प्रस्तावना
1980 के दौर में सबसे पहली बार ‘नार्कोटेररिज्म़ यानी नार्को आतंकवाद’ शब्द सुरक्षा की शब्दावली में शामिल हुआ था. उस वक़्त इसका आशय लैटिन अमेरिका में ड्रग ट्रैफिकिंग सिंडिकेट यानी मादक पदार्थ तस्कर गिरोह की ओर से आतंक फ़ैलाने के लिए अपनाई जाने वाली नीति के संदर्भ में था. वर्तमान में ‘नार्कोटेररिज्म़ यानी नार्को आतंकवाद’ का अर्थ मादक पदार्थ तस्करों के नेटवर्क्स यानी उसके रुट्स, वित्तपोषण व्यवस्था या फिर इससे होने वाली आय का आतंकी संगठनों की ओर से होने वाले उपयोग के संदर्भ में किया जाता है.[1] अब आधुनिक प्रणालियों जैसे ड्रग ट्रैफिकिंग सिंडिकेट्स की ओर से भारत-पाकिस्तान सीमा पर सीमा-पार ड्रोन का उपयोग, मादक पदार्थों की तस्करी के लिए समुद्री मार्ग का उद्भव और कश्मीर घाटी में नार्को आतंकवाद के उभार ने यह साफ़ कर दिया है कि यह चुनौती निरंतर बनी हुई है. ऐसे में ड्रग ट्रैफिकिंग यानी मादक पदार्थों की तस्करी के ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई करना ज़रूरी हो गया है. यह कार्रवाई आपराधिक और आतंकी नेटवर्क्स के ख़िलाफ़ होनी चाहिए. इसके साथ ही अंतराराष्ट्रीय स्तर पर सहयोग में भी वृद्धि होना ज़रूरी हो गया है.
नार्को ट्रेड के लिए मादक पदार्थों की तस्करी करने वाले गिरोहों के साथ तालमेल बिठाकर आतंकी संगठन ख़ुद के लिए पैसा जुटाने का एक आकर्षक मार्ग निकाल लेते हैं. इसमें मादक पदार्थों के तस्कर तथा आतंकी संगठन दोनों ही एक-दूसरे के नेटवर्क्स का उपयोग करके अपने ऑपरेशंस को अंजाम देते हैं.
आतंकवादियों को वित्त पोषण बहुसंख्य स्रोतों से मिलता है. इसमें वैध और अवैध स्रोत शामिल हैं. इसी वजह से आतंकवाद वित्त पोषण को रोकने का काम बेहद जटिल हो जाता है. नार्को ट्रेड के लिए मादक पदार्थों की तस्करी करने वाले गिरोहों के साथ तालमेल बिठाकर आतंकी संगठन ख़ुद के लिए पैसा जुटाने का एक आकर्षक मार्ग निकाल लेते हैं. इसमें मादक पदार्थों के तस्कर तथा आतंकी संगठन दोनों ही एक-दूसरे के नेटवर्क्स का उपयोग करके अपने ऑपरेशंस को अंजाम देते हैं. आतंकी संगठन तो मादक पदार्थों की तस्करी का उपयोग करके किसी देश को अस्थिर करने का काम भी करते हैं. ऐसा करते हुए वे अपना राजनीतिक लक्ष्य हासिल कर लेते हैं. मादक पदार्थों की तस्करी को हथियार और अन्य साधन-सामग्री ख़रीदने के लिए धन एकत्रित करने का बेहद आसान और भरोसेमंद तरीका माना गया है.[2] अपनी प्रकृति के अनुसार ही मादक पदार्थों की तस्करी राष्ट्रीय सीमाओं को पार कर जाती है. इसमें आपराधिक और आतंकी संगठनों का एक बड़ा नेटवर्क शामिल होता है.
नार्को आतंकवाद की व्याख्या कुछ इस प्रकार की गई है. ‘‘ये मादक पदार्थ उत्पादक तथा आतंकी हमले करने वाले विद्रोही समूहों के बीच एक गठजोड़ है.’’[3] इस विशिष्ठ शब्द की परिभाषा पेरु के तत्कालीन राष्ट्रपति फर्नांडो बेलाउंडे ने 1983 में की थी. उन्होंने संगठित आपराधिक गिरोहों की ओर से लैटिन अमेरिका में मादक पदार्थ विरोधी कानून प्रवर्तन एजेंसियों के खिलाफ़ की जाने वाली हिंसक गतिविधियों का वर्णन करने के लिए नार्को आतंकवाद शब्द का उपयोग किया था.[4]
नार्को आतंकवाद गतिविधियों को दो श्रेणियों में बांटा जा सकता है. पहली श्रेणी में लैटिन अमेरिका के संदर्भ में मादक पदार्थ तस्कर गिरोहों की ओर से अपनाई जाने वाली आतंकी नीतियां शामिल हैं. इस क्षेत्र में मादक पदार्थ संबंधी हिंसा का एक लंबा इतिहास है. इसकी ख़ासियत इससे जुड़े मादक पदार्थ तस्कर गिरोहों की मज़बूत वित्तीय और संगठनात्मक क्षमताओं को माना जा सकता है. ये क्षमताएं आमतौर पर कमज़ोर स्थानीय मादक पदार्थ विरोधी कानून प्रवर्तन एजेंसियों से कई गुना अधिक होती हैं. इस क्षेत्र में मादक पदार्थ तस्कर गिरोहों की ओर से इलाकों पर कब्ज़ा करने, सरकारों को नियंत्रित करने और एक बड़े क्षेत्र पर अपना दबदबा कायम करने के लिए हिंसा का उपयोग करना रोज़मर्रा की बात है.[5]
दूसरी श्रेणी में आतंकवादी संगठनों की ओर से अपनी गतिविधियों को संचालित करने के लिए मादक पदार्थों का उत्पादन और व्यापार करना शामिल है. पूर्वी अफ्रीका में अल-क़ायदा से संबंद्ध अल-शबाब ने इस क्षेत्र में पैदा होने वाले खत नामक मादक पौधे के कारोबार और निर्यात पर कर लगा कर रखा है.[6] 2010 से अब तक इस समूह ने खत पर लगाए गए कर के चलते 500,000 अमेरिकी डॉलर से ज़्यादा राशि जमा कर ली है.[7] पश्चिम अफ्रीका में अल- क़ायदा इन द इस्लामी मग़रिब भी साहेल इलाके में मादक पदार्थों की तस्करी का उपयोग करते हुए उससे मिलने वाले पैसों का उपयोग कर रहा है.[8] दक्षिणपूर्व एशिया में अल-क़ायदा और जेमाह़ इस्लामिया जैसे उसके सहयोगियों पर भी इस क्षेत्र में आने वाले ‘गोल्डन ट्राइएंगल’ (यानी रुआक और मीकॉन्ग नदी के संगम पर म्यांमार, लाओस और थाईलैंड) में फलफूल रही मादक पदार्थों की तस्करी से लाभ उठाने का संदेह है.[9] दक्षिण एशिया में मादक पदार्थों की तस्करी का हब या अड्डा ‘गोल्डन क्रिसेंट’ (पाकिस्तान, अफ़गानिस्तान और ईरान तक फ़ैला) दुनिया का सबसे बड़ा अफ़ीम उत्पादक क्षेत्र है. यहां से अल-क़ायदा और हक्कानी नेटवर्क को अफ़ीम उत्पादन और कारोबार से काफ़ी फ़ायदा होने की जानकारी भी है. [a] इन नेटवर्क्स की कुशलता संचालित प्रकृति और इसमें वैचारिक रूप से प्रेरित सदस्यों का समावेश नार्को आतंकवाद से जुड़े मसले के जटिल गतिविज्ञान को रेखांकित करता है.[10] यहां उल्लेखनीय है कि अल-क़ायदा के गिरफ्तार किए गए अनेक सदस्यों ने यह बयान दिया है कि अल-क़ायदा के संस्थापक ओसामा बिन लादेन ने हमेशा अपने रंगरूटों को मादक पदार्थ कारोबार से जुड़ने पर रोक लगा रखी थी. ओसामा का मानना था कि ऐसा करने से उसके सहयोगी भ्रष्ट हो जाएंगे.[11]
लेकिन आतंकवादी संगठनों तथा मादक पदार्थों के तस्करों के बीच एक मज़बूत सांठ-गांठ दिखाई देती है. कुछ आतंकवाद विरोधी विशेषज्ञों ने इस सांठ-गांठ [b],[12] का वर्णन करने के ‘नार्को टेररिज्म़’ शब्द का उपयोग किए जाने पर इसकी आलोचना की है. लेकिन चूंकि दुनिया भर की कानून प्रवर्तन एजेंसियां इस शब्द का ही उपयोग कर रही हैं, अत: इस ब्रीफ में भी इसी शब्द का उपयोग किया जा रहा है.
