टास्क फोर्स 3: पर्यावरण के लिए जीवनशैली (LiFE), लचीलापन और कल्याण के मूल्य
सार
वर्तमान वैश्विक रैखिक अर्थव्यवस्था (लीनियर इकोनॉमी- में कच्चे माल को एकत्र किया जाता है, फिर उत्पादों में परिवर्तित किया जाता है और उनका उपयोग तब तक किया जाता है जब तक कि उन्हें अंततः अपशिष्ट के रूप में त्याग नहीं दिया जाता. इस आर्थिक प्रणाली में जितना संभव हो उतने उत्पादों का उत्पादन और बिक्री करके धन बनाया जाता है. पारंपरिक रूप से यह “टेक-मेक-डिस्पोज़” योजना है), जिसमें 90 प्रतिशत से अधिक सामग्री बर्बाद, खोई या पुन: उपयोग के लिए अनुपलब्ध है, को तत्काल एक चक्रीय अर्थव्यवस्था (सर्कुलर इकोनॉमी- उत्पादन और उपभोग का वह मॉडल है जिसमें यथासंभव समय तक वर्तमान सामग्रियों और उत्पादों को साझा करना, पट्टे पर देना, पुन: उपयोग करना, मरम्मत करना, नवीनीकरण करना और पुनर्चक्रण करना सम्मिलित होता है. इस प्रकार, उत्पादों के जीवन चक्र को बढ़ाया जाता है) में बदलने की आवश्यकता है. इस चक्रीयता (सर्कुलैरिटी) को उत्पाद को ख़त्म कर दिए जाने वाले प्रबंधन से आगे बढ़ना होगा और उत्पाद डिज़ाइन, विनिर्माण प्रक्रियाओं, पैकेजिंग, परिवहन, वितरण और निपटान, मरम्मत या पुनर्चक्रण को एक ही या अन्य मूल्य श्रृंखलाओं में शामिल कर, आगत (इनपुट) सामग्रियों के जीवन को बढ़ाने और संसाधन दक्षता को विस्तार देने पर ध्यान केंद्रित करना होगा. उत्पाद मूल्य श्रृंखलाओं में चक्रीयता को एकीकृत करने के लिए ज़रूरत इस बात की है कि डिज़ाइनरों, उत्पादकों, उपभोक्ताओं और नीति निर्माताओं की उत्पादों के बारे में सोच, समझ और उनके प्रबंधन को मूलभूत रूप से बदला जाए. यह नीति पत्र एक सामान्य उपकरण – रेफ़्रिजरेटर – का उपयोग करके इसके वैश्विक मूल्य श्रृंखला (GVC) में चक्रीयता को अंतर्निहित करने के लिए आवश्यक चरणों की पड़ताल करता है. यह पड़ताल करता है कि जी20 देश जीवीसी में चक्रीयता को शामिल करने के लिए कैसे औद्योगिक और शासन सहयोग को बढ़ावा दे सकते हैं ताकि संसाधन दक्षता बेहतर हो सके और टिकाऊ उत्पादन और उपभोग को बढ़ावा दिया जा सके, जिससे पर्यावरणीय पदचिह्न (एनवायरमेंटल फुटप्रिंट- किसी व्यक्ति या समूह की गतिविधियों से पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभाव का एक माप है. यह एक व्यक्ति या समूह द्वारा उपयोग किए जाने वाले संसाधनों और उत्पन्न होने वाले अपशिष्ट की मात्रा को मापता है. पर्यावरणीय पदचिह्न को अक्सर कार्बन फुटप्रिंट के साथ जोड़ा जाता है, जो एक व्यक्ति या समूह द्वारा उत्पादित ग्रीनहाउस गैसों की मात्रा को मापता है) कम हो सके.
1.चुनौती
वर्तमान में, विश्व अर्थव्यवस्था का केवल 7.2 प्रतिशत चक्रीय है; 90 प्रतिशत से अधिक सामग्री अर्थव्यवस्था में वापस नहीं आती है और वे बर्बाद हो जाती हैं, खो जाती हैं या पुन: उपयोग के लिए उपलब्ध नहीं होतीं.[1] पिछले 50 वर्षों में, कच्चे माल की वैश्विक खपत लगभग चार गुना बढ़कर 100 बिलियन टन से अधिक हो गई है.[2] पिछले छह वर्षों में जितने सामग्री का निष्कर्षण (एक्सट्रैक्शन) और उपयोग किया गया है वह बीसवीं सदी की पूरी मात्रा के लगभग बराबर है.3[3] रैखिक अर्थव्यवस्था पृथ्वी की सीमित सामग्रियों को समाप्त कर देती है और दुनिया की ग्रीनहाउस गैस (जीएचजी) और अपशिष्ट का एक बड़ा हिस्सा उत्सर्जित करती है.[4] इन कारकों ने टिकाऊ उत्पादन और उपभोग के तरीकों के साथ एक कम कार्बन उत्सर्जन वाली, चक्रीय अर्थव्यवस्था (सीई) में तेजी से परिवर्तन को एक बहुपक्षीय अनिवार्यता बना दिया है.
