कि नए निवेश को जुटाने और मौज़ूदा पूंजी का पुनः आवंटन इसके लिए ज़रूरी है.
चित्र 3. 2030 तक प्रति वर्ष जलवायु कार्रवाई के लिए निवेश की आवश्यकताएं
स्रोत: सोंगवे एट अल., 2022: 23
दुनिया नया निवेश कैसे जुटाएगी और मौज़ूदा पूंजी का पुनः आवंटन कैसे करेगी? पूंजी को सार्वजनिक और निजी दोनों स्रोतों से जुटाने की आवश्यकता होगी लेकिन इस क्षेत्र में निजी पूंजी को अनलॉक करने और क्राउड-इन के लिए और भी बहुत कुछ की आवश्यकता है.
चुनौती इस तरह के निवेश को बढ़ाने के लिए सही स्थितियां बनाने की है. दूसरे शब्दों में, ‘जलवायु के अनुकूल निवेश माहौल’ बनाना.
समाधान बेहतर नीतियों और उपायों के माध्यम से संस्थागत क्षमता और घरेलू सुधारों के संयोजन में निहित है (सोंगवे एट अल., 2022: 28). जलवायु-अनुकूल निवेश माहौल बनाने के लिए डिमांड साइड (कम कार्बन वाली वस्तुओं और सेवाओं की खपत में वृद्धि को प्रोत्साहित करना) और सप्लाई साइड (कम कार्बन वाली वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन में वृद्धि को प्रोत्साहित करना) दोनों पर नीतियों को शामिल करना होगा (प्रेस्ट 2022). नीतियों और समाधान के उपायों को राजनीतिक, वाणिज्यिक, तकनीक़ी और मुद्रा जोख़िमों सहित जलवायु निवेश में बड़े पैमाने पर बढ़ोतरी से जुड़े जोख़िमों को भी सुधारने की आवश्यकता होगी. ऐसे निवेशों को बढ़ावा देने, आकर्षित करने, सुविधा प्रदान करने और प्रोत्साहित करने के लिए नीतियों और उपायों की भी आवश्यकता होगी.
सवाल यह है कि वास्तव में नीति निर्माताओं को क्या करना चाहिए.
हाल के दो विश्लेषणों ने इस प्रश्न का उत्तर देने की कोशिश की है जिसमें 2022 में टी20 नीति का संक्षिप्त विवरण (सौवंत एट अल., 2021; स्टीफेंसन और ज़ान, 2022) शामिल है. पहले में संभावित नीतियों और उपायों की एक प्रारंभिक सूची दी गई है जबकि दूसरे ने जलवायु एफडीआई को परिभाषित किया [a] और 15 विभिन्न संभावित नीतियों और उपायों की एक सूची बनाने में मदद की[b]
हालांकि, यह एक सराहनीय कदम था लेकिन इसमें अधिक स्पष्टता और सटीकता की आवश्यकता थी और विश्व आर्थिक मंच ने इसमें आगे बढ़ने का रास्ता तैयार किया. 2022 और 2023 की शुरुआत में कई महीनों में फोरम ने जलवायु एफडीआई नीतियों और उपायों को बनाने और उन्हें और अधिक परिष्कृत करने के लिए निवेशकों, निवेश अधिकारियों और विशेषज्ञों के साथ तकनीक़ी बैठकों को आयोजित किया.[c] ‘क्लाइमेट एफडीआई फैसिलिटेशन गाइडबुक’ जिसका उपयोग निवेश अधिकारियों द्वारा जलवायु एफडीआई फ्लो को बढ़ाने में मदद के लिए किया जा सकता है.[d] जलवायु एफडीआई बढ़ाने के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण उपायों की चार श्रेणियों की पहचान की गई है. चारों को गहन परामर्श के माध्यम से चुना और परिष्कृत किया गया (फुटनोट बी देखें) है, विशेष रूप से इस बात पर विचार करते हुए कि कौन से उपाय सार्वजनिक-निजी सहयोग के लिए सबसे ज़्यादा उपयुक्त हो सकते हैं.
चार प्राथमिकता वाले उपायों में से प्रत्येक के लिए गाइडबुक निम्नलिखित बातें रेखांकित करती हैं:[e]) चरण-दर-चरण दृष्टिकोण; (बी) कार्यान्वयन और हितधारकों से संबंधित विचार जिन्हें शामिल करने की आवश्यकता है; साथ ही (सी) संभावित जोख़िम और मिटिगेशन स्ट्रैटिजी. इस पॉलिसी ब्रीफ का उद्देश्य G20 विचार-विमर्श और कार्रवाई को सूचित करने में मदद करने के लिए प्राथमिक सुझावों को शामिल करना है.
2.G20 की भूमिका
जैसा कि पहले उल्लेख किए गए 2022 टी20 पॉलिसी ब्रीफ में तर्क दिया गया है, G20 कम से कम तीन कारणों से जलवायु एफडीआई के विस्तार का समर्थन करने के लिए उचित मंच है.
