‘स्पेन की छमाही’ शुरू हो गई है. 1 जुलाई को, स्पेन ने पांचवीं बार यूरोपीय संघ (EU) के अध्यक्ष का कार्यभार संभाला. इसका मतलब है कि अब से साल के अंत तक, स्पेन ईयू में सभी बहसों का नेतृत्व करेगा, एजेंडा तय करेगा, समझौता वार्ताओं को दिशा देगा और इसके साथ ही यूरोप के एजेंडे में अपने हितों को भी शामिल करने का प्रयास करेगा.
देश के अंदर राजनीतिक गतिविधियां बहुत तेज़ हैं और यूक्रेन में खिंचे लंबे युद्ध, उच्च मुद्रास्फीति, व्यापारिक संबंधों को हथियारों की तरह इस्तेमाल करने और शक्ति संतुलन में भारी उथल-पुथल की वजह से अंतरराष्ट्रीय परिस्थितियां भी नाज़ुक मोड़ पर हैं.
पिछली बार स्पेन ने यूरोपीय संघ के परिषद का अध्यक्ष पद 2010 में संभाला था, यूरोपीय संघ में संस्थागत सुधारों के लिए की गई लिस्बन संधि के लागू होने के तुरंत बाद. तेरह साल बाद, स्पेन को अध्यक्षता ऐसे समय में मिली है जबकि देश के अंदर राजनीतिक गतिविधियां बहुत तेज़ हैं और यूक्रेन में खिंचे लंबे युद्ध, उच्च मुद्रास्फीति, व्यापारिक संबंधों को हथियारों की तरह इस्तेमाल करने और शक्ति संतुलन में भारी उथल-पुथल की वजह से अंतरराष्ट्रीय परिस्थितियां भी नाज़ुक मोड़ पर हैं.
स्पेन की अध्यक्षता की प्रमुख प्राथमिकताएं
स्पेन ने अपनी अध्यक्षता अवधि में प्राथमिकता दिए जाने वाले कई क्षेत्रों की पहचान की है.
स्पेन की शीर्ष प्राथमिकताओं में से एक है यूरोपीय संघ का फिर से औद्योगीकरण और इसकी ‘खुली रणनीतिक स्वायत्तता’ को मजबूत करना. इस अवधारणा के तहत यूरोप की दूसरे देशों पर एकतरफ़ा निर्भरता को कम करना है जो कोविड-19 महामारी और रूस-यूक्रेन विवाद के दौरान पूरी तरह साफ़ नज़र आई. इसके लिए आपूर्ति श्रृंखलाओं को सुरक्षित करना, यूरोप में ही रणनीतिक उद्योग और प्रौद्योगिकियों का विकास करना और महाद्वीप में काम करने के लिए नई कंपनियों को आकर्षित करना शामिल है. जैसा कि हाल ही में प्रकाशित हुई यूरोपीय आर्थिक रणनीति से यह साबित हुआ है कि यूरोपीय संघ में दृष्टिकोण के स्तर पर इस बदलाव से- संरक्षणवाद से बचते हुए परस्पर आर्थिक निर्भरता की संभावनाओं और ख़तरों के बीच संतुलन ढूंढने का प्रयास किया जाएगा- जिसमें खाद्य, स्वास्थ्य, सुरक्षा, ऊर्जा और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र शामिल होंगे. स्पेन ने 2021 में नीदरलैंड्स के साथ जारी संयुक्त प्रस्ताव के साथ दिखाया है कि वह यूरोपीय संघ की खुली रणनीतिक स्वायत्तता पर बहस का नेतृत्व करने के लिए तत्पर है.
