प्रस्तावना
दुनिया जलवायु परिवर्तन और सार्वजनिक स्वास्थ्य के आपस में एक-दूसरे से जुड़े संकट का सामना कर रही है. ऐसे में BRICS+ [a] देशों की वैश्विक प्रशासन में भूमिका का महत्व और भी बढ़ गया है. BRICS का रणनीतिक विस्तार करते हुए अब इसमें अन्य उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं [1] का भी समावेश किया गया है. ऐसे में इस ब्लॉक के पास पर्यावरणीय, आर्थिक एवं सार्वजनिक स्वास्थ्य से जुड़े संगम का एक अनूठा अवसर उपलब्ध है, जिसका उपयोग करते हुए यह समूह दुनिया के सामने मौजूद अलग-अलग चुनौतियों से निपटने का काम कर सकता है. वैश्विक आबादी में 40 फ़ीसदी तथा विश्व के वन क्षेत्र में पर्याप्त हिस्सेदारी (टेबल 1) के साथ BRICS+ ब्लॉक जलवायु-संबंधित स्वास्थ्य चुनौतियों की जवाबी कार्रवाई को आकार देने में अहम साबित हो सकता है.[2] महामारी तथा दुनिया के स्वास्थ्य को प्रबंधित करने के लिए जलवायु कार्रवाई एवं स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में तैयार होने वाली रणनीतियों को एकजुट करने में इस गुट के नेतृत्व की ओर से किए जाने वाले प्रयास दूरगामी परिणाम देने वाले साबित हो सकते हैं.
दुनिया जलवायु परिवर्तन और सार्वजनिक स्वास्थ्य के आपस में एक-दूसरे से जुड़े संकट का सामना कर रही है. ऐसे में BRICS+ देशों की वैश्विक प्रशासन में भूमिका का महत्व और भी बढ़ गया है.
टेबल1 : BRICS+ तथा विश्व
देश
|
जनसंख्या (2023)
|
भूमि क्षेत्र (Km²)
|
वन क्षेत्र (Km²)
|
प्रवासी (net)
|
शहरी जनसंख्या %
|
दुनिया की जनसंख्या में हिस्सेदारी
|
दुनिया के वन क्षेत्र में हिस्सेदारी
|
भारत
|
1,42,86,27,663
|
29,73,190
|
7,10,388
|
-486136
|
36%
|
17.96%
|
1.80%
|
चीन
|
1,42,56,71,352
|
93,88,211
|
21,14,057
|
-310220
|
65%
|
17.92%
|
5.36%
|
ब्राज़ील
|
21,64,22,446
|
83,58,140
|
49,15,700
|
6000
|
88%
|
2.72%
|
12.47%
|
रूस
|
14,44,44,359
|
1,63,76,870
|
81,48,485
|
-136414
|
75%
|
1.82%
|
20.66%
|
साउथ अफ्रीका
|
6,04,14,495
|
12,13,090
|
92,410
|
58496
|
69%
|
0.76%
|
0.23%
|
संयुक्त अरब अमीरात
|
95,16,871
|
83,600
|
3,247
|
0
|
94%
|
0.12%
|
0.01%
|
ईरान
|
8,91,72,767
|
16,28,550
|
1,06,920
|
-39998
|
74%
|
1.12%
|
0.27%
|
मिस्र
|
11,27,16,598
|
9,95,450
|
742
|
-29998
|
41%
|
1.42%
|
0.00%
|
इथियोपिया
|
12,65,27,060
|
10,00,000
|
1,25,802
|
-11999
|
22%
|
1.59%
|
0.32%
|
BRICS
|
3,61,30,73,361
|
4,20,17,101
|
1,62,17,751
|
-
|
53%
|
45.42%
|
41.13%
|
वर्ल्ड
|
7,95,39,52,567
|
13,49,40,000
|
3,94,35,076
|
-
|
57%
|
100.00%
|
100.00%
|
स्रोत: वर्ल्डमीटर्स के डाटा का उपयोग करते हुए लेखकों का अपना[3]
जलवायु परिवर्तन एवं सार्वजनिक स्वास्थ्य के नेक्सस को समझने और उससे निपटने में वन हेल्थ फ्रेमवर्क [b] संपूर्ण प्रणालीगत दृष्टिकोण अपनाने में सहायक साबित होगा.[4] वन हेल्थ में सभी प्रजातियों, जिसमें मानव भी शामिल हैं, के स्वास्थ्य का समावेश है. वन हेल्थ में इस बात को भी स्वीकार किया गया है कि मानव समाज और व्यापक प्रकृति पारिस्थितिकी तंत्र परस्पर रूप से एक-दूसरे से जुड़े हैं और बायडायरेक्शनल कैज्युअल्टी यानी दोनों को ही एक-दूसरे से ख़तरे का सामना करना पड़ता है. इस मल्टीडिसिप्लीनरी फ्रेमवर्क यानी बहुविषयक ढांचे में राष्ट्रों की सीमा को पार करने वाली इन जटिल चुनौतियों से निपटने की क्षमता है. इस विषय पर इस आलेख में आगे चर्चा की जाएगी.
जलवायु परिवर्तन एवं सार्वजनिक स्वास्थ्य एक-दूसरे से संबंधित है यह विचार नया नहीं है. 2012 में ही विज्ञान लेखक डेविड क्वामन की किताब में एक टर्म यानी पारिभाषिक शब्द ‘स्पीलओवर इफेक्ट्स’ यानी अप्रत्यक्ष प्रभाव को सार्वजनिक चेतना में डाल दिया गया था.[5] इस टर्म का संकेत संक्रामक बीमारियों की ओर था, जो जानवरों से मनुष्यों तक पहुंचती है. यह एक ऐसी घटना अथवा प्रक्रिया है जो पर्यावरणीय गिरावट और जलवायु परिवर्तनशीलता अथवा चंचलता की वजह से और भी तीव्र हो गई है. मानवीय गतिविधियों की वजह से हो रही पेड़ों की कटाई के साथ अधिवास में कमी के कारण वन्यप्राणी और मानवीय आबादी के बेहद करीब आने लगे है. ऐसे में बीमारियों के ट्रांसमिशन यानी हस्तांतरण का ख़तरा बढ़ गया है. मानवीय आजीविका तथा पारिस्थितीकी तंत्र सेवाओं के बीच एक पेचीदा संबंध है. यह बात विशेषत: वैश्विक दक्षिण पर लागू होती है, जहां जलवायु परिवर्तन की वजह से न केवल पारिस्थितीकी तंत्र और वेक्टर पैटर्न्स यानी रोगवहन प्रक्रियाओं में बदलाव आया है, बल्कि यह मानव कल्याण को भी प्रभावित कर रहा है. इस वजह से बीमारियां न केवल एक बार बल्कि बार-बार उभर सकती हैं.[6]
BRICS देशों के विशाल वन क्षेत्र न केवल धरती के लिए फेफड़ों का काम करते हैं, बल्कि यह भविष्य में आने वाली महामारियों के पनपने का संभावित अड्डा भी हैं. इन पर्यावरणीय संपत्तियों का प्रभावी प्रबंधन किया जाना सार्वजनिक स्वास्थ्य की दृष्टि से बेहद ज़रूरी है. इसी वजह से वन हेल्थ अप्रोच यानी एकल स्वास्थ्य दृष्टिकोण और भी ज़रूरी हो जाता है, क्योंकि इस दृष्टिकोण में स्पीलओवर इवेंट्स यानी अप्रत्यक्ष घटनाओं की भविष्यवाणी कर इसे रोकने अथवा उससे निपटने के कदम उठाए जा सकते हैं.[7] इसी वजह से BRICS कॉन्सार्टियम यानी संघ इस एकीकृत दृष्टिकोण की अगुवाई करते हुए एक ऐसी वैश्विक रणनीति बनाने में सहायक हो सकता है जो जलवायु-संबंधित स्वास्थ्य ख़तरों को प्रभावी रूप से नियंत्रित करते हुए जैवविविधता एवं सभी देशों के कल्याण को सुरक्षित करने में सक्षम साबित हो सके.
