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मज़हब का साया: जिहाद, राष्ट्रीय पहचान और भारत की ताक़त!
जानिए, उत्तरी सीरिया किस प्रकार से इस्लामिक स्टेट के आतंकियों के लिए बना एक क़ैदख़ाना!
अफ्रीका के साहेल क्षेत्र में आतंकवाद: फ्रांस, रूस की भूमिका – भारत के लिए एक महत्त्वपूर्ण मुद्दा!
India-Armenia Relations: उभरती साझेदारी से नई दिल्ली को फायदा
क्या पीएफआई पर लगा ‘प्रतिबंध’ भारत में बढ़ते कट्टरपंथ पर लगाम लगा पाएगा?
दक्षिण एशिया और तालिबान: इलाके के छोटे देशों द्वारा तालिबान को लेकर ‘इंतज़ार करो और देखो’ की रणनीति के मायने?
पश्चिम एशिया की सियासत में धीरे-धीरे वापसी करता सीरिया
अफ़ग़ानिस्तान: तालिबान के खिलाफ़ प्रतिरोधी कूटनीति क्यों असफल हो रही है?
पाकिस्तान में सेना और सरकार क्यों हुए आमने-सामने?
नए भू-राजनीतिक और स्थानीय वास्तविकताओं से कश्मीर का आमना-सामना!
मध्य-पूर्व के विवादित क्षेत्र का नया शांतिदूत बनकर उभर रहा है युद्धग्रस्त राष्ट्र इराक़
शंघाई सहयोग संगठन: युद्ध के लिये आमादा तालिबान पर अंकुश लगाने का एक मात्र तरीक़ा
तालिबान की कामयाबियों का दूसरे जिहादी गुटों पर असर और उनका नज़रिया!
सोशल मीडिया, विदेश-नीति और चरमपंथी सोच का चौराहा: भारत से एक उदाहरण
भारतीय मुसलमान और जिहादियों की नाकामी: अतीत और भविष्य
श्रीलंका में आतंकी हमले की बरसी: आतंक के खिलाफ़ एक साझा रणनीति अपनाने की ज़रूरत
इराक में बढ़ती ईरान की भूमिका