इस दृष्टिकोण के तहत, यूरोपीय संघ दुनिया भर में अपने रणनीतिक सहयोगियों के साथ अपने वाणिज्यिक संबंधों का विस्तार और चीन पर निर्भरता को कम भी कर रहा है. इस संदर्भ में, स्पेन लैटिन अमेरिका पर ख़ास ध्यान दे रहा है, जो इसकी अपनी विदेश नीति का भी एक प्रमुख तत्व है. जुलाई के मध्य में होने वाले यूरोपीय संघ-सेलास (EU-CELAC लैटिन अमेरिका और कैरिबियन देशों का समूह) के आगामी सम्मेलन का महत्व बढ़ जाता है, जहां ईयू-मर्कोसुर (EU-Mercosur) व्यापार समझौता भी शामिल होगा, जो पर्यावरण संबंधी चिंताओं के कारण कम से कम दो दशकों से लटका हुआ है. मर्कोसुर के अलावा, मेक्सिको और चिली के साथ व्यापार समझौते भी पुष्टि होने का इंतज़ार कर रहे हैं. पारंपरिक रूप से स्पेन की स्थिति यूरोपीय संघ और लैटिन अमेरिका के बीच एक पुल के रूप में है और इससे उसे इन समझौतों को पक्का करने में मदद मिल सकती है. लैटिन अमेरिका के साथ स्पेन के नज़दीकी संबंध ऐसे समय में मददगार होंगे जब यूरोप दक्षिण के देशों के साथ अपने संबंधों को फिर से ठीक करने की कोशिश कर रहा है.
स्पेन का उद्देश्य हरित ऊर्जा में परिवर्तन को आगे बढ़ाना भी है, ख़ासकर बिजली के बाज़ार के सुधारों को क्योंकि यूक्रेन संकट की वजह से ऊर्जा की कीमतों में तेज़ उछाल आया है. नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में हासिल घरेलू सफलता के चलते स्पेन इस हरित परिवर्तन का नेतृत्व करने के लिए बेहतर स्थिति में है. स्पेनी प्रधानमंत्री पेड्रो सांचेज़ का दावा है कि ऊर्जा क्षेत्र में इसी परिवर्तन से 2030 तक यूरोप जीवाश्म ईंधन के आयात पर खर्च होने वाले 133 बिलियन यूरो बचा पाएगा और इससे एक मिलियन नौकरियां भी पैदा होंगीं.
एक और प्राथमिकता है 2020 में प्रस्तावित यूरोपीय संघ के नए प्रवास और शरण समझौते पर मुहर लगाना. 2015 से, यूरोपीय संघ में प्रवासन सबसे संवेदनशील मुद्दों में से एक है और नावों के डूबने, प्रवासियों की मौतों के साथ ही हर साल इस पर अविलंब कदम उठाने का दबाव बढ़ता जा रहा है. हाल ही में, यूरोपीय संघ के मंत्रियों ने यूरोप में प्रवेश करने वाले प्रवासियों के लिए ज़िम्मेदारी को साझा करने की योजना पर सहमति जताई है.
स्पेन की स्थिति यूरोपीय संघ और लैटिन अमेरिका के बीच एक पुल के रूप में है और इससे उसे इन समझौतों को पक्का करने में मदद मिल सकती है. लैटिन अमेरिका के साथ स्पेन के नज़दीकी संबंध ऐसे समय में मददगार होंगे
यूरोपीय संघ, दुनिया भर में अपनी तरह का अकेला है जो अपने प्रस्तावित एआई अधिनियम के माध्यम से कृत्रिम बुद्धिमत्ता (artificial intelligence- AI) को नियंत्रित करने जा रहा है, हाल ही में उभरी ChatGPT जैसी नई तकनीकों को देखते हुए जिसका महत्व और अधिक बढ़ गया है. स्पेन चाहेगा कि उसके अध्यक्षीय काल के दौरान यह विधेयक पास कर लिया जाए.