सबसे पहले, जलवायु एक ऐसा क्षेत्र है जहां G20 अर्थव्यवस्थाएं इस बात पर सहमत हैं कि अधिक कार्रवाई और विशेष रूप से समन्वित कार्रवाई की आवश्यकता है. उदाहरण के लिए, संयुक्त राज्य अमेरिका (यूएस) और चीन ने अपने तनाव के बावज़ूद 2021 में जलवायु पर कई संयुक्त बयान और घोषणाएं जारी कीं. यह इस बात की ओर इशारा करता है कि जलवायु कार्रवाई एक ऐसा क्षेत्र है जहां रणनीतिक प्रतिद्वंद्वियों (स्टेट काउंसिल ऑफ पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना 2021; यूएस डिपार्टमेंट ऑफ स्टेट, 2021 ए और 2021 बी) के बीच भी सहयोग मुमकिन हो सकता है.
हाल ही में अमेरिका और यूरोपीय संघ (ईयू) ने जलवायु एफडीआई बढ़ाने के लिए निर्णायक कार्रवाई की. इसमें बात चाहे यूरोपीय ग्रीन डील या यूएस इनफ्लेशन रिडक्शन एक्ट (2022) के माध्यम से हो. पहले में 1.8 ट्रिलियन यूरो का निवेश शामिल होगा (यूरोपीय आयोग 2023), जबकि दूसरे में जलवायु लक्ष्यों को प्राप्त करने में 400 बिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश शामिल है.
भारत भी हरित क्षेत्रों में अधिक से अधिक अंतर्राष्ट्रीय निवेश आकर्षित करने के विकल्प तलाश रहा है, क्योंकि हरित ऊर्जा के विस्तार में इसकी उल्लेखनीय सफलता मुख्य रूप से अब तक घरेलू निवेश से प्रेरित है. 2020 तक भारत में ट्रैक किया गया ग्रीन फाइनेंस 44 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया. इसमें से लगभग 83 प्रतिशत घरेलू स्रोतों से था जबकि निजी क्षेत्र ने घरेलू निवेश में लगभग 59 प्रतिशत का योगदान दिया. हालांकि वार्षिक फ्लो देश के एनडीसी (सीपीआई, 2022) को प्राप्त करने के लिए आवश्यक राशि का केवल एक-चौथाई ही है. इस प्रकार यह ज़रूरी हो जाता है कि भारत को अपने सभी एनडीसी हासिल करने के रास्ते पर आगे बढ़ते रहने के लिए इंटरनेशनल फ्लो को तेज़ी से बढ़ना चाहिए. जिसके तहत एफडीआई भारत के लिए प्राथमिकता वाला क्षेत्र होगा. भारतीय अर्थव्यवस्था के कई क्षेत्र पहले से ही न्यूनतम विनियमन के साथ एफडीआई के लिए काफी खुले हैं; वास्तव में, नवीकरणीय ऊर्जा और इलेक्ट्रिक वाहनों जैसे कुछ क्षेत्रों में पहले से ही कुछ प्रकार के जलवायु एफडीआई का फ्लो देखा जा रहा है. भारत इसे बढ़ाने के लिए काफी उत्सुक है, साथ ही भारत यह सुनिश्चित करने की कोशिश करेगा कि ये निवेश ऐसी किसी भी शर्त के साथ ना आएं जो ग्रीन इंडस्ट्री के लिए एक मज़बूत मैन्युफैक्चरिंग इको सिस्टम स्थापित करने की इसकी महत्वाकांक्षी योजनाओं से समझौता कर सकता है.
दूसरा, अधिकांश एफडीआई करने वाली कंपनियां G20 अर्थव्यवस्थाओं से संबंध रखती हैं, इसलिए उन्हें जलवायु एफडीआई बढ़ाने में मदद करने से दुनिया के जलवायु परिणामों पर बड़ा प्रभाव पड़ सकता है (स्टीफेंसन और झांग, 2022, पृष्ठ 14). तीसरा, एक बार जब G20 अर्थव्यवस्थाएं जलवायु एफडीआई के समर्थन में नीतियों और उपायों को स्वीकार कर लेती हैं तो यह गैर-G20 अर्थव्यवस्थाओं के लिए समान दृष्टिकोण पर विचार करने के लिए एक सिग्नलिंग और डेमोन्सट्रेशन इफेक्ट पैदा करेगा.
3.G20 को सिफ़ारिशें
सिफ़ारिश 1. समन्वय और सहयोग को सुविधाजनक बनाने के लिए ‘जलवायु एफडीआई‘ की एक वैचारिक रूपरेखा और परिभाषा को स्वीकार्य बनाना होगा जिसके लिए विचार करने की ज़रूरत है.
