Published on Jun 02, 2022 Updated 6 Hours ago

भारत जलवायु के मोर्चे पर अपनी प्रतिबद्धताओं को हासिल करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है. ऐसे में नवीकरणीय ऊर्जा की अहमियत लगातार बढ़ती जा रही है. पिछले कई सालों के केंद्रीय बजटों से इस बात की तस्दीक़ होती है.

#Renewable Energy: केंद्रीय बजटों में नवीकरणीय ऊर्जा — साल 2000 से 2022 तक की पटकथा

कुल स्थापित नवीकरणीय क्षमता के मामले में भारत दुनिया में चौथे पायदान पर है. साल 2000 में नवीकरणीय ऊर्जा (केवल पवन) की कुल स्थापित क्षमता 1,155 मेगावाट थी. ये ऊर्जा की कुल स्थापित क्षमता का 1.2 प्रतिशत हिस्सा था. साल 2022 में पवन, सौर और नवीकरणीय ऊर्जा के अन्य स्रोतों की स्थापित उत्पादन क्षमता 105,854 मेगावाट हो गई है. ये ऊर्जा की कुल स्थापित उत्पादन क्षमता का तक़रीबन 27 प्रतिशत है. भारत में ख़ासतौर से पिछले दशक में नवीकरणीय-आधारित स्थापित क्षमता में भारी वृद्धि देखने को मिली है. फ़रवरी 2022 में वित्त बजट 2022-23 की घोषणा हुई. किसी भी सेक्टर की प्रगति और दिशा को समझने के लिए केंद्रीय बजट एक अहम मानदंड होते हैं. इस लेख में दो प्रमुख मक़सदों से साल 2000 के बाद के बजट भाषणों की समीक्षा की गई है: (1) एक मिला-जुला विमर्श सामने रखना और (2) केंद्रीय बजटों में नवीकरणीय ऊर्जा की दशादिशा को पीछे मुड़कर देखना.

.भारत में ख़ासतौर से पिछले दशक में नवीकरणीय-आधारित स्थापित क्षमता में भारी वृद्धि देखने को मिली है. फ़रवरी 2022 में वित्त बजट 2022-23 की घोषणा हुई. किसी भी सेक्टर की प्रगति और दिशा को समझने के लिए केंद्रीय बजट एक अहम मानदंड होते हैं. 

2000 से 2022 तक के बजट भाषणों में सभी प्रस्तावों, समीक्षाओं और घोषणाओं को चार श्रेणियों में बांटा गया है: (1) नवीकरणीय ऊर्जा के लक्ष्य और क्षमता में बढ़ोतरी, (2) शुल्क और कर, (3) क्षमता निर्माण और (4) प्रोत्साहन. चित्र-1 में बजट भाषणों में नवीकरणीय ऊर्जा से जुड़े बिंदुओं की श्रेणियां दर्शाई गई हैं.

चित्र 1: साल 2000 से साल 2022 तक के केंद्रीय बजट भाषमों में नवीकरणीय ऊर्जा से जुड़े प्रस्ताव, समीक्षा और एलान

स्रोत: लेखक द्वारा  2000-2022 के Union Budget Speeches पर आधारित

नवीकरणीय ऊर्जा के लक्ष्य और क्षमता वृद्धि: शुरुआती दौर में भारत में नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में पवन ऊर्जा का दबदबा रहा. साल 2006 में भारत ने 3,075 मेगावाट पवन ऊर्जा का लक्ष्य (जैसा10वीं पंचवर्षीय योजना में ज़िक्र किया गया था) हासिल कर लिया. उस साल नवीकरणीय ऊर्जा के लिए तक़रीबन 5.97 अरब रुपए का प्रस्ताव किया गया था. आगे चलकर सौर ऊर्जा पर तवज्जो दिया जाने लगा. 2015 का बजट भाषण नवीकरणीय ऊर्जा के लिहाज़ से अहम था. इसके तहत साल 2022 तक के लक्ष्य की समीक्षा के बाद उसे 175,000 मेगावाट पर तय किया गया. इसमें 100,000 मेगावाट सौर ऊर्जा भी शामिल है. केंद्रीय बजट भाषणों में बताए गए नवीकरणीय ऊर्जा के लक्ष्यों और क्षमता वृद्धियों को  चित्र 2 में दर्शाया गया है.

