Published on May 17, 2023 Updated 0 Hours ago

जिस तरह से गणतंत्रवाद को अपनाने वाले पूर्व उपनिवेशों की संख्या बढ़ती जा रही है, उससे यही पता चलता है कि राजशाही और यूनाइटेड किंगडम की कूटनीतिक ताकत कम होती जा रही है.

सम्राट चार्ल्स की जमैका से विदाई

6 मई 2023 को ब्रिटेन में बड़े धूमधाम से हुए समारोह में, चार्ल्स तृतीय की यूनाइटेड किंगडम (यूके) और राष्ट्रमंडल देशों के राजा के रूप में ताजपोशी की गई, जो राजशाही के लिए एक नए युग का प्रतीक था. उनकी मां एलिजाबेथ द्वितीय ने सात स्वतंत्र देशों की साम्राज्ञी के तौर पर पद संभाला था और अपने शासनकाल में विऔपनिवेशीकरण के दौर यानी उपनिवेशों को संप्रभु राष्ट्र के रूप में पुनर्गठित होते देखा था. उन्होंने उनके उत्तराधिकारी के रूप में राष्ट्रमंडल देशों के सम्राट की पदवी ऐसे समय में संभाली है, जब इसकी प्रासंगिकता और व्यवहार्यता को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं.

वर्तमान में, बारबाडोस से प्रभावित होकर कई देशों, ख़ासकर कैरेबियाई देशों ने ऐसे किसी परिवर्तन के प्रति रुचि दिखाना शुरू कर दिया है, जहां बेलीज, बहामास, सेंट विंसेंट एंड ग्रेनाडाइन्स और जमैका, सभी गणतंत्रवाद में अपनी नए सिरे से दिलचस्पी ले रहे हैं.

राष्ट्रमंडल क्षेत्र 16 संप्रभु देशों का एक समूह है, जिनमें शामिल अधिकांश देश पूर्व में ब्रिटिश साम्राज्य के उपनिवेश रह चुके हैं और ब्रिटिश सम्राट को अपने राष्ट्र प्रमुख के रूप में मान्यता देते हैं. हालांकि इनमें से कुछ देशों ने अतीत में गणतंत्रवाद (जहां नागरिकों द्वारा अपने राष्ट्र प्रमुख का चुनाव किया जाता है) को अपनाने की कोशिश की है, लेकिन केवल कुछ ही देश इसमें सफ़ल रहे. इसका हालिया उदाहरण बारबाडोस है, जिसने 2021 में गणतंत्रात्मक शासन व्यवस्था को अपना लिया. 1992 में मॉरीशस के एक गणतंत्र देश बनने के 29 सालों बाद किसी देश ने इस शासन व्यवस्था को अपनाया है. वर्तमान में, बारबाडोस से प्रभावित होकर कई देशों, ख़ासकर कैरेबियाई देशों ने ऐसे किसी परिवर्तन के प्रति रुचि दिखाना शुरू कर दिया है, जहां बेलीज, बहामास, सेंट विंसेंट एंड ग्रेनाडाइन्स और जमैका, सभी गणतंत्रवाद में अपनी नए सिरे से दिलचस्पी ले रहे हैं. जाहिर है, यह चार्ल्स तृतीय के लिए चिंता का कारण है क्योंकि एलिजाबेथ द्वितीय की मौत के बाद से ये आवाज़ें और मुखर हो गई हैं, जिनमें जमैका सबसे आगे है.

(रानी एलिजाबेथ की मौत के बाद राष्ट्रमंडल क्षेत्रों की स्थिति , स्रोत: द गार्डियन)

जमैका का मामला


मार्च 2022 में कैरेबियाई दौरे पर आए प्रिंस विलियम और उनकी पत्नी कैथरीन से जमैका ने गणराज्य बनने की इच्छा व्यक्त की. जमैका के प्रधानमंत्री, एंड्रयू होलनेस शाही जोड़े को बताया कि "जमैका एक स्वतंत्र, विकसित और समृद्ध देश बनने की अपनी महत्वाकांक्षा और नियति को हासिल करने के इरादे से आगे बढ़ रहा है." जबकि इस दौरे का मकसद शाही परिवार और ब्रिटेन द्वारा अपने कैरेबियाई साथियों से संपर्क बढ़ाने के प्रयासों को एक उदाहरण के तौर पर प्रस्तुत करना था, लेकिन इसे कई मेजबान देशों में हुए विरोध प्रदर्शनों के कारण याद रखा जाएगा.

