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प्राइवेट डिजिटल करेंसी का उदय सेंट्रल बैंकों के नियंत्रण के लिए एक संभावित चुनौती है. ये नया बदलाव और संभावनाएं लेकर आई है जो स्थापित व्यवस्था को छिन्न भिन्न कर सकती है.
पैसे की कीमत, सप्लाई और सर्कुलेशन के ऊपर अधिकार आर्थिक व्यवस्था को आकार देने और किसी देश के रास्ते के बारे में महत्वपूर्ण असर रखता है. सेंट्रल बैंक और सरकारें मुद्रा को संभालने, उनके ज़रिए आर्थिक नीतियों को आकार देने, ब्याज दरों पर नियंत्रण और व्यापक आर्थिक स्थिरता को सुनिश्चित करने में एक निर्णायक भूमिका अदा करती हैं. ये नियंत्रण सीधे व्यापार, निवेश और संपूर्ण राष्ट्रीय समृद्धि पर असर डालता है. लेकिन प्राइवेट डिजिटल करेंसी का उदय सेंट्रल बैंकों के नियंत्रण के लिए एक संभावित चुनौती है. ये नया बदलाव और संभावनाएं लेकर आया है जो स्थापित व्यवस्था में रुकावट डाल सकता है.
सेंट्रल बैंक अपने उद्देश्यों को हासिल करने के लिए कई तरह के कदम उठाते हैं जैसे कि ब्याज दर तय करके दाम की स्थिरता बरकरार रखते हैं और आर्थिक विकास को बढ़ावा देते हैं.
सार्वजनिक संस्थान के रूप में सेंट्रल बैंकों के पास मौद्रिक नीति (मॉनेटरी पॉलिसी) को लागू करने, मुद्रा को संभालने और पैसे की सप्लाई पर नज़र रखने का महत्वपूर्ण काम है. सेंट्रल बैंक अपने उद्देश्यों को हासिल करने के लिए कई तरह के कदम उठाते हैं जैसे कि ब्याज दर तय करके दाम की स्थिरता बरकरार रखते हैं और आर्थिक विकास को बढ़ावा देते हैं. सेंट्रल बैंक पैसे के सर्कुलेशन को रेगुलेट करते हैं, सिक्का एवं नोट जारी करते हैं और स्थिर विनिमय दरों (स्टेबल एक्सचेंज रेट) को सुनिश्चित करते हैं. ये सेंट्रल बैंक के कार्यक्षेत्र के भीतर है कि वो आधिकारिक रिज़र्व बरकरार रखे और वित्तीय सिस्टम की स्थिरता को सुरक्षित रखे.
बिटकॉइन जैसी डिजिटल करेंसी मौद्रिक नीति और करेंसी को लेकर केंद्रीय बैंकों के नियंत्रण को चुनौती देती हैं. सरकारें और सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी के द्वारा पूंजी नियंत्रण को बिगाड़ने, आपराधिक बर्ताव को बढ़ावा देने और इंटरमीडियरी (बीच के लोग) को खत्म करके पारंपरिक वित्तीय सिस्टम में रुकावट डालने की उनकी क्षमता को लेकर सतर्क रहते हैं.
बिटकॉइन का विकेंद्रित स्वरूप (डिसेंट्रलाइज़्ड नेचर) सेंट्रल बैंक की ज़रूरत को ख़त्म करता है क्योंकि ये किसी को भी करेंसी बनाने की अनुमति देता है और सीधे पीयर-टू-पीयर ट्रांसफर को सक्षम बनाता है. सिस्टम में ये बदलाव इंटरमीडियरी के ज़रिए आर्थिक नीतियों के प्रबंधन में सरकारों की भूमिका को बेकार कर सकता है, पैसे की सप्लाई, ब्याज दरों और मैक्रोइकोनॉमिक स्टेबिलिटी के ऊपर संप्रभु नियंत्रण पर असर डाल सकता है. वित्तीय रेगुलेशन, जिनमें एंटी मनी लॉन्ड्रिंग (AML) और नो योर कस्टमर (KYC) की आवश्यकताएं शामिल हैं, के उल्लंघन को लेकर भी चिंताएं खड़ी होती हैं.