जलवायु एफडीआई के बारे में सोचने का तरीक़ा एक अपसाइड-डाउन ट्राएंगल में फिट किया जा सकता है जो विभिन्न प्रकार के निवेश के बीच संबंध दिखाता है (चित्र 4 देखें).
चित्र 4. जलवायु एफडीआई के लिए वैचारिक ढांचा
स्रोत: स्टीफेंसन और झांग पर आधारित, 2022: पी. 6, अपडेटेड एंड रिवाइज्ड.
सबसे व्यापक श्रेणी में कोई भी निवेश शामिल है, चाहे वह पोर्टफोलियो निवेश हो या प्रत्यक्ष निवेश (या तो विदेशी या घरेलू). फिर निवेश के उपसमूह के रूप में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) आता है और फिर एफडीआई के उपसमूह के रूप में स्थायी एफडीआई आता है. सतत एफडीआई को एफडीआई के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जो रिसपॉन्सिबल बिजनेस कंडक्ट (आरबीसी) के सिद्धांतों का पालन करता है और पर्यावरण, सामाजिक और शासन (ईएसजी) लक्ष्यों में योगदान देता है. संकीर्ण होते वैचारिक रास्ते को जारी रखते हुए ग्रीन एफडीआई वह एफडीआई है जो ‘ईएसजी’ या पर्यावरण के ‘ई’ भाग के साथ अलाइन होता है और उसमें योगदान देता है. आख़िर में, जलवायु एफडीआई वह एफडीआई है जो पर्यावरण के जलवायु आयाम के साथ अलाइन्ड होता है और उसमें योगदान देता है. जलवायु एफडीआई के अंतर्गत कुछ परियोजनाएं जलवायु अनुकूलन में योगदान दे सकती हैं जबकि अन्य क्लाइमेट मिटिगेशन में सहयोगी हो सकती हैं.
किसी भी तरह के भ्रम से बचने के लिए ग्रीन और क्लाइमेट एफडीआई के बीच अंतर को स्पष्ट करना उचित है. एक ओर एफडीआई परियोजना पर विचार करना ज़रूरी है जो यह सुनिश्चित करती है कि नदी में प्रवाहित होने से पहले अपशिष्टों को साफ किया जाए (‘स्वच्छ नदी’ उदाहरण). यह ग्रीन एफडीआई का एक उदाहरण होगा, क्योंकि इसका जलवायु पर कोई असर नहीं पड़ता है. दूसरी ओर, एक एफडीआई परियोजना पर विचार करना जो उत्पादन प्रक्रिया में स्वच्छ ऊर्जा का इस्तेमाल करती है और जो पहले उस स्थान पर उस गतिविधि (‘स्वच्छ ऊर्जा’ मामले) के लिए उपयोग की जाती थी. यह जलवायु एफडीआई का एक उदाहरण हो सकता है, क्योंकि इसका जलवायु पर प्रभाव पड़ता है (चित्र 5 देखें).
चित्र 5. हरित एफडीआई बनाम जलवायु एफडीआई: स्वच्छ नदी बनाम स्वच्छ ऊर्जा के उदाहरण
सिफ़ारिश 2. क्षमता निर्माण और तकनीक़ी सहायता के माध्यम से G20 और गैर-G20 अर्थव्यवस्थाओं दोनों के भीतर ‘क्लाइमेट एफडीआई फैसिलिटेशन गाइडबुक‘ का समर्थन और उपयोग करने पर विचार करें.
G20 के लिए प्रस्ताव यह है कि सदस्य देश अपनी और दूसरी अर्थव्यवस्थाओं में जलवायु एफडीआई बढ़ाने के लिए गाइडबुक का समर्थन और उपयोग करने पर विचार करें. G20 नीति निर्माता यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि उनके निवेश अधिकारी गाइडबुक, विशेष रूप से निवेश प्रोत्साहन प्राधिकरण (आईपीए) पर विचार करें. इसके अलावा, G20 अर्थव्यवस्थाएं उभरते बाज़ारों और विकासशील देशों में अधिकारियों को गाइडबुक में दर्ज़ उपायों को लागू करने पर विचार करने के लिए तकनीक़ी सहायता और क्षमता निर्माण प्रदान कर सकते हैं. इससे दो परस्पर संबंधित लाभ हो सकते हैं. यह इन अर्थव्यवस्थाओं में निवेश के माहौल की क्लाइमेट फ्रेंडलीनेस को बेहतर बनाने में मदद करेगा और इस प्रकार उन अर्थव्यवस्थाओं में G20 जलवायु एफडीआई को सुविधाजनक बनाने में मदद करेगा. इसके साथ ही, यह दुनिया भर में निवेश परियोजनाओं के एमिशन और कार्बन सामग्री को कम करने में भी मदद करेगा, जो कि जलवायु चुनौती की अंतर्निहित वैश्विक प्रकृति को देखते हुए सबसे ज़रूरी है. फिर भी यह महसूस करना महत्वपूर्ण है कि उभरते बाज़ार और विकासशील देश अधिक विकसित देशों की तरह तेज़ी से डीकार्बोनाइजेशन करने की स्थिति में नहीं हो सकते हैं. इसलिए समाधान को प्रत्येक देश के एनडीसी में प्रतिबद्धताओं द्वारा जलवायु एफडीआई उपायों की गहराई और दिशा के संदर्भ में निर्देशित किया जाना चाहिए, क्योंकि परिभाषा के अनुसार ये जलवायु प्रतिबद्धताएं संबंधित देश की प्राथमिकताओं और क्षमताओं के अनुरूप होने चाहिए.