जलवायु एवं स्वास्थ्य कूटनीति में BRICS+ देशों का प्रदर्शन
वैश्विक जलवायु कूटनीति में BRICS एक फोर्स यानी शक्ति समूह है. व्यक्तिगत तौर पर या सामूहिक रूप से BRICS देशों ने वैश्विक जलवायु कार्रवाई तथा सतत विकास की ट्रैजेक्टरी यानी प्रक्षेपवक्र को आकार देने में अहम भूमिका अदा की है. आगामी चर्चा में BRICS तथा G20 के भीतर ही जलवायु प्रशासन को लेकर किए गए दो अध्ययनों पर अंतदृष्टि डालते हुए यह जांच की गई है कि जलवायु कूटनीति में BRICS का प्रदर्शन कैसा रहा है. इसमें विशेषत: क्लायमेट परफॉर्मेंस इंडेक्स (CPI) [c] स्कोर यानी जलवायु प्रदर्शन सूचकांक स्कोर पर ध्यान केंद्रित किया गया है. इसके साथ ही इस बात की भी जांच की गई है कि क्या स्वास्थ्य सहयोग के कारण इन देशों के प्रदर्शन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है.[8],[9] चित्र 1 में BRICS देशों के लिए CPI स्कोर्स दर्शाए गए हैं.
चित्र1: BRICS देशों के लिए CPI स्कोर्स

स्रोत: डीसूजा एवं सरकार (2023)[10]
जलवायु कूटनीति को लेकर एक गतिशील दृष्टिकोण लेकर BRICS देश बहुपक्षीय मंचों जैसे संयुक्त राष्ट्र एवं G20 में सक्रियता के साथ हिस्सा लेते हैं. वे यहां पर विस्तृत जलवायु नीतियों एवं सतत पर्यावरणीय प्रक्रियाओं को अपनाने पर बल देते हैं. क्लायमेट एक्शन यानी जलवायु कार्रवाई को लेकर उनकी प्रतिबद्धता कॉमन बट डिफरेंशिएटेड रिस्पॉन्सिबिलीटीस् (CBDR) फ्रेमवर्क [d] पर बल देने की वजह से मज़बूत हो जाती है. यह बात जलवायु परिवर्तन को लेकर संतुलित दृष्टिकोण अपनाते हुए उनकी विविध विकास संबंधी ट्रैजेक्टरीस् यानी और पर्यावरणीय अतिसंवेदनशीलता को सामयोजित करने वाली सामूहिक आकांक्षाओं को प्रतिबिंबित करती है.
BRICS तथा G20 सदस्य देशों के बीच जलवायु प्रदर्शन में भारतीय नेतृत्व इस बात पर बल देता आया है कि विकासशील देशों के पास जलवायु कार्रवाई में योगदान देने की अपार संभावनाएं हैं, लेकिन इन देशों को ऐसा करते हुए अपने विकास लक्ष्यों पर भी आगे बढ़ना होगा. ब्राजील तथा चीन ने भी जलवायु कार्रवाई को लेकर काफ़ी प्रगति की है.[11] चित्र 2 में जलवायु कार्रवाई के विभिन्न क्षेत्रों में BRICS अर्थव्यवस्थाओं का औसत प्रदर्शन दर्शाया गया है.
चित्र 2: जलवायु कार्रवाई में BRICS अर्थव्यवस्थाओं का औसत प्रदर्शन

स्रोत: डीसूजा एवं सरकार (2023)[12]
ऐतिहासिक रूप से BRICS’ की जलवायु कूटनीति कोशिशों में प्रमुखता से प्रभाव को कम करने तथा अनुकूलन पर ही ध्यान दिया गया है. अब रोग निवारण के लिए स्वास्थ्य तथा पर्यावरणीय नीति के बीच का इंटरसेक्शन सहयोग में विस्तार के लिए एक नए क्षेत्र के रूप में उभरा है. निश्चित रूप से BRICS देशों की राष्ट्रीय जलवायु कार्रवाई रणनीतियों में स्वास्थ्य सहयोग पर स्पष्ट रूप से ध्यान देने की कमी दिखाई देती है. जलवायु परिवर्तन तथा सार्वजनिक स्वास्थ्य के बीच आपसी संबंध होने के ज़्यादा सबूत मिलने के साथ ही नीतियों की इस कमी को दूर किया जाना आवश्यक हो गया है.
अब जब BRICS देश जलवायु परिवर्तन के गंभीर परिणामों का सामना कर रहे है तब इस बात को और भी तत्परता से पूर्ण करना ज़रुरी हो जाता है. 2016-2019 के बीच G20, OECD तथा वैश्विक औसत के मुकाबले BRICS देशों के औसत सतही तापमान के एवरेज एन्यूअल मीन यानी औसत वार्षिक मध्यमान में सर्वाधिक परिवर्तन देखा गया. (टेबल 2) बढ़ता हुआ तापमान स्वास्थ्य चुनौतियों, जिसमें महामारियों का भी समावेश है, को तीव्र करता है.
टेबल 2: औसत वार्षिक मध्यमान सतही तापमान / एवरेज एनुअल मीन सरफेस परिवर्तन (2016-19; डिग्री सेल्सियस में)
BRICS
|
G20
|
OECD
|
वर्ल्ड
|
1.48
|
1.38
|
1.41
|
1.47
|
स्रोत: D’Souza (2022)[13]स्रोत : डीसूजा (2022)[13]
अनेक BRICS देश वैश्विक एवं क्षेत्रीय स्वास्थ्य कूटनीतिक पहलों में सक्रिय रूप से शामिल रहे हैं.[14] मसलन COVID-19 महामारी के दौरान जब बड़ी बहुराष्ट्रीय फार्मास्यूटिकल कंपनियों की ओर से निर्मित वैक्सीन आमतौर पर संपन्न देशों को ही उपलब्ध थी तब BRICS ही विकासशील विश्व के लिए वैक्सीन डोज का अहम स्रोत बनकर उभरा था. हालांकि वैश्विक स्वास्थ्य प्रशासनिक ढांचे में इस तरह का एकजुट प्रातिनिधित्व केवल अंतर्गत सहयोग तक ही सीमित है. जलवायु परिवर्तन के अप्रत्यक्ष प्रभाव के रूप में फ़ैलने वाली कम्युनिकेबल अर्थात संसर्गजन्य बीमारियों को देखते हुए समूह को अपने बाह्य प्रभाव में इज़ाफ़ा करना होगा.[15] BRICS मंच को बाहरी सहयोग में शामिल करने से ब्लॉक की वैश्विक स्वास्थ्य तथा पर्यावरणीय वहनीयता की अंतर संबंधित चुनौतियों से निपटने की क्षमता में इज़ाफ़ा होगा.