म्यांमार की मुद्रा क्यात से जुड़ी DMMK NUG को इस बात की अनुमति देती है कि वो स्वतंत्र रूप से इसका एक्सचेंज रेट तय करे. इसका नतीजा मार्केट एक्सचेंज रेट और सैन्य सरकार के द्वारा निर्धारित आधिकारिक एक्सचेंज रेट के बीच असमानता के रूप में निकलता है.
सरकारें डिजिटल मुद्राओं की बढ़ती लोकप्रियता पर भी करीब से नज़र रख रही हैं. इसकी वजह वित्तीय स्थिरता को बरकरार रखना और उपभोक्ताओं के हितों की सुरक्षा करना है. प्राइवेट डिजिटल करेंसी का उदय सेंट्रल बैंकों और सरकारों के सामने एक चुनौती है क्योंकि नागरिकों के लिए अब ये संभव हो गया है कि वो सेंट्रल बैंकों और सरकारों के नियंत्रण के बाहर वैकल्पिक मुद्राओं को चुनें. इस तरह सेंट्रल बैंकों और सरकारों के द्वारा वित्तीय प्रणाली पर लगाए जा सकने वाले नियंत्रण की सीमा कमजोर होती है. इसके अलावा केंद्रीय बैंक और सरकारें अगर अपने नागरिकों की करेंसी की प्राथमिकता के ऊपर नियंत्रण की क्षमता खो दें तो मॉनेटरी पॉलिसी को तय करने में उनकी भूमिका और प्रासंगिकता पर भी सवाल खड़े हो सकते हैं.
म्यांमार में नेशनल यूनियन गवर्नमेंट (NUG) सेना के द्वारा नियंत्रित अर्थव्यवस्था को बिगाड़ने और टैक्स लागू करने की क्षमता नहीं होने के कारण विरोध के लिए फंड इकट्ठा करने के मक़सद से क्रिप्टोकरेंसी का फायदा उठा रही है. 2021 में सैन्य विद्रोह के कारण लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गई सरकार को सत्ता से बाहर करने के बाद NUG का उदय हुआ. बाद में सैन्य सरकार ने NUG को एक आतंकी संगठन घोषित कर दिया जिसकी वजह से NUG के लिए सैनिकों, साजो-सामान और म्यांमार में मौजूद अनेकों सेना-विरोधी हथियारबंद संगठनों के लिए खर्च का इंतज़ाम करने के उद्देश्य से डोनेशन इकट्ठा करने में मुश्किल हो गई.
NUG ने सेना की निगरानी से बचने के लिए डिजिटल म्यांमार क्यात (DMMK) को जारी किया. म्यांमार की मुद्रा क्यात से जुड़ी DMMK NUG को इस बात की अनुमति देती है कि वो स्वतंत्र रूप से इसका एक्सचेंज रेट तय करे. इसका नतीजा मार्केट एक्सचेंज रेट और सैन्य सरकार के द्वारा निर्धारित आधिकारिक एक्सचेंज रेट के बीच असमानता के रूप में निकलता है. इसके साथ के एक ऐप NUGpay का इस्तेमाल करके वॉलंटियर एजेंट उन यूज़र को साथ ला सकते हैं जो सैन्य सरकार का विरोध करते हैं और सेना के दखल के बिना डोनेशन इकट्ठा कर सकते हैं. DMMK के इस्तेमाल ने NUG के लिए व्यापक लोगों तक पहुंचना भी आसान बना दिया है. NUGpay बिना ट्रांज़ैक्शन फीस के सीमा पार भुगतान की सुविधा देता है और इस तरह अमेरिका जैसे देशों में मौजूद कार्यकर्ताओं को प्रवासी समुदायों से दान जमा करने और उस पैसे को म्यांमार भेजने की अनुमति देता है.