चित्र-2: 2000 से 2022 तक के बजट भाषणों में नवीकरणीय ऊर्जा के लक्ष्य और क्षमता वृद्धि

स्रोत: लेखक द्वारा  2000-2022 के Union Budget Speeches पर आधारित

 

शुल्क और कर: नवीकरणीय ऊर्जा पर आधारित बिजली संयंत्रों की स्थापना को बढ़ावा देने के लिए आयात और उत्पाद शुल्कों में छूट और कमी के प्रावधान किए गए. सौर और पवन ऊर्जा से बिजली निर्माण में इस्तेमाल होने वाले साज़ो-सामानों पर ये रियायत दी गई. केंद्रीय बजटों में आयात और उत्पाद शुल्कों में किए गए बदलावों को टेबल-1 में दर्शाया गया है.

टेबल-1: केंद्रीय बजटों (2000 से 2022) में नवीकरणीय ऊर्जा से जुड़े आयात और उत्पाद शुल्कों में संशोधन.

स्रोत: लेखक द्वारा  2000-2022 के Union Budget Speeches पर आधारित

2010 के बजट भाषण में स्वच्छ ऊर्जा कोष के लिए रकम जुटाने के मक़सद से आयातित कोयले पर स्वच्छ ऊर्जा सेस (cess) का एलान किया गया. 2019 में वैश्विक कंपनियों को विशाल उत्पादन संयंत्रों की स्थापना और अन्य संबंधित क्षेत्रों के लिए आयकर में छूट के साथ-साथ अप्रत्यक्ष करों से जुड़े कई दूसरे फ़ायदे मुहैया कराए गए. आयकर अधिनियम की धारा 35AD के तहत निवेश से जुड़े आयकर में छूट के प्रावधान किए गए. साल 2019 में जैव ईंधन से बनने वाली ईंटों पर वस्तु और सेवा कर (GST) में भारी कमी की गई.

क्षमता निर्माण: 2003 के बजट भाषण में जीवाश्म ईंधनों के विकल्प के तौर पर सौर ऊर्जा, पवनचक्कियों और हाइड्रोजन ईंधन के क्षेत्र में प्रोत्साहन-आधारित शोध के लिए 20 करोड़ रु के आवंटन की बात कही गई. साल 2013 में कम लागत वाले वित्त के रूप में एक बड़ा घटनाक्रम देखने को मिला. सरकार ने भारतीय नवीकरणीय ऊर्जा विकास एजेंसी लिमिटेड को राष्ट्रीय स्वच्छ ऊर्जा कोष से सस्ते ब्याज़ पर रकम मुहैया कराने का एलान किया. इस कोष से नवीकरणीय ऊर्जा की व्यावहारिक परियोजनाओं को ऋण देने का प्रावधान किया गया. साल 2021 में सौर ऊर्जा निगम के लिए 10 अरब रुपए की पूंजी मुहैया कराई गई. इसके अलावा नवीकरणीय ऊर्जा विकास एजेंसी के लिए अलग से 15 अरब रु का प्रस्ताव किया गया.

निर्माण और उत्पादन आधारित प्रोत्साहन: साल 2009 के बजट भाषण में एक एकीकृत ऊर्जा नीति को आगे बढ़ाने का सुझाव दिया गया. एकीकृत ऊर्जा नीति दस्तावेज़ साल 2006 में ही जारी किया जा चुका था. इसके तहत नवीकरणीय क्षेत्र के लिए प्रोत्साहनों को क्षमता स्थापना की बजाए उत्पादित ऊर्जा से जोड़ने की सिफ़ारिश की गई थी. साल 2013 में पवन ऊर्जा के लिए उत्पादन-आधारित प्रोत्साहनों को दोबारा चालू कर दिया गया. इस मक़सद से नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के लिए 8 अरब रुपए का प्रस्ताव किया गया. 2022 के बजट भाषण में सोलर मॉड्यूल्स के निर्माण के लिए उत्पादन-आधारित प्रोत्साहन योजना के तहत 195 अरब रु के आवंटन का प्रस्ताव किया गया. इसके साथ ही कोयले से चलने वाले बिजली संयंत्रों में कोयले के साथ-साथ 5-7 फ़ीसदी जैव ईंधन छर्रों को भी जलाए जाने की घोषणा की गई.