मादक द्रव्य तस्करी के ट्रेंड्स और मार्ग
गोल्डन क्रिसेंट तथा गोल्डन ट्राइएंगल के बीच फंसा हुआ भारत लंबे समय से नार्को आंतकवाद से जुड़ी गतिविधियों का साक्षी रहा है. यह इलाका लंबी अवधि से चले आ रहे विद्रोहों को भी देखता आया है. यहां पर काफ़ी अर्से से सीमा-पार आतंकी गतिविधियां भी संचालित होती रहती हैं. एक ओर जहां विश्व के अन्य हिस्सों में नार्को आतंकवाद का आशय आतंकवाद के वित्तपोषण के लिए मुनाफ़ा कमाना है, वहीं भारत के संदर्भ में यह मामला कुछ जटिल हो जाता है. पिछले कुछ दशकों का अनुभव यह सुझाता है कि आतंकी संगठनों तथा मादक पदार्थों के तस्कर गिरोहों के बीच एक सहजीवी अथवा नज़दीकी संबंध है. यह बात इस वजह से भी साफ़ हो जाती है कि मादक पदार्थों के तस्कर भी उन्हीं मार्गों का उपयोग करते हैं, जिनका उपयोग आतंकवादी गतिविधियों के लिए किया जाता है. यह बात विशेषत: पश्चिमी सीमा के बारे में लागू होती है. यह इलाका एक ऐसा क्षेत्र है, जहां आतंकी संगठनों तथा ड्रग
सिंडिकेट्स को पाकिस्तान की सरकारी एजेंसियों का सहयोग मिलता है. यह सहयोग मार्ग की टोह लेने और अंतरराष्ट्रीय सीमा में घुसपैठ करने को लेकर मार्गदर्शन करने के रूप में उपलब्ध करवाया जाता है.
उत्तरपूर्व में अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, मणिपुर और मिज़ोरम म्यामांर के साथ 1,624 किलोमीटर की पोरस यानी सुराखदार सीमा साझा करते हैं.[13] इन राज्यों का उपयोग गोल्डन ट्राइएंगल से उपजने वाले अवैध ड्रग्स का परिवहन करने के लिए ट्रांजिट यानी पारगमन मार्गों के रूप में किया जाता है. 1970 के उत्तरार्ध और 1980 के आरंभिक दौर में, जब दक्षिणपूर्व एशियाई देशों जैसे सिंगापुर, मलेशिया और इंडोनेशिया ने अपने यहां मादक पदार्थों के तस्करों के ख़िलाफ़ कार्रवाई शुरू की, तो मणिपुर में मोरेह तथा मिज़ोरम के चम्फाई मार्ग तस्करों के पसंदीदा मार्ग बनकर उभरे थे.[14] अपने चरम पर विद्रोही समूह जैसे नगालैंड सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ़ नागालैंड के इसाक और खापलांग विद्रोही गुट, यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ़ असोम तथा कुकी मिलिशिया ने अपनी गतिविधियों को चलाने के लिए या तो स्वयं मादक पदार्थों की तस्करी की अथवा इन गुटों ने तस्करी करने वाले गिरोहों से उनके मुनाफ़े में अपना हिस्सा मांगकर काम चलाया था.[15] आज भी स्थिति वैसी ही बनी हुई है. अब एक नई प्रवृत्ति देखी जा रही है. यह प्रवृत्ति म्यांमार में अफ़ीम के खेती के विस्तार से जुड़ी है.[16]
2021 में म्यांमार में हुए सैन्य तख़्तापलट के बाद व्यापक पैमाने पर प्रदर्शन और हथियारबंद विद्रोह भी शुरू हो गए थे. इसकी वजह से अनेक नस्लीय हथियारबंद संगठनों और नागरिक विद्रोह स्वयंसेवकों ने देश के विभिन्न शहरों और हिस्सों पर कब्ज़ा कर लिया था. इसमें से अनेक शहर भारत की सीमा से सटे हुए थे.[17] गृह युद्ध तथा म्यांमार में अराजकता की स्थिति के कारण अफ़ीम की खेती में बेहद तेजी से विस्तार हुआ. 2023 में अफ़ीम का उत्पादन बढ़कर 1,080 मिट्रिक टन पहुंच गया. यह आंकड़ा 2020 में महज 400 मिट्रिक टन था.[18],[19] उत्तरी शान के साथ-साथ चीन और कचिन राज्यों में खसखस (अफ़ीम) के तहत आने वाली कृषि भूमि 2020 के पिछले सत्र के मुकाबले 33 प्रतिशत बढ़ गई है. अब यहां पर 47,100 हेक्टेयर क्षेत्र में अफ़ीम की खेती की जा रही है.[20] 2023 में म्यांमार से भारत समेत अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में 154 मिट्रिक टन हेरोइन का निर्यात किया गया था. जनवरी से अक्टूबर 2023 के बीच म्यांमार सीमा की रक्षा में तैनात आसाम राइफल्स ने 911 करोड़ भारतीय रुपए (लगभग 109 मिलियन अमेरिकी डॉलर) के 18 हथियार और मादक पदार्थ ज़ब्त किए थे. आसाम राइफल्स ने यह सामग्री 131 भारतीय तथा 18 बर्मा के नागरिकों से ज़ब्त की थी.[21] कुछ विश्लेषकों ने यह भी संकेत दिया है कि मणिपुर में हालिया अशांति में भी नार्को आतंकवाद की भूमिका है. यहां कुकी विद्रोहियों/आतंकियों तथा एक ड्रग माफ़िया ने मिलकर कथित रूप से मैतेई समुदाय के ख़िलाफ़ हिंसा को भड़काने में भूमिका अदा की है.[22]
अगस्त 2022 में तालिबान की ओर से लगाई गई पाबंदी के बाद अफ़गानिस्तान में अफ़ीम की बिक्री में वृद्धि के साथ सिंथेटिक ड्रग्स में भी उभार देखा गया है. इस इलाके में सक्रिय आतंकी संगठनों तथा विद्रोहियों के लिए अफ़गानिस्तान आय का एक अहम स्रोत बना हुआ है. यूनाइटेड स्टेट्स (US) की अगुवाई में इंटरनेशनल सिक्योरिटी असिस्टेंस फोर्स (IASF) की ओर से 2001 में किए गए आक्रमण के बाद से US ने अफ़गान किसानों को अफ़ीम उपज लेने से रोकने के लिए 2001 से 2019 के बीच लगभग 9 बिलियन अमेरिकी डॉलर ख़र्च किए थे.[23] लेकिन उसके यह प्रयास विफ़ल साबित हुए थे और 2009 से 2021 के बीच अफ़ीम उत्पादन दोगुना हो गया. इस अवधि में अफ़गानिस्तान ने दुनिया में ख़पत होने वाले अफ़ीम के 80 प्रतिशत अफ़ीम का न केवल उत्पादन किया बल्कि इसकी आपूर्ति भी की. इसी अवधि में वह वैश्विक हेरोइन बाज़ार पर अपना दबदबा स्थापित करने में सफ़ल हो गया.[24] अफ़ीम उत्पादन से होने वाली आय का उपयोग तालिबान ने ISAF के ख़िलाफ़ अपने अभियान को चलाने के लिए किया था.[25]
काबुल पर दोबारा कब्ज़ा करने के बाद जल्द ही तालिबान ने अगस्त 2022 में अफ़ीम खसखस की खेती पर पाबंदी लगाने की घोषणा कर दी. लेकिन इस पाबंदी की वजह से केवल कीमतों में उछाल देखा गया. इसके चलते 2022 में अफ़ीम की फ़सल 2017 के बाद किसानों के लिए सबसे ज़्यादा लाभ देने वाली फ़सल साबित हुई. इस दौरान बिक्री 1.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गई थी.[26] कुछ खबरों में सिंथेटिक ड्रग्स की ज़ब्ती की भी जानकारी मिली है. ऐसे में अफ़ीमयुक्त नशे से मेथामफेटामाइन जैसे पदार्थों की तरफ हो रहा बदलाव का संकेत भी मिलता है.[27] जून 2023 में UN सैंक्शंस मॉनिटरिंग टीम यानी UN प्रतिबंध निगरानी दल की एक रिपोर्ट में मेथामफेटामाइन जैसे अन्य सिथेंटिक ड्रग्स के उत्पादन और तस्करी में हक्कानी नेटवर्क का हाथ होने की बात कही गई थी. इस रिपोर्ट के अनुसार नेटवर्क के सदस्य आपराधिक गिरोहों और दक्षिणपूर्व एवं मध्य एशिया में काम करने वाले सिंडिकेट्स के साथ बेहद करीबी समन्वय साधते हुए US तथा यूरोप में फेंटानिल की तस्करी कर रहे हैं.[28]