कई अन्य मुद्दे भी एजेंडे को प्रभावित करेंगे, जिसमें व्यक्तियों और कंपनियों दोनों के टैक्स चोरी के मामलों को खत्म करके सामाजिक और आर्थिक न्याय को प्रोत्साहित किया जाना शामिल है जिससे यूरोपीय संघ की जीडीपी का 1.5 प्रतिशत भार पड़ेगा. एक और विवादास्पद विषय है 2021-2027 के बहुवर्षीय वित्तीय ढांचे, अर्थात यूरोपीय बजट की समीक्षा, जिसे यूक्रेन का समर्थन करने की वजह से हुए भारी खर्च के चलते बढ़ाने की ज़रूरत है. इसके साथ ही संघ के राजकोषीय नियमों में सुधार के साथ बैंकिंग संघ और पूंजी बाज़ार संघ के माध्यम से आंतरिक बाज़ार को बड़ा करने पर ध्यान दिया जाएगा. अंततः, रूस के खिलाफ यूक्रेन के समर्थन को जारी रखते हुए, स्पेन यूरोपीय एकता को और बल देगा. स्पेन अचानक यूक्रेन का मज़बूत समर्थक बन गया है और उसने रूस के ख़िलाफ़ लड़ाई के लिए कीव को 10 लेपर्ड टैंक भेजने का वादा किया है.
मैड्रिड का चमकता सितारा?
सामान्यतः अध्यक्षता मिलना स्पेन के सितारे के लिए चमकने का मौक़ा होना चाहिए- यूरोपीय संघ की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के लिए अपनी अंतर्राष्ट्रीय विश्वसनीयता और कद बढ़ाने का एक बहुत बड़ा अवसर. इन सभी क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित होने से स्पष्ट है कि उसमें महत्वाकांक्षा का अभाव तो नहीं है.
फिर भी, चिंता का एक बड़ा कारण मौजूद है. स्पेन में मौजूदा प्रधानमंत्री सांचेज़ ने 23 जुलाई को तत्काल चुनाव करवाने की घोषणा की है, जिनके सत्ताधारी गठबंधन को प्रादेशिक और स्थानीय निकाय चुनावों में हार का सामना करना पड़ा है.
स्पेन को अध्यक्षता नाज़ुक समय में मिली है- जून 2024 में होने वाले यूरोपीय संसदीय चुनावों से पहले यह अंतिम पूर्ण अध्यक्षता है और उसके बाद एक नया यूरोपियन आयोग सत्ता संभालेगा, इसलिए यह समय अब तक लंबित पड़ी फाइलों और विधेयकों को निपटाने का है. इसके बाद बेल्जियम को अध्यक्षता मिलेगी और उस समय यूरोपीय संघ चुनाव प्रचार के दौर में होगा और इस दौरान ऐसी कई फाइलों पर ध्यान नहीं दिया जा सकेगा जिन्हें इसकी ज़रूरत है. 18 महीने अध्यक्षता की तिकड़ी (2009 में लागू लिस्बन संधि के द्वारा यह सुनिश्चित किया गया था अध्यक्षता पाने वाले सदस्य नज़दीकी समूह में रहकर काम करते हैं जिन्हें trios या तिकड़ी कहा जाता है. यह तिकड़ी दीर्घकालिक लक्ष्य निर्धारित करती है और उन विषयों और मुख्य मुद्दों पर एक साझा एजेंडा तैयार करती है जिन पर परिषद अगले 18 महीने की अवधि में काम करेगी) में आखिरी मौका यूरोपीय संघ विरोधी हंगरी को मिलेगा जो 2024 के उत्तरार्ध में नेतृत्व संभालेगा.
हालांकि स्पेनी राजनेता चुनाव से अध्यक्षता (यूरोपीय यूनियन की) और उसके लक्ष्यों के प्रभावित होने की आशंका को दूर करने की कोशिशों में लगे हुए हैं लेकिन यह कहना मुश्किल है कि छह महीने की अध्यक्षता के दौरान सत्ता के परिवर्तन (स्पेन में) से कामकाज की प्रगति पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा. स्पेनियों ने 2021 के पूर्वार्ध में फ्रांस की अध्यक्षता के समय देश (फ्रांस) में हुए दो चरणों के राष्ट्रपति चुनाव की बात उठाई थी. कम से कम यह तो तय है कि चुनाव (स्पेन के) यूरोपीय संघ के एजेंडे से ध्यान भटकाएंगे और संभवतः उसकी गति को धीमा करेंगे. ये भय और बढ़ जाते हैं जब रूढ़िवादी (conservative ) पार्टी पार्टिडो पॉपुलर और धुर-दक्षिणपंथी वॉक्स (Vox) के बीच गठबंधन से एक दक्षिणपंथी गठबंधन सरकार बनने की संभावना नज़र आती है. हालांकि राहत की बात यह है कि स्पेन उन देशों में शामिल है जो यूरोपीय संघ के सबसे बड़े समर्थक हैं, जिसमें कोई राजनीतिक पार्टी यूरोप की एकता और एक साथ आने के विचार से भटकती नहीं है.