2013 के बजट में इस क्षेत्र को सस्ते वित्त के प्रावधान के ज़रिए बढ़ावा दिया गया. शुरुआती दौर में शुल्क और कर ढांचे को नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में क्षमता वृद्धि के लिहाज़ से प्रयोग में लाया जाता रहा. जबकि साल 2022 आते-आते नवीकरणीय ऊर्जा से जुड़े घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने पर तवज्जो दिया जाने लगा है.

साल 2015 में नवीकरणीय ऊर्जा (व्यवहार में आने वाली) की कुल स्थापित क्षमता लगभग 39,000 मेगावाट थी. इसमें 60 प्रतिशत हिस्से के साथ पवन ऊर्जा का दबदबा था. ये साल बेहद अहम था. इसी साल नवीकरणीय ऊर्जा के लक्ष्य को बढ़ाकर 175,000 मेगावाट कर दिया गया. पवन ऊर्जा के क्षेत्र में निरंतर प्रगति होती गई. दूसरी ओर आज सौर ऊर्जा की कुल स्थापित क्षमता 50,300 मेगावाट है. ये कुल स्थापित क्षमता का तक़रीबन 13 प्रतिशत हिस्सा है. 2010 के बाद के बजटों में मुख्य रूप से पारस्परिक तरह से ग्रिड से जुड़ी सौर ऊर्जा क्षमता और सौर पंप सेट्स को बढ़ाने पर ज़ोर दिया गया. इसके तहत किसानों द्वारा अपनी ज़रूरत से कहीं ज़्यादा उत्पादित सौर ऊर्जा की बिक्री की व्यवस्था को भी शामिल किया गया. 2013 के बजट में इस क्षेत्र को सस्ते वित्त के प्रावधान के ज़रिए बढ़ावा दिया गया. शुरुआती दौर में शुल्क और कर ढांचे को नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में क्षमता वृद्धि के लिहाज़ से प्रयोग में लाया जाता रहा. जबकि साल 2022 आते-आते नवीकरणीय ऊर्जा से जुड़े घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने पर तवज्जो दिया जाने लगा है. इसी तरह प्रोत्साहन ढांचे में भी अब निर्माण आधारित उपायों की बजाए उत्पादन आधारित क़वायदों पर ध्यान दिया जा रहा है. बाद के वर्षों के बजट भाषणों में नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र के महत्वपूर्ण संस्थानों में क्षमता निर्माण पर भी ग़ौर किया जाने लगा है.

2019 के बजट भाषण में कहा गया कि “पिछले पांच वर्षों में भारत की स्थापित सौर ऊर्जा क्षमता में 10 गुणा इज़ाफ़ा हुआ है. ये क्षेत्र अब नए ज़माने की लाखों नौकरियां पैदा कर रहा है.” भारत में नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में कुल स्थापित क्षमता के मामले में शानदार प्रगति हुई है. ऐसा तमाम बजट भाषणों से ज़ाहिर भी होता है. इनके ज़रिए पूरे कार्यकुशल तरीक़े से नवीकरणीय ऊर्जा की पूरी संभावनाओं (ख़ासतौर से सौर ऊर्जा) के इस्तेमाल के लिए तमाम संसाधनों और नीतिगत व्यवस्थाओं को खंगाला जा रहा है. अब भारत नेट-ज़ीरो उत्सर्जन के लक्ष्य की ओर आगे बढ़ रहा है. लिहाज़ा आने वाले केंद्रीय बजटों में नवीकरणीय ऊर्जा को और ज़्यादा अहमियत मिलने की उम्मीद है.

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