वैसे तो DMMK का फोकस डोनेशन पर है लेकिन इसने देश के कुछ हिस्सों में एक स्वतंत्र मुद्रा के रूप में उम्मीदें पैदा की हैं. NUG के अधिकारियों के अनुसार उसके नियंत्रण वाले क्षेत्रों में कुछ रेस्टोरेंट्स ने कानूनी मुद्रा के रूप में DMMK को स्वीकार करना शुरू कर दिया है. सेना की तरफ से जारी मुद्रा क्यात और DMMK के बीच अंतर केवल भुगतान के दो रूपों में विकल्प को लेकर नहीं है बल्कि ये बताता है कि म्यांमार के लोग किस शासन को वैध मानते हैं. म्यांमार की बंटी हुई वित्तीय प्रणाली और संप्रभुता की वैधता के लिए इसके नतीजे को देखते हुए ये साफ है कि दुनिया भर की सरकारें डिजिटल करेंसी को लेकर सावधानी क्यों बरत रही हैं. जब सरकारें फिएट करेंसी (सरकार के द्वारा जारी मुद्रा जो सोने जैसी वस्तु से समर्थित नहीं है) को डिजिटल करेंसी के सामने अपनी पकड़ खोने की इजाज़त देती हैं तो इसके साथ-साथ मौद्रिक नीति बनाने और प्रभावी तौर पर अपने देश के मामलों का निपटारा करने की क्षमता भी खो देती हैं.
वैसे तो डिजिटल युआन एशिया में काफी लोकप्रियता हासिल कर रहा है लेकिन क्रिप्टोकरेंसी और सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) को लेकर चीन विपरीत विचार रखता है. क्रिप्टोकरेंसी को जहां वैध मुद्रा की मान्यता नहीं दी गई है और इस पर सख्त पाबंदी लगी हुई है वहीं चीन अपनी मुद्रा को अंतर्राष्ट्रीय बनाने और अमेरिका के नियंत्रण वाले वित्तीय नेटवर्क पर निर्भरता कम करने की रणनीति के तहत डिजिटल युआन को काफी बढ़ावा दे रहा है.
2013 में चीन ने आधिकारिक मुद्रा के रूप में रेनमिन्बी (RMB) की स्थिति की रक्षा के लिए कई उपायों की शुरुआत की. इन उपायों के तहत वित्तीय संस्थानों को बिटकॉइन से जुड़ी गतिविधियों में भागीदार बनने से रोका गया ताकि मनी लॉन्ड्रिंग के रिस्क को रोका जा सके और वित्तीय स्थिरता बरकरार रहे. इसके बाद सितंबर 2021 में चीन ने सभी क्रिप्टोकरेंसी के लेन-देन को अवैध घोषित करके और विदेशी प्लैटफॉर्म तक पहुंच को ब्लॉक करके अपने रवैये को और कड़ा कर लिया.
चीन क्रिप्टोकरेंसी के बढ़ते वैश्विक प्रभाव को मानता है और डिजिटल पैसे को दुनिया भर में मौद्रिक विकेंद्रीकरण (मॉनेटरी डिसेंट्रलाइज़ेशन) और फाइनेंशियल इकोसिस्टम को फिर से बनाने के लिए एक संभावित उत्प्रेरक (कैटेलिस्ट) के तौर पर देखता है. यूरोपियन यूनियन के साथ-साथ चीन के नेताओं ने फेसबुक की डायम डिजिटल करेंसी (जिसे अब त्याग दिया गया है) को एक महत्वपूर्ण जोखिम के रूप में माना जिसमें मौद्रिक नीति के ऊपर उनके अधिकार को ख़त्म करने और अधिक मौद्रिक स्वतंत्रता की उनकी तलाश में बाधा बनने की क्षमता थी. जहां वैश्विक ताकत बढ़ाने के माध्यम के रूप में चीन की CBDC को लेकर अलग-अलग राय हैं वहीं क्रिप्टोकरेंसी पर व्यापक प्रतिबंध चीन के द्वारा अपनी मौद्रिक संप्रभुता की रक्षा करने की प्रतिबद्धता को दिखाता है.