जून 2022 में, जमैका सरकार ने 2025 तक गणतंत्र देश बनने के अपने इरादे की आधिकारिक घोषणा की. इसके बाद कानून एवं संवैधानिक मामलों के मंत्रालय जैसे एक नए मंत्रालय का गठन किया गया, जिसने संवैधानिक सुधार समिति की स्थापना की.

अगर यह परिवर्तन होता है, तो जमैका राष्ट्रमंडल का सदस्य बना रहेगा, लेकिन वह भारत की तरह अपने राष्ट्र प्रमुख का चुनाव और अपने घरेलू एवं विदेशी मामलों की देखरेख स्वयं करेगा. यह प्रक्रिया आसान नहीं होगी क्योंकि इसके लिए संविधान के 13 कानूनी प्रावधानों में संशोधन की आवश्यकता होगी और जनमत संग्रह को लेकर सभी दलों की सहमति और चुनावी समर्थन जुटाने समेत लंबी प्रक्रियाओं से गुजरना होगा. और, वास्तव में, ऐसी जटिल प्रक्रिया के प्रति प्रतिबद्धता शाही परिवार या व्यापक रूप से यूके के लिए चिंता की वजह होनी चाहिए.

जमैका के इरादों को उसके इतिहास ने मजबूत किया है. कई दूसरे पूर्व उपनिवेशों की तरह, जमैका के लोगों का कहना है कि उन्होंने 300 साल के अपने औपनिवेशिक इतिहास में अपने संसाधनों (मानव और खनिज) को गंवाया है क्योंकि ब्रिटेन को समृद्ध बनाने के लिए उनसे संसाधन छीने गए. वे नस्लवाद के लंबे इतिहास को भी उजागर करते हैं. वर्षों से उनकी मांग बेहद आम रही है. वे चाहते हैं कि शाही परिवार उनके ऊपर किए गए अत्याचारों को स्वीकार करते हुए उनसे माफ़ी मांगे और उनसे लूटे गए मुनाफे के बदले क्षतिपूर्ति दे.

हालिया वर्षों में ही ब्रिटेन के शाही परिवार ने अपनी भूमिका को स्वीकार करना शुरू किया है. 2021 में बारबाडोस में हुए एक समारोह, जिसमें साम्राज्ञी को राज्य प्रमुख के पद से हटा दिया गया, में चार्ल्स (जो उस समय वेल्स के राजकुमार थे) ने "गुलामी की भयावहता" को स्वीकार किया जिसने "उनके इतिहास को हमेशा के लिए दागदार" कर दिया है. 2022 में, उनके बेटे प्रिंस विलियम ने एक कदम आगे बढ़ते हुए जमैका के गवर्नर जनरल द्वारा आयोजित रात्रिभोज में "अपने गहरे दुःख" को व्यक्त करते हुए कहा कि गुलामी का अस्तित्व "नहीं होना चाहिए था" और यह "हमेशा हमारे इतिहास पर धब्बा रहेगा." हालांकि, अभी तक आधिकारिक तौर पर माफ़ी नहीं मांगी गई है.

