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बहुपक्षीयवाद, हिंद-प्रशांत देशों के छोटे-छोटे समूह और इंडो-पैसिफिक से जुड़ी कूटनीति!
यूरोपीय मुल्कों से भारत की ताज़ा नज़दीकी के मायने!
‘यूक्रेन में रूस के द्वारा शुरू किये गये जंग की गूंज इंडो-पैसिफिक तक पहुंची चुकी है’
रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद की दुनिया में चीन को लेकर सर्वसम्मति; फिर से भरोसा खड़ा करना पहली ज़रूरत!
यूक्रेन संकट से तकनीक के क्षेत्र में हमें किस तरह के सबक़ मिले?
रूस पर लगाये गये तक़नीकी प्रतिबंधों पर चर्चा: क्या ‘स्प्लिंटरनेट’ हमारी परीक्षा ले रहा है?
दो सूरमाओं की भिड़ंत: सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर वर्चस्व, ताक़त और डिजिटल प्रजातंत्र के भविष्य का
यूक्रेन: दर्शक की भूमिका से हट कर, बड़े मैदान का खिलाड़ी बनने की ओर!
संयुक्त राज्य अमेरिका: एक लोकतंत्र जिसने लंबे समय से अपने साथ ही जंग छेड़ रखी है!
भू-राजनीतिक प्रतिस्पर्द्धा के युग में यूरोप का नैरेटिव: परचम लहरा भी रहा है तो कौन?
तीसरे विकल्प की पटकथा: यूरोपीय यूनियन और भारत के बीच साझेदारी की अहमियत!
अफ्रीका का तेज़ी से उभरता क्षेत्र: फिनटेक का विकास
भारत का नई आकार लेती विश्व व्यवस्था और रायसीना डायलॉग
हिंद-प्रशांत: चीन का उदय और इंडो-पैसिफिक पर उसका असर!
ड्रैगनबियर: बदलते वैश्विक परिदृश्य में पुतिन के विकल्प!
युद्ध में महिलाएं: सुरक्षा का बहुपक्षीयवाद और उसकी मुख्यधारा में महिलाओं की मौजूदगी!
#Millets: अनाज और पानी के संकट का मुक़ाबला करने के लिए सुपर फूड साबित हो रहे हैं ‘मोटे’अनाज
ईयू-लॅटीन अमेरिका संबंध
रूस-यूक्रेन युद्ध: ‘ईश्वर और देश’ के नाम पर गढ़ा जा रहा मीडिया नैरेटिव!
रूस-यूक्रेन युद्ध: ‘ईश्वर और देश’ के नाम पर गढ़ा जा रहा मीडिया नैरेटिव!
#Raisina Dialogue 2022: एक नई दुनिया!
यूक्रेन का संकट: एक अलग तरह की जंग लड़ रही हैं महिलाएं!
ब्रितानी प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन का भारत दौरा: वक़्त की नज़ाक़त से परे द्विपक्षीय मसलों को प्राथमिकता
रूस-यूक्रेन जंग: क्या बहुध्रुवीयता ही संकट का असली कारण है?
TRIPS Agreement: बौद्धिक संपदा के अधिकारों पर समझौता यानी ‘एक क़दम आगे, तो दो क़दम पीछे’
यूरोप में युद्ध: भांडे फूटे पड़ोसी के…!
#UkraineCrisis: यूक्रेन को अमेरिकी मदद की बदलती दिशा
फ्रांस: तत्कालीन राष्ट्रपति चुनाव का यूरोपीय राजनीति पर कितना और किस तरह का असर?