Author : Mohnish Kedia

Published on Jan 20, 2022 Updated 0 Hours ago

टेलीमेडिसिन क्षेत्र लगातार बढ़ता जा रहा है, हालांकि इस क्षेत्र को नियमित करने के लिए एक सही दृष्टिकोण चाहिए, जैसा कि सिंगापुर में देखा गया है, जो बड़े पैमाने पर इसका विस्तार करने के लिए ज़रूरी है 

महामारी और टेलीमेडिसिन: सिंगापुर का दृष्टिकोण

टेलीफोन की घंटी बजती है, नर्स जवाब देती है और आप किसी डॉक्टर से मिलने का अनुरोध करते हैं. नर्स आपकी पहचान और इलाके की पुष्टि करती है, जिससे की ज़रूरत पड़ने पर वे आपातकालीन स्वास्थ्य सेवाएं आप तक भेज सकें. इसके बाद डॉक्टर अपने परिचित सफ़ेद कोट में आपको देखने के लिए आते हैं. आप और डॉक्टर फोन की स्क्रीन पर एक-दूसरे के सामने होते हैं, एक दूसरे को देखते हैं और कॉल पर चैट करते हैं. यह एक व्हाट्सएप कॉल की तरह ही होता है, सिर्फ़ इसके कि चर्चा का विषय आपके स्वास्थ्य की मौजूदा स्थिति होती है. कॉल को भविष्य के संदर्भ के लिए रिकॉर्ड किया जाता है और अंत में आप परामर्श शुल्क के रूप में 20 सिंगापुर डॉलर का भुगतान कर देते हैं. दवाएं, अगर आपको बताई जाती हैं तो वो भी सीधे आपके घर के पते पर भेज दी जाती हैं.

जब से COVID-19 महामारी आई है तब से तकनीक और स्वास्थ्य की जुगलबंदी को एक नया बढ़ावा मिला है. सोशल डिस्टेंसिंग की ज़रूरत, लोगों की आवाजाही पर प्रतिबंध और चिकित्सा संस्थानों तक पहुंच के साथ एक स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली की आवश्यकता ने टेलीमेडिसिन के लिए कदम बढ़ाने और समय के साथ जान बचाने की ज़रूरतों को जन्म दिया है

जब से COVID-19 महामारी आई है तब से तकनीक और स्वास्थ्य की जुगलबंदी को एक नया बढ़ावा मिला है. सोशल डिस्टेंसिंग की ज़रूरत, लोगों की आवाजाही पर प्रतिबंध और चिकित्सा संस्थानों तक पहुंच के साथ एक स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली की आवश्यकता ने टेलीमेडिसिन के लिए कदम बढ़ाने और समय के साथ जान बचाने की ज़रूरतों को जन्म दिया है. जबकि महामारी से पहले, टेलीमेडिसिन सेवाएं इच्छा पर निर्भर थीं लेकिन महामारी के बाद यह कई मामलों में लगभग अनिवार्य हो गई हैं, ख़ासकर पुरानी बीमारियों के मामले में इसकी ज़रूरत बढ़ गई है. सिंगापुर सरकार टेलीमेडिसिन को “स्वास्थ्य, निदान, उपचार, या देखभाल के आकलन के रूप में परिभाषित करती है, जहां एक चिकित्सक या दंत चिकित्सक द्वारा सूचना-संचार प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल के ज़रिए विशेष रूप से एक दूरी पर सेवा प्रदान करने की कोशिश को साकार किया जा रहा है. ” साल 2020 की शुरुआत में स्वास्थ्य मंत्रालय, सिंगापुर ने वॉलंटरी लिस्टिंग ऑफ़ डायरेक्ट टेलीमेडिसिन सर्विस प्रोवाइडर्स (वीएलडीटीएसपी) की एक सूची जारी की, जिसमें अब तक 700 से अधिक इकाइयां शामिल हो गई हैं. ये संस्थाएं सरकार द्वारा विकसित प्रोटोकॉल के ज़रिये टेलीमेडिसिन सेवाएं प्रदान करने के लिए अपनी इच्छा के मुताबिक सरकार के साथ मिलकर काम कर रही हैं.

