रिपब्लिकन पार्टी कन्वेंशन में पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को औपचारिक रूप से राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार घोषित कर दिया गया. इसके साथ ही उपराष्ट्रपति पद के लिए जेडी वेंस के नाम पर भी मुहर लगा दी गई. यूं तो इस एलान से पहले ही चुनाव में ट्रंप का पलड़ा भारी लग रहा था, लेकिन बीते दिनों उन पर हुए जानलेवा हमले के बाद उनकी जीत की संभावनाएं नाटकीय रूप से बढ़ गई हैं. इस हमले के बाद ट्रंप के तेवर भी बदले हुए नजर आए. रिपब्लिकन कन्वेंशन में वह अपनी चिरपरिचित आक्रामक शैली के विपरीत कुछ विनम्र दिखे, जो यह दर्शाने का संकेत था कि वह समावेशी नीतियों संग सभी को साथ लेकर चलने वाले राष्ट्रपति बनने का प्रयास करेंगे. इस दांव से वह फ्लोटिंग या मध्यमार्गी मतदाताओं को भी साधते दिखे. रुख में इस बदलाव के बावजूद ट्रंप ने चीन से लेकर आव्रजन और इस्लामिक आतंकवाद के मुद्दों पर अपना पारंपरिक कड़ा रुख भी दिखाया कि अहम नीतिगत मुद्दों पर उनका रवैया बदलने वाला नहीं.
मजबूत होते ट्रम्प
जहां ट्रंप निंरतर मजबूत हो रहे हैं, वहीं डेमोक्रेटिक पार्टी के उनके प्रतिद्वंद्वी एवं मौजूदा राष्ट्रपति जो बाइडन की स्थिति लगातार कमजोर होती जा रही है. उन पर अपनी उम्मीदवारी वापस लेने का दबाव बढ़ रहा है और अमेरिकी मीडिया में ऐसी खबरें भी आ रही हैं कि शायद बाइडन अपनी दावेदारी वापस ले लें. फिलहाल उनकी दावेदारी वापस लेने का प्रश्न तो भविष्य के गर्भ में है, लेकिन मौजूदा हालात में उनकी हालत जरूर पतली है. यहां तक कि डेमोक्रेट्स के आंतरिक सर्वे में भी बाइडन 14 प्रमुख राज्यों में ट्रंप से पिछड़ रहे हैं. पिछले चुनाव में इनमें से पांच राज्यों-एरिजोना, जॉर्जिया, मिशिगन, पेंसिलवेनिया और विसकांसिन में बाइडन ने जीत हासिल की थी. डिबेट में लचर प्रदर्शन के बाद कोलोराडो, मिनिसोटा, न्यू मेक्सिको और न्यू हैंपशायर में भी उनकी स्थिति कमजोर पड़ी है.
यह स्पष्ट दिखा कि बाइडन किसी भी तरह ट्रंप को चुनौती देने में सक्षम नहीं. यही कारण है कि पार्टी के भीतर बाइडन पर अपनी दावेदारी वापस लेने की आवाजें उठ रही हैं.
आकार लेता राजनीतिक परिदृश्य
अमेरिका में जो राजनीतिक परिदृश्य आकार ले रहा है, उसे लेकर डेमोक्रेटिक पार्टी बुरी तरह विभाजित नजर आ रही है. यह स्पष्ट दिखा कि बाइडन किसी भी तरह ट्रंप को चुनौती देने में सक्षम नहीं. यही कारण है कि पार्टी के भीतर बाइडन पर अपनी दावेदारी वापस लेने की आवाजें उठ रही हैं. कैलिफोर्निया में पार्टी के वरिष्ठ नेता एडम शिफ ने तो खुलेआम कहा कि राष्ट्रपति के रूप में ट्रंप का दूसरा कार्यकाल हमारे लोकतंत्र की जड़ों को हिलाकर रख देगा और मुझे इसकी चिंता सता रही है कि क्या राष्ट्रपति बाइडन नवंबर में होने वाले चुनाव में ट्रंप को हरा सकते हैं? हाल तक बाइडन यही संकेत देते आए हैं कि वह मुकाबले में बने रहेंगे, लेकिन इस शीर्ष पद के लिए वह अपनी ही पार्टी के लोगों को आश्वस्त करने में असमर्थ नजर आ रहे हैं. इसलिए आने वाले दिनों में अगर उन पर उम्मीदवारी वापस लेने का दबाव बढ़ता है तो इस पर कोई हैरानी नहीं होनी चाहिए.