आख़िरकार अलग-अलग समय में अलग-अलग अर्थव्यवस्थाओं के लिए अलग-अलग उपाय अधिक प्रासंगिक हो सकते हैं. गाइडबुक विचार करने के लिए नीतियों और उपायों की चार श्रेणियां प्रदान करती है, हालांकि नीति निर्माता प्रत्येक देश में राजनीतिक और आर्थिक परिस्थितियों के अनुसार ख़ास उपायों को अपनाने और लागू करने की बात कर सकते हैं.
उपाय 1. आईपीए रणनीतियों, केपीआई, निवेश प्रोत्साहनों और जोख़िम-मुक्त उपकरणों को एनडीसी के साथ अलाइन करें.
समाधान की पहली श्रेणी आईपीए रणनीतियों, केपीआई, निवेश प्रोत्साहन और डी-रिस्किंग उपकरणों को एनडीसी में पहचाने गए जलवायु लक्ष्यों के साथ संरेखित करना है. उदाहरण के लिए, यह सुनिश्चित करना कि निवेश प्रोत्साहन एनडीसी लक्ष्यों के साथ अलाइन्ड हैं और इस प्रकार उन्हें पूरा करने में मदद कर सकते हैं. प्रोत्साहनों में ना केवल राजकोषीय [e] और वित्तीय बल्कि गैर-मौद्रिक प्रकृति के प्रोत्साहन भी शामिल होने चाहिए.
गैर-मौद्रिक प्रोत्साहनों के उदाहरणों को ‘रेड-ग्रीन-गोल्ड’ दृष्टिकोण के अनुमान से हासिल किया जा सकता है: स्पीड ऑफ अप्रूवल्स (रेड कार्पेट उपचार), त्वरित सीमा शुल्क मंज़ूरी (ग्रीन चैनल प्रक्रिया), और लक्षित देखभाल (सोने की स्थिति उपचार). ख़रीद गारंटी (उदाहरण के लिए, रिनुएबल एनर्जी ख़रीद समझौते) और निवेश बीमा जैसे जोख़िम-रहित उपकरण भी जलवायु एफडीआई में मदद करने के लिए अहम साबित हो सकते हैं. यह ध्यान देने योग्य बात है कि बीमा में कई प्रकार के जोख़िमों को संबोधित करने की आवश्यकता होती है, उदाहरण के लिए, राजनीतिक जोख़िम, वाणिज्यिक, मुद्रा जोख़िम, और प्रोजेक्ट लाइफलाइन के ख़त्म होने से पहले टेक्नोलॉजी को बदलने और कुछ तकनीक़ी विकल्पों को अप्रचलित बनाने का जोख़िम.
चित्र 6. रोल आउट करने के चरण उपाय 1
स्रोत: विश्व आर्थिक मंच और वेवटेक/एफडीआई इंटेलिजेंस (आगामी)
उपाय 2. ‘मैच एंड कैच‘
उपायों की दूसरी श्रेणी घरेलू फर्मों को अधिक टिकाऊ बनने में मदद करने के लिए सप्लायर डेवलपमेंट प्रोग्राम के साथ-साथ सस्टेनेबिलिटी डायमेन्शन्स के साथ डोमेस्टिक सप्लायर्स का एक डेटाबेस बनाना है. इससे निवेशकों को डोमेस्टिक सप्लायर्स से ‘मिलान’ करने में मदद मिलती है और घरेलू कंपनियों को निवेशकों द्वारा अपेक्षित स्तर तक पहुंचने में मदद मिलती है.
घरेलू आपूर्तिकर्ताओं का डेटाबेस होने से निवेश की सुविधा मिलती है क्योंकि यह विदेशी और घरेलू फर्मों के बीच सूचना की कमियों को दूर करने में मदद करता है, विदेशी निवेशकों को उन वस्तुओं और सेवाओं के घरेलू आपूर्तिकर्ताओं के बारे में जानकारी देता है जिन्हें वे घरेलू स्तर पर ही हासिल कर सकते हैं. इससे विदेशी कंपनियों के संचालन के लिए समय और लागत कम हो जाएगी, क्योंकि वे घरेलू स्तर पर इनपुट प्राप्त कर सकते हैं नहीं तो उन्हें स्वयं इन चीजों का उत्पादन करना पड़ता है या फिर आयात करना पड़ता है.