मूल्य श्रृंखलाओं का फिर से रेखांकन (रेडीएसिगनिंग) ताकि उनमें चक्रीयता को एकीकृत किया जा सके, इसके लिए यह करना होगा- 1)उत्पाद के डिज़ाइन को संशोधित करना; 2) निर्माण की आगत सामग्रियों (इनपुट मटीरियल्स) के टिकाऊ निष्कर्षण, प्रसंस्करण और उत्पादन को सुनिश्चित करना- चाहे वे कच्चे हों, प्रसंस्कृत हों या अन्य मूल्य श्रृंखलाओं में निर्मित हों; 3) मूल्य श्रृंखलाओं को बाधित किए बिना संचालन प्रक्रियाओं (लॉजिस्टिकल प्रोसेस) की ऊर्जा और संसाधन दक्षता को बढ़ाने के लिए सस्ती और विश्वसनीय स्वच्छ ऊर्जा और कम कार्बन उत्सर्जन परिवहन प्रणाली को लागू करना; 4) रखरखाव, नवीनीकरण और मरम्मत के लिए बिक्री के बाद सेवाएं प्रदान करना; 5) उत्पाद का समय पूरा होने पर निपटान या पुनर्चक्रण सहित तमाम प्रबंधों का समन्वय करना; 6) इन परिवर्तनों को अपनाने के लिए निर्माता और उपभोक्ताओं को प्रोत्साहन प्रदान करना.
वैश्विक मूल्य श्रृंखलाएं (जीवीसी) लंबी और जटिल हैं, जो कई क्षेत्राधिकारों में फैली हुई हैं, और इन्हें नीतियां और विनियम; नवाचार और प्रौद्योगिकी; डिज़ाइन, मानक और विनिर्देश; और अर्थशास्त्र, बाज़ार, प्रतिस्पर्धा और व्यापार तंत्र जैसे कारक प्रभावित करते हैं. दो-तिहाई से अधिक सीमा पार व्यापार जीवीसी[5] का उपयोग करते हैं. और इन मूल्य श्रृंखलाओं के किसी भी भाग को संशोधित करने के लिए कई क्षेत्राधिकार में कई हितधारकों के समन्वित कार्रवाई करने की आवश्यकता होती है. इसलिए, जीवीसी में चक्रीयता को अंतर्निहित करने के लिए, वैश्विक व्यापार का 80 नियंत्रित करने वाली जी20 अर्थव्यवस्थाओं का सक्रिय रूप से समर्थन और भागीदारी ज़रूरी है.
यह नीति पत्र रेफ़्रिजरेटर के उदाहरण का उपयोग करके वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं (जीवीसी) में चक्रीयता को एकीकृत करने के लिए आवश्यक चरणों की पड़ताल करता है. यह पड़ताल करता है कि कैसे जी20 देश औद्योगिक और शासन सहयोग को बढ़ावा देकर वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं में चक्रीयता को शामिल कर सकते हैं ताकि संसाधन दक्षता में सुधार और टिकाऊ उत्पादन और उपभोग को बढ़ावा दिया जा सके, जिससे पर्यावरणीय पदचिह्न कम हो सके.
1913 में आविष्कार के बाद घरेलू इलेक्ट्रिक रेफ़्रिजरेटर 1940 के दशक में आधुनिक कंप्रेसर-आधारित समकक्षों में विकसित हुए.[6] आज, लगभग 2 बिलियन रेफ़्रिजरेशन इकाइयों का उपयोग किया जाता है; यह आम उपकरण, वैश्विक स्तर पर 70वीं सबसे अधिक व्यापार की जाने वाली वस्तु है.[7] 2022 में, रेफ़्रिजरेटर निर्यात मूल्य का लगभग 55 प्रतिशत पांच जी20 देश (चीन, मेक्सिको, इटली, दक्षिण कोरिया और जर्मनी) से आया.[8] वैश्विक स्तर पर 15 मिलियन लोगों को रोज़गार देने वाले इस उद्योग को फिर से डिज़ाइन करने, स्वच्छ ऊर्जा को लागू करने, संसाधन दक्षता को बढ़ावा देना और चक्रीयता को इसमें शामिल करने के कई निहितार्थ हैं.
रेफ़्रिजरेटर के मूल में, एक शीतलन प्रणाली (कंडेनसर -भाप को ठंडा कर पानी बनाने वाला, कंप्रेसर- हवा या अन्य गैसों को वायुमंडल के दबाव से अधिक दबाव में संपीड़ित या कम्प्रेस करने वाला और इवैपोरेटर- वाष्पीकरण करने वाला) और दो प्रकार के आवरण (आंतरिक कैबिनेट और बाहरी ढांचा) शामिल हैं. शीतलन प्रणाली तांबा, स्टील और रासायनिक शीतलक (कूलेंट्स) का उपयोग करती है. आंतरिक आवरण को धातु की चद्दर, प्लास्टिक, कांच और पॉलीयुरेथेन या पॉलीस्टाइरिन आधारित इन्सुलेशन से बनाया जाता है, जबकि बाहरी ढांचे में एल्यूमीनियम या स्टील का उपयोग किया जाता है. रेफ़्रिजरेटर के पूरे भौगोलिक क्षेत्र में फैला हर घटक अच्छी तरह से समाहित, विविध और अंतर-संबद्ध मूल्य श्रृंखला का हिस्सा है.
