Author : Amruta Ponkshe

Published on Sep 07, 2020 Updated 0 Hours ago

यातायात की मांग और प्रभावी कोविड-19 प्रबंधन को सुनिश्चित करने के लिए और ज़्यादा शहरों और राज्यों के ऐसे उपाय अपनाने के साथ, एक राष्ट्रव्यापी नीति की रूपरेखा तय होनी चाहिए

अनलॉक इंडिया में बदल जाएगा ऑफिस टाइम-टेबल; साथ ही बदलेंगे यात्रा के तौर-तरीके

सड़कों पर भीड़-भाड़ कम करने और शारीरिक दूरी के मानदंडों का पालन करने के लिए महाराष्ट्र सरकार जल्द ही राज्य में कामकाज और कार्यालयों के लिए ‘स्टेगर्ड वर्किंग ऑवर्स (शिफ्ट में समय-अंतराल से काम)’ योजना लागू करने जा रही है. मुंबई नगर निगम (MCGM) अपने कर्मचारियों के लिए स्टेगर्ड ड्यूटी टाइम तय करने की योजना पर काम कर रहा है. यह फ़ैसला मुंबई महानगर क्षेत्र में आवश्यक सेवा के कर्मचारियों के लिए चलने वाली विशेष ट्रेनों में भीड़ के कारण कोविड-19 के फैलाव को लेकर बढ़ती चिंता के बीच आया है. जैसा कि देश में अनलॉक होना शुरू हो चुका है, मुंबई महानगर क्षेत्र (MMR) नए मामलों और मौतों की लगातार बढ़ती संख्या के साथ, अब तक कोविड-19 बीमारी से सबसे बड़े प्रभावित क्षेत्र के रूप में सामने आया है.

काफी समय से यातायात विशेषज्ञ, एक्टिविस्ट और दैनिक यात्री शहर की भीड़ कम करने और उपनगरीय ट्रेनों में भीड़-भाड़ से बचने के लिए कार्यालयों का समय अलग-अलग करने की मांग करते रहे हैं. दिलचस्प है कि जबकि एमसीजीएम अभी इसे लागू करने के तरीके पर काम कर रहा है, यह फैसला स्थानीय निकाय और पश्चिम रेलवे (डब्ल्यूआर) के अधिकारियों के साथ बार-बार चर्चा के बाद आया है. अधिकारियों का दावा है कि हालांकि, पश्चिम रेलवे प्लेटफॉर्म्स पर और ट्रेन में चढ़ने से पहले ठीक से सामाजिक दूरी मानकों का पालन किया जाता है, लेकिन एक बार यात्रियों के ट्रेन में चढ़ जाने के बाद सामाजिक दूरी का पालन करना मुश्किल हो जाता है. इसका मुख्य कारण यह है कि अधिकांश यात्रियों द्वारा एक ही तय समय पर काम पर पहुंचने की बहुत ज़्यादा बेताबी होती है, क्योंकि सेंट्रल बिज़नेस डिस्ट्रिक्ट (सीबीडी) के अधिकांश कार्यालय एक ही समय, सुबह 9 बजे से शुरू होते हैं.

अगर अधिकांश निजी और सरकारी कार्यालय सुबह 9 बजे काम करना शुरू कर देते हैं और शाम 5 बजे तक ख़त्म हो जाते हैं, तो इन कार्यालयों में लोग ‘लहरों’ में काम के लिए आ सकते हैं- सुबह 7 से 11 बजे के बीच, और काम के तय घंटों के बाद दोपहर 3 से 7 बजे के बीच- लौट सकते हैं.

इस समस्या से निपटने का एक तरीका काम के घंटों को अलग-अलग करना है. उदाहरण के लिए, अगर अधिकांश निजी और सरकारी कार्यालय सुबह 9 बजे काम करना शुरू कर देते हैं और शाम 5 बजे तक ख़त्म हो जाते हैं, तो इन कार्यालयों में लोग ‘लहरों’ में काम के लिए आ सकते हैं- सुबह 7 से 11 बजे के बीच, और काम के तय घंटों के बाद दोपहर 3 से 7 बजे के बीच- लौट सकते हैं. हालांकि, यह व्यस्त-घंटों की भीड़-भाड़ की समस्या को ख़त्म नहीं करेगा, लेकिन यह भीड़ को संभाली जा सकने वाली संख्या में बांट देगा, ताकि रेलवे अधिकारी इसके हिसाब से सेवाएं दे सकें.

अलग-अलग काम के घंटों को दुनिया भर में कई शहरों में निजी कारोबार और सरकारी दफ़्तरों में समय-अंतराल वाली शिफ्टों को अपनाने की मंज़ूरी मिली है. यह एक पसंदीदा उपाय है जिसका अक्सर परिवहन विशेषज्ञों द्वारा व्यस्त घंटों के दौरान वाहनों की भीड़ और मुसाफिरों की संख्या को कम करने के लिए अन्य ट्रैवल डिमांड मैनेजमेंट उपायों जैसे कि कम कामकाजी दिनों का हफ्ता और फ्लैक्स टाइम वर्क शेड्यूल के साथ सुझाव दिया जाता है. मुंबई में, इस अवधारणा को पहले यहां के बीकेसी इलाके में यातायात की समस्या से निपटने के लिए निजी कंपनियों द्वारा अपनाया गया था. दिल्ली सरकार ने वाहनों से होने वाला प्रदूषण कम करने के लिए सरकारी स्तर पर लागू की गई ऑड-ईवन योजना के दौरान अपने कर्मचारियों के लिए दो हफ्ते समय-अंतराल वाली शिफ्ट लागू की. हाल ही में, कोलकाता में सार्वजनिक परिवहन में बहुत ज़्यादा भीड़ को रोकने के उपाय के तौर पर पश्चिम बंगाल सरकार ने अपने कर्मचारियों के लिए समय-अंतराल वाली शिफ्टों का ऐलान किया.