आपूर्तिकर्ता डेटाबेस को न केवल पारंपरिक जानकारी जैसे कि दी जाने वाली वस्तुओं और सेवाओं और कॉन्टैक्ट इनफॉर्मेशन को शामिल करने के लिए डिज़ाइन किया जा सकता है, बल्कि यह भी जानकारी कि घरेलू कंपनियां कैसे लगातार काम कर रही हैं इसे भी इसमें शामिल किया जा सकता है. इससे विदेशी कंपनियों को उन घरेलू कंपनियों के साथ अनुबंध करने और बातचीत करने में मदद मिल सकती है जो क्लाइमेट फ्रेंडली तरीक़े से काम कर रही हैं. यह घरेलू कंपनियों को विदेशी पूंजी को आकर्षित करने और व्यवसाय करने के क्लाइमेट-फ्रेंडली तरीक़े को तेजी से अपनाने के लिए प्रोत्साहित करेगा, जिसका उद्देश्य या तो इस तरह से काम करने वाली कंपनियों के साथ अनुबंध करना होगा. इसे ‘वर्चुअस सस्टेनेबल इनवेस्टमेंट साइकल’ कहा गया है (स्टीफेंसन, 2020).
इसके साथ ही सप्लायर्स डेवलपमेंट प्रोग्राम घरेलू फर्मों को विदेशी फर्मों द्वारा आवश्यक गुणवत्ता, लागत और पैमाने पर सामान और सेवाएं प्रदान करने के लिए आवश्यक तकनीक़ी सहायता और क्षमता निर्माण में मदद कर सकते हैं. सप्लायर्स डेवलपमेंट प्रोग्राम घरेलू कंपनियों को प्रमाणपत्र प्राप्त करने और टिकाऊ संचालन के मानकों तक पहुंचने में मदद करने के लिए भी काम कर सकते हैं, आपूर्तिकर्ता डेटाबेस में परिलक्षित हो सकता है. जब टिकाऊ संचालन के बारे में जानकारी आपूर्तिकर्ता डेटाबेस में शामिल की जाती है, तो डेटाबेस को ‘सप्लायर डेटाबेस विद सस्टेनेबिलिटी डायमेनशन्स’ (एसडी2) के रूप में जाना जाता है. पहला एसडी2 कंबोडिया विकास परिषद (सीडीसी) द्वारा विश्व आर्थिक मंच (सीडीसी, 2023) के सहयोग से बनाया गया था. ऐसे में दूसरी अर्थव्यवस्थाएं यह सुनिश्चित करना चाहेंगी कि उनके आपूर्तिकर्ता डेटाबेस में ससटेनेबिलिटी डायमेंशन भी शामिल हों.
चित्र 7. उपाय 2 को रोल आउट करने के चरण
स्रोत: विश्व आर्थिक मंच और वेवटेक/एफडीआई इंटेलिजेंस (आगामी)
उपाय 3. उन्हें आपको मदद करने में सहायता करें
उपायों की तीसरी श्रेणी मेज़बान अर्थव्यवस्थाओं में निवेश के मौक़ों के लिए बहुराष्ट्रीय उद्यमों (एमएनई) की जलवायु प्रतिबद्धताओं को मैप करना और समर्थित और सत्यापित कार्बन-तटस्थ जलवायु-अनुकूल निवेश परियोजनाओं की एक पाइपलाइन को तैयार करने से जुड़ा है, जो एमएनई को अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा करने में मदद करेगी. मेज़बान सरकार द्वारा निवेश परियोजनाओं की पाइपलाइन का समर्थन उन देशों में निवेश को जोख़िम से मुक्त करता है जिनमें अपेक्षाकृत अधिक जोख़िम या अनप्रेडक्टिबिलिटी हो सकती है.
इसके साथ ही किसी तीसरे पक्ष द्वारा जांच से पुष्टि और सत्यापन होता है कि निवेश को क्लाइमेट फ्रेंडली तरीक़े से डिज़ाइन और कार्यान्वित किया जाएगा. यह निवेशकों के लिए जलवायु निवेश को आगे बढ़ाने के लिए अधिक निश्चितता पैदा करता है, क्योंकि साक्ष्य से पता चलता है कि निवेश निर्णय लेने के लिए निश्चितता और पूर्वानुमान बेहद ज़रूरी है.
चित्र 8. उपाय 3 को रोल आउट करने के चरण
स्रोत: विश्व आर्थिक मंच और वेवटेक/एफडीआई इंटेलिजेंस (आगामी)
निवेश अधिकारी एमएनई जलवायु प्रतिबद्धताओं का निर्धारण कैसे कर सकते हैं? तालिका 1 विभिन्न प्लेटफॉर्मों का एक स्नैपशॉट प्रदान करती है जहां यह जानकारी उपलब्ध हो सकती है. इससे इन सार्वजनिक प्रतिबद्धताओं और जलवायु एफडीआई परियोजनाओं के बीच एक अच्छी अनुकूलता की शुरुआत की जा सकती है जिसे एक अर्थव्यवस्था प्रस्तावित कर सकती है.