नशे के कारोबार के लिए समुद्री मार्ग के उपयोग में वृद्धि को एक और उल्लेखनीय प्रवृत्ति कहा जा सकता है. इंटरनेशनल नार्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो का कहना है कि दक्षिण एशियाई देश जैसे बांग्लादेश, भारत, मालदीव, श्रीलंका और पाकिस्तान अफ़ीमयुक्त नशे की तस्करी करने वालों के निशाने पर हैं. अफ़गानिस्तान में पैदा होने वाले अफ़ीम और उससे जुड़े अन्य नशे की वस्तुओं की तस्करी इन देशों के समुद्री मार्ग का उपयोग करते हुए बढ़ी है.[29] इन समुद्री मार्गों पर कानून प्रवर्तन एजेंसियों ने सड़क मार्ग के मुकाबले अधिक मादक पदार्थों को ज़ब्त किया है.[30] गोल्डन क्रिसेंट में काम करने वाले मादक पदार्थ सिंडिकेट्स और संगठित आपराधिक नेटवर्क्स अपने 60 से 70 प्रतिशत ड्रग्स को भारत, श्रीलंका और दक्षिण अफ्रीका तक समुद्री मार्ग का उपयोग करते हुए पहुंचाते हैं.[31] भारत के पत्तन, पोत परिवहन एवं जलमार्ग मंत्रालय की जानकारी के अनुसार 2023 के दौरान भारत के विभिन्न बंदरगाह और तटीय जल मार्गों से 2,826 किलो ड्रग्स, जिसमें मुख्यत: कोकिन और हेरोइन का समावेश है, को ज़ब्त किया गया था. यह संख्या पिछले पांच वर्ष में की गई सर्वाधिक ज़ब्ती को दर्शाती है.[32] फरवरी 2024 में अपनी प्रतिबंधात्मक कार्रवाई के दौरान नार्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) तथा भारतीय नौसेना ने 3,132 किलो ड्रग्स लेकर जा रही एक बोट को रोका था. इस नाव से 1,000 करोड़ भारतीय रुपए (लगभग 119 मिलियन अमेरिकी डॉलर) के ड्रग्स ज़ब्त किए गए थे.[33] NCB के अनुसार इस मार्ग से सर्वाधिक तस्करी हेरोइन की होती है. लेकिन यहां से अन्य ड्रग जैसे कोकिन भी ज़ब्त किए जा रहे है.[34]
मादक पदार्थों की तस्करी में जुटे सिंडिकेट्स अब अनूठी तकनीकों का भी उपयोग करने लगे है. इसमें ड्रोन अथवा मानव रहित हवाई वाहन का उपयोग करके मादक पदार्थों की तस्करी करना शामिल है. कभी-कभी इसका उपयोग सीमा-पार तस्करी के लिए भी किया जाता है. सितंबर 2023 में जॉर्डन की सेना ने सीरिया से क्रिस्टल मेथामफेटामाइन ला रहे दो ड्रोन को मार गिराया था.[35] इसी प्रकार मैक्सिकन ड्रग कार्टेल्स यानी गिरोह भी कोकिन, मेथामफेटामाइन और हेरोइन को US की सीमा में भेजने के लिए ड्रोन का उपयोग कर रहे हैं.[36] भारत में सीमा सुरक्षा बल (BSF) ने भी ड्रग लाने वाले ड्रोन देखें हैं. 2023 में इस एजेंसी ने 119 ऐसे ड्रोंस को मार गिराया था. भारत-पाकिस्तान की सीमा पर लगभग 400-500 ड्रोन देखें जाते हैं.[37]
भू-सीमा पर एरियल यानी हवाई ड्रोन का उपयोग अब आम हो गया है. लेकिन ड्रग कार्टेल्स इस काम के लिए अब पानी के अंदर चलने वाले ड्रोन का भी उपयोग करने की संभावनाओं का पता लगा रहे हैं. 2022 में स्पेनी पुलिस ने 200 किलो माल ले जाने की क्षमता रखने वाले तीन अंडरवॉटर ड्रोन को ज़ब्त किया था. यह ड्रोन मोरक्को की ओर से समुद्री मार्ग का उपयोग करते हुए मादक पदार्थों की तस्करी के लिए भेजे गए थे.[38] अंडरवॉटर ड्रोन का यह उपयोग मध्य और दक्षिण अमेरिकी ड्रग कार्टेल्स की ओर से पूर्व में किए गए सेमी-सबमर्सिबल वेसल्स यानी अर्ध पनडुब्बी वाहन से आगे की तकनीक है. पूर्व ख़ुफ़िया सूचना के अभाव और हवाई सर्विलांस के अभाव में इनका पता लगाना बेहद मुश्किल होता है.[39] आतंकवादी और मादक पदार्थों के तस्करों ने फ़िलहाल भारतीय तटों पर इस तकनीक का उपयोग नहीं किया है. लेकिन नशे के कारोबार में होने वाले बेतहाशा मुनाफ़े और तस्करी के लिए इस्तेमाल होने वाले सड़क मार्ग और सीमा-पार हवाई ड्रोंस के ख़िलाफ़ होने वाली कार्रवाई की वजह से समुद्री मार्ग पर ऊपर चर्चा की गई तकनीक का उपयोग किए जाने की संभावना हमेशा बनी हुई है.
पंजाब और J&K में बढ़ता नार्को आतंकवाद
पाकिस्तान के साथ भारत की सीमा के बेहद करीब है. इसके अलावा पाकिस्तान 1980 के दशक से ही पंजाब तथा J&K में आतंकवाद और विद्रोही आंदोलनों का अपरोक्ष रूप से समर्थन करता रहा है. इसकी वजह से गोल्डन क्रिसेंट के माध्यम से नशीले पदार्थों की तस्करी में इज़ाफ़ा ही हुआ है. एक अनुमान के अनुसार कश्मीर में हथियारबंद विद्रोह के पहले दशकों में नशे के कारोबार से होने वाली आय का लगभग 15 प्रतिशत पैसा आतंकी गतिविधियों के काम में लिया गया था.[40] बाद के दशकों में इस तरह का वित्तपोषण बढ़ा ही है. पाकिस्तान को आतंकी फाइसेंसिंग यानी वित्त पोषण को रोकने के पर्याप्त उपाय करने में विफ़ल रहने और मनी लांड्रिंग यानी धनशोधन के मामले को लेकर फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) ने अपनी ग्रे लिस्ट में शामिल कर लिया. इसके बाद से ही इस्लामाबाद ने J&K में काम करने वाले आतंकी संगठनों को समर्थन देने के लिए नशे के कारोबार का उपयोग किया है. वह यह काम श्रेय लिए बगैर लगातार करता आया है.[41] 2008 से 2010, 2012 से 2015 तथा 2018 से 2022 के बीच पाकिस्तान FATF की ग्रे लिस्ट में शामिल था.[42] जैसा कि पूर्व में उल्लेख किया जा चुका है अंतराराष्ट्रीय सीमा के बराबर तथा लाइन ऑफ़ कंट्रोल (LoC) पर ड्रग्स तथा हथियारों की तस्करी में पाकिस्तानी सेना का सक्रिय योगदान होता है. इस काम में पाकिस्तान की अन्य सरकारी एजेंसियां भी सहयोग करती हैं. 2023 में पाकिस्तानी मीडिया की एक रिपोर्ट में इस बात का उल्लेख मिलता है कि लाहौर का एक डेप्युटी सुपरिटेंडेंट ऑफ़ पुलिस यानी पुलिस उपमहानिरीक्षक भारत को भेजे जाने वाले ड्रग्स की तस्करी में लिप्त था.[43]
पाकिस्तान आधारित मादक पदार्थों के तस्कर सिंडिकेट्स और आतंकी संगठन IB तथा LoC पर मौजूद ट्रेड रुट्स यानी कारोबारी मार्गों का उपयोग करते हैं. इसमें पूंछ-चाकन दा बाग, ऊरी-सलेमाबाद और अटारी इंटिग्रेटेड चेक पोस्ट मार्ग का उपयोग शामिल है. इन मार्गों से भारत में मादक पदार्थ, पैसा और हथियार भेजने की कोशिश की जाती है, ताकि आतंकी संगठनों को यह सामग्री और सहायता मिल सके.[44] 2019 में नार्को आतंकवाद बढ़ने की वजह से ही इन मार्गों से होने वाले कारोबार को रोकना पड़ा था. इस पाबंदी की एक और वजह यह भी थी कि पंजाब और J&K के कारोबारियों की सीमा-पार व्यापारियों के साथ-साथ आतंकवादियों और उनके पाकिस्तानी हैंडलर्स के साथ नज़दीकियां भी बढ़ने लगी थी.[45],[46]
नवंबर 2018 में भारतीय सुरक्षा बलों ने कश्मीर घाटी में एक आतंकी तथा पंजाब के ड्रग पेडलर्स यानी विक्रेताओं के मॉड्यूल पर छापा मारा था. यह मॉड्यूल अख़नूर सेक्टर के पास काम कर रहा था. यह ऑपरेशन ऐसे वक़्त किया गया था जब J&K पुलिस के अधिकारी इस बात की चेतावनी दे रहे थे कि नशे के कारोबार की समस्या इस वक़्त राज्य के समक्ष आतंकवाद से भी बड़ी चुनौती बनी हुई है.[47] नीचे दिये गये टेबल-1 में हाल के वर्षों में J&K तथा पंजाब में नार्को आतंकवाद से जुड़ी प्रमुख घटनाओं की समीक्षा की गई है.