वैश्विक जलवायु एवं स्वास्थ्य कूटनीति में अपने प्रभाव में इज़ाफ़ा करने के लिए BRICS ब्लॉक का अपने जलवायु कार्रवाई ढांचे में स्वास्थ्य सहयोग को प्रमुखता से एकीकृत करना ज़रूरी है. इस तरह का एकीकरण न केवल वन हेल्थ दृष्टिकोण के साथ मेल खाता है, बल्कि जलवायु कूटनीति एवं स्वास्थ्य प्रशासन के वैश्विक एजेंडा में BRICS के दायरे को भी बढ़ाता है.[16]
जलवायु प्रशासन में BRICS के सामूहिक रुख़ के केंद्रबिंदु में एनर्जी पॉलिटिक्स यानी ऊर्जा राजनीति ही रहेगी. इसका कारण यह है कि BRICS+ में विस्तार के साथ ही इसमें दुनिया के छह सबसे बड़े तेल उत्पादक एवं पहले चार प्राकृतिक गैस उत्पादक देशों को शामिल कर लिया गया है.[17] विकास संबंधी चिंताओं को लेकर बनी प्रमुख आम सहमति की वजह से ही BRICS+ का विस्तार हुआ. यही बात ‘वन हेल्थ’ दृष्टिकोण के माध्यम से जलवायु एवं स्वास्थ्य कूटनीति में इस मंच के रुख़ को प्रमुखता प्रदान करने का मजबूत आधार बनी है.
जलवायु - स्वास्थ्य ख़तरों के लिए 'वन हेल्थ' दृष्टिकोण
जलवायु परिवर्तन मानव, वन्यजीव और पर्यावरणीय स्वास्थ्य के समक्ष कड़ी चुनौती पेश करता है. ऐसे में इन दोनों के बीच आपसी संबंध को स्वीकारने वाला एक समग्र दृष्टिकोण अपनाया जाना आवश्यक है.[18] 'वन हेल्थ' ढांचा इन क्षेत्रों को एकीकृत करते हुए जलवायु संबंधित स्वास्थ्य ख़तरों से निपटने के लिए स्वास्थ्य, कृषि, पर्यावरण तथा अन्य क्षेत्रों के बीच समन्वय साधने पर जोर देता है (चित्र 3).[19] सार्वजनिक स्वास्थ्य तथा जलवायु परिवर्तन के बीच अंतर संबंधों का पता लगाने के लिए यह समग्र या संपूर्ण मॉडल बेहद महत्वपूर्ण है. ऐसा इसलिए है क्योंकि ये क्षेत्र साझा पारिस्थितिकी तंत्र और पर्यावरणीय संसाधनों के माध्यम से एक दूसरे से बेहद करीब से जुड़े हैं. जलवायु परिवर्तन की वजह से सार्वजनिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं में वृद्धि होती है. इसका कारण ये है कि जलवायु परिवर्तन के कारण बीमारी फ़ैलाने वाले वैक्टर्स यानी रोगवाहक तथा अड्डों में फेरबदल होता है. इसके चलते पशुजन्य बीमारियों का ख़तरा बढ़ जाता है. या फिर इन बीमारियों का जानवरों से मनुष्यों में हस्तांतरण होता है. यह बात BRICS देशों पर मुख़्य रूप से लागू होती है, जहां पहले से ही जलवायु में बदलाव की वजह से सार्वजनिक स्वास्थ्य से जुड़ी बड़ी चुनौती पेश आ रही है. इन चुनौतियों में ऊंचे तापमान की वजह से मलेरिया के क्षेत्र में इज़ाफ़ा हो रहा है या फिर बढ़ते वायु प्रदूषण के कारण लोगों को सांस संबंधी बीमारियों से जूझना पड़ रहा है.
चित्र 3: 'वन हेल्थ' दृष्टिकोण

स्रोत: सेंटर्स फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन[20]
जब वन हेल्थ फ्रेमवर्क को जलवायु परिवर्तन एवं सार्वजनिक स्वास्थ्य के इंटरकेक्टेडनेस यानी अंतरसंबंधों पर लागू किया जाता है तो यह इन मुद्दों के जटिल और परस्पर रूप से जुड़े होने की प्रकृति की वजह से और भी प्रासंगिक हो जाता है. उदाहरण के लिए तापमान तथा प्रेसिपिटेशन पैटर्न्स यानी वर्षण पद्धतियों में बदलाव के कारण भी मलेरिया एवं डेंगु बुखार जैसी वेक्टर-बोर्न यानी रोगवाहक जनित बीमारियां प्रभावित होती हैं. इसका पशु तथा मनुष्य दोनों के ही स्वास्थ्य पर असर पड़ता है.[21] इसके अलावा एक्सट्रीम वेदर इवेंट्स यानी चरम मौसमी घटनाएं जैसे तूफान और बाढ़ की वजह से खाद्यान्न एवं जल की कमी हो सकती है, जिसकी वजह से वन्यप्राणी तथा मानव दोनों ही समान रूप से प्रभावित होते हैं.[22]
वन हेल्थ दृष्टिकोण को लागू करते हुए BRICS देश इन उभरते हुए स्वास्थ्य ख़तरों की बेहतर तरीके से भविष्यवाणी करते हुए इन पर नियंत्रण पा सकते हैं. वन हेल्थ दृष्टिकोण को लागू करने से इन देशों को एकीकृत सर्विलांस एवं रिस्पॉंस अर्थात जवाबी कार्रवाई व्यवस्था तय करना आसान हो जाएगा. यह एकीकृत सर्विलांस एवं जवाबी कार्रवाई मानवीय स्वास्थ्य सेवाओं, वेटरनरी केयर यानी पशु चिकित्सा तथा पर्यावरणीय विज्ञान पर समान रूप से लागू की जा सकती है. BRICS देशों के लिए एकीकृत दृष्टिकोण को अपनाना न केवल अपनी आबादी के स्वास्थ्य को सुरक्षित रखने के लिए ज़रूरी है, बल्कि ऐसा करते हुए ये देश वर्तमान में चल रहे पर्यावरणीय बदलावों के कारण पेश आने वाले चुनौतियों से निपटने में वैश्विक स्वास्थ्य लचीलेपन में भी प्रभावी रूप से अपना योगदान दे सकते हैं.