तालिका 1. एमएनई जलवायु प्रतिबद्धताओं की पहचान करने के संभावित स्रोत
Platforms |
Description |
Strengths & Weaknesses |
Examples |
1. Company websites & social media |
• MNEs may publish their climate commitments, corporate sustainability reports and progress reports on their own websites.
• This allows MNEs to showcase sustainability efforts and report on progress made in achieving targets to a wider audience.
• Platforms like LinkedIn and Twitter can be used to publish progress reports and engage in conversations with stakeholders.
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• Direct engagement with stakeholders and key interest groups.
• MNE is accountable to the wider public if climate commitments/pledges are published online.
• MNE controls messaging on their websites.
• No requirement for commitments to be specific, or mandatory progress reporting to be published on websites.
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• Nestlé published commitment to net-zero emissions by 2050, using 100% renewables in its operation by 2025[f]
• American Airlines published their ESG Report which states their action plan of reaching net zero carbon emissions by 2020[g]
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2. Sustainability and reporting platforms/ rankings |
• Several third-party platforms publish and report on MNE climate commitments to manage their environmental impacts.
• In most cases, this information is self-reported and in some cases, independently verified.
• Key metrics that are collected and reported on include: GHG emissions, renewable. electricity usage, supply chain emissions, carbon reduction targets and progress made in achieving them.
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• Publishing commitments on a recognised third-party platform can increase the credibility of a company’s climate commitments.
• Publishing commitments on a third-party platform may garner the MNE greater visibility (beyond their own website/social media).
• Several reporting platforms and rankings offer benchmarking services that will allow MNEs to compare their commitments and performance against peers or the industry standard.
• Participating in a third-party platform may not always be free (e.g. fee for participation, data collection, consultation).
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• SBTi[h]
• CDP[i]
• Ecovadis[j]
• Sustainability Accounting Standards Board[k]
• The Climate Pledge (initiative supported by Amazon and Global Optimism) has been joined by more than 300 businesses across 51 industries and 29 countries[l]
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3.Industry-specific initiatives |
• Some industry have their own sustainability initiatives and platforms for industry players to publish their climate commitments/pledges. |
• Allows comparison and comparability of MNE commitments across the industry, and can promote collaboration as companies share best practices in achieving climate commitments.
• May promote a one-size-fits-all approach to climate commitments, which may not be meaningful depending on industry composition.
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• First Mover Coalition[m] |
स्रोत: विश्व आर्थिक मंच और वेवटेक/एफडीआई इंटेलिजेंस (आगामी)
उपाय 4. आईआईए में जलवायु के 5 सी: क्लैरिफिकेशन, कोऑर्डिनेशन, कॉम्पिटेंस, कम्पेल, कार्व आउट
उपायों की चौथी श्रेणी अंतर्राष्ट्रीय निवेश समझौतों (आईआईए) में जलवायु एफडीआई प्रावधानों को शामिल करना है, जिसका उद्देश्य लीगल टूल्स के साथ ऊपर बताए गए दृष्टिकोणों को मिलाना है.
य़ूएनसीटीएडी (2022ए, 2022बी) और ओईसीडी (2022) दोनों के प्रयासों के तहत, आईआईए की एक नई पीढ़ी विकसित की जा रही है. पहले के आईआईए में सुधार करना और ऐसे टूल्स विकसित करने में मदद करना जो समाज के जलवायु लक्ष्यों को सटीक रूप से दर्शाते हों. सीधे तौर पर, ऐसे कई तरीक़े हैं जिनसे जलवायु एफडीआई लक्ष्यों को आईआईए की नई पीढ़ी के भीतर खंडों और प्रावधानों में एकीकृत किया जा सकता है (तालिका 2 देखें).
इन्हें आईआईए में जलवायु के पांच सी द्वारा पकड़ा जा सकता है:
- संधि किस प्रकार जलवायु लक्ष्यों से संबंधित है और उन्हें कवर करती है, इस पर क्लैरिफिकेशन क्लॉज़/प्रोविजन्स
- कोऑर्डिनेशन क्लॉज़ जो पार्टियों के बीच जलवायु एफडीआई की सुविधा को प्रोत्साहित करते हैं
- कॉम्पिटेंस क्लॉज़ जो जलवायु लक्ष्यों के लिए विनियमन के राज्य के अधिकार को दर्शाते हैं
- कॉम्पेल प्रोविजन्स जिनके लिए पार्टियों और उनकी फर्मों को मानकों या कार्यों का पालन करने की आवश्यकता होती है
- कार्व आउट प्रोविजन्स जो जलवायु संबंधी नकारात्मक निवेशों को समान सुरक्षा प्रदान ना करें.
