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नई दिल्ली को यह बात समझनी होगी कि सैन्य क्षमताओं के मुकाब�
चीनबरोबरच्या सीमेवर गस्त घालण्याच्या नव्या करारानुसार,
दिल्ली आणि बीजिंग यांच्यातील चर्चेबाबत दाखवण्यात आलेला
दिल्ली और बीजिंग के बीच बातचीत को लेकर दिखाया जा रहा आशाव�
भारत को इस भुलावे में नहीं रहना चाहिए कि दोनों देशों की सी
भारत आणि चीन या दोन्ही देशांमध्ये संवाद सुरू असताना LAC वर �
हालांकि भारत और चीन ने बातचीत जारी रखी हुई है, लेकिन एलएसी
दक्षिण चीन सागर के मुद्दे जटिल बने हुए हैं, लेकिन क्षेत्र
मोदी सरकार से इस मसले पर कई गंभीर चूक हुई है. एक ग़लती तो ये
भारत-चीन सीमा विवाद के पूर्व भारत वन चाइना पालिसी पर आस्�
जिस तरह इस क्षेत्र में तेज़ी से परिस्थितियां बदल रही हैं �
मोदी सरकार से इस मसले पर कई गंभीर चूक हुई है. एक ग़लती तो ये
पश्चिमी लोकतांत्रितक देशों को सीसीपी की ‘ख़ुशामद करने व�
आज भारत को एक ऐसे देश से चुनौती मिल रही है, जिसके नेतृत्व क�
चीनचे मूल्यांकन अन्यथा सांगूनही भारताने आपल्या सीमेवर चीनच्या उपस्थितीबद्दल सावध राहिले पाहिजे.
भारत आणि चीन यांच्यातील सध्याच्या सीमासंकटाचे मूळ इतिहासात आहे. इतिहासातील पानांपासून अद्यापही सुरू असलेला हा संघर्ष आता नव्या वळणावर पोहचला आहे.
संपूर्ण जग आज कोरोनासोबत लढत असताना, चीन भारतासोबतच्या सीमेवर याच वेळेस घुसखोरी का करतो? या मागची धोरणात्मक उद्दिष्ट्ये समजून घ्यायला हवीत.
चीन की तीन ‘थ्री वारफेयर’ स्ट्रैटेजी (TWS) यानी तीन युद्ध की रणनीति को जनता की राय अर्थात लोक-मत, मनोवैज्ञानिक और क़ानूनी युद्ध के तौर पर समझा जाता है. चीन की इस रणनीति को देखा ज
भारत-चीन सीमा विवाद के पूर्व भारत वन चाइना पालिसी पर आस्था व्यक्त करता रहा है लेकिन चीन के साथ सीमा विवाद गहराने पर भारत ने अपनी नीति में बदलाव के संकेत दिए हैं. ऐसे में स�
सीमावर्ती क्षेत्रों में अवसंरचना बनाकर और सैन्य-नागरिक जुगलबंदी से स्थलीय एवं सामुद्रिक सीमा का अतिक्रमण करना चीनी तिकड़म का एक प्रमुख हिस्सा रहा है. इस साल चीन ने तिब्बत
2020 के बाद से लद्दाख में चीन की गतिविधियां दोनों देशों के बीच बनी आम समझ अथवा सहमति का उल्लंघन हैं. इसके चलते दोनों देशों के बीच चल रहा सीमा विवाद पुन: द्विपक्षीय संबंधों के के�
चीन के रक्षा मंत्री के दौरे से आपसी संबंधों में प्रगति होगी, ये कहना मुश्किल है. कुछ दिन पहले भी चीन के विदेश मंत्री भारत आए थे, उस वक्त भी ऐसे कयास लगाए जा रहे थे, लेकिन कुछ हुआ
बैठका होत आहेत, परंतु चीनने प्रत्यक्ष नियंत्रण रेषेच्या अचूकतेचा वापर करून भारताचा समतोल राखण्याचा प्रयत्न केला तर फारसा बदल होणार नाही.
भारत द्वारा चीन की सीमा पर मौजूद वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलओएसी) के साथ बुनियादी ढांचे के निर्माण की गति ऐतिहासिक रूप से धीमी रही है, जिसकी वजह वित्तीय और सैद्धांतिक बाध्यत