राष्ट्र की प्रगति और कामयाबी के लिए युवा बेहद अहम होते हैं. संयुक्त राष्ट्र (UN) के ज़्यादातर सतत विकास लक्ष्य (SDGs) युवाओं पर लक्षित हैं. इनमें युवाओं को जनसंख्या के एक महत्वपूर्ण हिस्से के रूप में चिन्हित करते हुए उनमें निवेश की आवश्यकता को रेखांकित किया गया है. भारत की 66 फ़ीसदी आबादी (80.8 करोड़) की उम्र 35 वर्ष से कम है. इस तरह भारत में दुनिया की सबसे बड़ी युवा आबादी मौजूद है. संख्या में अनुमानित गिरावट के बावजूद भारत 2030 में भी अपेक्षाकृत ‘युवा’ देश बना रहेगा. उस वक़्त तक हिंदुस्तान की 24 प्रतिशत आबादी (36.5 करोड़) 15-29 आयु वर्ग में होगी. आज यूरोप के तमाम देशों के साथ-साथ अमेरिका और यहां तक कि चीन भी बुज़ुर्ग होती आबादी और घटती युवा शक्ति की दोहरी समस्याओं से जूझ रहे हैं. ऐसे समय में भारत अपनी युवा आबादी का पालन-पोषण कैसे करता है, यह उसके भविष्य के विकास पथ को निर्धारित करेगा.
आबादी के इस “सबसे गतिशील और जीवंत हिस्से” से संभावित फ़ायदों को अधिकतम करने के लिए भारत सरकार के युवा मामले और खेल मंत्रालय ने राष्ट्रीय युवा नीति (NYP) 2021 का मसौदा तैयार किया.
आबादी के इस “सबसे गतिशील और जीवंत हिस्से” से संभावित फ़ायदों को अधिकतम करने के लिए भारत सरकार के युवा मामले और खेल मंत्रालय ने राष्ट्रीय युवा नीति (NYP) 2021 का मसौदा तैयार किया. इसमें 2030 तक युवा विकास के लिए 10-वर्षीय दृष्टिकोण की परिकल्पना सामने रखी गई है. मौजूदा NYP 2014 की व्यापक समीक्षा के बाद ये मसौदा प्रस्तुत किया गया है.
वक़्त के आईने में राष्ट्रीय युवा नीति
भारत की पहली राष्ट्रीय युवा नीति, 1988 में तैयार की गई थी, और आगे चलकर 2003, 2014 और 2021 में इसे अपडेट किया गया. इनमें से हरेक क़वायद के बाद सरकार की नीतिगत प्राथमिकताएं ज़्यादा नवाचार भरी और टिकाऊ दिशाओं में विकसित हुई हैं. इस कड़ी में युवाओं के स्पष्ट सशक्तिकरण के लिए आदर्शों के साथ शुरुआत के बाद ठोस परिणामों की ओर आगे बढ़ा गया है. 21वीं सदी में भारत के विकास के बुनियादी पहलुओं को आकार देने की क़वायदों में युवाओं की भागीदारी पर ज़ोर दिया गया है. मिसाल के तौर पर NYP 2003 का मुख्य उद्देश्य युवाओं में देशभक्ति और नैतिकता-परक मूल्यों की भावना का संचार करना था. राष्ट्रीय एकता और अखंडता को बढ़ावा देने के लिए NYP ने सभी प्रकार की धार्मिक आस्थाओं, विश्वासों और सामाजिक-सांस्कृतिक मूल्यों के सम्मान पर ध्यान केंद्रित किया. नीति में लैंगिक न्याय का उल्लेख करते हुए यह स्वीकार किया गया कि लैंगिक पूर्वाग्रह, महिलाओं के ख़राब स्वास्थ्य और बदतर सामाजिक-आर्थिक कल्याण के लिए ज़िम्मेदार “मुख्य कारक” है. हालांकि, NYP 2003 के लैंगिक न्याय दृष्टिकोण को किसी विशिष्ट कार्यक्रम या कार्य योजना का सहारा नहीं मिल पाया.
इसकी तुलना में NYP 2014 काफ़ी बेहतर ढंग से तैयार किया गया था. NYP 2003 में युवा आयु वर्ग 13-35 वर्ष रखा गया था, जिसे 2014 की राष्ट्रीय युवा नीति में 15-29 वर्ष कर दिया गया. इस बदलाव का मक़सद युवा विकास और सशक्तिकरण के लिए “अधिक केंद्रित दृष्टिकोण प्रदान करना” था. इसके लिए पांच लक्ष्य और 11 प्राथमिकतापूर्ण कार्य क्षेत्रों की पहचान की गई. इनमें मानसिक स्वास्थ्य और नशीले पदार्थों के सेवन जैसे मसले शामिल हैं. राष्ट्रीय युवा नीति 2014 में युवाओं के लिए शिक्षा, जीवन भर सीखने, व्यावसायिक शिक्षा और कौशल विकास तक समान पहुंच पर भी ज़ोर दिया गया. हालांकि दूरदर्शी रुख के बावजूद नीति मसौदे को आलोचनाओं का सामना करना पड़ा. दरअसल विशिष्ट कार्य योजनाओं के बारे में विस्तृत जानकारियों की कमी और ज़मीनी हक़ीक़तों से इसके “कटाव” के चलते ऐसी आलोचनाएं सामने आईं.