तालिका 2. आईआईए और उदाहरणों में जलवायु एफडीआई प्रावधानों को शामिल करने के तरीक़े
स्रोत: विश्व आर्थिक मंच और वेवटेक / एफडीआई इंटेलिजेंस (आगामी), यूएनसीटीएडी (2022a और 2022b) और ओईसीडी (2022) पर आधारित
आईआईए की समीक्षा और सुधार करते समय या नए आईआईए विकसित करते समय यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि टेक्स्ट स्थायी उद्देश्यों और जलवायु उद्देश्यों के साथ संरेखित हो, साथ ही निवेश को बढ़ावा, सुविधा और सुरक्षा भी मिले. विचार करने के लिए एक सुझाया गया पहलू उन क्लॉज़ को शामिल करना हो सकता है जो जलवायु एफडीआई (या अधिक व्यापक रूप से टिकाऊ निवेश) को प्रोत्साहित और सुविधाजनक बनाते हैं, क्योंकि प्रथम दृष्टया इसमें केवल फायदे होंगे और कोई नुक़सान नहीं होगा, ऐसे प्रोविज़न्स से जलवायु एफडीआई को समर्थन और बढ़ावा देने में मदद मिलने की संभावना है. यह दृष्टिकोण ऊपर दूसरे ‘सी’ 2. कोऑर्डिनेशन द्वारा दर्शाया गया है.
यह स्वीकार करने योग्य है कि कानूनी पक्ष से जलवायु एफडीआई तक पहुंचने में पहले के किसी भी उपाय की तुलना में अधिक समय लगेगा, जिसे सुविधाजनक बनाया जा सकता है. हालांकि इसमें अधिक समय और प्रयास लगने के बावज़ूद समय के साथ लीगल टूल्स में जलवायु एफडीआई प्रावधानों का इन निवेशों को बढ़ाने पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ने की संभावना है. चित्र 9 बताता है कि निवेश अधिकारी इस प्रक्रिया को कैसे अपना सकते हैं.
चित्र 9. उपाय 4 को रोल आउट करने के चरण
स्रोत: विश्व आर्थिक मंच और वेवटेक/एफडीआई इंटेलिजेंस (आगामी)
सिफ़ारिश 3. जलवायु के लिए आईपीए का गठबंधन बनाने पर विचार करें.
जलवायु एफडीआई उपायों को क्रियान्वित करने और इस तरह के निवेश को बढ़ाने पर बड़े पैमाने पर सहयोग में मदद करने का एक तरीक़ा जलवायु के लिए आईपीए के संभावित गठबंधन के माध्यम से हो सकता है.[n] इस पर फिलहाल विचार किया जा रहा है और संभावनाएं हैं कि जनवरी 2024 में दाओस में होने वाली बैठक में इसे लॉन्च कर दिया जाए. हालांकि वर्ल्ड एसोसिएशन ऑफ इन्वेस्टमेंट प्रोमोशन एजेंसी ( ड्ब्ल्यएआईपीए) जो इसका समर्थन कर रही है उसकी भूमिका काफी बढ़ जाती है.
व्यावहारिक दृष्टि से गठबंधन क्या करेगा? पहले कदम के रूप में गठबंधन के सदस्य पहले सीईओ स्तर पर एक बयान का समर्थन करेंगे – जो जनवरी 2023 में दावोस में प्रसारित और चर्चा की गई थी (अनुलग्नक देखें) – जलवायु एफडीआई बढ़ाने के महत्व और ऐसा करने के लिए जलवायु एफडीआई उपायों का उपयोग करने के अवसर को लेकर. दूसरे कदम के रूप में, गठबंधन के सदस्यों का लक्ष्य जलवायु एफडीआई उपायों को लागू करने के लिए गाइडबुक का उपयोग करना होगा.
जलवायु लक्ष्यों के समर्थन में एक्शन को मोबिलाइज़ करने के लिए कई दूसरे कोलिजन मेकेनिज्म़ हैं, यह पहली बार होगा कि आईपीए ख़ास तौर से इन प्रयासों में अपनी आवाज़ और ताक़त को शामिल करने जा रहे हैं. उदाहरण के लिए, फर्स्ट मूवर्स गठबंधन ने अब तक 65 कंपनियों और कम से कम 10 सरकारी भागीदारों को एक साथ लाने का काम किया है, जिन्होंने ख़रीददारी के निर्णयों (अमेरिकी विदेश विभाग, 2022) के माध्यम से कार्बन लक्ष्यों का समर्थन करने के लिए ख़ुद को प्रतिबद्ध किया है. इस बीच, जलवायु पर व्यापार मंत्रियों का गठबंधन 50 देशों के मंत्रियों को एक मंच पर लाता है जो जलवायु लक्ष्यों (ईसी, 2023) के लिए व्यापार का लाभ उठाने पर सहमत हुए हैं. इस पहेली में इनवेस्टमेंट का हिस्सा जोड़ने से सभी पक्षों को जलवायु लक्ष्यों को बेहतर ढंग से प्राप्त करने में मदद मिल सकती है, यह देखते हुए कि निवेश और व्यापार एक ही सिक्के के दो पहलू हैं और ख़रीद को निवेश का एक रूप माना जा सकता है.
