Published on Aug 03, 2023 Updated 0 Hours ago

प्लास्टिक ने हाल ही में सर्कुलर अर्थव्यवस्था को लेकर चल रही चर्चा के केंद्र में अपनी जगह बनाई है. हर साल लगभग 400 मिलियन टन प्लास्टिक कचरा पूरे ग्रह में फेंका जाता है जो पूरी मानव आबादी के वज़न के बराबर है.

प्लास्टिक की सर्कुलर अर्थव्यवस्था में बदलाव: एक रोडमैप
प्लास्टिक की सर्कुलर अर्थव्यवस्था में बदलाव: एक रोडमैप

एक सर्कुलर अर्थव्यवस्था एक लिनियर (रैखिक) अर्थव्यवस्था के एकदम उलट होती है. एलेन मैकार्थर फाउंडेशन के मुताबिक़, “हमारी वर्तमान अर्थव्यवस्था में हम पृथ्वी से चीजें लेते हैं, उनसे उत्पादन करते हैं, और अंततः उन्हें कचरे के रूप में फेंक देते हैं- यह प्रक्रिया लिनियर (रैखिक) है. एक सर्कुलर अर्थव्यवस्था में इसके विपरीत, हम सबसे पहले कचरे का उत्पादन बंद कर देते हैं. सर्कुलर इकोनॉमी तीन सिद्धांतों पर आधारित होती है जो एक ख़ास डिज़ाइन द्वारा संचालित होती है: अपशिष्ट और प्रदूषण को ख़त्म करना, उत्पादों और सामग्रियों को व्यापक बनाना (उनके उच्चतम मूल्य पर), और प्रकृति को फिर से पुनर्जीवित करना. सर्कुलर अर्थव्यवस्था आर्थिक गतिविधियों को सीमित संसाधनों के उपभोग से अलग करती है.”

साल 2024 तक प्लास्टिक पर कानूनी रूप से बाध्यकारी समझौते के लिए वैश्विक सहमति की आवश्यकता फरवरी-मार्च 2022 में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण सभा 5.2 में रेखांकित की जा चुकी है. प्लास्टिक ने हाल ही में सर्कुलर अर्थव्यवस्था को लेकर चल रही चर्चा के केंद्र में अपनी जगह बनाई है. हर साल लगभग 400 मिलियन टन प्लास्टिक कचरा पूरे ग्रह में फेंका जाता है जो पूरी मानव आबादी के वज़न के बराबर है. हाल के रिसर्च ने प्लास्टिक के कारण होने वाले गंभीर संकट को बताया है. वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर द्वारा फरवरी 2022 का एक अध्ययन प्लास्टिक प्रदूषण को पूरे ग्रह पर एक बड़े संकट के रूप में देखता है. यह बताता है कि लगभग हर प्रजाति समूह ने “प्लास्टिक प्रदूषण का सामना किया है,” और जिसका 90 प्रतिशत प्रतिकूल प्रभाव झेलने को सभी मज़बूर हैं.

एक सर्कुलर अर्थव्यवस्था में इसके विपरीत, हम सबसे पहले कचरे का उत्पादन बंद कर देते हैं. सर्कुलर इकोनॉमी तीन सिद्धांतों पर आधारित होती है जो एक ख़ास डिज़ाइन द्वारा संचालित होती है: अपशिष्ट और प्रदूषण को ख़त्म करना, उत्पादों और सामग्रियों को व्यापक बनाना (उनके उच्चतम मूल्य पर), और प्रकृति को फिर से पुनर्जीवित करना.

सर्कुलर इकॉनमी के फ़्रेमवर्क में बदलाव चुनौती

दुनिया भर में कचरे के मौज़ूदा स्तर के संदर्भ में सर्कुलर इकोनॉमी के फ़्रेमवर्क में बदलाव करना एक बड़ी चुनौती है. जैसे-जैसे प्लास्टिक प्रदूषण के ख़तरों के बारे में अधिक जानकारी उपलब्ध होती जा रही है, प्लास्टिक के उपयोग पर अंकुश लगाना बेहद ज़रूरी हो गया है. अब तक प्लास्टिक प्रदूषण को कम करने के लिए एकल-उपयोग वाले प्लास्टिक (एसयूपी) पर ध्यान दिया जाता रहा है जो बेहद शिथिल है. हालांकि इसे रोकने के लिए दो प्रमुख साधन हैं – प्रतिबंध और विस्तारित उत्पादक ज़िम्मेदारी (ईपीआर). इस मोर्चे पर वैश्विक स्तर से आगे भारत ने अपने प्लास्टिक अपशिष्ट नियम, 2021 में कई चिन्हित एसयूपी पर प्रतिबंध लगा दिया है.