‘वन हेल्थ’ की वजह से विभिन्न क्षेत्रों एवं विषयों जैसे पर्यावरणीय विज्ञान, सार्वजनिक स्वास्थ्य, वेटरनरी मेडिसिन, कृषि एवं नीति निर्माण में सहयोग सुनिश्चित किया जा सकता है.[23] इसमें समुदायों एवं पारिस्थितीकी तंत्र को जलवायु परिवर्तन तथा लचीलेपन-निर्माण उपायों के साथ ताल-मेल बिठाने पर बल दिया गया है, ताकि जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटा जा सके. इन उपायों में सस्टेनेबल यानी वहनीय कृषि पद्धतियां या जैवविविधता का संरक्षण शामिल है.[24] जलवायु संबंधित स्वास्थ्य ख़तरों का मुकाबला करने के लिए समन्वय तथा नवाचार को बढ़ावा देने वाला माहौल तैयार करने के लिए नीति संबंधी समर्थन बेहद अहम है.[25] जलवायु परिवर्तन तथा स्वास्थ्य के बीच संबंधों का पता लगाने के लिए अनुसंधान तथा निगरानी भी एक महत्वपूर्ण मुद्दा है. इसके साथ ही बीमारियों के पैटर्न यानी पद्धति, पर्यावरणीय संकेतकों पर नज़र रखने के साथ-साथ हस्तक्षेपों का मूल्यांकन किया जाना भी ज़रूरी है.[26]
BRICS देशों के पास वन हेल्थ दृष्टिकोण के साथ मेल खाने वाले विभिन्न स्वास्थ्य सेवा पहल तथा समन्वय के प्रयास उपलब्ध हैं.[27] टेबल 3 में ऐसे अनेक कार्यक्रमों का उदाहरण दिया गया है जिन्हें वन हेल्थ फ्रेमवर्क का उपयोग करते हुए सफ़लतापूर्वक लागू किया गया है. इन पहलों से यह साफ़ हो जाता है कि वन हेल्थ दृष्टिकोण न केवल समय से पहले स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों का मुकाबला करने में अहम साबित हो रहा है, बल्कि यह मानव, पशु एवं पर्यावरणीय सीमाओं में समान रूप से उपयोगी है.
टेबल 3: BRICS के सफ़ल कार्यक्रमों पर एक नज़र
देश
|
पहल/कार्यक्रम
|
सहयोग का तरीका
|
केस स्टडी
|
ब्राजील
|
ब्राजील की राष्ट्रीय डेंगू नियंत्रण योजना 2002[28]
|
ब्राजील ने रोग निगरानी और नियंत्रण पर पड़ोसी देशों के साथ सहयोग किया.[29]
|
Aedes Aegypticontrol स्ट्रेटजीस[30]
|
रूस
|
ज़ूनोटिक रोगों के लिए राष्ट्रीय योजना[31]
|
रूस ने यूरेशियन इकोनॉमिक यूनियन के[32] पशु चिकित्सा सहयोग जैसे अंतर्राष्ट्रीय सहयोगों में भाग लिया.
|
H5N8 एवियन इन्फ्लूएंजा के प्रकोप का सफ़ल नियंत्रण[33]
|
भारत
|
नेशनल वेक्टर बोर्न डिजीज कंट्रोल प्रोग्राम[34] और नेशनल हेल्थ मिशन[35]
|
भारत ने हाल ही में पानी और वेक्टर-जनित रोग प्रबंधन पर पड़ोसी देशों के साथ सहयोग किया, इसकी पहल नेपाल[36] और भूटान[37]के साथ सहयोग के माध्यम से की.
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सफ़ल पोलियो उन्मूलन अभियान[38] व्यापक टीकाकरण और निगरानी प्रयास.
|
चीन
|
चीन CDC का वन हेल्थ प्लेटफॉर्म[39]
|
चीन, बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव हेल्थ कोऑपरेशन,[40] जैसी अंतरराष्ट्रीय साझेदारी में लगा हुआ है, जो स्वास्थ्य और बुनियादी ढांचे के विकास को बढ़ावा देता है.
|
H7N9 एवियन इन्फ्लूएंजा के प्रकोप का सामना[41]
|
दक्षिण अफ्रीका
|
नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर कम्युनिकेबल डिजीज[42]
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दक्षिण अफ्रीका रोग नियंत्रण पर क्षेत्रीय भागीदारों के साथ सहयोग करना जारी रख रहा है.[43]
|
पश्चिम अफ्रीका में इबोला के प्रकोप का सामना करने में प्रतिक्रिया[44]
|
स्रोत: लेखकों का अपना और विभिन्न ओपन सोर्स का उपयोग करके.
BRICS देशों के बीच अनुसंधान और सार्वजनिक स्वास्थ्य के क्षेत्रों में समन्वय स्थापित करने से जलवायु परिवर्तन की वजह से बढ़ने वाले वैश्विक स्वास्थ्य संकटों का मुकाबला करने के लिए शक्तिशाली टेम्पलेट यानी तरीका उपलब्ध हो सकता है. COVID-19 महामारी के दौरान संयुक्त कार्रवाई के माध्यम से दिया गया जवाब इस बात को पुख़्ता ढंग से उजागर करता है. उस महामारी के दौरान चीन, भारत तथा रूस जैसे BRICS देशों ने आगे आते हुए उस वक़्त विश्व को वैक्सीन मुहैया कराई थी जब बड़ी औषधि निर्माता कंपनियों की ओर से होने वाली आपूर्ति कम पड़ रही थी.[45] इस तरह की संयुक्त कार्रवाई केवल आपात स्थिति के दौरान ही नहीं की जानी चाहिए. मसलन, इसे ऐसे नियमित स्वास्थ्य सर्विलांस सिस्टम तक विस्तारित किया जाना चाहिए जिसमें जलवायु डाटा को एकीकृत करते हुए वेक्टर जनित यानी रोगवाहक जनित बीमारियों के बारे में पूर्वानुमान तथा जवाबदेही को बढ़ाया जा सके. डाटा और संसाधनों को साझा करते हुए BRICS देश इन सार्वजनिक स्वास्थ्य संबंधी ख़तरों का जवाब देने में अपनी व्यवस्था को सुचारू कर सकें. ऐसा होने पर इन देशों की जवाबी कार्रवाई की गति तथा प्रभाव दोनों में इज़ाफ़ा होगा.