कुछ कंपनियां स्थानीय स्तर पर या सहायक कंपनियों से निर्माण के लिए उपकरण खरीदती हैं, लेकिन अधिकांश आयात पर निर्भर हैं. कंप्रेसर के निर्माण क्षेत्र का नेतृत्व जापान, अमेरिका और भारत करते हैं,[9] जबकि अमेरिका, आयरलैंड और जापान शीतलक बाज़ार के अगुआ हैं.[10] बाहरी ढांचे के लिए मशीनरी और उपकरण मुख्य रूप से जापान, चीन, अमेरिका, जर्मनी और दक्षिण कोरिया से आते हैं.[11] नीदरलैंड, अमेरिका और भारत में तेल शोधक कच्चे प्लास्टिक के दाने प्रदान करते हैं जो आंतरिक अलमारियाँ और खाने को बनाने के लिए उपयोग किए जाते हैं.[12] पॉलीयुरेथेन बाज़ार की अगुवाई जर्मनी, चीन, जापान और अमेरिका करते हैं.[13]
रेफ़्रिजरेटर की वैश्विक मूल्य श्रृंखला (जीवीसी) कई क्षेत्रों में और कई हितधारकों पर निर्भर होती है. एक विशिष्ट विनिर्माण इकाई को स्थानीय रूप से प्राप्त या आयात किए गए कच्चे माल और घटकों को अपने कार्यस्थल पर लाने के लिए संचालन या ढुलाई तंत्र की आवश्यकता होती है. फिर असेंबली लाइनें कंप्रेसर, अलमारियों, शीतलक और इलेक्ट्रॉनिक्स को मिलाती हैं. तैयार उत्पाद स्थानीय खुदरा विक्रेताओं के पास भेजे जाते हैं या निर्यात किए जाते हैं. रेफ़्रिजरेटर की जीवनकाल काफ़ी लंबा होता है- यूरोपीय संघ (EU) में ये 15 साल[14] तक चलते हैं- इसकी वजह से इनका रखरखाव एक महत्वपूर्ण मूल्य-वर्धित सेवा बन जाता है. कई देशों में रेफ्रिजरेटरों का जीवनकाल खत्म होने को लेकर नियम और उनके पुनर्चक्रण (रीसाइक्लिंग) के आदेश हैं.
जीवीसी जिस वातावरण में काम करते हैं उस पर और विविध बाज़ार स्थितियों पर निर्भर करते हैं. हालांकि प्रत्येक निर्माता अपने डिज़ाइन और प्रक्रिया संबंधी बौद्धिक संपदा अधिकारों का स्वामी होता है लेकिन हर देश में जीवीसी अपने स्वयं के नियामक, परिचालन और सुरक्षा मानकों को लागू करते हैं, जिनमें पर्यावरणीय सम्मति, ऊर्जा दक्षता, विस्तारित उत्पादक ज़िम्मेदारी (EPR- एक्सटेंडेड प्रोड्यूसर रिस्पांसिबिलिटी) और जीवनकाल खत्म होने पर निपटान या पुनर्चक्रण के लिए मानक शामिल हैं. उपकरणों और उत्पादों का व्यापार विभिन्न व्यापार समझौतों, निवेश नियमों और दरों से विनियमित होता है, जैसे कि आयात शुल्क. कोविड-19 महामारी ने भू-राजनीतिक झटकों और संरक्षणवादी प्रतिक्रियाओं को लेकर जीवीसी की कोमलता को रेखांकित किया, विशेष रूप से श्रम- और आयात पर निर्भर अर्थव्यवस्थाओं में.[15]
2.जी20 की भूमिका
जी20 को एक चक्रीय और संसाधन कुशल वैश्विक अर्थव्यवस्था बनाने के लिए सहयोग में सुधार करने की तत्काल आवश्यकता का एहसास है. जर्मनी की जी20 की अध्यक्षता में 2017 में संसाधन दक्षता संवाद (RED- रिसोर्स एफिशिएंसी डायलॉग) की स्थापना की गई थी, जिसने 2019 और 2021 के बीच एक तीन साल का कार्योन्मुख दिशा निर्देश रोडमैप (रोडमैप) विकसित किया. इस रोडमैप में शामिल विषय थे टिकाऊ उत्पादन, चक्रीयता के लिए डिज़ाइन, टिकाऊ और चक्रीय शहर, चक्रीय फैशन और कपड़ा उद्योग, खाने की बर्बादी और अपशिष्ट, जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय चुनौतियां, और स्थिरता रिपोर्टिंग (सस्टेनेबिलिटी रिपोर्टिंग- गैर-वित्तीय रिपोर्टिंग का एक रूप है जो कंपनियों को पर्यावरण, सामाजिक और शासन पद्धति सहित विभिन्न स्थिरता मानकों पर लक्ष्यों की दिशा में अपनी प्रगति बताने में सक्षम बनाता है. इसमें वर्तमान में उनके सामने आने वाले जोखिम और प्रभाव भी शामिल हैं).[16],[17] 2022 में इंडोनेशिया की अध्यक्षता के दौरान, जी20 में संसाधन दक्षता (RE) और चक्रीय अर्थव्यवस्था (CE- सर्कुलर इकोनॉमी) को बढ़ावा देने पर सहमति बनी ताकि “वैज्ञानिक ज्ञान को साझा करने … और क्षमता निर्माण” पर काम किया जा सके ताकि स्थिरता में सुधार किया जा सके.[18]
2023 में अध्यक्ष के तौर पर भारत ने, स्थिर और जलवायु- लोचशील विकास पर ज़ोर देते हुए संसाधन दक्षता और चक्रीय अर्थव्यवस्था को अपनी प्राथमिकताओं में शामिल किया है. पर्यावरण और जलवायु स्थिरता कार्यसमूह की बैठकों में इस्पात क्षेत्र, जिसे कम करना बहुत मुश्किल है और जैव अर्थव्यवस्था (बायोइकोनॉमी- को जैविक संसाधनों के उत्पादन, उपयोग और संरक्षण के रूप में परिभाषित किया जा सकता है, जिसमें संबंधित ज्ञान, विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार, सूचना, उत्पाद, प्रक्रियाएं प्रदान करना शामिल है ताकि स्थायी अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ने के उद्देश्य से सभी आर्थिक क्षेत्रों को जानकारी, उत्पाद, प्रक्रियाएं और सेवाएं प्रदान की जा सकें) के लिए आरई/सीई, ईपीआर की भूमिका और जी20 आरई/सीई उद्योग मंच की संभावनाओं पर चर्चा की गई है. [19]
जी20 आरईडी (RED) का एक मुख्य विषय आपूर्ति श्रृंखलाओं को बाधित किए बिना, व्यापार के संतुलन को अस्थिर किए बिना और शामिल देशों की संप्रभुता पर अतिक्रमण किए बिना, जिसमें जी20 सदस्य भी शामिल हैं, चक्रीयता को शामिल करने के लिए प्रमुख रैखिक जीवीसी का मूल्यांकन और पुन: डिज़ाइन करने की चुनौती रहा है.