एसयूपी के अलावा प्लास्टिक प्रदूषण के कई अन्य स्रोत हैं. एक अध्ययन ने “विश्व स्तर पर स्रोत वाले नल के पानी के 159 नमूनों में मानवजनित कणों, लॉरेंटियन ग्रेट लेक्स बीयर के 12 ब्रांडों और समुद्री नमक के 12 ब्रांडों की पहचान की. नल के पानी के नमूनों की जांच करने पर उनमें से 81% में मानवजनित कण पाए गए. इनमें से अधिकांश कण 0.1-5 मिमी लंबाई के बीच के फ़ाइबर (98.3%) थे. जबकि इसकी अधिकतकम सीमा 0 से 61 कण/लीटर थी, जिसका कुल माध्य 5.45 कण/लीटर था. बीयर और नमक के प्रत्येक ब्रांड में मानवजनित मलबा पाया गया. और तो और निकाले गए कणों में से 99% से अधिक फ़ाइबर थे.” इन निष्कर्षों का महत्व माइक्रोफ़ाइबर का है जिनमें से 35 प्रतिशत से अधिक घर पर सिंथेटिक वस्त्र धोने से उत्पन्न होते हैं.

माइक्रोप्लास्टिक भौतिक और रासायनिक दोनों तरह से दूषित होता है. एडेटिव्स जो प्लास्टिक की उपयोगिता बढ़ाते हैं, वे भी निक्षालित हो जाते हैं. इनमें से कुछ में ज्वालारोधी, बीपीए और भारी धातुएं शामिल होती हैं. ये रोज़मर्रा की कई प्लास्टिक वस्तुओं जैसे इलेक्ट्रॉनिक्स, फ़र्निशिंग टेक्सटाइल, क्लिंग रैप और बच्चों के खिलौने में भी पाए जाते हैं. जब ये मिट्टी और जलमार्ग में रिसते हैं तो वे एक ज़हरीला पदार्थ छोड़ते हैं. इसमें अंतर्निहित विषाक्तता उन्हें सुरक्षित रूप से रिसायकल करने के लिए एक चुनौती प्रदान करती है.

एक सर्कुलर अर्थव्यवस्था के लक्ष्य की ओर बढ़ने की कुंजी वर्तमान ‘पुनर्चक्रण मानसिकता’ से दूर हटना है. कई वैश्विक पहल इसके इर्द-गिर्द घूमती हैं. इनमें समुद्र के प्लास्टिक को रिसाइकल या फिर से प्राप्त करने से लेकर जूते बनाने से लेकर पार्क के फर्नीचर में प्लास्टिक जोड़ने तक शामिल हैं. दुर्भाग्य से विज्ञान किसी भी प्लास्टिक को बार-बार रिसायकल करना असंभव बना देता है. इसका अधिकांश भाग आखिरकार पारिस्थितिकी तंत्र में वापस लीक होने की संभावना है. यह हमें प्लास्टिक के लिए एक व्यवहार्य सर्कुलर अर्थव्यवस्था की ओर चार प्रस्तावों पर विचार करने के लिए मज़बूर करता है जिसके मूल में कम प्लास्टिक है.

रिफ़िल अभी भी प्लास्टिक के दूध के पाउच के लिए व्यवहार्य विकल्प है क्योंकि दिल्ली जैसे शहरों में दूध डिस्पेंसर इसका अच्छी तरह से उपयोग करते हैं. ये दोनों प्रक्रियाएं नए मॉडलों की व्यवहार्यता प्रदर्शित करती हैं लेकिन डिज़ाइन को कुछ प्लास्टिक की ज़रूरतों को भी समाप्त करना चाहिए, जैसे कि सील, स्टॉपर्स, चिपकने वाले, लेबल और कंटेनरों पर चिपकने वाले रिंग.

प्लास्टिक कचरे का समाधान

पहला डिज़ाइन में बदलाव पर केंद्रित है. प्लास्टिक कचरे का समाधान केवल सामग्री प्रतिस्थापन के ज़रिए ही नहीं खोजा जा सकता है. लगभग हर भौतिक सामग्री परिमित है, जो जलवायु परिवर्तन के इस युग में एक पहचान छोड़ रही है. जहां वैकल्पिक सामग्री प्रतिस्थापन अपरिहार्य है वहां मानकों को विकसित किया जाना चाहिए ताकि ये हमें अनपेक्षित परिणाम न दें. डिज़ाइन में बदलाव से खुदरा और ख़रीद में बदलाव होना चाहिए. फिर से इस्तेमाल करना और उसे उस योग्य बनाना महत्वपूर्ण है, जहां पूर्व की स्थिति की जड़ें ज़्यादातर देशों में गहरी हैं. भारत के कांच का पुन: उपयोग अभी भी अनौपचारिक क्षेत्र द्वारा प्रेरित है, चाहे वह बीयर के लिए हो या अन्य पेय पदार्थों के लिए, बोतलों को इकट्ठा करके और छांटकर इसे किया जा रहा है. वास्तव में सभी ब्रांडों में बीयर की बड़ी बोतलें फिर से इस्तेमाल किए जाने को लेकर आसान थीं. रिफ़िल अभी भी प्लास्टिक के दूध के पाउच के लिए व्यवहार्य विकल्प है क्योंकि दिल्ली जैसे शहरों में दूध डिस्पेंसर इसका अच्छी तरह से उपयोग करते हैं. ये दोनों प्रक्रियाएं नए मॉडलों की व्यवहार्यता प्रदर्शित करती हैं लेकिन डिज़ाइन को कुछ प्लास्टिक की ज़रूरतों को भी समाप्त करना चाहिए, जैसे कि सील, स्टॉपर्स, चिपकने वाले, लेबल और कंटेनरों पर चिपकने वाले रिंग.