टेबल 1 : हाल के वर्षों में J&K तथा पंजाब में नार्को आतंकवाद से जुड़ी प्रमुख घटनाएं
तिथि
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घटना का विवरण
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नवंबर 2018
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भारतीय सेना तथा ख़ुफ़िया एजेंसियों की ओर से अखनूर सेक्टर IB में चलाए गए संयुक्त अभियान में 21 किलो हेरोइन और दो पिस्टल ज़ब्त की गई. इसके बाद हुए एक ‘स्टिंग’ ऑपरेशन में राजस्व ख़ुफ़िया निदेशालय तथा भारतीय सेना की संयुक्त टीम ने मादक पदार्थों के तस्करों के एक समूह को गिरफ्तार करते हुए एक आतंकवादी को मार गिराया. इस टीम ने एक AK-56 राइफल, 15 ग्रेनेड्स, पांच पिस्टल्स और अनेक उन्नत विस्फोटक उपकरण (IEDs) बरामद किए. यह पहला ऐसा मामला था, जिसमें कश्मीर घाटी में सक्रिय आतंकवादियों और पंजाब के ड्रग विक्रेताओं के बीच सांठ-गांठ के स्पष्ट संकेत मिले थे.
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अप्रैल 2021
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एक आरोपपत्र में नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) ने आरोप लगाया है कि इस मामले में शामिल सात लोग प्रतिबंधित आतंकी समूह बब्बर खालसा इंटरनेशनल (BKI) की नार्को आतंकवाद टोली का हिस्सा हैं. यह समूह मादक पदार्थ बेचकर पैसा एकत्रित करता है. इस मामले में तस्करी कर लाए गए हथियार BKI सदस्यों के लिए थे, जो इनका उपयोग करके हमला करने वाले थे.
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मई 2021
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पुलिस ने एक नार्को-आतंकी मॉड्यूल के ख़िलाफ़ छापा मारते हुए LoC से सटे कूपवारा जिले में 8 किलो हेरोइन ज़ब्त की. पुलिस ने आतंकवादियों के एक सहयोगी को गिरफ्तार किया, जो पाकिस्तान आधारित आतंकी संगठनों के संपर्क में था.
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जून 2021
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J&K पुलिस ने दस लोगों को गिरफ्त़ार कर उनके पास से 45 करोड़ भारतीय रुपए (लगभग 5.3 मिलियन अमेरिकी डॉलर) मूल्य की हेरोइन की खेप ज़ब्त की. अधिकारियों ने चीन में बने दस ग्रेनेड्स, चीन में बनी चार पिस्टल्स, चार मैगजीन और 20 राउंड्स भी ज़ब्त किए.
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जून 2021
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सुरक्षा बलों ने LoC से सटे तंगधर सेक्टर में घुसपैठ की एक कोशिश को विफ़ल किया. सुरक्षा बलों को वहां से 30 करोड़ INR (लगभग 3.5 मिलियन अमेरिकी डॉलर) मूल्य वाले हेरोइन के छह पैकेट्स मिले. इसके अलावा वहां से एक AK-47 राइफल, एक पिस्टल, दो ग्रेनेड्स तथा गोला-बारुद भी बरामद किया गया.
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अक्टूबर 2021
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संपूर्ण घाटीव्यापी तलाशी अभियान के दौरान J&K पुलिस ने आतंकवादी संगठनों से जुड़े 430 ओवर ग्राउंड वर्कर्स (OGWs) को हिरासत में लिया.
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अप्रैल 2022
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राज्य जांच एजेंसी को एक स्थानीय राजनीतिज्ञ की हवाला मामले से जुड़ा होने की जांच के दौरान एक सीमा-पार आतंकी सिंडिकेट की जानकारी मिली. इसमें नामित आरोपी हिज़बुल मुज़ाहिदीन के तीन स्वयंसेवक थे.
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जून 2023
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सुरक्षा बलों ने राजौरी-पूंछ क्षेत्र में आतंकी संबंधों वाला एक ड्रग ट्रैफ़िकिंग रिंग का पर्दाफाश किया. इसमें आठ लोगों को गिरफ्तार करते हुए सुरक्षा बलों ने हथियारों के साथ 44 किलो हेरोइन बरामद की.
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स्रोत: लेखक का अपना.
पाकिस्तान ने नार्को आतंकवाद का उपयोग करते हुए आतंकी गतिविधियों को वित्त पोषण उपलब्ध करवाया है. इसके साथ ही उसने OGWs से आतंकवादियों को लॉजिस्टिकल सपोर्ट भी दिया है. सुरक्षा एजेंसियों के मुताबिक घाटी और राजौरी-पूंछ जिले में काम करने वाले पाकिस्तानी आतंकी नशेड़ियों से सांठ-गांठ करते हुए लॉजिस्टिकल सपोर्ट हासिल करते हैं. वे इन नशेड़ियों को ड्रग्स, नगदी अथवा हथियारों का लालच देकर अपने साथ मिलाते हैं.[48] एक मर्तबा इनसे संपर्क होने के बाद आतंकी इन नशेड़ियों को सुरक्षा बलों की गतिविधियों की जानकारी मुहैया करवाने अथवा हथियारों को एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाने पर मजबूर कर देते हैं. आतंकी संगठनों के लिए यह नीति कारगर साबित हुई है. घाटी से पीर पंजाल रेंज की ओर आतंकी गतिविधियों के ख़िसकने के साथ ही नशा तस्करों की गतिविधियों में भी इसी दिशा में बदलाव देखा जा रहा हैं.[49] जून 2023 में सुरक्षा बलों ने एक नशा तस्करी करने वाली टोली को पकड़ा था, जो पंजाब को नशे की आपूर्ति करती थी और J&K में सक्रिय आतंकवादियों को हथियारों की आपूर्ति करती थी.[50]
टेबल2 : J&K में पंजीबद्ध नार्को आतंकवाद संबंधी मामले (2022-23)
ज़ोन
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दर्ज़ मामलों की संख्या
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गिरफ्तार किए गए लोगों की संख्या
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बरामदगी
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कश्मीर
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15
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20
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हेरोइन : 100.8 kg, ब्राउन शुगर : 3.2 kg, AK-47: 19 AK-47 Mag: 34 पिस्टल्स (Pistols) : 11 IEDs: 2
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जम्मू
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11
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29
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हेरोइन: 178.8 kg, AK-47: 4, AK-47, Mag: 6, पिस्टल्स (Pistols) : 11, IEDs: 03
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कुल
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26
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49
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स्रोत: J&K पुलिस[51]
पिछले दो वर्षों में सुरक्षा बलों ने J&K में नार्को आतंकवाद से जुड़े 26 मामले दर्ज़ किए हैं. इसमें से 11 कूपवाड़ा जिले की कश्मीर घाटी के हैं, जबकि 7 मामले राजौरी-पूंछ जिले के हैं. सुरक्षा बलों ने अब तक 15 मामलों में आरोपपत्र पेश कर दिया है, जबकि अन्य मामलों की जांच अभी चल रही है. नार्को आतंकवाद से जुड़े 26 मामलों में से 17 में LeT जुड़ा हुआ है. इसमें से कुछ मामले तो पाकिस्तान, पंजाब तथा J&K से भी परे जाते हैं. एक मामले में तो संदिग्ध तुर्किए, फ्रांस और कनाडा से जुड़े हुए निकले.[52]
ड्रग अब्यूज़ यानी दवा का नशे के लिए उपयोग करना J&K में सुरक्षा एजेंसियों के लिए एक बड़ी चुनौती बनकर उभरा है. सुरक्षा व्यवस्था ने एक तरफ जहां आतंकवाद और इससे जुड़ी हिंसा पर नियंत्रण हासिल कर लिया है. लेकिन वहीं मादक पदार्थों के उपयोग की वजह से सामाजिक समरसता बिगड़ रही है और कश्मीरी युवाओं की जिंदगी ख़तरे में पड़ रही है. इसके साथ ही वहां के समुदाय में भी आपसी मज़बूती का अहसास कमज़ोर हो रहा हैं. एक सरकारी मेडिकल कॉलेज (GMC) के अध्ययन में पाया गया है कि 2022 में J&K में हेरोइन के अत्यधिक उपयोग के मामलों में 2,000 प्रतिशत का इज़ाफ़ा हुआ. इस मामले में J&K ने पंजाब को पीछे छोड़ दिया है.[53],[54] राज्य में नशे के लिए पाकिस्तान की ओर से तस्करी करके पहुंची हेरोइन का ही सबसे ज़्यादा उपयोग किया जाता है. लेकिन अधिकारियों ने पाया है कि अब ब्राउन शुगर, कोकीन और मारीजुआना यानी गांजे/भांग का उपयोग भी होने लगा है. नार्को आतंकवाद से जुड़े विस्तृत नेटवर्क का मुकाबला कर इसको मिलने वाले वित्त पोषण पर रोक लगाने के लिए J&K प्रशासन ने अब ड्रग विक्रेताओं की संपत्ति को ज़ब्त करना शुरू कर दिया है.
नार्को आतंकवाद से निपटने में चुनौतियां
गुप्तचर एवं कानून प्रवर्तन एजेंसियों के लिए मादक पदार्थ तस्करों के सिंडिकेट्स को विनियमित करना और आतंकी वित्त पोषण के ख़िलाफ़ कार्रवाई करना बेहद जटिल काम है. भारत में भ्रष्टाचार, क्षमता के अभाव और कमज़ोर अंतर एजेंसी समन्वय जैसे मुद्दों की वजह से यह काम और भी मुश्किल हो जाता है. भारतीय सरकार सुरक्षा के लिए ख़तरा बन रही इस समस्या से निपटने के लिए अपने प्रयासों को विस्तारित कर रही है अथवा बढ़ा रही है.