इसके अलावा एफडीआई फ्लो तेज़ी से दोतरफा हो रहा है. आईपीए ना केवल आंतरिक एफडीआई की सुविधा प्रदान करता है बल्कि ऑउटवर्ड एफडीआई की भी सुविधा प्रदान करता है (चित्र 10, लाल बॉक्स देखें). यह इस अहसास के कारण है कि बाहरी एफडीआई से फर्मों और घरेलू अर्थव्यवस्थाओं की वृद्धि और प्रतिस्पर्द्धा बढ़ सकती है जो विकास के लिए आवक एफडीआई के पूरक चैनल के रूप में कार्य कर सकता है (स्टीफेंसन और पेरिया, 2018). परिणामस्वरूप G20 अर्थव्यवस्थाओं के आईपीए के बीच दो-तरफा, पारस्परिक रूप से लाभकारी जलवायु एफडीआई सुविधा की संभावना है, क्योंकि एक अर्थव्यवस्था की इनवर्ड एफडीआई परिभाषा के अनुसार दूसरी अर्थव्यवस्था की आउटवर्ड एफडीआई है (स्टीफेंसन, 2018).
चित्र 10. आईपीए के मैंडेट की घटनाएं (2019, एन = 91).
स्रोत: सांचिज़ विसेंट और ओमिक (2020)
4.निष्कर्ष
दुनिया को अपने जलवायु लक्ष्यों को प्राप्त करने और उसे वितरित करने में मदद के लिए अधिक निवेश की आवश्यकता है – लेकिन शुरुआत कहां से करें? इस पॉलिसी ब्रीफ में चार ठोस, व्यावहारिक उपायों की रूपरेखा दी गई है जिन पर G20 नीति निर्माता विचार कर सकते हैं और ऐसा कैसे किया जाए इसके लिए चरण-दर-चरण सुझाव प्रदान दिए गए हैं. इन उपायों को जलवायु एफडीआई सुविधा पर एक गाइडबुक में शामिल किया गया है और आगे विकसित किया गया है, जो हर समाधान पर ज़्यादा से ज़्यादा विवरण मुहैया कराता है, एक पूरक संसाधन के रूप में काम कर सकता है. जलवायु के लिए आईपीए का गठबंधन इस क्षेत्र में सहयोग को बढ़ाने में मदद कर सकता है, जिससे G20 अर्थव्यवस्थाओं और दुनिया के लिए पारस्परिक रूप से लाभप्रद नतीज़े हासिल हो सकते हैं.
Attribution: Matthew Stephenson and Samir Saran, “Creating a Climate-Friendly Investment Climate,” T20 Policy Brief, May 2023.
Annex
References
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[a] “Climate FDI can be determined on the basis of investment impact, rather than the traditional methodology of defining FDI based on investor motivation (Dunning, 1982). In other words, climate FDI is any investment that leads to measurable improvement in climate conditions in a host economy, regardless of sector or activity” (Stephenson and Zhang, 2022: 6).
[b] Related work by Joachim Monkelbaan and Jose Vieira Martins had identified a longer universe of 38 different policies and measures, which was synthesised and prioritised through an internal working group at the World Economic Forum.
[c] Virtual and in-person meetings of the community to discuss climate FDI policies and measures took place on 21 July 2022, 9 November 2022 at COP27, 14 December 2022, 18 January 2023 at the World Economic Forum Annual Meeting in Davos, and on 29 March 2023.
[d] To help produce the Guidebook, specialized consulting firm WAVTEQ was selected as a partner, and has helped build out information on the top climate FDI measures through additional interviews and research. WAVTEQ has since been acquired by The Financial Times.
[e] Fiscal incentives to attract FDI will lose some of their effectiveness following the OECD Base Erosion and Profit Shifting (BEPS) process. If host states levy less than the 15 percent minimum tax on firm profits, other specified jurisdictions can charge a ‘top-up’ tax and pocket this amount, incentivising host states to meet the 15 percent threshold or lose fiscal revenue without gaining investment attractiveness. Please see Stephenson and Zhan, “We’ve entered a new era for investment policy and promotion”, forthcoming. The authors also wish to acknowledge Karl Sauvant for raising this point during the 29 March 2023 consultation.
[f] Climate action | Nestlé Global (nestle.com)
[g] American Airlines ESG – American Airlines (aa.com)
[h] How it works – Science Based Targets
[i] Home – CDP
[j] EcoVadis
[k] SASB
[l] The Climate Pledge | Be the planet’s turning point
[m] About > First Movers Coalition | World Economic Forum (weforum.org)
[n] This idea was first proposed by Soumyajit (‘Jeet’) Kar, Specialist, Sustainable Trade and Resource Circularity, World Economic Forum.
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