जमैका की एक राष्ट्रमंडल क्षेत्र से एक गणतंत्र बनने की इच्छा हालिया वर्षों यूके के साथ उसके अनुभवों से भी उपजी हो सकती है. 2003 में, ब्रिटिश सरकार ने अपने नियमों को बदल दिया, जिसके तहत जमैका के नागरिकों से बिना वीजा के देश में आने के अधिकार को ख़त्म कर दिया गया, जिसने वे राष्ट्रमंडल क्षेत्र के अकेले ऐसे नागरिक बन गए जिन्हें अपने राष्ट्र प्रमुख के देश में जाने के लिए वीजा की ज़रूरत होती है. 2015 में, तत्कालीन प्रधानमंत्री डेविड कैमरन और तत्कालीन गृह मंत्री थेरेसा मे के शासनकाल में हुए विंडरश स्कैंडल ने इस मामले को और ज्यादा बिगाड़ दिया, जहां अवैध प्रवासियों के खिलाफ़ कार्रवाई के नाम पर राष्ट्रमंडल के कई नागरिकों को गलत तरीके से देश से निकाला या निर्वासित किया गया. गलत तरीके से निशाना बनाए जाने के डर से, यूके में रहने वाले राष्ट्रमंडल के कई नागरिकों ने स्वास्थ्य एवं शिक्षा सेवाओं को लेना बंद कर दिया. सबसे ख़राब बात तो शायद उस साल तत्कालीन प्रधानमंत्री कैमरून की जमैका यात्रा थी, जहां उन्होंने माफ़ी मांगों को ख़ारिज कर दिया. मुआवज़े के बदले, उन्होंने ब्रिटेन द्वारा जमैका में एक नई जेल के निर्माण में सहयोग देने की घोषणा की, जिसके प्रति उनका ख्याल था कि यह उन जमैका वासियों के लिए घर की तरह होगा जिन्हें ब्रिटेन में अपराध करने के लिए निर्वासित किया गया है.

जमैका के इरादों को उसके इतिहास ने मजबूत किया है. कई दूसरे पूर्व उपनिवेशों की तरह, जमैका के लोगों का कहना है कि उन्होंने 300 साल के अपने औपनिवेशिक इतिहास में अपने संसाधनों (मानव और खनिज) को गंवाया है क्योंकि ब्रिटेन को समृद्ध बनाने के लिए उनसे संसाधन छीने गए.


जेलों के निर्माण की घोषणाओं की तुलना अन्य देशों, ख़ासकर चीन की प्रतिबद्धताओं से करें, जो संपूर्ण विकास के प्रति उत्साह रखते हैं. बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के एक हिस्से के रूप में, चीन ने जमैका में BRI और गैर BRI परियोजनाओं में लगभग 3 अरब डॉलर का सीधा निवेश किया है, जिसमें उत्तर एवं दक्षिण जमैका को जोड़ने वाली 67 किमी लंबी सड़क के निर्माण के लिए 60 करोड़ डॉलर का निवेश शामिल है.

ब्रिटेन और ब्रिटानिया के लिए नया दौर


हालांकि ब्रिटेन का शाही परिवार यूके में किसी भी राजनीतिक या कार्यकारी भूमिका का अधिकार नहीं रखता, लेकिन राज्य प्रमुख एक रूप में संप्रभु ने समारोहों और कूटनीतिक कर्तव्यों में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. राजशाही ब्रिटिश सॉफ्ट पॉवर का अभिन्न अंग है, विश्व के कई हिस्सों में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री से ज्यादा राजशाही को पहचाना जाता है. ताजपोशी समारोह अपने आप में इस सॉफ्ट पॉवर का उदाहरण है.

समारोह में दुनिया भर से आए राजनयिक प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया था जिसमें पोलैंड, फिलीपींस, ऑस्ट्रेलिया, यूरोपीय संघ, श्रीलंका, सेशेल्स, सिंगापुर, पाकिस्तान, नाइजीरिया, मलावी, मालदीव, बांग्लादेश और न्यूजीलैंड के नेताओं का उदाहरण दिया जा सकता है. उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने भारत का प्रतिनिधित्व किया. ताजपोशी से एक दिन पहले, एक राजनयिक समारोह का आयोजन किया गया जिसमें लोकतांत्रिक रूप से चुने गए वैश्विक नेता दैवीय रूप से नियुक्त लोगों के साथ घुलमिल गए थे, इस समारोह से जुड़ी एक तस्वीर, जिसमें यूक्रेन की प्रथम महिला ओलेना जेलेंस्का और अमेरिकी समकक्ष जिल बाइडेन के भविष्य की रानी कैथरीन के साथ खड़ी थीं, ने रूस-यूक्रेन संघर्ष को लेकर संदेश भेजने का काम किया. केवल कुछ ही अधिकार समारोह दुनिया भर में इतनी लोकप्रियता रखते हैं, जहां न केवल राजनयिक हलकों में बल्कि सोशल मीडिया पर भी दुनिया भर से लोग इसमें इतनी दिलचस्पी रखते हैं.