साल 2018 में इस सेक्टर को विकसित करने की दिशा में सिंगापुर सरकार ने टेलिमेडिसन प्रदाताओं के लिए लाइसेंसिंग एक्सपेरिमेंट एंड एडाप्टेशन प्रोग्राम (एलईएपी) की शुरुआत की. यह कार्यक्रम टेलीमेडिसिन प्रदाताओं के साथ एक नियामक संस्था जैसा था, जिसमें उत्पादों और प्रक्रियाओं के विकसित होने के साथ-साथ जोख़िमों और मौकों को समझने के लिए सरकार ने उद्योग के साथ भागीदारी की थी. कार्यक्रम के शुरुआती चरणों में 11 टेलीमेडिसिन प्रदाताओं ने इस क्षेत्र के लिए नियामक उपायों के सहनिर्माण के लिए सरकार के साथ मिलकर काम किया. 

टेलीमेडिसिन प्रदाताओं ने पुरानी बीमारी के रोगियों की देखभाल का भी बोझ उठाया है – जैसे मधुमेह, उच्च रक्तचाप, चिंता – इनके लिए कई पारंपरिक संसाधनों को कोरोना से सामना करने के लिए इस्तेमाल में लाया जा रहा है.

ब्रिटेन, चीन, अमेरिका में पहले से लोकप्रिय

नियामक संस्था एक नीति के तौर पर, सरकार द्वारा तेजी से विकसित होने वाले क्षेत्रों जैसे कि फिनटेक, पर्यावरण, के लिए भी इस्तेमाल किया जा रहा है. इस तरह की नीति बनाकर सरकार ना केवल टेलीमेडिसिन में विकास की मॉनिटरिंग और इसकी कार्यपद्धति को सीखने में सक्षम थी बल्कि नियामक से संबंधित दूसरे उपायों और प्रशिक्षण सामग्री को भी विकसित करती थी, जिसे बाद में बड़े उद्योग द्वारा इस्तेमाल किया जाना था. तीन साल के प्रयोग और उस स्थिति में ढ़लने के बाद, सरकार ने 2021 में नियामक संस्था को बंद कर दिया और अब टेलीमेडिसिन क्षेत्र के लिए अधिक मज़बूत नियमन और सरकारी उपाय लागू करने की दिशा में बढ़ रही है.

2022 में नए स्वास्थ्य सेवा अधिनियम (एचएसए) के तहत, सरकार इन सेवा प्रदाताओं को औपचारिक रूप से लाइसेंस देने की योजना बना रही है. हालाँकि, जब से कोरोना महामारी आई है, टेलीमेडिसिन प्रदाताओं का पहले से ही बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया जा रहा है. उदाहरण के तौर पर सरकार ने कुछ टेलीमेडिसिन प्रदाताओं को परामर्श के लिए नियुक्त किया है, जब मरीज़ कोरोना मामले में पॉजिटिव पाया जाता है तो इनकी मदद से वो घर से ही ठीक हो रहे हैं. टेलीमेडिसिन प्रदाताओं ने पुरानी बीमारी के रोगियों की देखभाल का भी बोझ उठाया है – जैसे मधुमेह, उच्च रक्तचाप, चिंता – इनके लिए कई पारंपरिक संसाधनों को कोरोना से सामना करने के लिए इस्तेमाल में लाया जा रहा है.

दरअसल, टेलीमेडिसिन का इस्तेमाल इसलिए भी बढ़ रहा है क्योंकि कोरोना के चलते कई तरह की पाबंदियां लगी हुई हैं, हालांकि इसकी क्षंमता और सुविधाओं के चलते प्रभाव में बढ़ोतरी होगी – उदाहरण के लिए प्रदाताओं के उसी नेटवर्क के बेहतर इस्तेमाल से इसका भविष्य में और विस्तार हो सकता है. ब्रिटेन,चीन और अमेरिका में टेलीमेडिसिन की अवधारणा पहले से ही लोकप्रिय है, और अब सिंगापुर की कंपनियां भी इस दिशा में आगे बढ़ रही हैं, और एशिया में अपनी मौजूदगी दर्ज़ करवा रही हैं. ऐसी ही एक कंपनी डॉक्टर एनिव्हेयर (डीए) है, जो फिलहाल सिंगापुर, थाईलैंड, वियतनाम, मलेशिया और फिलिपिंस में सेवा मुहैया करा रही है और इसका तकनीकी सेंटर बेंगलुरु और हो चि मिन्ह जैसे शहरों में है. इसकी सेवाओं में कोरोना प्रबंधन, गंभीर बीमारियों का प्रबंधन, मानसिक बेहतरी, न्यूट्रिशन और फ़िटनेस, जन्म दर को नियंत्रित करने जैसी सेवाएं शामिल हैं.