गृह युद्ध तथा म्यांमार में अराजकता की स्थिति के कारण अफ़ीम की खेती में बेहद तेजी से विस्तार हुआ. 2023 में अफ़ीम का उत्पादन बढ़कर 1,080 मिट्रिक टन पहुंच गया. यह आंकड़ा 2020 में महज 400 मिट्रिक टन था
सबसे पहले तो NCB अब राष्ट्रीय एवं राज्य एजेंसियों के साथ-साथ भारतीय तटरक्षक दल के साथ भी सहयोग बढ़ाने पर ध्यान दे रही है. NCB को कार्रवाई का अधिकार नारकोटिक ड्रग्स एवं सायकोट्रोपिक सबस्टंसेस एक्ट 1985 के तहत मिला है. यह कानून मादक पदार्थ प्रवर्तन उपायों को लागू करने का केंद्रीय कानून है. [c],[55]
मुंबई पर 2008 में हुए आतंकी हमले के बाद से ही गृह मंत्रालय (MHA) ने एजेंसियों को अंतर तथा आपसी या अंदरुनी समन्वय बढ़ाने का निर्देश दे रखा है, ताकि कोई भी संदेहग्रस्त बात नज़र से छूट न सके और सभी एजेंसियों की ओर से होने वाली कार्रवाई एकसूत्र में बंधी दिखाई दें. उसी वक़्त MHA ने एक मल्टी एजेंसी सेंटर (MAC) भी स्थापित की थी. इसके साथ ही राज्यों की राजधानी में MACs की इकाइयां खोली गई थी.[56] MAC सुरक्षा बलों को आतंकवाद संबंधी ऑपरेशनल इंटेलिजेंस और विश्लेषण साझा करने के लिए एक साथ लाता है. कुछ वर्षों के बाद 2016 में गृह मंत्रालय ने एक नार्को को-ऑर्डिनेशन सेंटर (NCORD) का गठन किया. इसका गठन नशे से जुड़ी समस्या में होने वाले इज़ाफ़े को देखकर किया गया था.[57] NCORD की गतिविधियों की सहायता करने के लिए MHA ने डाटा इंटीग्रेशन एंड नॉलेज मैनेजमेंट के लिए एक पोर्टल भी विकसित किया है. MHA ने जांच को आगे बढ़ाने के लिए एक संयुक्त समन्वय समिति भी स्थापित की है.[58]
NCB और NCORD का उद्देश्य जहां ड्रग ट्रैफ़िकिंग की समस्या से निपटना है, वहीं NIA आतंकवाद विरोधी कार्रवाई करने वाली प्रधान एजेंसी है. यह आतंकवाद को होने वाले वित्त पोषण, विशेषत: J&K में, पर नज़र रखती है. इस एजेंसी के पास एक टेरर फंडिंग एंड फेक करेंसी सेल भी है. यह सेल मुख्यत: जांच पर ध्यान देता है. जनवरी 2018 से नवंबर 2021 के बीच केंद्र सरकार ने आतंकवाद को वित्त पोषण करने संबंधी 64 मामले NIA को हस्तांतरित किए है.[59]
वैश्विक स्तर पर भी भारत अपने विचारों से मेल खाने वाले देशों के साथ समन्वय बढ़ा रहा है. इसके अलावा वह अंतरराष्ट्रीय संगठन जैसे इंटरपोल [d] एवं शंघाई सहयोग संगठन (SCO) [e] के साथ भी सहयोग मजबूत कर रहा है. इन प्रयासों के बावजूद अफ़गानिस्तान-पाकिस्तान और मध्य एशिया क्षेत्र में होने वाला अधिकांश ड्रग कारोबार अनदेखा ही रह जाता है. ऐसे में यह क्षेत्रीय आतंकवादी संगठनों के लिए वित्त पोषण का अहम स्रोत बना हुआ है. इतना ही नहीं पाकिस्तानी डीप स्टेट तथा SCO के बीच बढ़ रही दूरियों की वजह से आतंकी समूहों तथा देश विघातक ताकतों का ड्रग कारोबार में दख़ल बढ़ता ही जा रहा है.
यह सच है कि वर्तमान में केंद्रीय एवं राज्य स्तर की एजेंसियों के बीच नार्को आतंकवाद से निपटने के मसले पर बेहतर समन्वय दिखाई देता है. लेकिन इसे लेकर बहुत से चुनौतियां भी मौजूद हैं. ड्रग ट्रैफ़िकिंग अक्सर दूसरी आपराधिक गतिविधियों के साथ लिप्त होती है. इसमें मानव तस्करी अथवा फ़र्जी नोट की तस्करी करने वाला गिरोह भी शामिल होता है. इतना ही नहीं डार्कनेट जैसे बाज़ारों पर फ़लने-फुलने वाली ड्रग्स की बिक्री भी इस चुनौती को जटिल बनाने का काम करती है.[60] पोरस यानी सुराखदार सीमा और सुरक्षा बलों में व्याप्त भ्रष्टाचार भी इसे मुश्किल बनाकर ड्रग ट्रैफ़िकिंग संबंधी गतिविधियों को बढ़ावा देने का काम करती है. MHA के डाटा के अनुसार 2014 से 2018 के बीच पंजाब में राज्य पुलिस, जेल तथा होम गार्ड विभाग, BSF, रेलवे सुरक्षा बल और चंडीगढ़ पुलिस के 68 कर्मचारियों को ड्रग तस्करी में शामिल होने की वजह से गिरफ्तार किया गया था.[61] इसी प्रकार सर्विलांस बढ़ाने के बावजूद, भूसीमा और तटीय सीमा पर प्रभावी सुरक्षा उपाय करना निरंतर चुनौती बना हुआ है.
अंतराराष्ट्रीय सीमा के बराबर तथा लाइन ऑफ़ कंट्रोल (LoC) पर ड्रग्स तथा हथियारों की तस्करी में पाकिस्तानी सेना का सक्रिय योगदान होता है. इस काम में पाकिस्तान की अन्य सरकारी एजेंसियां भी सहयोग करती हैं. 2023 में पाकिस्तानी मीडिया की एक रिपोर्ट में इस बात का उल्लेख मिलता है कि लाहौर का एक डेप्युटी सुपरिटेंडेंट ऑफ़ पुलिस यानी पुलिस उपमहानिरीक्षक भारत को भेजे जाने वाले ड्रग्स की तस्करी में लिप्त था.
ऑपरेशनल स्तरीय अंतर-एजेंसी समन्वय अब भी अनौपचारिक और मनमाना है. यह स्थिति इसके बावजूद है कि MHA इसे संस्थागत करने का प्रयास कर रहा है. राज्य कानून प्रवर्तन एजेंसियों के कुछ प्रतिनिधियों का मानना है कि केंद्रीय एजेंसियों के अत्यधिक अधिकार की वजह से भी केंद्र-राज्य के बीच प्रभावी समन्वय प्रभावित होता है.[62]
भारत में मादक पदार्थों के सेवन में हो रही वृद्धि भी चिंता का एक विषय है. 2019 में सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय की ओर से 2019 में करवाए गए एक सर्वे में अनुमान लगाया गया है कि भारत की जनसंख्या में से लगभग 1.2 प्रतिशत (लगभग 1.3 करोड़) लोग गांजे से जुड़े अवैध उत्पादों का उपयोग करते हैं, जबकि 2.1 प्रतिशत (लगभग 2.26 करोड़) लोगों ने अफ़ीम से बनने वाली किसी नशीली चीज का उपयोग किया है.[63] निश्चित ही मादक पदार्थों की मांग बनी हुई है. यह मांग ही ड्रग कारोबार को हवा देकर आतंकी संगठनों के लिए आय के स्रोत के रूप में काम आती है. इसके अलावा कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि दोष सिद्धि की दर कम होने से और NDPS कानून के तहत सजा देने में प्रक्रियात्मक देरी की वजह से भी लोगों में कानूनी प्रक्रियाओं को लेकर भय पैदा नहीं होता है और वे कानून का उल्लंघन करने से नहीं डरते हैं.[64] उदाहरण के लिए 2021 में औसत राष्ट्रीय दोष सिद्धि दर सभी राज्यों में 77.9 प्रतिशत थी, जबकि केंद्र शासित प्रदेशों (UTs) में 59.2 थी.[65] कुछ राज्यों और UTs के लिए यह दर तो बहुत ही ख़राब थी. उदाहरण के लिए J&K में 41.3 प्रतिशत की ही दोषसिद्धि दर रही. इससे यह बात भी साफ़ हो जाती है कि कैसे पर्याप्त कर्मियों का अभाव और राज्य पुलिस बलों में प्रशिक्षण की कमी के कारण नार्को आतंकवाद के ख़िलाफ़ होने वाली कोशिशों को झटका लगता है.