राजशाही ब्रिटेन के लिए एक अराजनीतिक प्रतिनिधि के रूप में काम करती है, गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत करती है और "ब्रिटेन के नाम" का प्रतिनिधित्व करने के लिए दौरे करती है. दिवंगत महारानी एलिजाबेथ द्वितीय ने स्वयं अपने शासनकाल के दौरान 100 से अधिक देशों का दौरा किया था. यूके के लिए, उनके निष्पक्ष राजनीतिक रवैए ने उन्हें घरेलू स्तर पर विभिन्न राजनीतिक प्रशासनों के दौरान प्रासंगिक बने रहने में सहयोग किया है, जिससे अन्य देशों को यूके के साथ एक दीर्घकालिक और स्थिर संबंध बनाए रखने और अपने राष्ट्रीय हितों को आगे बढ़ाने में मदद मिलती है, जो राजनीति पक्षधरता की स्थिति में उन्हें बेहद सीमित मौके देती. उदाहरण के लिए, ब्रेक्सिट वार्ताओं के दौरान, भले ही यूके अब यूरोपीय संघ का हिस्सा नहीं था, लेकिन शाही परिवार के कई वरिष्ठ सदस्यों ने यह दिखाने के लिए यूरोपीय देशों का दौरा किया कि वे संबंधित देशों के साथ अपने संबंधों को बनाए रखना चाहते हैं और उनके साथ संबंधों में रुचि लेते हैं.


हालांकि अन्य 15 राष्ट्रमंडल देश राष्ट्रमंडल के भीतर बराबरी का दर्जा रखते हैं, जहां समारोह के एक महत्वपूर्ण हिस्से के रूप में वेस्टमिंस्टर ऐबी के प्रवेश द्वार पर इन सभी देशों के झंडों को सार्वजनिक प्रदर्शन के लिए लगाया गया था, लेकिन जिस तरह से गणतंत्रात्मक व्यवस्था की ओर बढ़ रहे देशों ने राष्ट्रमंडल को ख़ारिज किया है उससे वैश्विक व्यवस्था में यूनाइटेड किंगडम की घटती कूटनीतिक ताकत का पता चलता है. जिस तरह से हाल ही में जमैका ने मुखर होकर गणतंत्रवाद में रुचि दिखाई है, ऐतिहासिक संबंधों का बहाना लेकर अब यूके सरकार की कार्रवाई पर पर्दा नहीं डाला जा सकता और कई देशों में अपनी दीर्घकालिक प्रभावशीलता को वह तेजी से खोता जा रहा है.
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हालांकि शेक्सपीयर का यह कथन बहुत प्रसिद्ध है, "जिन सरों पर ताज होता है उन्हें आराम मयस्सर नहीं होता", लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि प्रिंस किंग चार्ल्स ब्रिटिश राजशाही के गिरते प्रभाव से पूरी तरह वाकिफ थे. 2022 में रवांडा के किगाली में हुई राष्ट्रमंडल शासनाध्यक्षों की बैठक में, चार्ल्स तृतीय, जो कुछ ही महीनों बाद राजा बनने वाले थे, ने राष्ट्रमंडल देशों के बीच स्थायी संबंधों के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि "हर एक सदस्य देश को संवैधानिक व्यवस्था, चाहे वह राजशाही हो या गणतंत्रात्मक व्यवस्था, पूरी तरह से उस सदस्य देश की इच्छा से तय होने वाला मुद्दा है." जिस तरह से चार्ल्स राष्ट्रमंडल के भीतर एक चुनौती और जमैका की विदाई का सामना कर रहे हैं, यह उनका नेतृत्व होगा जो आने वाले सालों में ब्रिटेन के वैश्विक प्रभावों को स्थापित करने में राजशाही की भूमिका को आकार प्रदान करेगा, भले ही उसे तय करने का अधिकार उनके पास नहीं है.

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