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2030 तक भारत के दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जा
सर्कुलर इकॉनॉमीचा अवलंब केला, तर वाया जाणाऱ्या उत्पादना�
सर्कुलर अर्थव्यवस्था को लागू करने से बर्बाद होने वाले उत
प्लास्टिक ने हाल ही में सर्कुलर अर्थव्यवस्था को लेकर चल �
जलवायु परिवर्तन से निपटने और एसडीजी हासिल करने में सर्कु
जलवायु परिवर्तन से निपटने और एसडीजी हासिल करने में सर्कु
प्लास्टिक ने हाल ही में सर्कुलर अर्थव्यवस्था को लेकर चल �
सर्कुलर अर्बन इकोनॉमी की ओर बढ़ने के लिए भारत को पॉलिसी फ�
जैसे-जैसे विकासशील और अल्प-विकसित देशों (ग्लोबल साउथ) में GDP और जनसंख्या में बढ़ोतरी हो रही है, ग्रीनहाउस गैसों (GHG) का उत्सर्जन भी बढ़ता जा रहा है. सार्वजनिक स्तर पर ठोस कचरों स
वर्तमान वैश्विक रैखिक अर्थव्यवस्था (लीनियर इकोनॉमी- में कच्चे माल को एकत्र किया जाता है, फिर उत्पादों में परिवर्तित किया जाता है और उनका उपयोग तब तक किया जाता है जब तक कि उन�
ऐतिहासिक रूप से, पर्यावरण नीति ने ऊर्जा और परिवहन क्षेत्र में ख़पत के प्रभावों को कम करने पर ध्यान केंद्रित किया है. 'सर्कुलर इकोनॉमी’ की अवधारणा के उद्भव के साथ, यूरोपीय संघ
दुनिया भर के देश जलवायु कार्रवाई के मोर्चे पर राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदानों (NDCs) के पहले से ज़्यादा महत्वाकांक्षी स्वरूपों पर प्रतिबद्धता जताने लगे हैं. ऐसे में आर्�
दुनिया में हर साल मानवीय उपभोग के लिए तैयार खाद्य पदार्थों के 40 प्रतिशत से भी ज़्यादा हिस्से का नुक़सान या बर्बादी हो जाती है. जलवायु परिवर्तन से मानवीय अस्तित्व पर बड़ा ख़�
जी 20 ने 2017 में समुद्री कूड़े पर जी 20 कार्य योजना और 2019 में इसके कार्यान्वयन की रूपरेखा को अपनाते हुए इस दिशा में कदम उठाए हैं. जबकि इन उपकरणों ने मौज़ूदा उत्पादन पैटर्न और एक स्�
वैश्विक स्तर पर स्वच्छ ऊर्जा की ओर परिवर्तनकारी क़वायदों में नवीकरणीय ऊर्जा, ऊर्जा भंडारण और अन्य नई तकनीकों की बड़े पैमाने पर तैनाती किए जाने की ज़रूरत पड़ेगी. इनमें खनि