सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) द्वारा हाल ही में जारी घोषणा-पत्र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भारतीय राष्ट्र की परिकल्पना और परिभाषा को रेखांकित करता है, जो पिछले पांच वर्षों में पार्टी के निर्विरोध और सर्वोच्च नेता के रूप में उभरे हैं।
“संकल्प भारत, सशक्त भारत” शीर्षक वाले 45 पृष्ठों के इस दस्तावेज में आवरण-पृष्ठ पर मात्र मोदीजी की तस्वीर है। यह पिछले वर्षों से भिन्न है, क्योंकि यह नई लीक की स्थापना करती है। पूर्व में भाजपा में सामूहिक नेतृत्व पर बल दिया जाता था।
प्रधानमंत्री द्वारा घोषणा-पत्र को जारी करते हुए यह स्पष्ट रुप से कहा जाना कि “राष्ट्रवाद हमारी प्रेरणा है,” उस नए राष्ट्र के व्यापक संदर्भों को रेखांकित करता है जिसके मार्फत 2047 तक नए राष्ट्र के निर्माण का प्रस्ताव वे अपनी पार्टी के साथ मिलकर रखते हैं, जब भारत औपनिवेशिक शासन से स्वतंत्रता की 100वीं वर्षगांठ मनाएगा।
प्रधानमंत्री के शब्दों में, उनकी पार्टी का संकल्प भारत को एक विकासशील देश से एक विकसित देश बनाने का है। मोदी ने जोर देते हुए कहा — “हम चाहते हैं कि लोग हमें जिम्मेदार समझें और हममें विश्वास करें। इसलिए, हमने 2022 तक हासिल करने के लिए 75 लक्ष्य निर्धारित किए हैं,” जब भारत की आजादी के 75 साल पूरे हो जाएंगे।
सत्तारूढ़ पार्टी के नए राष्ट्रवाद की जड़ें “हिंदूत्व” के वैचारिक ढांचे की जमीन से निकलती और पोषित होती हैं जो स्पष्ट रूप से भाजपा को “देशभक्त” (राष्ट्रवादी) के रूप में और अन्य को अप्रत्यक्ष या अघोषित रुप से ही “देशद्रोही” (राष्ट्र-विरोधी) के रूप में प्रस्तुत करती है।
भाजपा की “राष्ट्रवाद” की अवधारणा नरम या शांतिपरक नहीं, बल्कि शक्ति-आधारित एवं शक्तिपरक है जो राष्ट्रीय सुरक्षा पर विशेष बल देती है। इस घोषणा-पत्र में आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई करने, नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिज़न (एनआरसी) को चरणबद्ध तरीके से लागू करके आतंकवादी घुसपैठ को समाप्त करने, नागरिक संशोधन विधेयक को कानून की शक्ल देने और धारा 35A को समाप्त करने जैसे वायदे किए गए हैं जो कि भाजपा के अनुसार “राज्य के विकास में बाधा” है।
सत्तारूढ़ पार्टी के नए राष्ट्रवाद की जड़ें “हिंदूत्व” के वैचारिक ढांचे की जमीन से निकलती और पोषित होती हैं जो स्पष्ट रूप से भाजपा को “देशभक्त” (राष्ट्रवादी) के रूप में और अन्य को अप्रत्यक्ष या अघोषित रुप से ही “देशद्रोही” (राष्ट्र-विरोधी) के रूप में प्रस्तुत करती है।
इस घोषणा-पत्र में धारा 370 की समाप्ति, समान नागरिक संहिता की शुरूआत और अयोध्या में राम जन्मभूमि मंदिर के निर्माण के पार्टी के मूल एजेंडे को मजबूती के साथ दोहराते हुए उपर्युक्त विचार पर बल दिया गया है। साथ ही, पार्टी का कहना है कि यह “आस्था और विश्वास से जुड़े मुद्दों पर संवैधानिक संरक्षण को सुरक्षित करने का प्रयास” होगा। इस घोषणा-पत्र में राम मंदिर के निर्माण के प्रति भाजपा की प्रतिबद्धता को दिखाने के लिए न केवल नए आयाम जोड़े गए हैं, बल्कि केरल में अपने