इस तरह के बहुपक्षीय प्रयास के लिए जी20 को छह प्रकार की गतिविधियों, जिनका पहले उल्लेख किया गया है, के लेंस के माध्यम से इनपुट, आउटपुट, प्रक्रियाओं और आंतरिक और बाहरी आपूर्ति श्रृंखला प्रतिभागियों सहित वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में सामग्री, सेवाओं और सूचनाओं के प्रवाह का पता लगाने की आवश्यकता होगी.
उत्पाद डिज़ाइन में बदलाव: टिकाऊपन के बजाय बिक्री को प्राथमिकता देने वाले व्यापार के तरीकों ने प्रमुख घरेलू उपकरणों (या सफेद वस्तुओं- रेफ़्रिजरेटर, वॉशिंग मशीन, एसी आदि जो पहले सिर्फ़ सफ़ेद रंग में उपलब्ध हुआ करते थे) के उत्पाद डिज़ाइन को तेज़ फैशन के समान बना दिया है, इसमें उपकरण की मूल कार्यक्षमताओं में सुधार करने के बजाय आकार और ढांचे में ऊपरी परिवर्तन (कॉस्मेटिक चेंजेज) कर उत्पादों को अपडेट करते हैं. यह सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) 12 की प्रगति में बाधा डालता है, जिसका निर्धारण ज़िम्मेदारी के साथ उपभोग और उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिए किया गया था. चक्रीय उत्पाद डिज़ाइन अधिक टिकाऊ मूल घटक और आसानी से बदलने योग्य, प्रतिरूपक (मॉडुलर- आमतौर पर यंत्र, भवन आदि के संदर्भ में इस्तेमाल होता है. ऐसी इकाई जिसमें अनेक स्वतंत्र भाग या इकाइयां हों जिन्हें आवश्यकतानुसार जोड़ा जा सके) गैर-कोर घटक बना सकता है, जिनमें दुनिया भर में कहीं भी मरम्मत करने और प्रौद्योगिकी उन्नयन के लिए मानकीकृत हिस्से हों.[20] चक्रीयता से सामग्री और उत्सर्जन प्रवाह पर नज़र रखकर विनिर्माण प्रक्रियाओं में सुधार किया जा सकता है.[21]
जटिल, चक्रीय जीवीसी को सामंजस्यपूर्ण मानकों और प्रमाणन प्रणालियों की आवश्यकता होती है. मुख्य बाज़ारों को यह नए डिज़ाइन मानकों और विनिर्देशों को स्थापित करते समय ध्यान में रखना होगा कि जीवीसी में अन्य देशों को इन्हें लागू करने में भारी सामाजिक-आर्थिक लागत न लगानी पड़े या उनके पीछे छूट जाने का ख़तरा इसलिए न पैदा हो क्योंकि उनके पास पूंजी और कुछ विशिष्ट तकनीकों की कमी है.[22]
रेफ़्रिजरेटर का डिज़ाइन सामग्रियों, आकार और क्षमताओं के संदर्भ में लगातार विकसित हुआ है; संचालन- यांत्रिक से इलेक्ट्रॉनिक और ‘स्मार्ट’ नियंत्रण तक हो गया है- और कार्यात्मक दक्षता के मामले में ऑटो-डिफ्रॉस्ट और कम ऊर्जा खपत तक. मील के पत्थर, जैसे 1987 के मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल, जो ओज़ोन परत को पतला करने वाले पदार्थों से सबंधित है, से यह पता चलता है कि बहुपक्षवाद कैसे सबकी भलाई के लिए नवाचार और कुशल उत्पाद डिज़ाइनों को प्रभावित कर सकता है.
मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल और इसमें हुआ 2022 का किगाली संशोधन वह बहुपक्षीय पर्यावरण समझौते हैं जो कृत्रिम ओज़ोन क्षयकारी पदार्थों (ODS) के उत्पादन और खपत को विनियमित करने और अंततः चरणबद्ध तरीके से रेफ्रिजरेटरों में उपयोग किए जाने वाले क्लोरोफ़्लोरोकार्बन (CFC) और हाइड्रोफ़्लोरोकार्बन (HFC) शीतलक को ख़त्म करने के लिए हैं. सूक्ष्म भेदयुक्त मोलतोल, जिससे विभिन्न समूहों के देशों के लिए अलग-अलग समय सीमा निर्धारित हुई, जो उनके आर्थिक और तकनीकी क्षमताओं के आधार पर थीं, ने 197 देशों को मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर करने के लिए प्रेरित किया, जिससे यह संयुक्त राष्ट्र (UN) की पहली संधि बन गई जिसे सबका पक्का समर्थन हासिल हुआ. तब से, विनिर्माण में नवाचारों ने कई बाज़ारों में सीएफ़सी (CFCs) और एचएफ़सी (HFCs) को आइसोब्यूटेन, पेंटेन या प्रोपेन से बदल दिया है, जिससे 1990 की तुलना में वैश्विक स्तर पर ओडीएस चरणबद्ध तरीके से 98 प्रतिशत तक ख़त्म हो गया है.[23],[24]
एल्यूमीनियम , स्टील, प्लास्टिक, तांबे और शीशे जैसे इनपुट मटीरियल्स के निष्कर्षण, संसाधन करने और उत्पादन को संवहनीय बनाने को सुनिश्चित करनाः स्टील और एल्यूमीनियम उन धातुओं में से हैं जिनके उत्पादन में भारी उत्सर्जन वाली कोयला आधारित भट्टियों का इस्तेमाल किया जाता है और इसमें सबसे अधिक विशुद्ध उत्सर्जन होता है. एल्यूमीनियम, तांबा और स्टील का उत्पादन करने के कम कार्बन उत्सर्जन वाले नए तरीके उभर रहे हैं, जैसे कि हरित हाइड्रोजन का इस्तेमाल कर होने वाला निर्माण. हालांकि, हरित एल्यूमीनियम, तांबा और स्टील से बने टिकाऊ उत्पाद अभी भी दुर्लभ और बहुत महंगे हैं और इसलिए अभी तक अधिकांश मूल्य श्रृंखलाओं में प्रचलित नहीं हैं.[25] यद्यपि लोहे और एल्यूमीनियम अयस्क के निष्कर्षण से उत्सर्जन को कम करना मुश्किल है लेकिन धातुओं के पुनर्चक्रण और पुन: उपयोग में सुधार से प्रति इकाई उत्पाद में संसाधन उपयोग को कम किया जा सकता है, जिससे कुल संसाधन निष्कर्षण कम हो जाता है.
कुछ बहुराष्ट्रीय कंपनियां (MNCs) रेफ़्रिजरेटर सहित घरेलू उपकरणों में पुनर्चक्रित सामग्री का उपयोग कर रही हैं.[26],[27] हालांकि, कम संसाधन के साथ निष्कर्षण और सामग्री और उत्पाद के सिकुड़ते हुए बाज़ार निर्यात को कम कर सकते हैं और इंडोनेशिया जैसे संसाधन-समृद्ध देशों और चीन, दक्षिण कोरिया और भारत जैसे विनिर्माण केंद्रों में जीडीपी और विनिमय दरों में गिरावट को शुरू कर सकते हैं, जिससे जीवीसी में चक्रीयता को शामिल करने के लिए प्रतिरोध पैदा हो सकता है. इसके विपरीत, चक्रीयता से अमेरिका, यूरोपीय संघ के सदस्य देशों, जापान और ऑस्ट्रेलिया जैसे उपभोक्ता देशों के लिए कच्चे माल के बाज़ार और निर्यात राजस्व के नए सहायक पैदा हो सकते हैं. ऐसे मामलों में विशेष रूप से जी20 को अर्थशास्त्र और स्थिरता के बीच एक नाज़ुक संतुलन खोजना होगा.
उत्सर्जन को कम करना जटिल लेकिन आवश्यक है,[28] कई एमएनसी स्कोप1 (प्रत्यक्ष) और स्कोप2 (अप्रत्यक्ष) उत्सर्जन को कम कर रही हैं, लेकिन इनके लिए उनकी जीवीसी में विश्वसनीय स्कोप3 (एक कंपनी की शुरू से अंत तक मूल्य श्रृंखला से अप्रत्यक्ष ऊर्ध्वप्रवाह और अनुप्रवाह उत्सर्जन) के कार्यान्वयन के लिए व्यापक बहुपक्षीय समर्थन की आवश्यकता होगी, इस प्रयास के लिए आपूर्ति श्रृंखलाओं में बेहतर पता लगाने की क्षमता और पारदर्शिता की ज़रूरत है.
मूल्य श्रृंखलाओं को बाधित किए बिना संचालन प्रक्रियाओं में ऊर्जा और संसाधन दक्षता को बढ़ाने के लिए सस्ती और विश्वसनीय स्वच्छ ऊर्जा और कम कार्बन परिवहन प्रणालियों को तैनात करना: हाल के दशकों में स्वच्छ ऊर्जा परिवर्तन ने रफ़्तार पकड़ी है, हालांकि ऐसे क्षेत्र जिनमें उत्सर्जन को कम करना बहुत मुश्किल है, पारंपरिक विनिर्माण केंद्रों और लंबी दूरी के परिवहन, विशेष रूप से वायु, रेल और समुद्री माल ढुलाई को विश्वसनीय, सस्ती और स्वच्छ ऊर्जा की आपूर्ति करना एक बड़ी चुनौती बनी हुई है.
