कंपनीज़ एक्ट 2013 के तहत निर्धारित कंपनियों के लिए जब से CSR (कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी) को कानूनी तौर पर अनिवार्य किया गया है, इसने व्यवसायों को समाज और पर्यावरण को फायदा पहुंचाने में सक्षम बनाया है. साथ ही व्यवसाय सामाजिक हितधारकों (स्टेकहोल्डर) की मदद, ब्रैंड की इमेज एवं प्रतिष्ठा बढ़ाने और काम-काज करने वालों के हौसले बढ़ाने में भी समर्थ हुए हैं.
जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करने के लिए बढ़ती वैश्विक प्रतिबद्धता के साथ ESG के कॉनसेप्ट को लेकर अधिक स्पष्टता इस विषय पर भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) के सर्कुलर और भारतीय बैंक एसोसिएशन की नेशनल वॉलंटरी गाइडलाइंस फॉर रेस्पॉन्सिबल फाइनेंसिंग के बाद आई.
CSR जहां पिछले 10 वर्षों में एक कॉरपोरेट मूलतंत्र बन गया है, वहीं कंपनीज़ एक्ट 2013 में कंपनियों के बिज़नेस प्रोसेस में ऊर्जा संरक्षण के उपायों पर जानकारी मुहैया कराने के उद्देश्य से कंपनियों के लिए ESG (एनवायरमेंट सोशल गवर्नेंस) जानकारी बताने की धारणा की भी शुरुआत की गई थी. जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करने के लिए बढ़ती वैश्विक प्रतिबद्धता के साथ ESG के कॉनसेप्ट को लेकर अधिक स्पष्टता इस विषय पर भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) के सर्कुलर और भारतीय बैंक एसोसिएशन की नेशनल वॉलंटरी गाइडलाइंस फॉर रेस्पॉन्सिबल फाइनेंसिंग के बाद आई.
चूंकि जलवायु परिवर्तन से वैश्विक वित्तीय संपत्ति को 24 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर का नुकसान होने का अनुमान है, ऐसे में एक स्वस्थ पर्यावरण, सामाजिक ज़िम्मेदारी और गुड गवर्नेंस को बढ़ावा देने के लिए ESG अहम बन गया है. हालांकि परंपरागत व्यावसायिक पद्धति से टिकाऊ व्यावसायिक पद्धति की तरफ बदलाव जोखिमों और ऊंची लागत के साथ आता है. ऐसे परिदृश्य में क्या टिकाऊ व्यावसायिक पद्धतियों के लक्ष्यों को अच्छी तरह स्थापित CSR की रूप-रेखा के साथ जोड़ने से ये हरित परिवर्तन के लिए ज़्यादा असरदार बन सकता है?
CSR और हरित परिवर्तन का उदाहरण
साझा नज़रिए के साथ एक मल्टी-स्टेकहोल्डर दृष्टिकोण और सभी आंतरिक एवं बाहरी व्यवसाय के स्टेकहोल्डर का सहयोग सक्षम एवं प्रभावी CSR के लिए ज़रूरी है.
ये दृष्टिकोण अपने ब्रैंड की पहचान को बढ़ाकर, निवेशकों से संबंध में बढ़ोतरी करके, कर्मचारियों की भागीदारी में इज़ाफा करके और जोखिमों को घटाकर व्यवसाय के विकास के लिए महत्वपूर्ण है. इससे हरित परिवर्तन के दायरे को बढ़ाने और सप्लाई चेन एवं मैन्युफैक्चरिंग की प्रक्रिया को ख़रीद की जगह उत्पादन में बदलकर परंपरागत से टिकाऊ व्यावसायिक पद्धति की तरफ बदलाव में तेज़ी लाने में भी मदद मिलती है.
मिसाल के तौर पर, अपनी सप्लाई चेन को ज़्यादा एनर्जी एफिशिएंट बनाने में गूगल के द्वारा 100 मिलियन अमेरिकी डॉलर से ज़्यादा के निवेश ने उसके ग्लोबल ब्रैंड को मज़बूत बनाने और हरित परिवर्तन की तरफ प्रेरित करने में अहम भूमिका निभाई.