राजनीतिक क्षेत्र का विस्तार करने के लिए सभी उम्र की महिलाओं को सबरीमाला मंदिर में उच्चतम न्यायालय द्वारा प्रवेश करने की अनुमति दिए जाने से उत्पन्न मतभेदों की पृष्ठभूमि में ये आश्वासन दिया गया है। सबरीमाला में भगवान अयप्पा के मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर रोक को लेकर विवाद दशकों से चला आ रहा है। यहां के लोगों की ऐसी मान्यता है कि भगवान अयप्पा ब्रह्मचारी थे, जिस कारण इस मंदिर में एक विशेष आयु-वर्ग (10 से 50 वर्ष) की महिलाओं का प्रवेश वर्जित रहा है। 28 सितंबर 2018 को उच्चतम न्यायालय ने सभी आयु-वर्ग की महिलाओं को सबरीमाला मंदिर में प्रवेश करने की अनुमति दे दी है जिसे लेकर पिछले कुछ दिनों से काफी विवाद बना रहा है। इस मूल विचारधारा के साथ ही, घोषणा-पत्र में, ट्रिपल तालक और निकाह हलाला को समाप्त करने की शपथ भी ली गई है।
दस्तावेज़ की शुरुआत ‘नेशन फ़र्स्ट’ (सर्वप्रथम राष्ट्र) शीर्षक खंड से होती है। यह खंड मोदी के “निर्णायक नेतृत्व” को उजागर करते हुए महिमामंडित करता है जिसने इस घोषणा-पत्र के शब्दों में “पिछले पांच वर्षों में भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रतिमानों को मूल रूप से बदल दिया है।
दस्तावेज़ की शुरुआत ‘नेशन फ़र्स्ट’ (सर्वप्रथम राष्ट्र) शीर्षक खंड से होती है। यह खंड मोदी के “निर्णायक नेतृत्व” को उजागर करते हुए महिमामंडित करता है जिसने इस घोषणा-पत्र के शब्दों में “पिछले पांच वर्षों में भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रतिमानों को मूल रूप से बदल दिया है।” पहले खंड में आतंकवाद के प्रति शून्य-सहिष्णुता अपनाने,सशस्त्र बलों को मजबूत करने, रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल करने, सैनिकों का कल्याण और सीमा सुरक्षा को मजबूत करने जैसे मुद्दों की सूची दी गई है। घोषणा-पत्र जिसको भाजपा ने संक्लप पत्र कहा है को मतदाताओं के समर्पण समारोह में उपस्थित वित्त मंत्री अरुण जेटली ने राष्ट्रवाद के बारे में पार्टी की समझ को आगे और विस्तार से समझाया। उन्होंने भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार की राष्ट्रीय सुरक्षा सिद्धांत को को परिभाषित किया जो “भारत के बाल्कनीकरण” (‘बाल्कनीकरण’ अर्थात भारत को छोटे-छोटे टुकड़ों या देशों में बांटने से संबंधित विचारों) को दृढ़ता से खारिज करती है। उनके अनुसार यह विचार “टुकड़े टुकड़े” मानसिकता (चरम वामपंथियों की तरफ इशारा) एवं छद्म बुद्धिजीवियों के संगठन द्वारा दिया गया है।
दस्तावेज़ में प्रमुख रुप से उठाए गए अन्य मुद्दें ग्रामीण भारत और बुनियादी ढांचे के निर्माण के बारे में हैं। भारत को 2025 तक 5 ट्रिलियन डालर की अर्थव्यवस्था बनाने और 2030 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने के लिए अपनी दृष्टि साझा करते हुए, घोषणा-पत्र में देश के बुनियादी ढांचे को विकसित करने के लिए 100 लाख करोड़ रु. तक की राशि के निवेश का वायदा किया गया है। दस्तावेज़ में “अगली पीढ़ी” के बुनियादी ढांचे के निर्माण का भी आश्वासन दिया गया है, जिसमें राष्ट्रीय राजमार्गों के साथ गैस और पानी के ग्रिड, क्षेत्रीय हवाई अड्डे और सड़क के किनारे मुहैया की जाने वाली अनेक सुविधाएं शामिल हैं।
