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डोनाल्ड ट्रंप का फिर से अमेरिका का नया राष्ट्रपति चुना जाना अमेरिका की घरेलू राजनीति के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य के लिए भी एक महत्वपूर्ण मोड़ है, जिससे यह सवाल और विश्लेषण फिर से खड़े होने लगे हैं कि उनका ये यह दूसरा कार्यकाल संयुक्त राज्य अमेरिका (US) के वैश्विक संबंधों के लिए क्या मायने रखता है. विदेश नीति से लेकर आर्थिक रणनीतियों तक, ट्रंप 2.0 राष्ट्रपति पद लंबे समय से चले आ रहे गठबंधनों, उभरती हुई साझेदारियों, चल रहे संघर्षों और बाहरी कारकों में आने वाले बदलावों का संकेत देता है, जो इन सभी को नया रूप दे सकता है. यह संकलन इस बात की जांच करता है कि अमेरिकी राजनीति में एक महत्वपूर्ण क्षण अमेरिका के प्रमुख संबंधों, विशिष्ट क्षेत्रों, महत्वपूर्ण नीति क्षेत्रों और असल में, व्यापक ग्लोबल व्यवस्था को कैसे प्रभावित कर सकता है.
ट्रंप 2.0 प्रशासन के संबंध में क़यास लगाने के अलावा, ये श्रृंखला भारत के प्रति अगली अमेरिकी प्रशासन की नीतिगत पसंद, भारत की अपनी अपेक्षाएं और भारत-अमेरिका संबंधों की क्या दिशा भविष्य में हो सकती है उसको रेखांकित करता है. यह इस बात पर भी नज़र डालता है कि ट्रंप की नीतियाँ मध्य पूर्व और यूक्रेन में चल रहे संकटों, अमेरिका-चीन संबंधों को कैसे प्रभावित कर सकती है और ट्रंप के दूसरे कार्यकाल के जवाब में बीजिंग आंतरिक रूप से कैसे दोबारा संतुलित हो सकता है. ट्रंप की वापसी से ट्रांस-अटलांटिक संबंधों, इंडो-पैसिफिक क्षेत्र, विकास की प्राथमिकताओं, रक्षा रणनीतियों, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और टेक्नोलॉजी से जुड़ी नीतियों के लिए क्या होगा, ये दूसरे सवाल हैं जिनकी यहां जांच की गई है.
अंत में, अमेरिका की घरेलू नीतियां उसकी विदेश नीति की प्राथमिकताओं के साथ कैसे अपना जुड़ाव करती हैं, उस पर भी नज़र रखी जाएगी. यह संकलन इस बात पर नज़र डालता है कि ट्रंप की वापसी का कई महत्वपूर्ण मुद्दों व सवालों पर क्या असर पड़ेगा. यह श्रृंखला अगले चार सालों के लिए अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था की उभरती रूपरेखा को समझने के लिए एक रोडमैप तैयार करता है, जिसके प्रभाव निश्चित रूप से ट्रंप के दूसरे कार्यकाल से भी ज़्यादा समय तक रहेंगे.