Author : Rouhin Deb

Published on Feb 13, 2021 Updated 0 Hours ago

किसान रेल एक सही दिशा में उठाया गया क़दम है. क्योंकि इसके ज़रिए देश के मज़बूत रेल नेटवर्क और आला दर्ज़े की तकनीक का फ़ायदा उठाने का इरादा है. इनकी मदद से देश भर के छोटे किसानों को आपस में जुड़ने और उन्हें दूर-दराज़ के अच्छे बाज़ार तक पहुंच बनाने में मदद की जा रही है.

किसान रेल: किसानों की आमदनी बढ़ाने की दिशा में उठा क़दम

2021 के बजट में महामारी के बाद अर्थव्यवस्था में नई जान फूंकने के लिए सरकार द्वारा काफ़ी ख़र्च करने का वादा किया गया है. ऐसे में हम 2020 के बजट के उस प्रावधान पर एक नज़र डाल रहे हैं. जिनकी सबसे ज़्यादा चर्चा हुई थी. पिछले साल के बजट में पूरे देश में किसान रेल चलाने का एलान किया गया था. इस योजना का मक़सद किसानों की भलाई करना था, जिससे वर्ष 2022 तक उनकी आमदनी दोगुनी की जा सके. हम इस बात की पड़ताल कर रहे हैं कि पिछले एक साल में ये योजना किस हद तक आगे बढ़ी है. इसके लिए हम उन नीतिगत फ़ैसलों पर ये नज़र डालेंगे, जिससे इस योजना को बढ़ावा दिया गया है और ये समीक्षा भी करेंगे कि इस नीतिगत बदलाव से ज़मीनी स्तर पर कितना फ़ायदा हुआ है. इसके अलावा हम एक नज़र इस वर्ष के बजट में किए गए उन उपायों पर भी डालेंगे, जिन्हें सही दिशा में बढ़ाए गए क़दम कहा जा रहा है. जैसे कि, ऑपरेशन ग्रीन योजना में 22 ऐसी नई वस्तुओं को शामिल किया गया है, जो जल्दी ख़राब हो जाती हैं. देश की एक हज़ार और मंडियों को ई-नाम (नेशनल एग्रीकल्चरल मार्केट) से जोड़ना और कृषि उत्पादन मंडी समितियों (APMC) को उनके बुनियादी ढांचे के विकास के लिए एग्रीकल्चर इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड की व्यवस्था.

किसान रेल का विचार, सरकार के लिए एकदम से नया नहीं था. इससे पहले भी कई सरकारों ने देश के मज़बूत रेल नेटवर्क का फ़ायदा उठाने के लिए इसे कृषि क्षेत्र से जोड़ने का विचार किया था. आख़िरकार ये विचार योजना में तब बदला, जब पिछले साल जुलाई महीने में पहली किसान रेल चलाई गई. तब से लेकर पूरे देश में किसान रेल ने उत्साहवर्द्धक प्रगति की है.

ऊपरी तौर पर देखें, तो किसान रेल योजना को किसानों ने हाथों-हाथ लिया है. किसानों के बीच किसान रेल की लोकप्रियता बढ़ने का अंदाज़ा इस बात से होता है कि सरकार को जुलाई में पहली किसान रेल शुरू करने के चार महीनों के भीतर ही 100वीं किसान रेल को हरी झंडी देनी पड़ी है. किसान रेल का विचार, सरकार के लिए एकदम से नया नहीं था. इससे पहले भी कई सरकारों ने देश के मज़बूत रेल नेटवर्क का फ़ायदा उठाने के लिए इसे कृषि क्षेत्र से जोड़ने का विचार किया था. आख़िरकार ये विचार योजना में तब बदला, जब पिछले साल जुलाई महीने में पहली किसान रेल चलाई गई. तब से लेकर पूरे देश में किसान रेल ने उत्साहवर्द्धक प्रगति की है.