स्पेन को अध्यक्षता नाज़ुक समय में मिली है- जून 2024 में होने वाले यूरोपीय संसदीय चुनावों से पहले यह अंतिम पूर्ण अध्यक्षता है और उसके बाद एक नया यूरोपियन आयोग सत्ता संभालेगा, इसलिए यह समय अब तक लंबित पड़ी फाइलों और विधेयकों को निपटाने का है.
यहां 2007 में हस्ताक्षरित लिस्बन संधि के तत्व को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए जिसने यूरोपीय संघ की अध्यक्षता को नियमित रूप से बदलने वाली बनाया था और इस तरह अध्यक्ष पद पर आसीन देश की ताकत और प्रभाव को कम किया. इसलिए, संभावना है कि स्पेन के राष्ट्रीय चुनाव का प्रभाव मामूली ही होगा क्योंकि परिषद की अध्यक्षता मूल तौर पर तकनीकी है और तिकड़ी प्रणाली (trio system) यह सुनिश्चित करती है कि निरंतरता बनी रहे. इस प्रणाली के अनुसार, हर अध्यक्ष को पिछले अध्यक्ष के काम को आधार बनाकर ही आगे बढ़ना होता है जिससे यह सुनिश्चित होता है कि 18 महीने तक किए जाने वाले कामों में निरंतरता बनी रहे.
परंपरागत रूप से स्पेन विदेश नीति के क्षेत्र में अपनी हैसियत से कम प्रभाव रखता रहा है और इसकी वजहें रही हैं घरेलू चुनौतियां, जिनमें शामिल हैं आर्थिक संकट, राजनीतिक अशांति और कैटलन का अलगाववादी आंदोलन. पिछले कुछ सालों में सांचेज़ ने देश की तुलनात्मक रूप से स्थिर अर्थव्यवस्था के साथ ही इटली के सत्ताधारी गठबंधन के यूरोप की एकता को लेकर आशंका भरे रवैये और ब्रेक्सिट का फ़ायदा उठाते हुए यूरोपीय संघ और वैश्विक स्तर पर स्पेन की भूमिका को बढ़ाने की कोशिश की है. इसके अलावा, सांचेज़ ने जर्मनी और फ्रांस के साथ नज़दीकी संबंध बनाए रखे हैं, जो दोनों ही यूरोपीय संघ में प्रभावशाली खिलाड़ी हैं, हालांकि यह देखना बाकी है कि घरेलू राजनीतिक चुनौतियों के बीच स्पेन अपनी अध्यक्षता से जुड़ी उम्मीदों को पूरा कर पाता है नहीं.
27 देशों के यूरोपीय संघ में सदस्य के बीच एक राय बना पाना एक मुश्किल काम है. यह तब और भी अधिक भारी काम हो जाता है जब संभवतः विचलित अध्यक्ष का ध्यान मेड्रिड में हो, ब्रसेल्स के बजाय.
पैट्रीज़िया कोगो मोरालिस ब्रसेल्स में एल्कानो रॉयल इंस्टीट्यूट में प्रोजेक्ट मैनेजर और रिसर्च असिस्टेंट हैं.
शेरी मल्होत्रा ऑब्ज़़र्वर रिसर्च फ़ाउंडेशन के रणनीतिक अध्ययन कार्यक्रम में एक संयुक्त अध्येता हैं.
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