2014 से भारत ने समन्वय की पहल करते हुए मादक पदार्थ संबंधी मामलों और सुरक्षा ऑपरेशंस को लेकर अपने विचारों के साथ मेल खाने वाले देशों के साथ 44 द्विपक्षीय समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए हैं. इन द्विपक्षीय समझौतों में विभिन्न देशों के मादक पदार्थ संपर्क अधिकारियों जैसे US की ड्रग एनफोर्समेंट एजेंसी, यूनाइटेड किंगडम की नेशनल क्राइम एजेंसी, कनाडा की रॉयल कनेडियन माउंटेड पुलिस ऑफ़ कनाडा, ऑस्ट्रेलिया की ऑस्ट्रेलियन फेडरल पुलिस तथा फ्रांस की द फ्रेंच मॉनिटरिंग सेंटर फॉर ड्रग्स एंड ड्रग्स एडिक्शन के साथ रियल टाइम समन्वय साधा जाता है. भारत ने इसके अलावा अपने पड़ोसी देशों श्रीलंका, म्यांमार, ईरान, बांग्लादेश, इंडोनेशिया, सिंगापुर और अफ़गानिस्तान के साथ भी बातचीत शुरू की है ताकि एक सही नीति तैयार की जा सके और इससे सम्बंधित सारी जानकारी आपस में साझा की जा सकें.
निष्कर्ष
नार्को आतंकवाद से निपटने के लिए भारत ने सक्रिय कदम उठाए हैं, लेकिन इसे लेकर आगे की लड़ाई लंबी और मुश्किल है. आतंकवादी संगठन फंडिग के लिए ड्रग ट्रैफ़िकिंग पर आश्रित हैं. ऐसे में उनके वित्तीय नेटवर्क में ख़लल डालना बेहद आवश्यक है. इसी प्रकार ड्रग कार्टेल्स दशकों से बने हुए हैं. यह इस बात का संकेत है कि वे कानून प्रवर्तन एजेंसियों की ओर से अपनाए जाने वाले तरीकों के साथ ख़ुद को ढाल लेते हैं. ऐसे में ख़तरों को कम करने का दृष्टिकोण इसे लेकर भारत की जवाबी कार्रवाई हो सकती है.
इस मामले में कुछ अतिरिक्त उपाय किए जाने चाहिए. यह उपाय कमज़ोरियों की पहचान करते हुए ऐसी कमियों का पता लगाने की दिशा में होने चाहिए जिसका फ़ायदा आतंकवादी संगठन और मादक पदार्थों के तस्कर उठाते आए हैं. कानून प्रवर्तन अधिकारियों तथा विधि विशेषज्ञों की ओर से सुझाया गया एक उपाय कानूनी व्यवस्था/तंत्र को मजबूत बनाना है. इसमें नार्को आतंकवाद से निपटने के लिए एक विशेष कानून का भी समावेश हो सकता है. इस प्रस्तावित कानून में जांच एजेंसियों को अधिकार दिए जाएं. इसके अलावा मामला चलाने की प्रक्रिया को फास्ट ट्रैक (विशेषज्ञ विधि टीमों द्वारा) किया जाए और आतंकी गतिविधियों के लिए जो सजा दी जाती है उसी तरह की सजा का प्रावधान इसमें भी किया जाना चाहिए. इस प्रस्तावित कानून में ड्रग विक्रेताओं को फ़ायदा पहुंचाने वाली इंडरमीडिएट क्वांटिटी (मध्यवर्ती मात्रा) और कर्मशियल क्वांटिटी (व्यावसायिक मात्रा) के बीच का फ़र्क ख़त्म कर दिया जाना चाहिए.
आतंकी संगठनों और ड्रग विक्रेताओं के बदले हुए दांव-पेंचों ने नार्को आतंकवाद से जुड़ी चुनौतियों को और भी मुश्किल बना दिया है. भारत ने इससे निपटने की दिशा में कदम उठाए हैं, जिसमें सीमा पर सुरक्षा को बढ़ाने, कानून प्रवर्तन एजेंसियों को अधिक शक्तिशाली बनाने, अंतरराष्ट्रीय सहयोग को पुख़्ता करने का समावेश है.
कुछ अन्य लोगों ने NDPS कानून में संशोधन का सुझाव दिया है. उनका तर्क है कि इस कानून के तहत प्रतिबंधक हिरासत का प्रावधान अपर्याप्त है. उन्होंने इसकी ऊपरी सीमा, जो वर्तमान में विशेष परिस्थितियों में एक वर्ष है, को बढ़ाकर दो वर्ष करने की सिफ़ारिश की है. इतना ही नहीं नार्को आतंकवाद से जुड़े मामलों को तत्काल निपटाने के लिए सरकारी वकीलों के साथ कर्मचारी युक्त विशेष अदालतों का गठन भी किया जाना चाहिए. NDPS कानून में दर्ज़ मामलों का निपटारा करने के लिए समय सीमा का स्पष्ट उल्लेख होना चाहिए. विशेषज्ञों ने कैन्नबिस अर्थात भांग/गांजे जैसे पारंपारिक नशीले द्रव्यों के आनंदप्रद उपयोग को डीक्रीमिनलाइजिंग यानी गैर-आपराधिक करने का सुझाव भी दिया है.
एक और पहलू जिस पर विचार किया जाना चाहिए वह NIA की जांच से जुड़ा है. यह एजेंसी वर्तमान में 1962 के एटॉमिक एनर्जी एक्ट और 1982 के एंटी-हाइजैकिंग एक्ट के तहत अनुसूचित आठ कृत्यों की जांच करती है. NDPS कानून को भी NIA की ओर से जांच किए जाने वाले अनुसूचित अपराधों की सूची में शामिल किया जाना चाहिए, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सकें कि यह एजेंसी नार्को आतंकवाद संबंधी मामलों की भी जांच कर सकें.
मादक पदार्थ प्रवर्तन जांच और अभियोजन में फॉरेंसिक्स भी एक अहम भूमिका अदा करता है. फॉरेंसिक सबूत एक मज़बूत कानूनी मामला बनाने में सहायक साबित होता है. NCB ने अपनी फॉरेंसिक क्षमताओं का विस्तार करने की कोशिशें की है, लेकिन अब सिंथेटिक ड्रग्स के उभार की वजह से अतिरिक्त क्षमता विकास ज़रूरी हो गया है. यह अतिरिक्त क्षमता मादक पदार्थ की पहचान करने की तकनीक, प्रयोगशाला सुविधाओं और प्रशिक्षण के रूप में उपलब्ध करवाई जा सकती है. एक और क्षेत्र है, जहां क्षमता को बढ़ाना आवश्यक है. यह क्षेत्र है संदिग्ध लेन-देन का. आतंकवादी समूहों के बीच धन-शोधन को रोकने के लिए संदिग्ध लेन-देन पर नज़र रखना बेहद आवश्यक है. आतंकी गतिविधियों के वित्त पोषण से निपटने के लिए एजेंसियों को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और ब्लॉकचेक जैसी अत्याधुनिक तकनीकों को परखने का अवसर भी दिया जाना चाहिए.
ख़ुफ़िया जानकारी साझा करने और संयुक्त अभियान चलाने के माध्यम से होने वाला अंतरराष्ट्रीय सहयोग भी मादक पदार्थों की आपूर्ति श्रृंखला को बाधित करने में अहम भूमिका अदा करता है. इंटरपोल के माध्यम से भारत ने पहले ही यह प्रस्ताव दे रखा है कि रियल-टाइम जानकारी साझा करने की व्यवस्था होनी चाहिए. चूंकि ट्रांसनेशनल क्रिमिनालिटी यानी अंतरराष्ट्रीय आपराधिता एक साझा ज़िम्मेदारी है[66] अत: मादक पदार्थ और कानून प्रवर्तन एजेंसियों के बीच समन्वय होना चाहिए. यह समन्वय पड़ोसी देशों के बीच संयुक्त अभियान के रूप में होना चाहिए. इस समन्वय के कारण अंतरराष्ट्रीय मादक पदार्थों की डिलीवरी को प्रतिबंधित किया जा सकता है. सीमा पर तत्काल होने वाली जवाबी कार्रवाई आपूर्ति को बाधित करने में अहम साबित होता है.
और अंत में पाकिस्तानी सरकारी एजेंसियां नार्को आतंकवाद में सीधे लिप्त पाई गई हैं. ऐसे में भारत को कूटनीतिक स्तर पर इस मामले को उठाना चाहिए. नई दिल्ली को FATF एवं अन्य वैश्विक मंचों जैसे संयुक्त राष्ट्र पर पर्याप्त दस्तावेज़ों को उपलब्ध करवाना चाहिए. इसका उद्देश्य इस्लामाबाद पर दबाव डालना होना चाहिए.
आतंकी संगठनों और ड्रग विक्रेताओं के बदले हुए दांव-पेंचों ने नार्को आतंकवाद से जुड़ी चुनौतियों को और भी मुश्किल बना दिया है. भारत ने इससे निपटने की दिशा में कदम उठाए हैं, जिसमें सीमा पर सुरक्षा को बढ़ाने, कानून प्रवर्तन एजेंसियों को अधिक शक्तिशाली बनाने, अंतरराष्ट्रीय सहयोग को पुख़्ता करने का समावेश है. लेकिन ड्रग कारोबार की उभरती प्रकृति के कारण इसे लेकर निरंतर सतर्कता बरतने और अधिक लक्षित रणनीति बनाना समय की आवश्यकता है.