मिसाल के तौर पर, अपनी सप्लाई चेन को ज़्यादा एनर्जी एफिशिएंट बनाने में गूगल के द्वारा 100 मिलियन अमेरिकी डॉलर से ज़्यादा के निवेश ने उसके ग्लोबल ब्रैंड को मज़बूत बनाने और हरित परिवर्तन की तरफ प्रेरित करने में अहम भूमिका निभाई. माना जाता है कि इसके हाई-क्वालिटी कार्बन ऑफसेट प्रोग्राम ने रोज़मर्रा के काम-काज को कार्बन-न्यूट्रल बना दिया है और इस तरह सीधे तौर पर SDG (सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल) 13 में योगदान दिया है. फोकस करके तैयार की गई गूगल की CSR पहल ने इसे एनर्जी एफिशिएंट डेटा सेंटर को लागू करने में भी सक्षम बनाया है. गूगल ने अपने सभी कर्मचारियों के लिए नस्लीय जागरूकता कार्यक्रम को शुरू करके DEI (डायवर्सिटी, इक्विटी एंड इन्क्लूज़न) जैसे मॉडल को अपने संगठन की संस्कृति (ऑर्गेनाइज़ेशनल कल्चर) में भी लागू किया है, इस तरह ये काम करने की एक अच्छी जगह (ग्रेट प्लेट टू वर्क) के तौर पर उभरा है. भारतीय मल्टीनेशनल कंपनियों जैसे कि TCS ने DEI को अपनी “अपवाद सहित समावेशन (इन्क्लूज़न विद एक्सेप्शन)” परंपरा का एक मूलभूत हिस्सा बना लिया है.
लो कार्बन-फुटप्रिंट विकास SDG को हासिल करने की कोशिश का उदाहरण है. बड़ी कंपनियां छोटे व्यवसायों को सामूहिक कदम उठाने और जलवायु परिवर्तन के उद्देश्य में योगदान देने में मदद कर सकती हैं. दुनिया के कुल उत्सर्जन में 10 प्रतिशत तक योगदान करने वाली फैशन इंडस्ट्री ने इस तरह की कोशिशों को देखा है. लग्ज़री ब्रैंड शैनेल (Chanel) ने पिछले दिनों एक परिवार के द्वारा चलाई जा रही नैचुरल फाइबर मैन्युफैक्चरिंग कंपनी में आंशिक हिस्सा ख़रीदा ताकि सप्लायर कंपनी की व्यावसायिक पद्धति पर नज़दीक से नज़र रखी जा सके.
भारत के कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय के द्वारा 2021-22 में CSR के खर्च के ब्यौरे से पता चला कि 18,632 कंपनियों ने 42,440 CSR परियोजनाओं में 259.32 अरब रुपये का निवेश किया जो कि एक रिकॉर्ड उच्च स्तर है.
भारत के कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय के द्वारा 2021-22 में CSR के खर्च के ब्यौरे से पता चला कि 18,632 कंपनियों ने 42,440 CSR परियोजनाओं में 259.32 अरब रुपये का निवेश किया जो कि एक रिकॉर्ड उच्च स्तर है. इन परियोजनाओं में ग्रामीण विकास और उससे जुड़ी गतिविधियों में पर्याप्त निवेश किया गया. ये महत्वपूर्ण है क्योंकि 2030 तक 40 प्रतिशत भारतीय नागरिक शहरों में रहेंगे और ग्रामीण क्षेत्रों की आकांक्षाएं भी शहरों की दुनिया के समान होंगी. लेकिन इरादे और असली काम के बीच की दूरी को पाटने के लिए डिजिटल कनेक्टिविटी और वित्तीय समावेशन जैसी चीज़ों का समाधान करने की ज़रूरत है ताकि भारत के हर नागरिक के लिए सामाजिक-आर्थिक भागीदारी को सुनिश्चित किया जा सके.
कई कंपनियों की CSR पहल ने शिक्षा एवं जेंडर समानता, हेल्थकेयर, सार्वजनिक सफाई, ऑर्गेनिक खेती, पर्यावरण स्थिरता, वोकेशनल स्किल और सामाजिक व्यवसायों को बढ़ावा दिया है. उन्होंने SDG के मुताबिक अपने उपभोक्ताओं के लिए बेहतर वैल्यू बनाने, प्राकृतिक पूंजी को बढ़ावा देने और आजीविका की स्थिरता में सुधार लाने में CSR का इस्तेमाल किया है. CSR के दायरे में साफ-सुथरा व्यापार, कार्बन फुटप्रिंट घटाना, मज़दूरी में अंतर कम करना और टिकाऊ पैकेजिंग शामिल हैं.
CSR का निर्माण+ESG फ्रेमवर्क
भारत में कॉरपोरेट मामलों का मंत्रालय कंपनियों के द्वारा चलाई जा रही CSR गतिविधियों को रेगुलेट करता है. हालांकि, यूरोपियन यूनियन (EU), यूनाइटेड किंगडम (UK) और अमेरिका में CSR स्वयं नियमित (सेल्फ-रेगुलेटेड) और स्वैच्छिक सामाजिक हिस्सेदारी है. लेकिन कानूनी संगठन के बदले निजी संगठन के द्वारा निर्धारित “वैधता की अनुपस्थिति” पर विचार करते हुए रिसर्च ने प्राइवेट सेल्फ-रेगुलेशन के नुकसान का संकेत दिया है.
