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यह लेख “सागरमंथन एडिट 2024” निबंध श्रृंखला का हिस्सा है.
एथेंस विश्वविद्यालय में भू-राजनीति के ग्रीक प्रोफेसर डॉ. इयोनिस माज़िस के मुताबिक़, "अर्थव्यवस्थाओं यानी देशों को संचालित करने में व्यापार की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण होती है और यह व्यापार ही है, जो राजनीतिक एवं भू-राजनीतिक दोनों तरह के बदलावों पर असर डालने का काम करता है. जिसके हाथों में ज़मीनी स्तर पर व्यापार का नियंत्रण (वस्तुओं की आपूर्ति का नियंत्रण) होता है, उसके पास ही देखा जाए तो पूरी अर्थव्यवस्था का नियंत्रण होता है. और जिसके पास अर्थव्यवस्था का नियंत्रण होता है, उसी के पास राष्ट्रों को नियंत्रित करने एवं वैश्विक स्तर पर भू-राजनीतिक बदलावों को अपने अनुसार प्रभावित करने की ताक़त होती है. कहने का मतलब है कि जिसके पास व्यापार को नियंत्रित करने की शक्ति होती है, उसके पास ही दुनिया में अपना वर्चस्व स्थापित करने और पूरी व्यवस्था को संचालित करने की शक्ति होती है."
ग्रीस एक ऐसा देश है जो एजियन सागर, आयोनियन सागर और भूमध्य सागर से घिरा हुआ है. ग्रीस में शिपिंग उद्योग यानी समुद्र के ज़रिए माल परिवहन से संबंधित उद्योग बहुत व्यापक और विकसित है.
पूरी दुनिया में खाद्य सुरक्षा के लिए और ग़रीबी को समाप्त करने में महासागर, समुद्र एवं तटीय क्षेत्रों का अहम योगदान है. ग्लोबल स्तर पर देखा जाए तो 3 बिलियन से अधिक लोग भरण-पोषण एवं आजीविका के लिए महासागरों पर निर्भर हैं, जबकि पूरी दुनिया में जितना भी व्यापार होता है, उसका 80 प्रतिशत हिस्सा समुद्र के ज़रिए होता है.
ग्रीस एक ऐसा देश है जो एजियन सागर, आयोनियन सागर और भूमध्य सागर से घिरा हुआ है. ग्रीस में शिपिंग उद्योग यानी समुद्र के ज़रिए माल परिवहन से संबंधित उद्योग बहुत व्यापक और विकसित है. ग्रीस के निवासियों ने प्राचीन समय में ही दूसरे देशों के साथ व्यापार के महत्व को समझ लिया था और इसके लिए देश में समुद्री जहाज के निर्माण, जहाजों के परिवहन और कार्गो ट्रेडिंग के क्षेत्र में महारत हासिल कर समुद्री व्यापार को विकसित करने में पूरा ज़ोर लगा दिया था. ग्रीस द्वारा पूर्व में किए गए इन्हीं प्रयासों का नतीज़ा है कि आज उसके जैसा एक छोटा सा देश दुनिया में शिपिंग उद्योग का अगुवा बन गया है और तमाम दूसरे देशों को वस्तुओं के आयात व निर्यात की सेवाएं उपलब्ध करा रहा है.
सप्लाई चेन का महत्व
मौजूदा समय में दुनिया तेज़ी से बहु-ध्रुवीय होती जा रही है और इन हालातों में बड़ी अर्थव्यवस्थाओं वाले राष्ट्रों को अनिश्चितिता का सामना करना पड़ रहा है. ख़ास तौर पर तेज़ी से बदलती वैश्विक व्यवस्था एवं भू-राजनीतिक, आर्थिक, ऊर्जा और तकनीक़ी क्षेत्रों में टकराते आपसी हितों की वजह से बड़े देशों को अनिश्चितिता के माहौल से जूझना पड़ रहा है. ऐसे में, देशों के बीच बने मौजूदा गठबंधनों की अनदेखी नहीं की जा सकती है. दरअसल, आज के दौर में हर देश अपनी अर्थव्यवस्था को मज़बूत करना चाहता है, साथ ही दूसरे राष्ट्रों पर निर्भरता को कम से कम करने की कोशिश में जुटा है. इसके अलावा, आज हर देश बाहरी वजहों से मचने वाली उथल-पुथल के ख़तरों से भी निजात पाना चाहता है. इसके लिए ज़रूरी है कि देशों को निरंतर नवाचार एवं विकास पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए.