2015 में, सभी जी 20देशों सहित 196 पक्षों ने पेरिस समझौते को अपनाया. इनमें से अधिकांश पक्षों के राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (एनडीसी- नेशनल डिटरमाइंड कंट्रीब्यूशन – जलवायु परिवर्तन को कम करने के लिए गैर-बाध्यकारी कार्ययोजना है जिसके तहत ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन कम करने के लक्ष्य निर्धारित किए गए हैं. इसमें उन नीतियों और तरीकों को भी शामिल किया जाता है जो सरकार इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए अपनाएगी) में जीवाश्म ईंधन से स्वच्छ ऊर्जा और उत्सर्जन में कमी के लक्ष्य शामिल हैं. अपने एनडीसी का समर्थन करने के लिए देशों को स्वैच्छिक, दीर्घकालिक, कम-जीएचजी उत्सर्जन विकास रणनीति तैयार करने पर ज़ोर दिया गया है. संयुक्त राष्ट्र ने कहा है कि “शून्य-कार्बन समाधान उत्सर्जन करने वाले आर्थिक क्षेत्रों में 25 प्रतिशत तक सफलता की ओर बढ़ रहे हैं” और 2030 तक, ये उत्सर्जन करने वाले क्षेत्रों के 70 प्रतिशत तक को प्रभावित कर सकते हैं, बिजली और परिवहन प्रणालियों में यह चलन सबसे अधिक व्याप्त हो रहा है.[29]
मेक्सिको को छोड़कर, जी20 देश ने भी मध्य शताब्दी तक या उसके आसपास पूर्णतः-शून्य उत्सर्जन का लक्ष्य रखा है. 2022 में तैयार जी20 बाली ऊर्जा परिवर्तन रोडमैप में ऐसे समाधानों को बड़े स्तर पर बढ़ाने के लिए कदमों को शामिल किया गया है जैसे कि कम कार्बन उत्सर्जन वाले इलेक्ट्रिक और हाइड्रोजन से चलने वाला भारी परिवहन और हरित अमोनिया पर आधारित शिपिंग. जी20 को इस तरह के प्रयासों को एक साथ लाना होगा, जिसमें नीति, वित्त, प्रौद्योगिकी और क्षमता-निर्माण को एकीकृत करना शामिल है, ताकि प्रतिस्पर्धा को कम किए बिना जीवीसी को बड़े पैमाने पर पुनर्गठित किया जा सके.
विक्रय के बाद की सेवाएं- रखरखाव, नवीनीकरण और मरम्मत- प्रदान करना: जैसे-जैसे मूल्य श्रृंखलाएं वैश्विक होती हैं, मरम्मत नियमावली, गैर-स्वामित्व वाले घटकों और प्रशिक्षित कर्मियों तक पहुंच से उत्पाद का जीवन चक्र बढ़ाया जा सकता है. अभी वस्तुओं की मरम्मत उपभोक्ताओं या उत्पादकों के लिए सुविधाजनक नहीं है. उपभोक्ता पक्ष की ओर से देखें तो इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) जैसी तकनीकें रखरखाव और मरम्मत सेवाओं को विस्तार दे सकती हैं, उदाहरण के लिए, यह पता लगाकर कि उत्पाद के पुर्ज़े कब बदलने की आवश्यकता है ताकि निर्माता समय पर सेवा सुनिश्चित कर सकें.[30] उत्पादकों के नज़रिये से बात करें तो, उनके उत्पादन में मॉड्यूलर घटकों को सुनिश्चित करने से माल के प्रबंधन को कम करने में मदद मिलेगी और व्यवसाय वस्तुओं की मरम्मत या नवीनीकरण करने में सक्षम हो सकेगा.
रेफ़्रिजरेटर के लंबे जीवन चक्र को देखते हुए, निर्माताओं की बिक्री के बाद की सेवाएं पहले से ही बहुत अच्छी हैं. यूरोपीय संघ के ‘मरम्मत का अधिकार’ नियमों में रेफ़्रिजरेटर निर्माताओं को कम से कम सात साल के लिए स्पेयर पार्ट्स की आपूर्ति करने का आदेश दिया गया है.[31] जी 20 भी अपने प्रमुख जीवीसी के लिए पुर्ज़ों और सेवाओं के निर्माण, आपूर्ति और निपटान को एक साथ लाने के लिए इसी तरह के नियमों को अपना सकता है.
जीवन-चक्र की समाप्ति के संचालन का समन्वय करना, जिसमें निपटान, पुन: उपयोग या पुनर्चक्रण शामिल है: जीवीसी में जीवन-चक्र की समाप्ति के संचालन के लेकर सभी जीवीसी, जैसे प्लास्टिक, कपड़े, ऑटोमोबाइल, उपकरण, फार्मास्यूटिकल्स और खाद्य उत्पादों में में हाल ही में अनुसंधान और निवेश ने प्रत्येक भाग और प्रक्रिया के लिए अलग से रखरखाव की आवश्यकता को रेखांकित किया है, एक-आकार-सभी-के-लिए-उपयुक्त रहेगा वाले दृष्टिकोण को अपनाने के बजाय.
