Published on Nov 18, 2024


संकलन- समीर पाटिल, चैतन्य गिरी


भूमिका 

व्यापार का 95 प्रतिशत से ज़्यादा समुद्री मार्ग से होता है, फिर भी ये दुनिया के तमाम बड़े समुद्र या महासागरों को ताकत की प्रतिस्पर्धा का मुख्य व भव्य केंद्र होने से नहीं रोक पाया है. इस क्षेत्र के कई खिलाड़ी ऐसे हैं जो इन गहरे विवादित जल-क्षेत्रों का फायदा उठा रहे हैं, जिनमें कुछ ऐसे राष्ट्र भी शामिल हैं जो काफी हद तक  अपने आर्थिक और सुरक्षा एजेंडे की पूर्ति के लिये स्वार्थी हैं. इनके इस तरह का दुर्भावनापूर्ण व्यवहार ग्लोबल व्यवस्था को पटरी से उतारने का जोख़िम पैदा करता है. ये स्वार्थी भू-राजनीतिक गतिविधियां कुछ और चिंता पैदा करने वाली प्रवृत्तियों को बढ़ाता है, जैसे- घटते समुद्री संसाधनों के लिए कभी न खत्म होने वाली लालच और पुराने ग्लोबल शासन के नियम-क़ायदे.भारत के लिए भी, समुद्री क्षेत्र उसके आर्थिक विकास की गणना में गहरा रणनीतिक महत्व रखता है. देश अगले पांच वर्षों में वैश्विक विकास में लगभग 18 प्रतिशत का योगदान करने के लिए तैयार है, जिसमें व्यापार की मुख्य भूमिका होगी. अगले तीन सालों में इसकी तीसरी सबसे बड़ी वैश्विक अर्थव्यवस्था बनने की भी उम्मीद है, जो संभवतः 2050 तक सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगी. ये मील के पत्थर समुद्री क्षेत्र की ताकत पर निर्भर करते हैं, जिसमें ग्लोबल नरेटिव्स यानी वैश्विक आख्यानों को आकार देने, लचीली वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं को बनाए रखने और संचार की समुद्री लाइनों को सुरक्षित करने की क्षमता शामिल है.

समुद्री क्षेत्र की महत्ता को देखते हुए, यह सही समय है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय सामूहिक हितों की सुरक्षा में अपनी भूमिका का आकलन कर उसे नया रूप दें, और उसका दोबारा मूल्यांकन करे. इसके लिए समुद्र पर आधारित वाणिज्य, सप्लाई चेन, स्थिरता और गर्वनेंस के बारे में सार्थक बातचीत की ज़रूरत है, ताकि हमारे महासागरों की उम्र लंबी और स्वास्थ्य बेहतर हो, ये सुनिश्चित हो सके. इसके साथ ही नई रूपरेखायें और नियम भी हों जो वर्तमान वास्तविकताओं और भविष्य की चुनौतियों को दर्शाते हों. इस तरह की बातचीत एक अधिक न्यायसंगत और टिकाऊ समुद्री भविष्य को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण है.

सागरमंथन एडिट 2024 में निबंधों की एक श्रृंखला संकलित की गई है जो समुद्री क्षेत्र की वर्तमान स्थिति और भविष्य पर चर्चा करने के लिए संदर्भ निर्धारित करती है. यह शिपिंग, समुद्री संपर्क और बुनियादी ढांचे, नवाचार, स्थिरता और नई प्रौद्योगिकियों के उपयोग, वैश्विक सहयोग की संभावनाओं और ब्लू (सामुद्रिक) अर्थव्यवस्था जैसे मुद्दों पर अलग-अलग आवाज़ और नज़रिये को सामने लाता है.

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