समय-अंतराल वाले काम के घंटे यातायात और यात्रियों के फैलाव के अपने मुख्य काम के अलावा उत्पादकता में सुधार लाने और कार्य-जीवन संतुलन को सही करने कर्मचारियों की थकान कम करने और ऊर्जा के सही इस्तेमाल में मददगार साबित होते हैं. इन्हें अब तक दुनिया भर में सिंगापुर से लेकर ऑस्टिन, टेक्सास से लेकर बीजिंग तक आज़माया जा चुका है. अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) ने पहली बार 2004 में काम के लिए समय-अंतराल वाला एक शुरुआती विचार पेश किया; हालांकि, इसने अपने हालिया प्रकाशन में 2019 में विस्तृत दिशा-निर्देश ‘‘बैलेंस्ड वर्किंग टाइम अरेंजमेंट्स’ जारी किए. ये दिशानिर्देश कर्मचारियों के स्वास्थ्य और उत्पादकता पर ज़्यादा केंद्रित हैं और काम के समय को परिवार के अनुकूल और समावेशी बनाने के बारे में बताते हैं.

भीड़-भाड़ को कम करने के लिए कई और बदलावों को लागू करना होगा- महाराष्ट्र सीएमओ के मुख्य सलाहकार– अजोय मेहता ने सुझाव दिया है कि मिशन ‘बिगिन अगेन (फिर से शुरुआत)’ और समय-अंतराल से काम 24X7 शहर की अवधारणा के अनुरूप है, जहां हर समय कामकाज को अनुमति दी जाएगी, और शिफ्टों में या घर से काम करने वाले कर्मचारी दिन के सभी घंटों में काम करेंगे. 2,000 यात्रियों की औसत क्षमता और 6,000 यात्रियों की वास्तविक भीड़ के साथ; हर ट्रेन कोविड-19 से पहले के दिनों में अपनी क्षमता के तीन गुना पर काम कर रही थी. इसलिए इस तरह के 24X 7 कार्य-दिवस सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था का प्रभावी ढंग से प्रबंधन करने और राज्य के लिए आर्थिक गतिविधियों को फिर से शुरू करने के लिए ज़रूरी होंगे.

महाराष्ट्र सीएमओ के मुख्य सलाहकार– अजोय मेहता ने सुझाव दिया है कि मिशन ‘बिगिन अगेन (फिर से शुरुआत)’ और समय-अंतराल से काम 24X7 शहर की अवधारणा के अनुरूप है, जहां हर समय कामकाज को अनुमति दी जाएगी, और शिफ्टों में या घर से काम करने वाले कर्मचारी दिन के सभी घंटों में काम करेंगे.

हालांकि, एक ऐसी रणनीति तैयार करते हुए जो कारोबार के पक्ष में हो और अर्थव्यवस्था की फिर से शुरुआत करने वाली हो, इसके साथ सरकार को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि कर्मचारियों की सुरक्षा का पर्याप्त ख़्याल रखा जाए. समय-अंतराल वाले काम के घंटे अर्थव्यवस्था के अन्य क्षेत्रों पर भी असर डालेंगे; ख़ासकर सेवा क्षेत्र पर. कामकाज को ज़्यादा समावेशी और अनुकूल बनाने के लिए राज्य को इन सभी क्षेत्रों के लिए स्पष्ट दिशानिर्देश और प्रोत्साहन देना होगा. यातायात की मांग और प्रभावी कोविड-19 प्रबंधन को सुनिश्चित करने के लिए और ज़्यादा शहरों और राज्यों के ऐसे उपाय अपनाने के साथ, एक राष्ट्रव्यापी नीति की रूपरेखा तय होनी चाहिए, जिसमें समय-अंतराल वाले घटों में काम, घर से काम करने, कर्मचारियों के लिए लचीले काम के घंटे लागू करने पर ऐसी लचीजी-व्यवस्था के संभावित नतीजों और कारोबार के साथ-साथ कर्मचारियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए.

इसके अलावा, ज़्यादा डेटा-आधारित दृष्टिकोण भविष्य की परिवहन मांग प्रबंधन का बेहतर ढंग से आकलन करने में मदद करेगा. कोविड-19 महामारी के चलते ‘कार्यस्थल’ के- समय, स्थान, स्वरूप में होने वाले बदलाव आने वाले समय में आवागमन के तरीके में काफ़ी बदलाव लाने वाले हैं. निवास स्थान से मंज़िल तक एक ख़ास परिवहन मार्ग का इस्तेमाल करने वाले कुल कर्मचारियों पर असर का अध्ययन और विश्लेषण, समय-अंतराल वाला कार्य समय लागू करने का किसी इलाके में तमाम कारोबार पर असर, एनालॉग नौकरियों का डिजिटल नौकरियों में परिवर्तित होना (कहीं से भी काम करने की आज़ादी) का अध्ययन किया जाना चाहिए. मोबाइल ट्रांज़िट एप्स से मिले डेटा का इस्तेमाल करने से इन पहलुओं को ठीक से समझने और ज़रूरी समाधान देने में मदद मिलेगी, सिर्फ महामारी ख़त्म होने तक नहीं; बल्कि उसके बाद भी.

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