इसके अलावा पर्यावरणीय निगरानी के साथ स्वास्थ्य सर्विलांस को एकीकृत करने संबंधी BRICS की पहलों ने वन हेल्थ दृष्टिकोण को अपनाने की आवश्यकता को उजागार कर दिया है. इससे यह बात साफ़ हो जाती है कि सार्वजनिक स्वास्थ्य योजनाओं में अंत:विषय यानी एक से अधिक विषयों को शामिल किया जाना अहम है. यह समन्वय तत्काल संकटों का सामना करने तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इस समन्वय के कारण स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को भविष्य में पेश होने वाले ख़तरों से निपटने के लिए तैयार किया जा सकता है. इन ख़तरों से निपटने के लिए पहले से तैयारी की जा सकती है और आपस में जानकारी को भी साझा किया जा सकता है. उदाहरण के लिए अब यह उम्मीद की जा रही है कि जलवायु परिवर्तन की वजह से बाढ़ पीड़ित इलाकों में जलजन्य बीमारियों में इज़ाफ़ा होगा. ऐसे में ऐसे क्षेत्रों में इन बीमारियों का रियल-टाइम ट्रैकिंग एवं प्रबंधन करने के लिए रिमोट सेंसिंग तथा जियोग्राफिक इंर्फोमेशन सिस्टम्स (GIS) का उपयोग बीमारियों के सर्विलांस में तकनीक के अनूठे उपयोग को दर्शाता है.[46]
भविष्य की योजनाएं: जलवायु एवं स्वास्थ्य कूटनीति तथा प्रशासन में BRICS की भूमिका
जलवायु-संबंधित आपदाएं अब मानवीय स्वास्थ्य को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित कर रहे हैं, अत: जलवायु परिवर्तन तथा सार्वजनिक स्वास्थ्य के बीच इंटरलिंकेजेस यानी आपसी संबंध निर्विवाद सत्य है.[47] चरम मौसमी घटनाओं की संख्या में वृद्धि हो रही है और इसकी गंभीरता भी बढ़ती जा रही है. इसे देखते हुए स्वास्थ्य तथा जलवायु को लेकर अपनाए गए पारंपारिक कूटनीतिक एवं प्रशासनिक दृष्टिकोण का पुनर्मूल्यांकन किए जाने की आवश्यकता महसूस की जा रही है. इसी संदर्भ में महामारी संधि [e] तथा महामारी कोष [f] दो ऐसे उभरते वैश्विक मंच है जो वन हेल्थ दृष्टिकोण के संचालन में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करने वाले हैं. ऐसे में अब महामारियों के प्रबंधन को लेकर एक विस्तृत एवं बहुआयामी दृष्टिकोण को एकीकृत किया जाना ज़रूरी हो गया है. इस तरह की रणनीति में समान हिस्सेदारी, स्वास्थ्य व्यवस्थाओं के मजबूतीकरण पर बल देकर इसे मौजूदा स्वास्थ्य ढांचों के साथ मेल खाने वाला बनाया जाना चाहिए ताकि भविष्य में महामारियों को वैश्विक स्तर पर दिया जाने वाला जवाब प्रभावी हो सके.[48] इस प्रक्रिया में BRICS रचनात्मक भूमिका अदा कर सकता है, क्योंकि यह ब्लॉक/ग्रुपिंग विकसित तथा उभरती दोनों ही प्रकार की अर्थव्यवस्थाओं का प्रतिनिधित्व करता है.
यह एक ऐसा युग है जिसमें अभूतपूर्व पर्यावरणीय चुनौतियों की वजह से सार्वजनिक स्वास्थ्य को बार-बार संकटों का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे में जलवायु-स्वास्थ्य के बीच की कड़ी का मुकाबला करने और विस्तृत समाधान खोजने के लिए वैश्विक स्तर पर बहुपक्षवाद की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण हो गई है.
यह एक ऐसा युग है जिसमें अभूतपूर्व पर्यावरणीय चुनौतियों की वजह से सार्वजनिक स्वास्थ्य को बार-बार संकटों का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे में जलवायु-स्वास्थ्य के बीच की कड़ी का मुकाबला करने और विस्तृत समाधान खोजने के लिए वैश्विक स्तर पर बहुपक्षवाद की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण हो गई है. जलवायु-लचीली सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर BRICS ब्लॉक/ग्रुपिंग का एकजुट रुख़ जलवायु परिवर्तन की ओर से पेश होने वाले बहुआयामी चुनौतियों से निपटने में विभिन्न देशों के बीच समन्वित प्रयासों के महत्व को उजागर करने वाला है.[49] यह दृष्टिकोण अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देने की दृष्टि से बेहद अहम है, ताकि तकनीकी नवाचार को साझा कर इस उद्देश्य के लिए आवश्यक वित्तीय संसाधनों को जुटाया जा सके.
इसके अलावा वन हेल्थ फ्रेमवर्क एक ऐसा अहम लेंस बनकर उभरा है जिसके माध्यम से जलवायु परिवर्तन तथा सार्वजनिक स्वास्थ्य के बीच अंतरसंबंधों का सामना किया जा सकता है. अपने विशाल प्राकृतिक संसाधनों, विविध पारिस्थितीकी तंत्र और महत्वपूर्ण कृषि क्षेत्र के साथ BRICS देश सार्वजनिक स्वास्थ्य पर पड़ने वाले जलवायु परिवर्तन के असर संबंधी प्रभावों से निपटने में वन हेल्थ दृष्टिकोण को लागू करने की अगुवाई कर सकते हैं. ऐसा करते हुए वे अपनी आबादी एवं पारिस्थितीकी तंत्र का कल्याण सुनिश्चित कर सकते हैं.
वैश्विक जलवायु प्रशासन संबंधी पहलों में BRICS देशों ने खुद को सक्रिय योगदानकर्ता के रूप में पेश किया है.[50] अपनी इको-डिप्लोमेसी के माध्यम से इन देशों ने जलवायु को लेकर चल रही वैश्विक चर्चा को प्रभावित किया है. ये देश पर्यावरणीय प्रशासन को लेकर एक समान हिस्सेदारी एवं समावेशी दृष्टिकोण अपनाने की पैरवी करते आए हैं. जलवायु शमन एवं अनुकूलन प्रयासों पर विकास आवश्यकताओं को प्राथमिकता देने के इन देशों के रुख़ को अनेक विकासशील देशों का समर्थन मिलता है. ऐसे में अंतरराष्ट्रीय बातचीत में BRICS का रुख़ बेहद महत्वपूर्ण हो जाता है.
BRICS देशों के पास विशाल जंगल क्षेत्र उपलब्ध है. यह जैवविविधता एवं पारिस्थितीकी तंत्र संरक्षण के लिए बेहद महत्वपूर्ण है. इस बात की अहमियत को स्वीकारते हुए इन देशों ने पारिस्थितीकी तंत्र को अधिक लचीला बनाने के लिए अपने यहां प्राकृतिक अधिवासों के पतन को पुन: स्थापित करने और वन क्षेत्र में विस्तार करने के लिए वनीकरण तथा पुनर्वनरोपण कार्यक्रमों को लागू किया है.[51] BRICS देशों ने पर्यावरणीय प्रशासन में सुधार करते हुए खाद्यजनित, जलजनित एवं रोगवाहक जनित बीमारियों के प्रबंधन की अहमियत भी समझ ली है.
इन देशों ने बेहतर जल प्रबंधन एवं प्रदूषण नियंत्रण के माध्यम से अपने यहां जल की गुणवत्ता में सुधार के लिए उपाय लागू किए हैं. इन उपायों में औद्योगिक अपशिष्ट की निगरानी एवं विनियमन, एग्रीकल्चरल रनऑफ यानी कृषि अपवाह एवं सीवेज ट्रिटमेंट को लागू करते हुए जल स्रोतों के प्रदूषण को कम करना शामिल है.[52] BRICS देशों ने रोगवाहक जनित बीमारियों से अपने कमज़ोर तबको को बचाने के लिए रोगवाहक नियंत्रण कार्यक्रम, जिसमें मच्छर नियंत्रण उपाय, अधिवास प्रबंधन एवं सार्वजनिक जनजागरण अभियानों का समावेश है, को भी लागू किया है. इनका उद्देश्य रोगवाहक जनित बीमारियों को फ़ैलने से रोकना है. दूषित खाद्यान्न एवं जल की वजह से होने वाली खाद्यजनित बीमारियों को रोकने के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करना भी महत्वपूर्ण है. BRICS देशों ने खाद्य विनियमन, मापदंड और निगरानी तंत्र विकसित किया है ताकि खाद्य उत्पादन, प्रसंस्करण एवं वितरण श्रृंखला पर निगरानी रखकर खाद्यजनित बीमारियों के प्रकोप को रोका जा सके.
