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नए दशक में क्लाइमेट पॉलिसीः अपनी ज़रूरत देखते हुए वैश्विक सहयोग
जलवायु लचीलापन: नगरपालिका के स्तर पर इसे कैसे ‘समावेशी’ बनाया जाये?
भारत की क्लीन-टेक प्रणाली के विकास में शहरी हरित वित्तपोषण की भूमिका!
नेट ज़ीरो: विकासशील देशों की अगुवाई करने का भारत के लिए एक शानदार मौक़ा
जलवायु परिवर्तन: भारत के ग्रीन ग्रोथ (हरित विकास) के लिए ज़रूरी चार ‘C’
भारत की ग्रीन हाइड्रोजन नीति: की अनिश्चित शुरुआत
न्यायसंगत बदलाव से क्या रसोई के ईंधन के मामले में आमूल-चूल बदलाव मुमकिन है?
‘नई विश्व व्यवस्था में भारत-अमेरिका संबंधों के लिए भविष्य की रूप-रेखा’
बजट 2022: भारत के लिए ‘जलवायु’ अनुकूल बजट बनाने का अवसर
एक हरित, लचीले और समावेशी विकास के लिए राह तय करना
नाभिकीय (Nuclear) ऊर्जा: क्या है छोटे माड्यूलर रिएक्टर्स का मामला
ईमानदारी से किये गये बदलाव के ज़रिये — ‘नेट ज़ीरो’ कार्बन का लक्ष्य पाने की कोशिश!
भारत: नौकरियों, विकास और स्थिरता में इलेक्ट्रिक मोबिलिटी की सहायक भूमिका
जलवायु परिवर्तन: एक नया हरित समझौता हर हाल में घरेलु नहीं बल्कि वैश्विक होना चाहिए
Climate Finance से जुड़ी भू-अर्थव्यवस्था
हरित परिवर्तन के लिए वित्त व्यवस्था
भारत: कारोबार जगत के लिए नेट-ज़ीरो से जुड़े ऐलान के मायने
COP26 की यातायात से जुड़ी घोषणा: भारत के हाथ से निकला एक मौक़ा Promit Mookherjee
भारत में ग्रीन हाइड्रोजन क्रांति में ग्रीन फाइनेंस की भूमिका
भारत का निर्णायक दशक
भारत का निर्णायक दशक
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का बेहिसाब इस्तेमाल: हमारी पृथ्वी के ख़िलाफ़ मशीनों का प्रकोप
बेहतर भविष्य का निर्माण — हरित परिवर्तन के लिए भारत और ब्रिटेन के बीच साझेदारी की कितनी संभावनाएं!
ग्रीन ट्रांज़िशन या हरित परिवर्तन के लिये ज़रूरत है इन भौतिक आवश्यकतों के पूरा होने की
भारत अगर बाज़ार में हरित उद्योगों की माँग को बढ़ावा दे पाये तो देश की ‘आर्थिक गतिविधियों’ में आ सकती है तेज़ी
जलवायु परिवर्तन से जुड़े वादे: क्या है मौजूदा स्थिति और उसके मायने?
कार्बन की कीमत तय करने की प्रक्रिया: अलग-अलग तीक्ष्णता के बीच भीड़, और भारत के लिए मौजूद अवसर
उद्योगों के लिए स्वच्छ ऊर्जा के विकल्पों का विकास