21वीं सदी में भारत के विकास के बुनियादी पहलुओं को आकार देने की क़वायदों में युवाओं की भागीदारी पर ज़ोर दिया गया है. मिसाल के तौर पर NYP 2003 का मुख्य उद्देश्य युवाओं में देशभक्ति और नैतिकता-परक मूल्यों की भावना का संचार करना था.
दूसरी ओर NYP 2021 मुख्य रूप से समग्र विकास और स्थिरता पर ध्यान केंद्रित करता है. ये नीति, संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्यों के अनुरूप है. इसके दायरे में मुख्य रूप से गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, कम विषमताएं, सम्मानजनक कार्य और आर्थिक वृद्धि शामिल हैं. खेलों में भागीदारी को प्रोत्साहित करने से लेकर पहले से ज़्यादा आधुनिक और समग्र स्कूली पाठ्यक्रम तैयार करना इसके लक्ष्यों में शुमार है. साथ ही वित्तीय, क़ानूनी और डिजिटल साक्षरता से लेकर मानसिक स्वास्थ्य सहायता प्रदान करने और नीति और निर्णय लेने में युवाओं को शामिल करने की योजना तक के विचार इसमें जुड़े हैं. ज़ाहिर है NYP 2021 का दायरा नीतिगत मोर्चे पर पिछली क़वायदों की तुलना में अधिक व्यापक है. इसमें स्वास्थ्य और कल्याण, शिक्षा और समाज से जुड़े तमाम अहम पहलुओं को शामिल किया गया है. साथ ही भारत के समग्र विकास और प्रगति के लिए कार्यबल में युवाओं के महत्व को रेखांकित किया गया है. फिर भी, इसमें विभिन्न राज्य तंत्रों के ज़रिए क्रियान्वयन को लेकर एक स्पष्ट रोडमैप का अभाव है.
NYP 2021 के सामने चुनौतियां
राष्ट्रीय युवा नीति 2021 का दायरा सचमुच व्यापक है. इसके तहत युवाओं के एक ऐसे वर्ग पर ध्यान देना बेहद अहम है जिन्हें शिक्षा, रोज़गार या प्रशिक्षण का लाभ नहीं मिल पाया है. नीति ऐसे युवाओं (जिन्हें NEET युवा भी कहते हैं) के नए सिरे से एकीकरण पर ध्यान केंद्रित करती है. इसमें ऐसे युवाओं को दोबारा मुख्यधारा में जोड़ने में मदद करने के लिए योजनाएं और कार्यक्रम तैयार करने का प्रस्ताव किया गया है, हालांकि इसको लेकर कोई विशिष्ट समयसीमा या इसे हासिल करने को लेकर तयशुदा रास्तों को चिन्हित नहीं किया गया है. बहरहाल, NEET युवाओं को दोबारा साथ जोड़ने की योजना के परिणाम तभी मिलेंगे जब भारत रोज़गार को लेकर एक समान अवसर पैदा करे. 2022 में भारत में बेरोज़गारी दर 23.2 प्रतिशत थी, जिसे देखते हुए ये लक्ष्य मुश्किल दिखाई देता है. मुमकिन तौर पर रोज़गार प्रदान करने का एक तरीका ये होगा कि प्रशिक्षित NEET युवाओं में से अधिकांश को सरकारी कार्यक्रमों में शामिल कर लिया जाए. इन युवाओं में से घरेलू स्तर पर आवश्यक शिक्षकों की आपूर्ति की जा सकती है. इस तरह ऐसे युवाओं के एक बड़े हिस्से को रोज़गार के अवसर मुहैया हो सकेंगे. वैसे सौ बात की एक बात यही है कि NYP 2021 इस सिलसिले में कोई रास्ता नियत नहीं करता है.