हर देश के लिए वस्तुओं के आयात और निर्यात की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होती है, क्योंकि इससे जहां देश की खाद्य आपूर्ति सुनिश्चित होती है, वहीं इंफ्रास्ट्रक्चर की मज़बूती में भी यह अहम भूमिका निभाता है. कहा जा सकता है कि किसी देश के विकास और उसकी आर्थिक प्रगति के लिए आयात-निर्यात बहुत अहम होता है. किसी देश के साथ संबंध स्थापित करते समय उसकी व्यापारिक क्षमता को परखने के लिए उसके आयात और निर्यात को समझना बेहद अहम होता है. अगर किसी देश को प्रगति करना है और आर्थिक रूप से ताक़तवर बनना है, तो माल और वस्तुओं की ख़रीद-फ़रोख्त का लागत-प्रभावी होना यानी किफ़ायती होना अनिवार्य है. किसी वस्तु की लागत में उसके परिवहन में आने वाले ख़र्च का बहुत बड़ा योगदान होता है. दुनिया में समुद्री मार्गों के जरिए वस्तुओं के परिवहन में सबसे कम लागत आती है और यही वजह है कि ग्लोबल व्यापार का 80 प्रतिशत समुद्र के रास्ते ही होता है. इसके अलावा, कई दूसरे कारक भी हैं, जो वस्तुओं के ख़रीदने-बेचने की लागत पर असर डालते हैं, जैसे कि आपूर्ति श्रृंखला का प्रवाह और वस्तुओं के आयत-निर्यात पर लगाए गए तमाम प्रतिबंध आदि.
अगर किसी देश को प्रगति करना है और आर्थिक रूप से ताक़तवर बनना है, तो माल और वस्तुओं की ख़रीद-फ़रोख्त का लागत-प्रभावी होना यानी किफ़ायती होना अनिवार्य है. किसी वस्तु की लागत में उसके परिवहन में आने वाले ख़र्च का बहुत बड़ा योगदान होता है.
दुनिया में ग्रीस, जापान, चीन, सिंगापुर और हांगकांग ऐसे पांच प्रभावशाली शिपिंग राष्ट्र हैं, जहां समुद्री मार्ग के ज़रिए माल परिवहन की व्यवस्था बहुत विकसित है. दुनिया में समुद्री मार्गों से होने वाले कुल माल परिवहन को नियंत्रित करने में इन पांचों देशों की 53 प्रतिशत हिस्सेदारी है. इनमें से ग्रीस दुनिया के प्रमुख व्यापारिक देशों का एक रणनीतिक साझीदार है. ग्रीस के मालवाहक समुद्री जहाजों के बेड़ों द्वारा अमेरिका के समुद्री रास्तों से होने वाले 22 प्रतिशत से अधिक आयात-निर्यात को प्रबंधित किया जाता है, जबकि यूरोपीय देशों के कुल समुद्री व्यापार के 20 प्रतिशत से अधिक और एशियाई देशों के समुद्री व्यापार के 32 प्रतिशत से अधिक का प्रबंधन किया जाता है. यह उपलब्धि देखा जाए तो ग्लोबल अर्थव्यवस्था और व्यापार में ग्रीस के शिपिंग उद्योग को एक प्रमुख स्थान प्रदान करती है, साथ ही ग्रीस की घरेलू अर्थव्यवस्था का भी एक प्रमुख स्तंभ बनाती है.
ग्रीस के फलते-फूलते शिपिंग उद्योग ने दूसरे देशों को भी जहाज निर्माण और जहाज की मरम्मत जैसे क्षेत्रों में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया है, साथ ही उन्हें इससे जुड़ी टेक्नोलॉजी के विकास, समुद्री माल परिहवन से जुड़ी सेवाओं के विकास, जहाज के कलपुर्जों एवं उपकरणों के निर्माण में विशेषज्ञता हासिल करने का रास्ता दिखाया है. कहने का मतलब है कि ग्रीक शिपिंग उद्योग ने कहीं न कहीं ऐसे देशों की आर्थिक तरक़्क़ी में योगदान दिया है. उदाहरण के तौर पर ग्रीस ने वर्ष 2000 के बाद से चीनी शिपयार्ड से 1,500 जहाज ख़रीदे हैं, जिसने चीनी अर्थव्यवस्था में 70 बिलियन अमेरिकी डॉलर का योगदान दिया है. इसमें चीन को हर साल जहाज की मरम्मत से होने वाली अतिरिक्त आय शामिल नहीं है.
चीन की छलांग
वैश्विक शिपिंग उद्योग में विभिन्न देशों के प्रभुत्व की बात की जाए, तो पिछले 15 वर्षों में चीन इसमें ज़बरदस्त छलांग लगाते हुए एक आक्रामक खिलाड़ी बनकर उभरा है. इस दौरान चीन न सिर्फ़ अपने मर्चेंट फ्लीट यानी मालवाहक जहाजों के बेड़े को बढ़ाने में क़ामयाब रहा है, बल्कि उसने ग्लोबल कार्गो ट्रेडिंग सेक्टर में अपने मज़बूत क़दम बढ़ाए हैं. चीन के पास आज दुनिया के 43 देशों में 117 से अधिक रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण बंदरगाहों के प्रबंधन का नियंत्रण है, जबकि 12 अन्य बंदरगाहों के विकास में चीन फिलहाल जुटा हुआ है. इस सबने जहां समुद्री माल परिवहन सेक्टर में चीन के दबदबे को बढ़ाने का काम किया है, वहीं चीन को ग्लोबल आपूर्ति श्रृंखला पर वर्चस्व क़ायम करने की स्थिति में भी पहुंचा दिया है.