किसान रेल के फ़ायदे

पूरे देश में कृषि उत्पादों की ढुलाई के तमाम माध्यमों में से किसान रेल की सबसे ज़्यादा मांग के पीछे कई कारण बताए जा सकते हैं. इनमें से सबसे अहम है भारतीय रेल का अपना नेटवर्क, जिसकी पहुंच हिंदुस्तान के दूर दराज़ के गांवों तक है. इसकी मदद से आज इन इलाक़ों के छोटे किसान मुख्यधारा के बाज़ार तक अपनी पहुंच बना रहे हैं और अपने कृषि उत्पाद मुनाफ़े पर बेच पा रहे हैं. किसान रेल की सफलता का दूसरा बड़ा कारण ये भी है कि सरकार, सब्ज़ियों और फलों की ढुलाई में पचास फ़ीसद की छूट देती है. इससे किसानों के लिए अपनी उपज को परिवहन के पारंपरिक माध्यमों के बजाय, किसान रेल के ज़रिए एक जगह से दूसरी जगह ले जाना, ज़्यादा मुनाफ़े का सौदा हो जाता है. किसान रेल से अपनी उपज की ढुलाई करने पर न सिर्फ़ औसतन किसानों का 15 घंटे का समय बचता है. इसके अलावा उन्हें हर एक टन माल की ढुलाई पर एक हज़ार रुपए की बचत भी होती है. इसके अलावा किसान रेल से माल ढुलाई करने पर किसानों को न तो कोई न्यूनतम मूल्य देना पड़ता है और न ही इस बात की कोई सीमा निर्धारित की गई है कि उन्हें एक बार में कम से कम इतना माल तो बुक करना पड़ेगा. इससे कम उपज पैदा करने वाले छोटे से छोटे किसान भी किसान रेल के माध्यम से बड़े कृषि बाज़ारों तक पहुंच बना सकते हैं. ये छोटे किसान जो पहले सड़क के ज़रिए अपनी उपज को दूसरी जगह ले जाने का ख़र्च लॉजिस्टिक और कोल्ड स्टोरेज की कमी के कारण नहीं वहन कर पाते थे-उन्हें अब ट्रेन की सुरक्षित कोल्ड व्यवस्था (किसान रेल) का भी लाभ मिल रहा है.

आज किसान रेल, देश के सीमांत किसानों के लिए उम्मीद की नई किरण बनकर आई है. वो अब अपनी उपज को दूर-दराज़ के बाज़ारों तक भेजकर उनका उचित मूल्य प्राप्त कर पा रहे हैं. 

वर्ष 2020 में ही किसान रेल 27 हज़ार टन माल की ढुलाई कर चुकी हैं. ये उन रास्तों से होकर गुज़रती हैं, जो बड़े कृषि क्षेत्र माने जाते हैं. किसान रेल के ज़रिए आज नासिक से तीस किलोग्राम अनार पटना के मुज़फ़्फ़रपुर पहुंच रहा है और असम के डिब्रूगढ़ से 23 टन अदरख़ भी हैदराबाद तक पहुंचाई जा रही है. आज किसान रेल, देश के सीमांत किसानों के लिए उम्मीद की नई किरण बनकर आई है. वो अब अपनी उपज को दूर-दराज़ के बाज़ारों तक भेजकर उनका उचित मूल्य प्राप्त कर पा रहे हैं. किसान रेल के ज़रिए, कृषि उत्पादों की पारंपरिक ख़रीद और फ़रोख़्त की प्रक्रिया में बदलाव लाने की दिशा में क़दम उठा है. इससे कृषि क्षेत्र की नई संभावनाओं का भी उपयोग हो रहा है. किसान रेल सेवा, देश के सीमांत किसानों के एक बड़े तबक़े को मांग और आपूर्ति में उठा-पटक से बचा सकेगी. क्योंकि, इससे किसानों को अपने उत्पाद देश के किसी भी कोने में भेजने का विकल्प मिला है. वो अब अपनी उपज, फल या सब्ज़ियां उन जगहों तक भेज सकते हैं, जहां पर उसकी मांग ज़्यादा है और क़ीमत अधिक मिलने की संभावना है.

अब देश में ज़्यादा से ज़्यादा रेलवे स्टेशनों पर कोल्ड स्टोरेज की सुविधा उपलब्ध कराई जानी चाहिए. इससे किसान रेल योजना की पूरी क्षमता का इस्तेमाल हो सकेगा. सरकार ने इस कमी को स्वीकार किया है और अब देश में कोल्ड स्टोरेज की सुविधा बढ़ाने के लिए तेज़ी से क़दम उठाए जा रहे हैं. 