भाजपा ने, गरीब परिवारों को न्यूनतम आय देने के कांग्रेस के वायदे का मुकाबला करने के लिए, सीमांत किसानों के साथ-साथ छोटे और सीमांत व्यापारियों को भी पेंशन का वायदा किया है।
इस घोषणा-पत्र में कई कदम उठाए जाने के वायदे किए गए हैं, जिसमें ‘जल जीवन मिशन’ भी शामिल है। इसके अंतर्गत 2024 तक हर घर के लिए पाइप का पानी सुनिश्चित करने हेतु एक विशेष कार्यक्रम — “नल से जल” की शुरुआत की जाएगी। इसी दौरान राज्यों को भारतमाला 2.0 परियोजना के अंतर्गत आंतरिक क्षेत्रों को मुख्य सड़कों से जोड़ने के लिए सड़क नेटवर्क विकसित करने हेतु सहायता दी जाएगी और यह “संबंधित क्षेत्रों की आर्थिक क्षमता और बाजार में उपलब्ध अवसरों से मिलने वाले लाभ को प्रभावी रूप से बढ़ाएगा।”
घोषणा-पत्र में निर्यात को उचित तरीके से बढ़ावा देने और बड़े उद्यमों के साथ-साथ छोटे और मध्यम उद्यमियों की मदद करने के बारे में बात की गई है, परंतु सत्ता में वापसी के बाद पार्टी किस प्रकार इसे कार्यान्वित करेगी, इस विषय में यह घोषणा-पत्र किसी ठोस रुपरेखा को प्रस्तुत नहीं करता है। पिछले कुछ वर्षों में वैश्विक परिवेश में कठिन एवं जटिल समय से गुज़रे उद्यमों को प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए एक स्पष्ट रोडमैप की अनुपस्थिति यहां अखरती है।
एक और ध्यान दी जाने योग्य चूक नौकरियों और रोजगार के बारे में है। ऐसे समय में जब बेरोजगारी पिछले 45 वर्षों के उच्चतम स्तर पर है बावजूद कि एनएसएसओ के लीक हुए आंकड़ों को स्वीकार करने से मोदी सरकार ने इनकार कर दिया है, ऐसे महत्वपूर्ण मुद्दे को घोषणा-पत्र में स्थान न देकर सत्ता पक्ष ने विपक्षी हमलों के लिए पर्याप्त कारण मुहैया कर दिए हैं।
भाजपा ने, गरीब परिवारों को न्यूनतम आय देने के कांग्रेस के वायदे का मुकाबला करने के लिए, सीमांत किसानों के साथ-साथ छोटे और सीमांत व्यापारियों को भी पेंशन का वायदा किया है। साथ ही, घोषणा-पत्र में कृषि ऋण में 1 लाख रुपये तक को पांच साल के लिए ब्याज मुक्त बनाने और कृषि क्षेत्र में 25 लाख करोड़ रुपये तक निवेश करने का वायदा किया गया है। यहां 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने का भी आश्वासन दिया गया है, बशर्ते कि यह कैसे हासिल किया जाएगा, इस संबंध में किस प्रकार के कदम उठाने का इरादा है यह स्पष्ट नहीं किया गया है। इतना ही नहीं, भाजपा ने दोबारा सत्ता में आने पर 1.25 लाख नए स्वास्थ्य केंद्र बनाने का वायदा भी किया है।
बेरोजगारी जैसे कुछ चुनौतीपूर्ण मुद्दों की अनदेखी करने के कारण, भाजपा के घोषणा-पत्र को देखकर ‘अच्छे दिन’ जैसे भाव नहीं जगते हैं। इसमें सतही मुद्दों के माध्यम से लोकप्रिय समर्थन जुटाने का विकल्प पेश किया गया है। कुल मिलाकर इस घोषणा-पत्र में केवल राष्ट्रवाद के नाम पर जन-भावनाओं को उभारने और राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति जनता के भय को भुनाने का प्रयास किया गया है।
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