ESG (एनवायरमेंट, सोशल एंड कॉरपोरेट गवर्नेंस) के साथ मिलकर CSR टिकाऊ व्यावसायिक पद्धतियों की तरफ मुश्किल बदलाव में मदद कर सकता है और इस तरह अनिवार्य रूप से SDG को हासिल करने में योगदान देता है. रिसर्च से पता चलता है कि:
जो कंपनियां समावेशन की पद्धतियां अपनाती हैं उनके द्वारा अपने वित्तीय लक्ष्य को हासिल करने की संभावना 120 प्रतिशत ज़्यादा है,विविधता (डायवर्सिटी) का भी इसी तरह का असर है और इसका अर्थ अहम वित्तीय प्रदर्शन के संकेतकों (इंडिकेटर्स) से बेहतर प्रदर्शन करना है,और किसी संगठन के भीतर विविधता की सीमा किसी व्यवसाय के द्वारा पेश किए जाने वाले उत्पादों के इनोवेशन की रफ्तार से सीधे तौर पर जुड़ी है.
CSR से आगे बढ़ें तो ESG किसी आकस्मिक परिस्थिति और संकट का सामना करने में कंपनियों को लचीला बनाने में मदद करता है. उदाहरण के तौर पर, ESG गतिविधियों की वजह से कोविड-19 महामारी के दौरान कंपनियों की साख में बढ़ोतरी हुई. दवा कंपनियों ने महामारी के दौरान बनी साख का इस्तेमाल लंबे समय के लिए अपनी प्रतिष्ठा बनाने में किया. ये पर्यावरण की रक्षा और समाज के स्वास्थ्य एवं कल्याण, विशेष रूप से कोविड-19 के इलाज और वैक्सीन रिसर्च के लिए, के उद्देश्यों से जुड़ा है.
आगे का रास्ता
CSR और ESG का ये मेल ESG के लिए रेगुलेटरी नियम, जो कि CSR के लिए लागू नियमों की तरह है, बनाने के बारे में एक मज़बूत दलील देता है. सरकार को अलग-अलग स्टेकहोल्डर के साथ लगातार सलाह-मशविरा शुरू करना चाहिए ताकि इस पर विचार किया जा सके कि किस हद तक ESG को कानूनी या विधायी दायरे में रखा जा सकता है. हालांकि छोटे व्यवसायों के लिए ESG को प्राथमिकता देना मुश्किल हो सकता है लेकिन उन्हें इसे लागू नहीं करने की भारी लागत और किसी अच्छी चीज़ के लिए कठिन फैसले को लागू करने पर ज़रूर विचार करना चाहिए.
ESG में निवेश को आसान बनाने और हरित परिवर्तन को प्रेरित करने के लिए भारत की आर्थिक नीति और टैक्सेशन में उचित सुधार से कैपिटल फ्लो और फाइनेंसिंग को बढ़ावा मिल सकता है.
ESG में निवेश को आसान बनाने और हरित परिवर्तन को प्रेरित करने के लिए भारत की आर्थिक नीति और टैक्सेशन में उचित सुधार से कैपिटल फ्लो और फाइनेंसिंग को बढ़ावा मिल सकता है. इसके लिए टैक्स रियायत समेत दूसरे प्रोत्साहनों पर विचार करना चाहिए. CSR और ESG के लक्ष्यों को हासिल करने के लिए पूरे संगठन के भीतर प्रतिबद्धता के साथ संगठन में एक व्यापक नीतिगत रूप-रेखा उनकी स्थिरता (सस्टेनेबिलिटी) रिपोर्ट के दायरे को बढ़ा सकती है और आम लोगों एवं हिस्सेदारों को ज़िम्मेदार साझेदार के तौर पर रख सकती है. इससे कानूनी अनिवार्यताएं पूरी होंगी और इसका दायरा व्यापक होगा.
व्यवसायों को CSR गतिविधियां अपनी सप्लाई चेन की पहली कड़ी से लागू करना चाहिए ताकि गलत असर से परहेज किया जा सके. बड़ी कंपनियों के द्वारा ऐसा करने का व्यापक असर होगा और इससे अपेक्षाकृत छोटे कारोबारों के द्वारा इसका पालन करने के लिए एक रास्ता तैयार होगा. उपभोक्ताओं की बढ़ती जागरूकता और नैतिक तरीके से इकट्ठा एवं पर्यावरण की दृष्टि से अच्छे उत्पादों के लिए बढ़ती प्राथमिकता भी इस तरह के फैसलों पर असर डालेगी.
ESG CSR से आगे का कदम है और ये परोपकारी उपायों से आगे तक जाता है. ESG उपभोक्ताओं और निवेशकों के लिए व्यवसाय की पर्यावरणीय, सामाजिक और आंतरिक व्यवस्था की साफ समझ तैयार करता है. इस तरह ESG के साथ CSR को मिलाना व्यवसायों, उनके शेयरधारकों, सप्लायर्स, प्रोडक्ट एवं सर्विस सप्लाई चेन, कर्मचारियों, दूसरे स्टेकहोल्डर और बड़े पैमाने पर पर्यावरण एवं समाज के लिए एक पूरी तरह फायदे की स्थिति है.
निनुप्ता श्रीनाथ ऑब्ज़र्वर रिसर्च फाउंडेशन में इंटर्न हैं.
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