BRICS नेतृत्व के लिए जलवायु एवं स्वास्थ्य कूटनीति के लिए रणनीतिक सिफ़ारिशें
जलवायु परिवर्तन एवं सार्वजनिक स्वास्थ्य की दोहरी चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए BRICS देश एक अनूठी स्थिति में हैं. ये दोहरी चुनौतियां ऐसे विश्व में एकजुट हो रही हैं, जिसमें पर्यारवरणीय मुद्दों की वजह से मानव कल्याण सीधे प्रभावित होने लगा है. इन देशों का रणनीतिक विस्तार और उनकी सामाजिक-आर्थिक विविधता इन्हें वैश्विक स्वास्थ्य तथा जलवायु प्रशासन का नेतृत्व करने में एक अनूठा परिप्रेक्ष्य एवं क्षमता प्रदान करती है.
हाल के वर्षों में BRICS ने जलवायु कार्रवाई तथा स्वास्थ्य रणनीतियों को एकीकृत करने को लेकर अपनी प्रतिबद्धता में इज़ाफ़े का प्रदर्शन किया है. BRICS ने पर्यावरण एवं सार्वजनिक स्वास्थ्य के बीच आपसी या आंतरिक संबंधों को स्वीकार कर लिया है. यह बात यूनाइटेड नेशंस फ्रेमवर्क कंवेंशन ऑन क्लायमेट चेंज (UNFCCC) तथा वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) जैसे अंतरराष्ट्रीय मंचों में उनके सक्रिय रूप से शामिल होने से स्पष्ट हो जाती है. इन मंचों पर वे जलवायु लचीलेपन एवं स्वास्थ्य समानता के लिए विस्तृत नीतियां बनाने पर जोर देते हैं. स्वास्थ्य एवं पर्यावरणीय नीतियों का संरेखन यानी इन नीतियों का एक समान होना बीमारी सर्विलांस और प्रबंधन के लिए ज़रूरी है. ऐसा शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों के लचीले विकास के लिए भी आवश्यक है, जहां स्वास्थ्य परिणामों को योजना प्रक्रियाओं का केंद्र बिंदु माना जाता है.
विशिष्ठ संकेतकों के हिसाब से CPI स्कोर्स तथा प्रदर्शन के विश्लेषण से यह साफ़ हो जाता है कि जलवायु कार्रवाई के विभिन्न क्षेत्रों में BRICS ने बेहतर प्रदर्शन किया है. BRICS ने अनेक मापदंडों में G20 तथा OECD को पीछे छोड़ दिया है. यह बात इस मंच की वैश्विक जलवायु प्रशासन में नेतृत्व करने की संभावनाओं को दर्शाती है.
विशिष्ठ संकेतकों के हिसाब से CPI स्कोर्स तथा प्रदर्शन के विश्लेषण से यह साफ़ हो जाता है कि जलवायु कार्रवाई के विभिन्न क्षेत्रों में BRICS ने बेहतर प्रदर्शन किया है. BRICS ने अनेक मापदंडों में G20 तथा OECD को पीछे छोड़ दिया है. यह बात इस मंच की वैश्विक जलवायु प्रशासन में नेतृत्व करने की संभावनाओं को दर्शाती है. इतना ही नहीं UAE तथा मिस्र जैसे देशों को शामिल करने के साथ ही BRICS ने अपने भौगोलिक एवं रणनीतिक दायरे में भी विस्तार कर लिया है. ऐसे में जलवायु एवं स्वास्थ्य कूटनीति को लेकर एक संयुक्त दृष्टिकोण अपनाने को लेकर एक नई गतिकी भी हासिल हुई है. ये देश शुष्क जलवायु प्रबंधन एवं तेजी से हो रहे शहरीकरण का प्रबंधन करने को लेकर अतिरिक अंतदृष्टि प्रदान कर सकते हैं. ये दोनों ही बातें विकास एवं पर्यारणीय उद्देश्यों को हासिल करने वाली अनुकूल नीतियां विकसित करने की दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण हैं. अंतरराष्ट्रीय जलवायु एवं स्वास्थ्य बातचीत में इस ब्लॉक की विस्तारित भूमिका की वजह से विकसित एवं विकासशील देशों के बीच की दूरी को कम किया जा सकता है. इसके अलावा इस बातचीत में सार्वजनिक स्वास्थ्य में लचीलेपन को बढ़ावा देने के लिए निष्पक्ष तथा न्यायोचित जलवायु समाधान की पैरवी भी की जा सकेगी.
सिफ़ारिशें
- सस्टेनबिलिटी यानी वहनीयता एवं स्वास्थ्य लचीलेपन के लिए वैश्विक मापदंड तैयार करने के लिए BRICS को एकीकृत जलवायु एवं स्वास्थ्य नीति ढांचे की अगुवाई करनी चाहिए.
पर्यावरणीय एवं स्वास्थ्य नीतियों का संश्लेषण करते हुए BRICS इस बात को उजागर कर सकता है कि कैसे एक-दूसरे से मिली हुई रणनीतियां जलवायु-संबंधित स्वास्थ्य चुनौतियों से निपटने की क्षमता में इज़ाफ़ा करती हैं. इस दृष्टिकोण की वजह से अर्बन प्लानिंग यानी शहरी योजनाओं में हरित स्थानों को बढ़ाने, वायु प्रदूषण को कम करने और ताप-संबंधी स्वास्थ्य समस्याओं को कम करने के प्रयासों को कारगर बनाया जा सकता है. इस तरह की नीतियों का सक्रिय एकीकरण अन्य देशों के लिए मॉडल का काम कर सकता है. इसकी वजह से जलवायु परिवर्तन तथा सार्वजनिक स्वास्थ्य के जटिलताओं का संयुक्त रूप से मुकाबला करने के लाभ भी उजागर होंगे.
- जलवायु-संबंधित स्वास्थ्य नीतियों को प्रभावित करने में BRICS को वैश्विक स्वास्थ्य प्रशासन में अपनी भूमिका में इज़ाफ़ा करने की मांग करनी चाहिए.
वैश्विक स्तर पर तैयार होने वाली जलवायु नीतियों में स्वास्थ्य निहितार्थों को शामिल करना सुनिश्चित करने के लिए WHO तथा UNFCCC जैसे मंचों में सक्रिय हिस्सेदारी अहम है. BRICS जलवायु कार्रवाई में स्वास्थ्य सुरक्षाकवच को एकीकृत करने वाली नीतियां बनाने की पैरवी कर सकता है. ऐसा होने पर आपस में जुड़े इन संकटों का वैश्विक स्तर पर बेहतर समन्वय के साथ मुकाबला किया जा सकता है. इनका समावेश करने से ऐसी विस्तृत स्वास्थ्य तथा जलवायु रणनीतियों को अपनाया जा सकता है जो समावेशी और समान हिस्सेदारी वाली होगी.