सिंगापुर के संदर्भ में  टेलीमेडिसिन की क्षमता के विस्तार का आकलन करते वक्त यह ध्यान में रखना होगा कि सिंगापुर में स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में सार्वजनिक क्षेत्र का प्रभुत्व है और वहां सख़्त नियामक लागू हैं.

टेलीमेडिसिन प्रदाताओं के सामने चुनौतियां


एक ओर जहां टेलीमेडिसिन कंपनियां तेजी से विस्तार कर रही हैं और ना केवल मेज़बान देश बल्कि दुनिया के अन्य तकनीकी केंद्रों में भी नौकरी के मौके पैदा कर रही हैं, फिर भी उन्हें कई चुनौतियों का सामना करना है. इन चुनौतियों में ऑनलाइन परामर्श में रोगी की हिचक को दूर करना और भरोसा कायम करने के साथ उच्च गति वाले इंटरनेट और उपकरणों की उपलब्धता और दूर-दराज़ इलाकों में प्रबंधन व्यवस्था का विकास करना और स्पैम कॉल और डेटा की गोपनीयता बचाए रखना शामिल है. साथ ही चिकित्सा प्रदाताओं को उन रोगियों के बारे में पता होना चाहिए जो आसानी से या तो टेलीमेडिसिन सेवाओं तक पहुंच नहीं सकते हैं या जिन्हें शारीरिक जांच की ज़रूरत होती है. उदाहरण के तौर पर, गंभीर बीमारियों वाले रोगियों या ऐसे रोगी जिन्हें लैब में टेस्ट कराने की ज़रूरत होती है, उन्हें शारीरिक रूप से क्लिनिक जाने की ज़रूरत होगी. इसी तरह, यह सुनिश्चित करने के लिए एक सत्यापन व्यवस्था विकसित करने की आवश्यकता है जिससे की रोगी  किसी अपरिचित के साथ अपनी संवेदनशील जानकारी साझा ना कर ले.

सिंगापुर में टेलीमेडिसिन प्रदाताओं की सेवाओं  की मांग में वृद्धि के साथ उन्हें और मज़बूत बनाने की चुनौतियों भी हैं. इस तरह की चुनौतियों की वजह से लंबे समय तक इंतज़ार करने की मज़बूरी रही है तो सेवाओं की गुणवत्ता पर भी असर पड़ा है. इसलिए नीति निर्माताओं को इस क्षेत्र के विकास के लिए एक नपातुला दृष्टिकोण अपनाना पड़ेगा. सिंगापुर के संदर्भ में  टेलीमेडिसिन की क्षमता के विस्तार का आकलन करते वक्त यह ध्यान में रखना होगा कि सिंगापुर में स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में सार्वजनिक क्षेत्र का प्रभुत्व है और वहां सख़्त नियामक लागू हैं. इस क्षेत्र को बढ़ावा देने और इसके स्वामित्व और नियामक शक्ति के कारण नियंत्रण रखने की सरकार की क्षमता को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता है.

कुल मिलाकर, जहां टेलीमेडिसिन का भविष्य उज्ज्वल नज़र आता है, वहीं यह चुनौतियों से भरा हुआ भी दिखता है. हालांकि, कई मामलों में ऑनलाइन परामर्श के माध्यम से सामान्य स्तर की देखभाल को व्यवस्थित करना भी चुनौतीपूर्ण हो सकता है. या ये भी हो सकता है कि एक ही डॉक्टर से परामर्श करने के बाद रोगी को संतुष्टी नहीं हो. इसके साथ ही स्वास्थ्य क्षेत्र में बाज़ार की सामान्य नाकामी को भी नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता है. इसलिए टेलीमेडिसिन तकनीक का एक अनुकूल, बेहतर तरीके से विचार किया हुआ और बेहतर तरीके से लागू करना इसके प्रभावी होने के लिए बेहद ज़रूरी है. एक नियामक दृष्टिकोण, जैसा कि सिंगापुर में अपनाया गया है, टेलीमेडिसिन जैसे जटिल और तेजी से विकसित हो रहे क्षेत्र के लिए भविष्य में एक तरीका हो सकता है.

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