डेमोक्रेट खेमे में कई अपने भी बाइडन से मुंह मोड़ रहे हैं, वहीं ट्रंप की पार्टी में कभी विरोधी रहे नेता भी उनके पीछे एकजुट हो गए. कुछ समय पहले तक रिपब्लिकन प्राइमरी में ट्रंप की दावेदारी के विरोधी निक्की हेली, रोन डीसैंटिस और मार्को रुबियो जैसे नेता अब एकस्वर में उनका समर्थन कर रहे हैं. गोलीबारी के बाद कान पर बंधी पट्टी के साथ अपनी लड़ाई को पुरजोर तरीके से जारी रखने का एलान करने वाली ट्रंप की तस्वीर को हाल के दौर के एक बेहद ताकतवर प्रतीक के रूप में देखा जा रहा है. इस तस्वीर ने कैपिटल हिल पर हिंसा के आरोपों का सामना करने वाले नेता के पक्ष में जबरदस्त माहौल बनाने का काम किया.
राजनीतिक ध्रुवीकरण
दुविधाएं रिपब्लिकन खेमे में भी कुछ कम नहीं दिखतीं. अपने मुखर विरोधी रहे जेडी वेंस को ट्रंप ने उपराष्ट्रपति के लिए उम्मीदवार बनाया है. 2016 में वेंस ने यहां तक कहा था कि ट्रंप ‘अमेरिका के हिटलर’ साबित हो सकते हैं. उनकी पत्नी भारतीय मूल की हैं तो इस नाते वह धुर दक्षिणपंथी टिप्पणीकारों के भी निशाने पर रहे हैं. ‘मेक अमेरिका ग्रेट अगेन’ जैसा अभियान चलाने वाली पार्टी के लिए वेंस के परिवार की बहुसांस्कृतिक जड़ें आव्रजन विरोधी एजेंडे में फिट नहीं बैठतीं. यह न भूलें कि अमेरिका में राजनीतिक ध्रुवीकरण तेजी से बढ़ रहा है, जिसकी तपिश दोनों प्रमुख दलों को झेलनी पड़ रही है. एक-दूसरे को दुश्मन की तरह देखने का सिलसिला उस स्तर तक पहुंच गया है कि ट्रंप पर जानलेवा हमले के बाद भी मेल-मिलाप के कोई प्रयास नहीं किए गए. रिपब्लिकन कन्वेंशन में भले ही एकता के भाव पर जोर दिया गया हो, लेकिन वास्तविकता यही है कि पार्टी में ट्रंप से इतर रवैया रखने वालों के लिए कोई जगह नहीं. ट्रंप के नजरिये का विरोध करना एक तरह से पार्टी को चुनौती देने जैसा बना दिया गया है. पूर्व राष्ट्रपति ने इस मामले में खुद को फिलहाल पार्टी संगठन से ऊपर स्थापित कर दिया है.
अमेरिका में राजनीतिक ध्रुवीकरण तेजी से बढ़ रहा है, जिसकी तपिश दोनों प्रमुख दलों को झेलनी पड़ रही है. एक-दूसरे को दुश्मन की तरह देखने का सिलसिला उस स्तर तक पहुंच गया है कि ट्रंप पर जानलेवा हमले के बाद भी मेल-मिलाप के कोई प्रयास नहीं किए गए.
ट्रंप पर हुए हमले ने राजनीतिक परिदृश्य को बड़े पैमाने पर बदल दिया है. इस हमले पर वेंस ने लिखा कि यह इकलौता मामला नहीं है और बाइडन खेमा किसी भी कीमत पर ट्रंप को रोकने पर आमादा है. यह बात और है कि अमेरिका के राजनीतिक माहौल को भड़काने में ट्रंप की भूमिका को उनके समर्थक फिलहाल अपनी सुविधा के हिसाब से अनदेखा कर रहे हैं. दूसरी ओर, बाइडन कोई प्रभावी बात कहने के बजाय केवल यह कहकर कर्तव्य की इतिश्री कर रहे हैं कि कि लोकतंत्र में हिंसा की कोई जगह नहीं. वह भले ही कह रहे हों कि राजनीतिक बहस रणभूमि या किसी की हत्या के प्रयास में तब्दील नहीं होनी चाहिए, लेकिन प्रश्न यह है कि उनके कहे को कोई सुन भी रहा है या नहीं? ताजा घटनाक्रम में ट्रंप ने जिस प्रकार अपनी बढ़त बनाई है, उसे देखते हुए डेमोक्रेट्स के लिए हवा को अपने पक्ष में मोड़ना और मुश्किल हो सकता है.
नवंबर में अभी कुछ समय शेष है. राजनीति में कई बार एक दिन भी बहुत होता है. डेमोक्रेटिक पार्टी अभी भी खुद को नए सिरे से खड़ा करके ट्रंप को चुनौती दे सकती है. यहां तक कि बाइडन की जगह किसी और को प्रत्याशी बनाने की संभावनाएं भी तलाशी जा सकती हैं, मगर इससे इन्कार नहीं कि अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में बीते कुछ दिन बाजी पलटने वाले साबित हो सकते हैं. इन्होंने चुनाव की बुनियाद को बदलकर रख दिया है.
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