नार्को आतंकवाद से प्रभावी रूप से निपटने के लिए नई दिल्ली को एक ख़तरों को कम करने वाला विस्तृत दृष्टिकोण अपनाना चाहिए. इसमें एक नया कानून बनाकर केंद्रीय जांच एजेंसी को अधिक अधिकार दिए जाने चाहिए. इस दृष्टिकोण में सीमा पर कड़े नियंत्रण के साथ ड्रग कार्टेल्स यानी टोलियों के वित्त पोषण में व्यावधान डालना बेहद अहम है. इसके लिए संयुक्त अंतरराष्ट्रीय ऑपरेशंस बेहद आवश्यक हैं. मादक पदार्थों के आवागमन और आतंकी गतिविधियों को रोकने के लिए क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नज़दीकी सहयोग की कोशिश होनी चाहिए. ऐसा होने पर ही भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा को सुनिश्चित कर उसके नागरिकों को एक बेहतर और सुरक्षित भविष्य मुहैया करवाया जा सकेगा.
End notes
[a] Opium is the key ingredient in heroin.
[b] For instance, in their study on the expanding concept of terrorism, Weinberg et al. argued that the frequent usage of the term dilutes the intrinsic meaning of terrorism as “it rarely involves any reference to violence or threat of violence.” See: Weinberg et al., “The Challenges of Conceptualizing Terrorism”, Terrorism and Political Violence, 16 (4), (2004). https://doi.org/10.1080/095465590899768
[c] The Act prohibits the cultivation, production, sale, purchase, trade, import, export, use, and consumption of psychotropics and narcotics, except for scientific and medical purposes.
[d] Interpol comprises 195 countries and is an effective platform for controlling crime worldwide. In 2022, during Interpol’s 90th General Assembly, the government urged member states to create a system of real-time information on the nexus of narcotics and terrorism to increase coordination among anti-narcotics law enforcement agencies. See: https://www.ndtv.com/india-news/india-urged-interpol-to-create-system-for-narco-terrorism-nexus-amit-shah-3627044
[e] The SCO, since its inception, has pushed its member states to work together to stop drug smuggling and terrorism through its Regional Anti-Terrorist Structure. In 2018, it hosted the meeting of the Paris Pact Initiative to deepen international cooperation against drug trafficking and narcoterrorism. See: https://news.cgtn.com/news/3d3d514d3059544e30457a6333566d54/share_p.html
[1] Howard Campbell and Tobin Hansen, “Is Narco-Violence in Mexico Terrorism?,” Journal of the Society for Latin American Studies 33, (2013), https://doi.org/10.1111/blar.12145
[2] Peter Chalk, “Southeast Asia and the Golden Triangle’s Heroin Trade: Threat and Response,” Studies in Conflict & Terrorism, 23, (2010), https://doi.org/10.1080/105761000265548
[3] Cindy C. Combs & Martin Slann, Encyclopaedia of Terrorism, Revised Edition (Infobase Publishing,2007).
[4] Jonas Hartelius, “Narcoterrorism,” EastWest Institute & Swedish Carnegie Institute, 03(2008), https://www.files.ethz.ch/isn/90550/2008-02-20_Narcoterrorism.pdf
[5] Guillermo Trejo and Sandra Ley, “High-Profile Criminal Violence: Why Drug Cartels Murder Government Officials and Party Candidates in Mexico,” British Journal of Political Science, (2019), https://www.cambridge.org/core/journals/british-journal-of-political-science/article/abs/highprofile-criminal-violence-why-drug-cartels-murder-government-officials-and-party-candidates-in-mexico/6312D6970FEFC00ABD38940BB6F7FEDA
[6] Tom Keatinge, “The Role Of Finance In Defeating Al-Shabaab,” Royal United Services Institute, December 2014, https://static.rusi.org/201412_whr_2-14_keatinge_web_0.pdf
[7] United Nations Security Council, “Letter dated 18 July 2011 from the Chairman of the Security Council Committee pursuant to resolutions 751 (1992) and 1907 (2009) concerning Somalia and Eritrea addressed to the President of the Security Council,” July 18, 2011, https://programs.fas.org/ssp/asmp/issueareas/manpads/S2011433.pdf
[8] Antonin Tisseron, “Is It About the Money? Insights About Terrorism and Terror-Financing in West-Africa,” Thomas More Institute, October 2019, https://institut-thomas-more.org/2019/10/02/is-it-about-the-money-insights-about-terrorism-and-terror-financing-in-west-africa/
[9] Zachary Abuza, “Funding Terrorism in Southeast Asia: The Financial Network of Al Qaeda and Jemaah Islamiya,” Contemporary Southeast Asia25, August 2003, https://www.jstor.org/stable/25798639 .
[10] Mustafa Cosar Unal, “Deciphering the crime-terror Nexus: an empirical analysis of the structural characteristics of terrorists in Narco-terror networks,” Crime, Law and Social Change 73, August 24, 2019, https://link.springer.com/article/10.1007/s10611-019-09858-1
[11] Gretchen Peters, Seeds of Terror: The Taliban, The ISI and The New Opium Wars (Gurgaon: Hachette India, 2009), pp 15.
[12] Emma Bjornehed, “Narco-Terrorism: The Merger of the War on Drugs and the War on Terror,” Global Crime 6, August 19, 2016. https://www.tandfonline.com/doi/abs/10.1080/17440570500273440
[13] Sumir Karmakar, “Team to check trafficking through India-Myanmar border,” Deccan Herald, June 27, 2019, https://www.deccanherald.com/india/team-to-check-trafficking-through-india-myanmar-borders-743264.html.
[14] Pushpita Das, “Security Challenges and the Management of the India–Myanmar Border”, Strategic Analysis42, no. 6, , (2019), https://doi.org/10.1080/09700161.2018.1557932
[15] Ningthoujam Koiremba Singh and William Nunes, “Drug Trafficking and Narco-Terrorism as Security Threats: A Study of India’s North-East,” India Quarterly69,(2013), 65-82, https://doi.org/10.1177/0974928412472106
[16] Nicholas Yong, “Myanmar overtakes Afghanistan as top opium producer,” BBC , December 12, 2023, https://www.bbc.com/news/world-asia-67688413
[17] Sukrita Baruah, “Why Myanmar is now seeing its worst fighting in more than two years,” Indian Express, November 18, 2023, https://indianexpress.com/article/explained/the-new-flare-up-in-myanmar-9031588/ .
[18] Yong, “Myanmar overtakes Afghanistan as top opium producer,”
[19] United Nations Office on Drugs and Crime, “Opium poppy cultivation estimates increase in Myanmar in 2022 against backdrop of more sophisticated production: UNODC Report,” January 26, 2023, https://www.unodc.org/unodc/frontpage/2023/January/opium-poppy-cultivation-estimates-increase-in-myanmar-in-2022-against-backdrop-of-more-sophisticated-production_-unodc-report.html.
[20] The land dedicated to opium farming was projected to be 47,100 hectares. See UNODC Report 2023.
[21] Rahul Karmakar, “Drug smugglers find new route via Mizoram, evade clashes- hit Manipur,” The Hindu, November 11, 2023, https://www.thehindu.com/news/national/dawn-of-new-drug-route-from-myanmar-to-india/article67524671.ece
[22] Dhiren A. Sadokpam, “Looking at Manipur’s Ethnic Violence From the Perspective of Drug Trade and National Security,” The Wire, May 30, 2023, https://thewire.in/security/manipur-violence-poppy-national-security-golden-triangle
[23] Craig Whitlock, “Overwhelmed by opium,” Washington Post, December 9, 2019, https://www.washingtonpost.com/graphics/2019/investigations/afghanistan-papers/afghanistan-war-opium-poppy-production/
[24] United Nations, “Afghanistan: Opium cultivation up nearly a third, warns UNODC”, November 1, 2021, https://news.un.org/en/story/2022/11/1130057#:~:text=Afghan%20opiates%20supply%20some%2080,opiate%20users%20in%20the%20world
[25] Frud Bezhan, “Taliban’s Expanding ‘Financial Power’ Could Make It ‘Impervious’ to Pressure, Confidential NATO Report Warns,” Radio Free Europe Radio Liberty , 16 September 2020, https://www.rferl.org/a/exclusive-taliban-s-expanding-financial-power-could-make-it-impervious-to-pressure-secret-nato-report-warns/30842570.html
[26] United Nations Office on Drugs and Crime, “Opium Cultivation in Afghanistan,” November 2022, https://www.unodc.org/documents/crop-monitoring/Afghanistan/Opium_cultivation_Afghanistan_2022.pdf .