NYP 2021 की एक और ख़ामी इसकी अघोषित धारणा में छिपी है. नीति ये मानती है कि भारत के सभी युवाओं को शिक्षा, कौशल और रोज़गार तक समान रूप से पहुंच हासिल है. ये नीति भारत की युवा आबादी के भीतर मौजूद भारी विषमताओं को नज़रअंदाज़ करती है. यहां युवाओं का महज़ एक छोटा सा अनुपात अपनी आकांक्षाओं को साकार करने और व्यावसायिक दृष्टि से बेहतर अवसरों और गतिशीलता तक पहुंच बनाने के लिए अपनी सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक स्थिति का भरपूर लाभ उठाता है. इसके विपरीत युवा आबादी का एक बड़ा हिस्सा, सामाजिक और आर्थिक रूप से वंचित वर्गों की नुमाइंदगी करता है. ये तबक़ा स्थायी या टिकाऊ आजीविका हासिल करने के लिए भारी चुनौतियों का सामना करता है. शहरी युवा प्रवासियों के लिए ऐसी विषमताएं कई गुना बढ़ जाती हैं. ग़ौरतलब है कि कोविड-19 महामारी के वर्षों (यानी 2020-21) के दौरान 56 लाख छात्रों की माध्यमिक शिक्षा बीच में ही रुक गई. इसी प्रकार 2019 में 15-29 वर्ष की आयु के 30 प्रतिशत युवा शिक्षा, रोज़गार या प्रशिक्षण के दायरे से बाहर रहे. इन युवाओं में से 57 प्रतिशत महिलाएं थीं. ऐसी परिस्थितियों में ‘समान पहुंच’ की उपरोक्त धारणा, नीति के आधार को खोखला कर सकती है.
2021 की एक और ख़ामी इसकी अघोषित धारणा में छिपी है. नीति ये मानती है कि भारत के सभी युवाओं को शिक्षा, कौशल और रोज़गार तक समान रूप से पहुंच हासिल है. ये नीति भारत की युवा आबादी के भीतर मौजूद भारी विषमताओं को नज़रअंदाज़ करती है.
आर्थिक प्रवासन (migration), भेदभाव, कम उम्र में शादी और अन्य सामाजिक बाधाओं को स्कूली शिक्षा बीच में ही छोड़ने के कारकों के तौर पर चिन्हित किया जाता है. हालांकि लक्षण बताने वाली इन समस्याओं के साथ NEP 2021 का विशेष जुड़ाव, बीच में ही स्कूली शिक्षा छोड़ देने की क़वायदों को व्यक्तिगत समस्या के तौर पर लेता है. नीति के मुताबिक इन समस्याओं को “स्कूल-समुदाय-अभिभावक भागीदारी”, “परामर्श” और “योग्यता-आधारित बैंक ऋणों” के ज़रिए हल किया जा सकता है. इस सिलसिले में शिक्षा प्रणाली के भीतर मौजूद संरचनात्मक अड़चनों को नज़रअंदाज़ कर दिया गया है. NYP 2021 में “भौगोलिक दूरी या दिव्यांगता के कारण शारीरिक रूप से स्कूल या कॉलेज जाने में असमर्थ लोगों के लिए शिक्षा की पहुंच बढ़ाने” को लेकर टेक्नोलॉजी का भरपूर लाभ उठाकर “शिक्षण के परंपरागत तरीक़ों” पर दोबारा विचार करने की सिफ़ारिश की गई है. हक़ीक़त ये है कि 60 प्रतिशत छात्रों को इंटरनेट तक पहुंच हासिल नहीं है, जिससे इस प्रस्ताव के बेपटरी हो जाने की आशंका है.
यह नीति, केंद्र-राज्य संबंधों के अनुकूलतम तालमेल और विभिन्न मंत्रालयों और सरकारी विभागों के बीच उच्च स्तर के समन्वय वाले आदर्श परिदृश्य को मानकर आगे बढ़ती है. युवा मामले और खेल मंत्रालय के अलावा इसके दायरे में कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय, ग्रामीण विकास मंत्रालय; सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय; वित्त, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय; शिक्षा; कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय; विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय; सामाजिक न्याय और अधिकारिता जैसे मंत्रालय आते हैं. इन तमाम मंत्रालयों के तहत आने वाले ढेरों विभाग भी इस नीति के दायरे में शामिल हैं. इतना ही नहीं, नीति को ज़मीन पर उतारने के लिए ग़ैर-सरकारी किरदारों, NGOs, युवा संगठनों और सबसे अहम, निजी क्षेत्र के समर्थन और उनके साथ सक्रिय तालमेल की भी आवश्यकता होगी. वास्तविक रूप से जांच-परख करें तो NYP 2021 का क्रियान्वयन ही इसकी सबसे बड़ी चुनौती साबित हो सकती है.
राष्ट्रीय युवा नीति 2021 भारत के युवा वर्ग के सशक्तिकरण के लिए उम्मीदों और संभावनाओं से भरा दूरदर्शी दृष्टिकोण प्रस्तुत करती है, जो 21वीं सदी में भारत के घरेलू विकास को बढ़ावा देते हुए इसके अंतरराष्ट्रीय रुतबे को आगे बढ़ाएगा. बहरहाल, क्रियान्वयन को लेकर स्पष्ट रणनीति और विस्तृत कार्य योजना के अभाव में नीति का भविष्य पेचीदा दिखाई देता है. ‘अमृत काल’ में भारत की ‘अमृत पीढ़ी’ को मुख्यधारा में लाने का यह अवसर गंवाना, भारत के लिए कतई गवारा नहीं हो सकता.
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