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एक समय था, जब नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर सैनिकों द्वारा गोलीबारी होती थी, लेकिन अब उसकी जगह फाइटर जेट, मिसाइल और ड्रोन ले रहे हैं.
Image Source: Getty
यह लेख "ऑपरेशन सिंदूर - अनावृत" नामक सीरीज़ का हिस्सा है.
भारत और पाकिस्तान के बीच जैसे-जैसे संघर्ष कम होगा, वैसे-वैसे दोनों पक्ष, यहां तक कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय दोनों पक्षों के प्रदर्शन और उनके द्वारा तैनात सैन्य हथियारों का मूल्यांकन करेंगे. समाचारों और सोशल मीडिया में इस समय गलत जानकारियों की बाढ़ आई हुई है, ऐसे में सच और झूठ में भेद करना मुश्किल है. लेकिन वास्तविकता का सामना करके ही उससे सीखकर आगे बढ़ा जा सकता है. आगे बढ़ने के लिए अपनी कमियों को स्वीकारने तथा गलतियों को सुधारने की क्षमता की आवश्यकता है.
ऑपरेशन सिंदूर के जवाब में पाकिस्तान ने चीनी प्रणालियों का इस्तेमाल किया. जाहिर है, इस क्षेत्र में हमारा मुख्य प्रतिद्वंद्वी चीन ही है, जिसने विज्ञान और तकनीक, यहां तक कि रक्षा क्षेत्र में बड़ा भारी निवेश किया है. एक वक्त था, जब चीनी उपकरणों को रूस से घटिया माना जाता था, क्योंकि वे काफी हद तक उन्हीं की नकल थे, लेकिन अब वैसा नहीं रहा.
एक वक्त था, जब चीनी उपकरणों को रूस से घटिया माना जाता था, क्योंकि वे काफी हद तक उन्हीं की नकल थे, लेकिन अब वैसा नहीं रहा.
भारत और पाकिस्तान के बीच बीते नौ और दस मई की रात को संघर्ष तेजी से बढ़ा. पाकिस्तान ने भारतीय सैन्य ठिकानों पर मिसाइलों से हमला करने का दुस्साहस किया, तो भारत ने जवाबी कार्रवाई करते हुए उन्हें नष्ट कर दिया. 10 मई की सुबह मीडिया ब्रीफिंग में सरकार ने पाकिस्तान के उस दावे को खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया था कि उसने भारतीय सैन्य ढांचे को बड़ा नुकसान पहुंचाया है. दूसरी ओर, भारत ने कहा कि हमने पाकिस्तानी दुस्साहस के बदले में रफीकी, मुरीद, चकलाला और रहीम यार खान में पाकिस्तानी सैन्य ठिकानों पर हमला किया है. पसरूर और सियालकोट में भी रडार साइट को नुकसान पहुंचाया.
यह घटना भारत द्वारा लाहौर और कराची में एयर डिफेंस रडार साइट को निष्क्रिय करने के एक दिन बाद घटी. 8 मई को सरकार द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, भारत ने पाकिस्तान के कई अन्य स्थानों पर उसके एयर डिफेंस रडार और सिस्टम को निशाना बनाया. एएनआई के हवाले से बताया गया कि भारत पर दागी गईं 15 मिसाइलों को एस-400 सिस्टम का इस्तेमाल कर निष्क्रिय किया गया था.
भारत ने पाकिस्तान के एयर डिफेंस सिस्टम को नाकाम करने के लिए इस्राइली हार्पी और हारोप ड्रोन्स का इस्तेमाल किया था. भारत के पास 100 ये अधिक उच्च क्षमता वाले हार्पी और हारोप ड्रोन हैं, जो वास्तव में मिसाइल हैं.
भारत ने पाकिस्तान के एयर डिफेंस सिस्टम को नाकाम करने के लिए इस्राइली हार्पी और हारोप ड्रोन्स का इस्तेमाल किया था. भारत के पास 100 ये अधिक उच्च क्षमता वाले हार्पी और हारोप ड्रोन हैं, जो वास्तव में मिसाइल हैं. हमारे शस्त्रागार में कुछ इस्राइली मूल के हमलावर ड्रोन हैं और अब अमेरिकी एमक्यू-9 प्रीडेटर हमलावर ड्रोन भी खरीदने की तैयारी है. हार्पी और हारोप युद्ध क्षेत्र में छह घंटे तक उड़ान भर सकते हैं और जब उन्हें पता चलता है कि कोई रडार चालू हो गया है, तो वे उस पर निशाना साधकर अपने 32 किलोग्राम के हथियार से उसे नष्ट कर सकते हैं.
एक खास बात यह है कि दोनों तरफ के सैन्य बलों ने अंतरराष्ट्रीय सीमा को पार किए बिना हवा से हवा में और हवा से मैदान में हमला करने वाली लंबी दूरी की मिसाइलों का इस्तेमाल किया. इससे दोनों ओर के संसाधनों को नुकसान पहुंचा है. भारत ने एक पाकिस्तानी मिराज-V का मलबा मिलने की पुष्टि की है. एक समय था, जब नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर सैनिकों द्वारा गोलीबारी होती थी, लेकिन अब उसकी जगह फाइटर जेट, मिसाइल और ड्रोन ले रहे हैं.
संघर्ष बढ़ाने का पहला कारण यह है कि भारत ने पहले दिन सैन्य लक्ष्यों को निशाना नहीं बनाया, केवल आतंकी ठिकानों पर हमला किया. हालांकि, भारतीय विमानों ने भारतीय क्षेत्र से अपनी मिसाइलें दागीं, लेकिन उन पर सीमा पार पाकिस्तान से हवा से हवा और जमीन से हवा में मार करने वाली मिसाइलों की बौछार की गई. इसके बाद बुधवार रात (7 मई) को पाकिस्तान की ओर से भारतीय सैन्य ठिकानों को लक्षित कर ड्रोन से हमले किए गए, जिससे संघर्ष बढ़ गया. यही वह समय था, जब भारत ने पाकिस्तान के एयर डिफेंस सिस्टम को तबाह करने का फैसला किया, जो उसे पहले ही कर लेना चाहिए था. लेकिन बाद में ही सही उसने शानदार तरीके से लाहौर के बाहर एचक्यू-9 एयर डिफेंस मिसाइल साइट को नष्ट कर दिया.
इसके बाद संघर्ष विराम के प्रयास शुरू हुए. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, उपराष्ट्रपति जेडी वेंस और विदेश मंत्री मार्को रूबियो ने दावा किया कि उन्होंने भारतीय प्रधानमंत्री मोदी और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शरीफ समेत तमाम पक्षों से बात कर संघर्ष विराम कराया है. हालांकि, भारत ने अमेरिकी मध्यस्थता को खारिज किया है. प्रधानमंत्री मोदी ने भी राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में अमेरिका का कोई जिक्र न कर स्पष्ट कर दिया कि भारत अब पाकिस्तान से सिर्फ आतंकवाद और उसके कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) पर ही बात करेगा.
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Manoj Joshi is a Distinguished Fellow at the ORF. He has been a journalist specialising on national and international politics and is a commentator and ...
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