दूसरा प्रस्ताव प्लास्टिक में विषाक्तता को समाप्त करना है. इसके लिए अनुसंधान और विकास में निवेश की आवश्यकता होती है और इसे विश्व स्तर पर अफ़ोर्डेबल बनाना है. जबकि एसयूपी पर प्रतिबंध, जैसा कि भारत ने किया है, स्वागत योग्य है क्योंकि प्लास्टिक में प्रमुख विषाक्त पदार्थों के प्रारंभिक चरण को ध्यान में रखा जाना चाहिए. इसके लिए अधिक सार्वजनिक भागीदारी की भी ज़रूरत होती है जो उत्पादों और एडिटिव्स के बारे में उपलब्ध जानकारी पर निर्धारित होती है. कई उत्पादों के लिए एक बारकोडिंग प्रक्रिया को अपनाया जा सकता है जो उपभोक्ताओं को अधिक जानकारी दे सकती है. भोजन के लिए श्रीलंका की लेबलिंग प्रणाली के समान एक विषाक्तता लेबलिंग प्रणाली भी इसे मज़बूत कर सकती है. वैश्विक बाज़ारों में बिक्री करने वाली कंपनियों को वैश्विक स्तर पर समान पैकेजिंग मानकों को मानना चाहिए – मतलब उच्चतम – वो भी राष्ट्रीय मानकों की परवाह किए बिना.

नीति और कानून सर्कुलर अर्थव्यवस्था के केंद्र में हैं. प्रतिबंधों और ईपीआर से परे, नीतियों को एसयूपी, कुछ सिंथेटिक कपड़ों और सबसे ज़हरीले एडिटिव्स पर कर लगाते समय ही ध्यान देना शुरू करना चाहिए. अक्सर नियामकों को नियमों के अमलीकरण और उसकी निगरानी और डेटा सत्यापित करने के लिए एक मज़बूत क्षमता की आवश्यकता होती है.

तीसरा प्रस्ताव सिर्फ बदलाव को लेकर है. भारत और कई अन्य देश प्लास्टिक कचरे के प्रबंधन और रिसाइकलिंग के लिए अनौपचारिक क्षेत्र (विशेष रूप से कचरा बीनने वाले और छोटे एग्रीगेटर) पर निर्भर हैं. यह क्षेत्र प्लास्टिक कचरे को एक नए उत्पाद के लिए फीडस्टॉक में बदलने या ईपीआर सिस्टम में फीड करने से पहले एकत्र करता है, अलग करता है, साफ करता है और इसका कारोबार करता है. एक अखिल भारतीय अध्ययन से पता चला है कि प्लास्टिक को चरणबद्ध तरीके से ख़त्म करने से उन्हें 40 प्रतिशत से 61 प्रतिशत की आजीविका का नुकसान हो सकता है लेकिन इसे ग्रीनर, सर्कुलर सिस्टम में शामिल करके और औपचारिक एकीकरण के ज़रिए रोका जा सकता है. इस तरह की कार्रवाई हरित आजीविका के लिए सर्कुलर इकोनॉमी विज़न को बढ़ावा देने और अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन की अच्छी नौकरियों की दृष्टि पर निर्धारित हो सकती है क्योंकि दोनों का ही मक़सद ग़रीबी को हटाना है.

चौथा, नीति और कानून सर्कुलर अर्थव्यवस्था के केंद्र में हैं. प्रतिबंधों और ईपीआर से परे, नीतियों को एसयूपी, कुछ सिंथेटिक कपड़ों और सबसे ज़हरीले एडिटिव्स पर कर लगाते समय ही ध्यान देना शुरू करना चाहिए. अक्सर नियामकों को नियमों के अमलीकरण और उसकी निगरानी और डेटा सत्यापित करने के लिए एक मज़बूत क्षमता की आवश्यकता होती है. कानून लागू करने वाले ऐसे लोगों को बढ़ावा दिया जाना चाहिए और अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए. किसी भी प्रकार की नीतियां प्लास्टिक के इर्द-गिर्द सर्कुलर अर्थव्यवस्था को बना या बिगाड़ सकती हैं. अगर वे रिफिल और पुन: उपयोग कर सकने वाली अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहित करते हैं, रॉ प्लास्टिक का उचित मूल्य निर्धारण करते हैं, तो कम प्लास्टिक, कम ज़हरीले एडेटिव्स के साथ सभी के लिए जीवन की बेहतर गुणवत्ता की चर्चा को आगे बढ़ाया जा सकता है.

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