तमाम चुनौतियों से भरी इस दुनिया में भारत को अपने शिपिंग उद्योग को विकसित करने एवं इस सेक्टर में वैश्विक प्रतिस्पर्धा को तेज़ करने के लिए ग्रीस के साथ हाथ मिलाना चाहिए. ज़ाहिर है कि अगर भारत के अपने मालवाहक समुद्री जहाजों के बेड़े को बढ़ाता है और उसका विकास करता है, तो यह निश्चित तौर पर ग्लोबल व्यापार में भारत की स्थिति को सशक्त करेगा. इसके अलावा, इस क्षेत्र में भारत और ग्रीस के बीच मेलजोल से संचालित होने वाली परियोजनाएं एक दूसरे के लिए लाभदायक सिद्ध होंगी. इन साझा परियोजनाओं में जहाज निर्माण और जहाज की मरम्मत के लिए भारत में नए शिपयार्ड्स की स्थापना, जहाज से जुड़ी प्रौद्योगिकी का आदान –प्रदान और जहाज पर काम करने वाले कर्मचारियों का प्रशिक्षण एवं समुद्री जहाज के संचालन में अधिक से अधिक भारतीयों को रोज़गार देना शामिल है.
भारत में शिपिंग उद्योग को विकसित करने के लिए और इससे संबंधित इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण करने की दिशा में कुछ अहम क़दमों को उठाए जाने की ज़रूरत है. इन क़दमों में देश में बंदरगाहों, टर्मिनलों, वेयरहाउसों, शिपयार्ड्स, जहाजों को ईंधन आपूर्ति करने के लिए बंकरों, स्टोर, स्पेयर पार्ट्स एवं वर्कशॉप्स आदि का निर्माण शामिल है. ज़ाहिर है कि शिपिंग इंडस्ट्री से जुड़े इस अहम आधारभूत ढांचे के निर्माण के लिए व्यापक रूप से सरकारी और निजी निवेश की ज़रूरत होगी. इसके साथ ही भारतीय क़ानून को भी इसके अनुरूप बनाने की आवश्यकता होगी, ताकि निवेशक इससे जुड़ी परियोजनाओं के विकास में बेहिचक निवेश कर सकें.
गौरतलब है कि ग्रीस का पिरियस शहर ग्लोबल शिपिंग उद्योग का एक बड़ा केंद्र है. ऐसे में अगर भारत द्वारा वहां अपना एक दल तैनात किया जाता है, तो निश्चित रूप से यह भारत के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है.
गौरतलब है कि ग्रीस का पिरियस शहर ग्लोबल शिपिंग उद्योग का एक बड़ा केंद्र है. ऐसे में अगर भारत द्वारा वहां अपना एक दल तैनात किया जाता है, तो निश्चित रूप से यह भारत के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है. भारत द्वारा अपनी इस टीम में इस सेक्टर के विशेषज्ञों को शामिल किया जा सकता है, जो वहां शिपिंग उद्योग में होने वाले हर घटनाक्रम पर नज़र रखें और वैश्विक शिपिंग उद्योग के हर उतार-चढ़ाव को बारीक़ी से देखें और जो भी जानकारी जुटाई जाती है, उसका विश्लेषण करते हुए भारतीय हितों के मुताबिक़ समुद्री रणनीति बनाएं, साथ ही भारतीय स्वामित्व वाले जहाजी बेड़े का प्रबंधन करें.
ग्रीस द्वारा हर दो साल में पॉसिडोनिया प्रदर्शनी का आयोजन किया जाता है. यह शिपिंग उद्योग की दुनिया की सबसे बड़ी प्रदर्शनी है और इसमें विश्व के तमाम देश शिरकत करते हैं. इस साल आयोजित की गई पॉसिडोनिया प्रदर्शनी में 81 से अधिक देशों ने हिस्सा लिया था और इन देशों के 2,038 प्रतिभागी इसमें शामिल हुए थे. ऐसे में लगातार व्यापक हो रहे एवं निरंतर बदल रहे शिपिंग उद्योग में अगर भारत भी अपनी दमदार मौजूदगी दर्ज़ कराता है, तो निश्चित रूप से यह बहुत ही महत्वपूर्ण घटनाक्रम होगा.
स्टेला मंत्ज़ारी एएस मैरिन लिमिटेड की संस्थापक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं.
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