उदाहरण के लिए, यदि ठीक से पुनर्नवीनीकरण किया जाता है, तो एक रेफ़्रिजरेटर के लगभग सभी भागों का पुन: उपयोग किया जा सकता है;[32] एमएनसी चयनित बाज़ारों में कंपनी के संग्रह बिंदुओं के माध्यम से पुनर्चक्रण प्रक्रिया को बढ़ावा दे सकते हैं. हालांकि, बढ़ती मांग के साथ – अकेले चीन में 2035 तक आधा अरब से अधिक रेफ़्रिजरेटर होने का अनुमान है- कॉर्पोरेट प्रयास अपर्याप्त होंगे और राष्ट्रव्यापी नियम यह सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण होंगे कि संसाधन इनपुट का उचित रूप से और बड़े पैमाने पर निष्कर्षण और पुनर्नवीनीकरण किया जाए.[33]
कई देशों और कंपनियों ने उपकरणों से निकलने वाली पुनर्चक्रण सामग्री के मूल्य को पहचाना है और इसलिए पुनर्चक्रण के लिए प्रणालियों को स्थापित किया है, जैसे कि विद्युत और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के अवशेष (WEEE) आदेश और पुनर्चक्रण सुविधाएं. यूरोपीय संघ में 2003 से डब्ल्यूईईई नियम हैं; उद्योग या अन्य हितधारकों द्वारा 80 प्रतिशत फेंक दिए गए (स्क्रैप्पड) उपकरणों को पुनर्चक्रण के लिए एकत्र किया जाता है.[34] हालांकि, अगर एक या एक से अधिक देश, बिना सभी संबंधित देशों की सहमति के, जीवीसी में ऐसे नियामक तंत्र लागू करते हैं. जैसे कि सामग्री और कचरे पर ईपीआर और पुनर्चक्रण शुल्क तो वह व्यापार पैटर्न और साझेदारियों को बाधित कर सकते हैं, विशेष रूप से अत्यधिक प्रतिस्पर्धी जी20 देशों के बीच.[35] यह सुनिश्चित करने के लिए कि सब सटीक रूप से ट्रैक किया जाए और कानूनी रूप से कारोबार हो और अवैध रूप से डंप या विपणन न किया जाए, जी20 वैश्विक रूप से एक समान वर्गीकरण को आकार देकर जीवीसी को बेहतर ढंग से बनाने करने में मदद कर सकता है, जिसमें अवशेष, फेंक दिए गए उपकरण और गौण कच्चे माल शामिल हों.
चक्रीयता के परिवर्तनों को अपनाने के लिए उत्पादकों और उपभोक्ताओं को प्रोत्साहन की पेशकश करना: जीवीसी में चक्रीयता की ओर बढ़ते हर कदम में भारी लागत लगती है, जिसे वित्त तक पहुंच की आवश्यकता होती है ताकि नए व्यावसायिक मॉडल निर्माताओं को बोर्ड पर ला सकें और उपभोक्ताओं को आकर्षित कर सकें.[36] संवहनीयता से जुड़े ऐसे जीवीसी बदलावों के ‘हरित अधिमूल्य’ (ग्रीन प्रीमियम- प्रदूषण-मुक्त उत्पादन के लिए दी जाने वाली अतिरिक्त लागत) के असर को कम करने के लिए उपभोक्ता के अनुकूल व्यावसायिक मॉडल के बिना, इस बढ़ी लागत को उपभोक्ता को झेलने पर मजबूर करना इन उत्पादों में किसी भी तरह की तेज़ी को रोक देगा और उत्पाद के जीवन-चक्र की समाप्ति पर होने वाले निपटान को सस्ते और अनौपचारिक निपटान और पुनर्चक्रण करने वाली एजेंसियों को सौंप देगा.
डिजिटल प्रौद्योगिकी और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) के इस्तेमाल से तैयार ऐसे मॉडल उपलब्ध हैं, जो खाद्य पदार्थ बेचने वाली इकाइयों को ऐसे जमा-मुक्त पैकेजिंग (डिपॉजिट फ्री पैकेजिंग) विकल्प उपलब्ध करवाते हैं जो उपभोक्ताओं और उत्पादकों दोनों के लिए फ़ायदेमंद हैं.[37]
सेवा के रूप में उत्पाद, जैसे चक्रीय व्यावसायिक मॉडल, संभावित रूप से प्रोत्साहन को उत्पादक को स्थानांतरित करते हैं क्योंकि सेवा पर आधारित बैलेंस शीट अक्सर सिर्फ़ ठोस परिसंपत्तियों की बिक्री वाली बैलेंस शीट से अधिक लाभ में होती हैं. उपकरणों के मामले में एक रणनीति खरीदने के बजाय किराए पर लेने वाले मॉडल में बदलना हो सकती है जैसा कि एक सफल पायलट प्रोग्राम में कम आय वाले बेल्जियम के घरों के लिए रेफ़्रिजरेटर के लिए किया गया था.[38] उन देशों में जहां स्वामित्व प्रतिष्ठा का प्रतीक है, सेवा-और-उपयोग अनुबंध या एक उत्पाद का कई उपभोक्ता खंडों के काम आने के लिए पुनर्निर्माण एक विकल्प हो सकता है.
3.जी20 के लिए सिफ़ारिशें
जी20 रैखिक से चक्रीय मूल्य श्रृंखलाओं में परिवर्तन से होने वाले आर्थिक फ़ायदों का सक्रिय रूप से लाभ उठाकर सतत विकास को सशक्त बना सकता है.