- वैश्विक स्वास्थ्य तथा पर्यावरणीय प्रशासन में ‘वन हेल्थ’ दृष्टिकोण को मूलभूत रणनीति के रूप में शामिल करने के लिए BRICS ब्लॉक को नेतृत्व करना चाहिए.
इस सिफ़ारिश में जलवायु परिवर्तन की वजह से पेश आने वाली वैश्विक चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए एक बहुविषयक परिप्रेक्ष्य जिसमें मानव, पशु एवं पर्यावरणी स्वास्थ्य शामिल है, को अपनाने के महत्व को उजागर किया गया है. वन हेल्थ दृष्टिकोण को बढ़ावा देते हुए BRICS वैश्विक स्तर पर सर्विलांस बढ़ाने, बीमारी की रोक-थाम करने और पारिस्थितीकी तंत्र प्रबंधन में सुधार के लिए होने वाले प्रयासों का नेतृत्व कर सकता है. यह बात जलवायु परिवर्तन के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों को कम करने के लिए बेहद महत्वपूर्ण है.
जलवायु लचीलेपन एवं स्वास्थ्य के लिए BRICS को नवाचार तकनीकों के विकास एवं वैश्विक हस्तांतरण को सुगम बनाना चाहिए.
अपनी तकनीकी क्षमताओं का उपयोग करते हुए BRICS देश जलवायु एवं स्वास्थ्य मुद्दों के लिए उन्नत समाधान तैयार कर उसका वितरण करने का नेतृत्व कर सकते हैं. इसमें नवीकरणीय ऊर्जा तकनीकों, कुशल बीमारी सर्विलांस व्यवस्था एवं उन्नत जल शुद्धिकरण प्रक्रियाओं का समावेश है. विकासशील देशों को तकनीक हस्तांतरण को बढ़ावा देने से आवश्यक तकनीकों के दम पर समान पहुंच वाले वैश्विक जलवायु लचीलेपन को हासिल किया जा सकता है.
- BRICS इस बात का प्रदर्शन कर सकता है कि जलवायु परिवर्तन एवं सार्वजनिक स्वास्थ्य को लेकर एकीकृत दृष्टिकोण का उपयोग करते हुए कैसे सस्टेनेबल यानी वहनीय तथा स्वस्थ्य भविष्य की दिशा में आगे बढ़ा जा सकता है.
वैश्विक नेतृत्व होने की वजह से BRICS देशों के लिए यह इस बात का अनूठा अवसर है कि वे दुनिया को यह दिखाएं कि जलवायु कार्रवाई एवं सार्वजनिक स्वास्थ्य रणनीतियों का सामंजस्य किस प्रकार सामाजिक लचीलेपन में इज़ाफ़ा कर सकता है. पर्यावरणीय एवं स्वास्थ्य पहलूओं के समावेश वाली नीतियों को लागू करते हुए BRICS अन्य देशों को भी ऐसी प्रभावी रणनीतियां अपनाने के लिए प्रेरित कर सकता है. ऐसा होने पर हमारे दौर के सामने मौजूद चुनौतियों से निपटने के लिए एक व्यापक तथा एकीकृत दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता को बढ़ावा दिया जा सकता है.
Endnotes
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[2] Paulo Antônio de Carvalho Fortes and Helena Ribeiro, "Global Health in globalization times," Saúde e Sociedade 23 (2014): 366-375, https://www.revistas.usp.br/sausoc/article/view/84875
[3] Worldometer, accessed on October 2024, https://www.worldometers.info/
[4] Helen Ross, "One Health from a social–ecological systems perspective: Enriching social and cultural dimensions,” One Health: The Human-Animal-Environment Interfaces in Emerging Infectious Diseases: Food Safety and Security, and International and National Plans for Implementation of One Health Activities (2012): 217-229, https://pubmed.ncbi.nlm.nih.gov/23124939/
[5] David Quammen, Spillover: Animal Infections and the Next Human Pandemic. New York: W.W. Norton & Company, 2012, https://wwnorton.com/books/9780393346619
[6] Kahrić Adla, et al., "Degradation of ecosystems and loss of ecosystem services," One health, pp. 281-327. Academic Press, 2022, https://www.sciencedirect.com/science/article/abs/pii/B9780128227947000083
[7] Raina K Plowright, et al., "Land use-induced spillover: a call to action to safeguard environmental, animal, and human health," The Lancet Planetary Health 5, no. 4 (2021): e237-e245, https://pubmed.ncbi.nlm.nih.gov/33684341/
[8] Renita D’Souza, “A Stocktaking of BRICS Performance in Climate Action,” ORF Special Report No.182 (2022), Observer Research Foundation, https://www.orfonline.org/research/a-stocktaking-of-brics-performance-in-climate-action
[9] Renita D’Souza and Debosmita Sarkar, "Climate Performance Index: a study of the performance of G20 countries in mitigation," ORF Occasional Papers, February 2023, Observer Research Foundation, https://www.orfonline.org/research/climate-performance-index-a-study-of-the-performance-of-g20-countries-in-mitigation
[10] Renita D’Souza and Debosmita Sarkar, "Climate Performance Index: a study of the performance of G20 countries in mitigation”
[11] Renita D’Souza and Debosmita Sarkar, "Climate Performance Index: a study of the performance of G20 countries in mitigation”
[12] Renita D’Souza and Debosmita Sarkar, "Climate Performance Index: a study of the performance of G20 countries in mitigation”
[13] Renita D’Souza, “A Stocktaking of BRICS Performance in Climate Action”
[14] Sanjay Pattanshetty, et. al., "Positioning India at the Helm of Health Diplomacy," Observer Research Foundation, https://www.orfonline.org/expert-speak/positioning-india-at-the-helm-of-health-diplomacy/.
[15] Zuokun Liu, et al., "The priority areas and possible pathways for health cooperation in BRICS countries," Global Health Research and Policy 8, no. 1 (2023): 36, https://ghrp.biomedcentral.com/articles/10.1186/s41256-023-00318-x
[16] Debosmita Sarkar, et al., “Pandemic-Proofing the Future: Lessons from the G20’s COVID-19 Response and Recovery,” Observer Research Foundation, https://www.orfonline.org/research/pandemic-proofing-the-future-lessons-from-the-g20-s-covid-19-response-and-recovery
[17] Jordan Mc Lean, "The Expanded BRICS Can Be a Force to Be Reckoned Within Shaping a New World Energy Order," News24, September 25, 2023, https://www.news24.com/fin24/climate_future/news/analysis-the-expanded-brics-can-be-a-force-to-be-reckoned-with-in-shaping-a-new-world-energy-order-20230925.
[18] Jakob Zinsstag et al., "Climate change and one health," FEMS Microbiology Letters 365, no. 11 (2018), https://academic.oup.com/femsle/article/365/11/fny085/4961133
[19] World Health Organization (WHO). "One Health," October 23, 2023. https://www.who.int/news-room/fact-sheets/detail/onehealth#:~:text=One%20Health%20is%20an%20integrated,the%20number%20of%20malaria%20cases.