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने क्रिप्टो-एसेट्स इकोसिस्टम के साथ जुड़े बढ़ते रिस्क का समाधान करने के लिए निर्णायक कदम की आवश्यकता पर ज़ोर दिया है. मुख्य चिंता स्टेबलकॉइन के साथ जुड़े जोखिमों को संभालना है जिसका उद्देश्य फिएट करेंसी की तुलना में स्थिर कीमत बनाये रखना है लेकिन मनी मार्केट फंड से मिलता-जुलता है. ये स्टेबलकॉइन रिडेंपशन (स्टॉक, बॉन्ड, म्यूचुअल फंड के मूलधन को निवेशक को लौटाना) और निवेशकों की घबराहट के संभावित जोखिम को लेकर संवेदनशील है जिसकी वजह से सावधानीपूर्वक राहत के उपायों की ज़रूरत होती है. इसके आगे RBI ने प्राइवेट करेंसी के ख़िलाफ़ हिदायत दी है और उनकी अस्थिरता उत्पन्न करने और पैसे की सप्लाई, ब्याज दरों एवं व्यापक आर्थिक स्थिरता (मैक्रोइकोनॉमिक स्टेबिलिटी ) पर संप्रभु नियंत्रण को कमजोर करने की उनकी क्षमता पर ज़ोर दिया है, विशेष रूप से विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में. भारत की अपनी CBDC डिजिटल रुपये की शुरुआत को क्रिप्टो-एसेट्स इकोसिस्टम के द्वारा पेश की गई चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए एक सामरिक जवाब के तौर पर देखा जा सकता है.
भारत की अपनी CBDC डिजिटल रुपये की शुरुआत को क्रिप्टो-एसेट्स इकोसिस्टम के द्वारा पेश की गई चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए एक सामरिक जवाब के तौर पर देखा जा सकता है.
RBI के गवर्नर शक्तिकांत दास ने एक चेतावनी जारी की और क्रिप्टो करेंसी की सट्टेबाज़ी से जुड़ी प्रकृति और मूलभूत मूल्यों की कमी की वजह से इसका हवाला एक महत्वपूर्ण ख़तरे के तौर पर दिया. वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट (फाइनेंशियल स्टेबिलिटी रिपोर्ट) में दास ने वित्तीय सेक्टर पर तकनीक के सकारात्मक असर के बावजूद इसकी वजह से उभरते जोखिमों और वित्तीय स्थिरता में संभावित गड़बड़ी के बारे में चौकन्ना रहने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया.
केंद्रीय बैंकों के लिए मौद्रिक नीति में मुद्रा सबसे बड़ी भूमिका निभाती है. तकनीकी तरक्की ने डिजिटल करेंसी के लिए रास्ता तैयार किया है, मौद्रिक नियंत्रण के पैमाने और संभावित तौर-तरीके में क्रांति आ गई है. लेकिन प्राइवेट डिजिटल करेंसी के विकास को आगे बढ़ाने के बारे में आम राय अभी तक बन नहीं पाई है. अलग-अलग देशों में अलग-अलग नजरिया देखा जा सकता है. चीन ने जहां क्रिप्टो से जुड़ी सभी गतिविधियों पर सख्त पाबंदी को लागू किया है वहीं भारत जैसे देश राजकोषीय बाधाओं को लागू करके कुछ हद तक अस्पष्ट रेगुलेटरी रवैया अपनाए हुए हैं. इन विचार-विमर्श के मूल में मौद्रिक संप्रभुता की धारणा है जिसका उदाहरण म्यांमार में सेना के द्वारा जारी क्यात और DMMK से मिलता है जो मुद्रा पर नियंत्रण और सत्ता को कानूनी बनाने के बीच पारस्परिक प्रभाव (इंटरप्ले) को रेखांकित करता है.
डिजिटल करेंसी के साथ सरकारों का सह-अस्तित्व अंतत: लोगों और सरकारी संस्थानों की पसंद पर निर्भर करता है और इन बदलावों को आकार देने में विश्वास एक निर्णायक भूमिका निभाता है. क्रिप्टो करेंसी का आकर्षण उसके विकेंद्रित स्वरूप में है जहां किसी केंद्रीय प्राधिकरण (सेंट्रल अथॉरिटी) की आवश्यकता नहीं है और भरोसा सरकार के बदले सिस्टम में जताया जाता है. सेंट्रल बैंक और सरकारें अपनी मुद्रा के ऊपर अधिकार बरकरार रखने की कोशिश करती हैं, ये सुनिश्चित करती हैं कि मौद्रिक नीति के ऊपर उनका नियंत्रण बना रहे. लगता है कि ये मूलभूत अंतर बना रहेगा जिसमें भरोसा आखिर में इन नये डिजिटल परिदृश्यों में बदलाव पर नियंत्रण रखेगा.
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Sauradeep is an Associate Fellow at the Centre for Security, Strategy, and Technology at the Observer Research Foundation. His experience spans the startup ecosystem, impact ...
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