औद्योगिक नवाचार, निवेश और गतिशीलता को ठीक समय पर, सुसंगत और सर्वसम्मति-प्राप्त नीतियों और निष्पक्ष विनियमों का समर्थन मिलना चाहिए ताकि उत्पादक और उपभोक्ता को चक्रीय जीवीसी की ओर ले जाया जा सके. यह प्रक्रिया प्रयोगात्मक, पुनरावृत्त और सहयोगी है और इसे सतत उपभोग और उत्पादन के प्रति सचेत प्रतिबद्धता; सरकारों, उद्योग, अकादमी और उपभोक्ताओं के बीच बहुपक्षीय सहयोग; प्रौद्योगिकी-साझाकरण; नए व्यावसायिक और वित्तपोषण मॉडल; और प्रत्येक जीवीसी की हर अंतर्निहित प्रक्रिया के लिए विशेषज्ञ क्षमता-निर्माण की आवश्यकता है.
एक आरई/सीई उद्योग मंच (RECEIP), जैसा कि भारत की अध्यक्षता में प्रस्तावित किया गया है, को बिजनेस 20 (बी20) एंगेजमेंट ग्रुप (एंगेजमेंट ग्रुप- में हर जी20 सदस्य के गैर-सरकारी प्रतिभागी होते हैं. ये जी20 नेताओं को सिफ़ारिशें पेश करते हैं और नीति-निर्माण प्रक्रिया में योगदान देते हैं) में रखा जा सकता है ताकि जी20 देशों और उनके व्यावसायिक क्षेत्रों के बीच बातचीत और ज्ञान के आदान-प्रदान को बढ़ावा दिया जा सके.
ऐसे मंच से जी20 के देशों में, उनकी नज़दीकी आपूर्ति श्रृंखलाओं से परे, उत्पादक और आपूर्तिकर्ता कंपनियों, परिवहन ऑपरेटरों, वित्तपोषकों, प्रौद्योगिकी प्रदाताओं और प्रशिक्षण और स्टाफिंग एजेंसियों को जोड़ा जा सकता है और उन्हें जी20 के प्रभावशाली आर्थिक नेटवर्क और आपस में जुड़ी जीवीसी का लाभ उठाने में मदद मिल सकती है. यह जीवीसी परिवर्तन के लिए चुनौतियों पर उद्योग-व्यापी प्रतिक्रिया एकत्र कर सकता है और विशिष्ट क्षेत्रों में अग्रणी जी20 बाज़ारों को फैलाने में मदद कर सकता है- और अन्य बाज़ारों को उभरते डिज़ाइनों, मानकों और विशिष्टताओं के लिए तैयार कर सकता है.
जी20 आरईडी को वार्षिक रूप से प्रमुख हितधारकों को, जिसमें अतिथि देश और उद्योग विशेषज्ञ (बी20 के माध्यम से) शामिल हैं, को रैखिक से चक्रीय जीवीसी में परिवर्तन पर राजनीतिक, आर्थिक और औद्योगिक चर्चाओं और बहसों को एकीकृत करने के लिए रचनात्मक रूप से उपयोग किया जाना चाहिए. प्रोत्साहन संरचनाएं, कार्यान्वयन और प्रचलन जी20 के दायरे से बाहर हैं, लेकिन काम करने के सबसे अच्छे तरीकों, सिद्धांतों और प्रोटोकॉल पर चर्चा से अलग-अलग देशों को अपने तंत्र और प्राथमिकताओं को विकसित करने का मौक़ा मिलेगा.
4.निष्कर्ष
जीवीसी में चक्रीयता को एकीकृत करने के लिए डिज़ाइनर, उत्पादक, उपभोक्ता और नीति निर्माताओं उत्पादों और सेवाओं के बारे में क्या सोचते हैं, इसे लेकर मूलभूत बदलाव की ज़रूरत है. पुनर्चक्रण जैसे टुकड़ा-टुकड़ा और छिटपुट उपाय, वैश्विक पारिस्थितिकी पदचिह्न (रिसोर्स फुटप्रिंट प्राकृतिक पूंजी पर मानव की मांग को मापने का एक तरीका है, यानी लोगों और उनकी अर्थव्यवस्थाओं की ज़रूरतों के लिए कितने प्राकृतिक संसाधन चाहिए होंगे) को ग्रह की सीमाओं के भीतर रखने के लिए अपर्याप्त हैं. जी20 द्वारा संचालित औद्योगिक और शासन प्रक्रियाओं का सह-अस्तित्व धारणाओं को बदलने, ज्ञान के आदान-प्रदान को बढ़ावा देने, नीतियों को अधिक सुसंगत बनाने और चक्रीयता के लिए तैयार नए बाज़ारों का निर्माण कर सकता है और इसके साथ ही सामाजिक-आर्थिक (सोशियोइकोनॉमिक्ली) और राजनीतिक रूप से व्यवहार्य एक चक्रीय अर्थव्यवस्था में परिवर्तन को तेज़ करने में मदद कर सकता है जो सतत उत्पादन और उपभोग को बढ़ावा देता है.
एट्रिब्यूशन: एएल में तूलिका गुप्ता, “उत्पादन प्रणालियों में स्थिरता को सुरक्षित करने के लिए वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं में चक्रीयता को एकीकृत करना,” टी20 नीति पत्र, जून 2023
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