[20] Centers for Disease Control and Prevention (CDC), “Why One Health is Important”, https://www.cdc.gov/one-health/media/images/images/social-media/why-one-health-is-important-twitter.jpg?CDC_AAref_Val=https://www.cdc.gov/onehealth/images/social-media/why-one-health-is-important-twitter.jpg
[21] Nooshin Mojahed, Mohammad Ali Mohammadkhani, and Ashraf Mohamadkhani, “Climate crises and developing vector-borne diseases: a narrative review," Iranian Journal of Public Health 51, no. 12 (2022): 2664, https://pmc.ncbi.nlm.nih.gov/articles/PMC9874214/
[22] Carsten Butsch, et al., "Health impacts of extreme weather events–Cascading risks in a changing climate," Journal of Health Monitoring 8, no. Suppl 4 (2023): 33, https://pubmed.ncbi.nlm.nih.gov/37799532/
[23] Centers for Disease Control and Prevention (CDC), “One Health Basics”, https://www.cdc.gov/onehealth/basics/index.html.
[24] Elizabeth L Mumford et al., "Evolution and expansion of the One Health approach to promote sustainable and resilient health and well-being: A call to action," Frontiers in Public Health 10 (2023): 1056459, https://pubmed.ncbi.nlm.nih.gov/36711411/
[25] Samira Barbara Jabakhanji, et al., "Public Health Measures to Address the Impact of Climate Change on Population Health—Proceedings from a Stakeholder Workshop," International Journal of Environmental Research and Public Health 19, no. 20 (2022): 13665, https://pubmed.ncbi.nlm.nih.gov/36294243/
[26] Kristie L Ebi et al., "Monitoring and evaluation indicators for climate change-related health impacts, risks, adaptation, and resilience," International Journal of Environmental Research and Public Health 15, no. 9 (2018): 1943, https://pubmed.ncbi.nlm.nih.gov/30200609/
[27] BRICS 2023, “BRICS countries measures taken in the field of healthcare to counter the spread of the coronavirus disease (covid-19),” https://brics2023.gov.za/wp-content/uploads/2023/07/BRICS-Countries-measures-taken-in-the-field-of-healthcare-to-counter-the-spread-of-the-coronavirus-2019.pdf
[28] Ima Aparecida Braga and Denise Valle, "Aedes aegypti: Histórico do controle no Brasil," Epidemiologia e Serviços De Saúde 16, no. 2 (2007): 113-118, http://scielo.iec.gov.br/scielo.php?script=sci_abstract&pid=S1679-49742007000200006&lng=pt&nrm=is
[29] Pan American Health Organization/World Health Organization, “PAHO/WHO Brazil Country Office Management Model 2008-2012,” https://iris.paho.org/bitstream/handle/10665.2/3567/BRAtechnical
[30] Helena R C Araújo, et al., "Aedes aegypti control strategies in Brazil: incorporation of new technologies to overcome the persistence of dengue epidemics”, Insects 6, no. 2 (2015): 576-594, https://pmc.ncbi.nlm.nih.gov/articles/PMC4553499/
[31] Global Health Security Index 2021, “Russia”, https://ghsindex.org/wp-content/uploads/2021/12/Russia.pdf
[32] Global Health Security Index 2021, “Russia”
[33] WHO, “Human infection with avian influenza A (H5N8) - Russian Federation”, 26 February 2021, https://www.who.int/emergencies/disease-outbreak-news/item/2021-DON313
[34] National Center for Vector Borne Diseases Control (NCVBDC), Ministry of Health & Family Welfare, Government of India, https://ncvbdc.mohfw.gov.in/
[35] National Health Mission Department of Health & Family Welfare, Ministry of Health & Family Welfare, Government of India, https://nhm.gov.in/
[36] World Health Organization, "Meeting on Cross-Border Collaboration for Elimination of Malaria, Kala-azar, and Lymphatic Filariasis Along the India-Nepal International Border," September 12, 2023, https://www.who.int/southeastasia/news/events/detail/2023/09/12/south-east-asia-events/meeting-on-cross-border-collaboration-for-elimination-of-malaria--kala-azar-and-lymphatic-filariasis-along-the-india-nepal-international-border.
[37] World Health Organization, "Review Meeting on Cross-Border Collaboration for Elimination of Malaria Along the India-Bhutan International Border," August 28, 2023, https://www.who.int/southeastasia/news/events/detail/2023/08/28/south-east-asia-events/review-meeting-on-cross-border-collaboration-for-elimination-of-malaria-along-the-india-bhutan-international-border.
[38] Ministry of Health and Family Welfare, “Pulse Polio Programme in India,” https://main.mohfw.gov.in/sites/default/files/186048546481489664481.pdf
[39] Centers for Disease Control and Prevention, “Global Health – China Fact Sheet”, Centers for Disease Control and Prevention, 2021, https://www.cdc.gov/globalhealth/countries/china/pdf/China_FS.pdf.
[40] Anthony Xiao and Yifei Ding, “Evolution of China’s Belt and Road Initiative: Health Silk Road”, 8 May 2023, Invesco, https://www.invesco.com/apac/en/institutional/insights/fixed-income/evolution-of-chinas-belt-and-road-initiative-health-silk-road.html
[41] World Health Organization, “Influenza A H7N9 virus – China”, 26 October 2017, https://www.who.int/emergencies/disease-outbreak-news/item/26-october-2017-ah7n9-china-en
[42] National Institute for Communicable Diseases, https://www.nicd.ac.za/
[43] Southern African Development Community, https://www.sadc.int/
[44] Hassan Abdi Hussein, “Brief review on ebola virus disease and one health approach,” Heliyon (2023), Aug 8;9(8):e19036, https://pubmed.ncbi.nlm.nih.gov/37600424/
[45] Yongqiang Zhang et al., "On the momentum toward vaccine self-sufficiency in the BRICS: an integrative review of the role of pharmaceutical entrepreneurship and innovation," Frontiers in Public Health 11 (2023): 1116092, https://www.frontiersin.org/journals/public-health/articles/10.3389/fpubh.2023.1116092/full
[46] Hafiz Suliman Munawar, Ahmed WA Hammad, and S. Travis Waller, “Remote sensing methods for flood prediction: A review," Sensors 22, no. 3 (2022): 960, https://www.mdpi.com/1424-8220/22/3/960
[47] Diarmid Campbell-Lendrum, et al., "Climate change and health: three grand challenges," Nature Medicine 29, no. 7 (2023): 1631-1638, https://doi.org/10.1038/s41591-023-02438-w
[48] Renita D’Souza, et al., “Preparing for the next crisis: The G20 and the Pandemic Treaty”, T20 Policy Brief (2023), Observer Research Foundation, https://www.orfonline.org/research/preparing-for-the-next-crisis-the-g20-and-the-pandemic-treaty
[49] Göktuğ Kıprızlı and Seçkin Köstem, "Understanding the BRICS framing of climate change: The role of collective identity formation," International Journal 77, no. 2 (2022): 270-291, https://doi.org/10.1177/00207020221135300
[50] Renita D’Souza, "A Stocktaking of BRICS performance in climate action”
[51] Renita D’Souza, and Debosmita Sarkar, "Climate Performance Index: a study of the performance of G20 countries in mitigation"
[52] Anastasia Likhacheva, “Water Challenge and the Prospects for BRICS Cooperation," Strategic Analysis 43, no. 6 (2019): 543-557, https://www.tandfonline.com/doi/abs/10.1080/09700161.2019.1669944
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