इसके अलावा, जहां एक तरफ़ भारत दुनिया में फलों और सब्ज़ियों का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है; वहीं, भारत ऐसा देश भी है, जहां कृषि उपज का 16 प्रतिशत हिस्सा, केवल संसाधनों के अभाव (जैसे कि लाने-ले जाने की व्यवस्था, कोल्ड स्टोरेज की कमी, आपूर्ति श्रृंखला की कमियों और बाज़ार की कम विकसित श्रृंखलाएं) के चलते बर्बाद हो जाता है. भारत में जितने फल और सब्ज़ियां हर साल इस तरह बर्बाद होते हैं, उनकी कुल क़ीमत लगभग 8.3 अरब डॉलर है. इन्हें उपजाने में 230 क्यूबिक किलोमीटर अधिक पानी इस्तेमाल होता है, जिससे 10 करोड़ लोगों को हर साल पीने का पानी मुहैया कराया जा सकता है. किसान रेलों का संचालन शुरू होने से उपज की बर्बादी काफ़ी कम हो गई है. किसानों को सस्ता और सुरक्षित परिवहन माध्यम उपलब्ध हो सका है. कुल मिलाकर कहें तो ये रेलवे के लिए भी फ़ायदे का सौदा साबित हुई हैं और किसानों के लिए भी. किसानों की ज़िंदगी पर सीधे असर डालने के साथ-साथ किसान रेल आज छोटे रेलवे स्टेशनों को कृषि उपज लादने के बड़े केंद्रों में तब्दील कर रही हैं. किसान रेल आज इस प्रक्रिया से जुड़े हर भागीदार के लिए फ़ायदे के सौदे वाला मॉडल साबित हो रही हैं.

भारतीय कृषि व्यवस्था में बड़ा क्रांतिकारी बदलाव

अब चूंकि हम ये देख चुके हैं कि किसान रेल, भारतीय कृषि व्यवस्था में कितना बड़ा क्रांतिकारी बदलाव लाने में सक्षम हैं. तो, अब हमें इस योजना की कमियों पर भी नज़र डालनी होगी. तभी हम इन कमियों को जल्द से जल्द दूर करने का प्रयास कर सकेंगे. इससे देश के प्रत्येक सीमांत किसान को इसका फ़ायदा मिल सकेगा. ऐसी ही एक दिक़्क़त ये है कि किसान रेल के ज़रिए अपनी उपज की ढुलाई के लिए किसानों को एक लंबी प्रक्रिया से गुज़रना पड़ता है. किसानों की उपज को कम से कम छह बार एक क्रेट से दूसरे क्रेट में डाला जाता है-पहले खेत में, फिर किसान के स्टेशन पर, फिर ट्रेन में लोड करते समय, फिर मंज़िल पर पहुंचने के बाद उतारने पर, फिर तय जगह पर पहुंचने के बाद और आख़िर में मंडी में उतारते वक़्त क्रेट में डालना पड़ता है. इससे किसानों की उपज बर्बाद होने की आशंका बढ़ जाती है. इस लंबी प्रक्रिया को आसान बनाने की दिशा में प्रयास किए जाएं, तो और भी किसान इस योजना से जुड़ सकेंगे. दूसरी बात ये है कि देश में कोल्ड स्टोरेज की सुविधा में बहुत सुधार लाने की ज़रूरत है. अब देश में ज़्यादा से ज़्यादा रेलवे स्टेशनों पर कोल्ड स्टोरेज की सुविधा उपलब्ध कराई जानी चाहिए. इससे किसान रेल योजना की पूरी क्षमता का इस्तेमाल हो सकेगा. सरकार ने इस कमी को स्वीकार किया है और अब देश में कोल्ड स्टोरेज की सुविधा बढ़ाने के लिए तेज़ी से क़दम उठाए जा रहे हैं. हम इसकी मिसाल 2021-22 के बजट में कृषि क्षेत्र के लिए गए प्रावधानों में भी देख सकते हैं.

भारत में जितने फल और सब्ज़ियां हर साल इस तरह बर्बाद होते हैं, उनकी कुल क़ीमत लगभग 8.3 अरब डॉलर है. इन्हें उपजाने में 230 क्यूबिक किलोमीटर अधिक पानी इस्तेमाल होता है, जिससे 10 करोड़ लोगों को हर साल पीने का पानी मुहैया कराया जा सकता है. किसान रेलों का संचालन शुरू होने से उपज की बर्बादी काफ़ी कम हो गई है. 

किसान रेल ऐसे उन व्यापक उपायों में से एक है, जो देश के 80 प्रतिशत से अधिक छोटे और सीमांत किसानों की मदद के लिए उठाए गए हैं, और जिससे भारत के कृषि क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव आ रहा है. ये एक सही दिशा में उठाया गया क़दम है, क्योंकि इसके ज़रिए देश के मज़बूत रेल नेटवर्क और आला दर्ज़े की तकनीक का फ़ायदा उठाने का इरादा है. इनकी मदद से देश भर के छोटे किसानों को आपस में जुड़ने और उन्हें दूर-दराज़ के देसी-विदेशी बाज़ारों तक पहुंच बनाने में मदद की जा रही है. अब तक किसान रेल को लेकर जिस तरह का उत्साह देखा जा रहा है, उससे ऐसा लगता है कि किसान रेल भारत के कृषि क्षेत्र का भविष्य बनाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली हैं.

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