[27] United Nations Office on Drugs and Crime, “Understanding Illegal Methamphetamine Manufacture in Afghanistan,” August 2023, https://www.unodc.org/documents/data-and-analysis/briefs/Methamphetamine_Manufacture_in_Afghanistan.pdf
[28] United Nations Security Council, “Letter dated 23 May 2023 from the Chair of the Security Council Committee established pursuant to resolution 1988 (2011) addressed to the President of the Security Council,” June 1, 2023, https://www.longwarjournal.org/wp-content/uploads/2023/06/UN-Sanctions-Monitoring-report-Afghanistan-14th.pdf
[29] International Narcotics Control Board, “Report of the International Narcotics Control Board for 2023,” UNITED NATIONS, Vienna, 2024 https://www.incb.org/documents/Publications/AnnualReports/AR2023/Annual_Report/E_INCB_2023_1_eng.pdf
[30] See International Narcotics Control Board, “Report of the International Narcotics Control Board for 2023”
[31] “Most Of The Drugs Are Shipped In Pakistan, Says Home Minister Amit Shah,” Outlook, March 24, 2023, https://www.outlookindia.com/national/most-of-the-drugs-are-shipped-in-pakistan-says-home-minister-amit-shah-news-272825
[32] Abhishek Law, “ 2,826 kg of drugs seized at ports, in coastal waters this year,” The Hindu Business Line, December 6, 2023, https://www.thehindubusinessline.com/news/2826-kg-of-drugs-seized-at-ports-coastal-waters-in-2023/article67608431.ece
[33] Prawesh Lama, “3500 kg drugs seized in Indian waters off Gujarat coast”, Hindustan Times, February 28, 2024, https://www.hindustantimes.com/india-news/3500-kg-drugs-seized-in-indian-waters-off-gujarat-coast-101709091892486.html
[34] Narcotics Control Bureau, Ministry of Home Affairs, Government of India, “Annual Report 2021”, https://narcoordindia.gov.in/Periodicals/1661948610-1548-DOC-annual%20report%202021.pdf
[35] Suleiman Al-Khalidi, “Jordan downs two drones carrying drugs from Syria-army,” Reuters, September 27, 2023, https://www.reuters.com/world/middle-east/jordan-downs-two-drones-carrying-drugs-syria-army-statement-2023-09-26/
[36] Tim Wright, “How Many Drones Are Smuggling Drugs Across the U.S. Southern Border ?,” Smithsonian Magazine, June 2020, https://www.smithsonianmag.com/air-space-magazine/narcodrones-180974934/ .
[37] Bharti Jain, “In 2023, 5-fold rise in drones seized along Pakistan border,” Times of India, January 8, 2024, https://timesofindia.indiatimes.com/india/in-2023-5-fold-rise-in-drones-seized-along-pakistan-border/articleshow/106619141.cms
[38] Leo Sands, “Drug Smuggling: Underwater drones seized by Spanish police,” BBC, July 4, 2022, https://www.bbc.com/news/world-europe-62040790;
[39] Jeanne Meserve, “ Cocaine smugglers turn to submarine, fed says,” CNN, September 19, 2008, https://edition.cnn.com/2008/CRIME/09/19/drug.subs/index.html ; “Colombian Navy Catches Narco Submarine Carrying 4 Tons Cocaine,” Naval News, February 8, 2022, https://www.navalnews.com/naval-news/2022/02/colombian-navy-catches-narco-submarine-carrying-4-tons-of-cocaine/
[40] N. S. Jamwal, “Terrorist Financing and Support Structure in Jammu and Kashmir,” Strategic Analysis 26, ,(2008), https://doi.org/10.1080/09700160208450030
[41] Ayjaz Wani, “India At SCO | Members states need to resolve disagreements to build trust”, Money Control, May 27, 2022, https://www.moneycontrol.com/news/opinion/india-at-sco-members-states-need-to-resolve-disagreements-to-build-trust-8592161.html
[42] “ There and back again: A timeline of Pakistan’s journey out of the FATF ‘grey list’,” Dawn, October 21, 2022, https://www.dawn.com/news/1694958
[43] Asif Chaudhry, “Cop found involved in cross-border smuggling via drones”, Dawn, August 30, 2023, https://www.dawn.com/news/1773003
[44] “MHA hands 532-kg heroin haul case in Kashmir,” Indian Express, July 25, 2019, https://indianexpress.com/article/india/mha-hands-532-kg-heroin-haul-case-to-nia-5849756/ .
[45] “Citing ‘Misuse’, India Suspends Cross-LoC Trade,” The Wire, April 18, 2019, https://thewire.in/government/india-suspends-cross-loc-trade
[46] “MHA hands 532-kg heroin haul case in Kashmir”
[47] “ Drug menace a bigger challenge than terrorism in Jammu and Kashmir: DGP SP Vaid,” Economic Times, July 13, 2018, https://economictimes.indiatimes.com/news/defence/drug-menace-a-bigger-challenge-than-terrorism-in-jammu-and-kashmir-dgp-sp-vaid/articleshow/61672910.cms
[48] Bharti Jain and M Saleem Pandit, “Cops detain 430 overground workers after Jammu and Kashmir killings,” Times of India, October 11, 2021, Jammu Kashmir Terror Attack: Cops detain 430 overground workers after Jammu and Kashmir killings | India News - Times of India (indiatimes.com)
[49] Ayjaz Wani and Sameer Patil, “Changing dynamics of counterterrorism in Kashmir,” Observer Research Foundation, October 17, 2023, https://www.orfonline.org/expert-speak/changing-dynamics-of-counterterrorism-in-kashmir
[50] Hakeem Irfan Rashid, “Narco-terror modules busted in Rajouri-Poonch, 44 kg of heroin seized,” Economic Times, June 15, 2023, https://economictimes.indiatimes.com/news/defence/narco-terror-modules-busted-in-rajouri-poonch-44-kg-of-heroine-seized/articleshow/101001032.cms?from=mdr
[51] Data provided to the authors by J&K police.
[52] Shuchismita, “Will approach NCB, Interpol to legally hit masterminds: DGP on JKP’s fight against narco-terrorism,” Greater Kashmir, January 1, 2024, https://www.greaterkashmir.com/front-page-2/jkps-fight-against-narco-terrorism/
[53] Anvit Srivastava, ”Kashmir Sees 2,000% Spike in Heroin Abuse Cases in 5 Years as Pak Injects Narco-Terror Poison,” News18, July 12, 2022, https://www.news18.com/news/india/exclusive-kashmir-sees-2000-spike-in-heroin-abuse-cases-in-5-years-as-pak-injects-narco-terror-poison-5539957.html
[54] Zulfikar Majid, “Kashmir becoming drug hub of India,” Deccan Herald , December 19, 2022, https://www.deccanherald.com/india/kashmir-becoming-drug-hub-of-india-1173112.html
[55] Narcotics Control Bureau, Ministry of Home Affairs, Government of India, “Drug Trafficking scenario in India”, Annual Report 2016, https://narcoordindia.gov.in/Periodicals/1656248008-7881-DOC-2016.pdf
[56] Sameer Patil, “Counter-terrorism and federalism”, Gateway House, August 14, 2014, https://www.gatewayhouse.in/counter-terrorism-and-federalism/
[57] Ministry of Home Affairs, Government Of India, “National Narcotics Coordination Portal (NCORD)”, https://narcoordindia.gov.in/index-english.php
[58] Ministry of Home Affairs, “Zero Tolerance Policy Against Narcotics”, PIB Delhi, August 8, 2023, https://pib.gov.in/PressReleaseIframePage.aspx?PRID=1946689
[59] Ministry of Home Affairs, Government Of India, “Funding for Terrorism”, LOK SABHA UNSTARRED QUESTION NO. 1523, 2021, https://sansad.in/getFile/loksabhaquestions/annex/177/AU1523.pdf?source=pqals
[60] “Talk by Shri Rakesh Asthana on Narco-Terrorism and Drug Trafficking,” Manohar Parrikar Institute for Defence Studies and Analyses, February 10, 2023, https://www.idsa.in/event/Talk-by-Shri-Rakesh-Asthana-on-Narco-Terrorism-and-Drug-Trafficking
[61] Sukhdeep Kaur, “53 Punjab cops arrested in drug cases since 2014”, Hindustan Times, June 13, 2018, https://www.hindustantimes.com/punjab/53-punjab-cops-arrested-in-drug-cases-since-2014/story-LE2f2pwvAmsFStjrCEV0tO.html
[62] These interactions took place in Jammu and Kashmir and Punjab between April and May 2024, on the basis of the Chatham House Rule.
[63] Ministry of Social Justice and Empowerment, Government of India, “Magnitude of Substance Use in India 2019”, National Drug Dependence Treatment Centre (NDDTC), All India Institute of Medical Sciences (AIIMS), New Delhi, 2019, https://socialjustice.gov.in/writereaddata/UploadFile/Survey%20Report.pdf
[64] R. K. Arora, Vinay Kaura, “War on drugs: Challenges for the Punjab government”, Observer Research Foundation, May 9, 2017, https://www.orfonline.org/research/war-drugs-challenges-punjab-government
[65] Ministry of Home Affairs, “Rajya Sabha Unstarred Question no. 839,” December 14, 2022,
https://www.mha.gov.in/MHA1/Par2017/pdfs/par2022-pdfs/RS-14122022/839.pdf
[66] UNODC Regional Office for Southeast Asia and the Pacific, “Policing one of the world’s ‘biggest drug trafficking corridors’”, United Nations, June 29, 2023, https://www.unodc.org/roseap/en/2023/06/biggest-drug-trafficking-corridors/story.html
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